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अ नाईस सेक्स कहानी में मैं पेपर देने बनारस जा रहा था. बस में मेरी दोस्ती एक लड़की से हो गयी. वह भी वही पेपर देने जा रही थी. हमने रात रुकने के लिए एक कमरा ले लिया.

दोस्तो, मेरी नई स्टोरी आप लोगों के लिए हाजिर है!

ये भी एक सच्ची घटना है क्योंकि मैं फेक चीजें शेयर करना खुद भी पसंद नहीं करता।
उम्मीद है ये A Nice Sex Kahani भी आपको पहले की तरह फील देगी।

ये घटना पिछले नवंबर की है जब मेरा CTET का पेपर होना था।
मेरा सेंटर बनारस बना हुआ था।

मैं अकेले ही जा रहा था।
पेपर सुबह 8 बजे से था, तो एक दिन पहले ही निकलना था, वरना प्रयागराज से बनारस समय पर न पहुंच पाता।

ये भी समझ गया था कि रात कहीं होटल लेकर रुकना ही पड़ेगा सोने के लिए।

मैं एक दिन पहले ही शाम को 4 बजे घर से निकल गया क्योंकि बस से जाना था।

रात 8-9 बजे तक पहुंचकर रूम भी लेना था रात बिताने के लिए।

बस अड्डे पर पहुंचा तो देखा, काफी लड़के-लड़कियां पेपर देने जाने के लिए बस का इंतजार कर रहे थे।

पता चला कि शाम 6 बजे तक जनरथ जाएगी, तो मैं उसी में जाने के लिए एक जगह बैठकर इंतजार करने लगा।

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ये हिंदी सेक्स कहानी आप HotSexStoriesPictures.Com पर पढ़ रहें हैं|

थोड़ी ही देर में एक लड़की, मेरी ही उम्र की रही होगी, एक 10-12 साल के लड़के के साथ वहीं आकर बैठ गई।

मैंने उसे देखा, वो बैग लिए थी और वो शायद उसका छोटा भाई था, ऐसा अंदाजा लगाया।

मैं उसे चोरी-चोरी देख रहा था।
काफी अट्रैक्टिव फिगर था उसका!

उसने सफर के लिए लोअर और टी-शर्ट पहनी थी, साथ में स्पोर्ट्स शूज और ऊपर से एक जैकेट थी।
वह काफी सुंदर लग रही थी।
उसके हाथ में चिप्स का पैकेट और पानी की बोतल भी थी।

मुझे अंदाजा हुआ कि हो न हो, इसका भी पेपर ही होगा।

खैर, मैं उसकी हरकतों को चोरी-चोरी देख रहा था।
वो भी अपने भाई के साथ बैठ गई।

उसकी लोअर काफी चुस्त थी, दोस्तों, इसलिए उसकी कमर के नीचे का हिस्सा, आगे और पीछे, काफी सेक्सी नजर आ रहा था।

अगर सच कहूं, तो अंदाजन 36-24-36 जैसा ही सेक्सी फिगर रहा होगा।
उसने गोल फ्रेम का चश्मा लगाया था जिससे पता चलता था कि वो पढ़ाकू टाइप है।

5 मिनट बाद उसने बैग से एक पेपर निकाला और फोन पर किसी से बात की।

“पापा, मैं चिंटू के साथ बनारस जा रही हूँ, कल पेपर है!” उसने फोन पर कहा।

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मैं खुश हो गया कि मेरा गेस सही निकला।
फिर उसने अपने सेंटर का नाम बताया, तो मुझे लगा कि कुछ सुना-सुना सा है।

2 मिनट बाद मैंने भी अपना एडमिट कार्ड निकालकर देखा, तो याद आया कि अरे, ये तो वही कॉलेज का नाम है जो मेरा भी सेंटर है!

मैं तो अब और खुश हो गया कि चलो, अब साथ में ही जायेंगे, भले खटारा बस में ही जाना पड़े।

खैर, उसकी बात खत्म हुई तो मैंने पूछ लिया, “आपने जो कॉलेज का नाम लिया, बनारस में वही सेंटर है क्या?”
“हाँ, आपका भी है क्या?” उसने जवाब दिया।
“हाँ जी, सेम उसी में मेरा भी गया है!” मैं मुस्कुराकर बोला।

वो भी थोड़ा जैसे खुश हुई।
फिर हम बातें करने लगे।

उसने बताया कि वो पहली बार बिना पापा के पेपर देने जा रही है, इसलिए चिंटू भाई को साथ लेके निकली है।

“हाँ, कोई बात नहीं, अब तो हम भी साथ हैं। एक ही जगह जाना है और फिर वापस भी यहीं आना है!” मैंने कहा।

“आपका कोई वहाँ रहता होगा बनारस में, न?” उसने पूछा।

“नहीं, मैं भी अपने भरोसे जा रहा हूँ, कोई नहीं वहाँ मेरा!” मैंने जवाब दिया।

फिर कुछ देर बाद उसने चिप्स मेरी तरफ ऑफर किए।
“थैंक्स!” मैंने कहा और पैकेट से एक चिप्स लिया।

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मैंने उसका एडमिट कार्ड देखने के लिए लिया क्योंकि मुझे उसका नाम पता करना था।
उसका नाम पूनम दुबे था, उसमें उसका नंबर भी लिखा था।

नाम देखकर मैंने एडमिट कार्ड वापस दे दिया।

“अपना दिखाइए!” उसने कहा।
मैंने मोबाइल में पीडीएफ खोलकर दिखा दिया।

उसने पहले सेंटर का नाम देखा, फिर साइड करके मेरा नाम भी देख लिया।

“नीरज हो आप?” उसने मुस्कुराकर कहा।
“हाँ, और आप पूनम हो!” मैंने जवाब दिया।

“आप नाम के लिए मांगे थे एडमिट कार्ड!” उसने मजाक में कहा।
“नहीं तो!” मैंने कहा।

“पूछ लेते, तो भी मैं नाम बता देती न आपको!” उसने हँसते हुए कहा।
मुझे उसकी ये बात सच में अच्छी लगी।

“पूनम, जन-रथ से चलना, उसमें भीड़ कम होगी!” मैंने सुझाव दिया।
“किराया ज्यादा होगा न?” उसने पूछा।
“हाँ, थोड़ा सा होगा, पर मैं उसी में जाऊंगा!” मैंने कहा।

वो कुछ सोचकर बोली, “ठीक है, हम भी चलेंगे जन-रथ से ही!”

अब थोड़ा सुकून मिला मुझे!
कुछ देर बात करते-करते चिंटू भी हमसे घुल-मिल गया।
उसने मेरा फोन लेकर कार्टून देखना शुरू कर दिया।

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“गंदी बात, चिंटू! उनका फोन दे दो, नहीं तो पापा से शिकायत करूँगी मैं!” पूनम ने मना किया।
बेचारे ने डर के फोन दे दिया।

खैर आधे घंटे ऐसे ही एक-दूसरे से बात करते-करते भीड़ थोड़ी कम होने लगी थी।

उसी बीच जन-रथ बस अपनी जगह पर आकर लग गई।
“पूनम, बस आ गई!” मैंने इशारा किया।

हम तीनों फटाफट बस में जाकर सबसे पीछे की सीट रिजर्व कर ली, अपने-अपने बैग ऊपर रख दिए।

“पूनम, बैग देखना, मैं कुछ खाने के लिए लेके आता हूँ, वरना 3 घंटे जनरथ रुकेगी नहीं!” मैंने कहा।

मैं नीचे उतरकर गया और 6 समोसे लिए, साथ में स्पेशल इलायची वाली 2 कुल्हड़ चाय और एक पानी की बोतल भी लाया।
वापस गया, तो देखा कि वो चिंटू को पराठे में जैम लगाकर दे रही थी क्योंकि उसे बस में सोना था।

उसने देखा कि मैं समोसे लाया हूँ, तो चिंटू ने फटाक से एक समोसा ले लिया।
पूनम हँसने लगी।

“पूनम, चाय पी लो, नहीं तो ठंडी हो जाएगी! बाद में समोसे साथ में खाएंगे!” मैंने कहा।
उसने चाय ली और बोली, “थैंक्स!”
“मोस्ट वेलकम, पूनम जी!” मैंने मजाक में कहा।

खैर, चिंटू खा-पीकर बस में एक किनारे सो गया।

दोस्तो, जनरथ की 2 सीट भी इतनी बड़ी होती हैं कि आराम से 3 लोग बैठ सकते हैं।

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हम समोसे खा रहे थे, तभी उसकी मम्मी का कॉल आया।
उसने मुझे उंगली होंठ पर रखकर चुप रहने का इशारा किया।

मैं समझ गया।

उसने बात की और बताया, “मम्मी, एक लोग परिचित मिल गए हैं, उनका भी सेंटर मेरे ही सेंटर पर है!”

फोन स्पीकर पर था, मैंने सुना।
मम्मी बोली, “चलो, अच्छा है, फिर तो साथ में ही रहना उनके और साथ में ही जाना!”

“बात करवा दो मेरी उनसे!” मम्मी ने कहा।
“लो, बात कर लो आप!” पूनम ने कहा।

“हेलो, आंटी, नमस्ते!” मैंने कहा।
“बेटा, पूनम को कैसे जानते हो?” आंटी ने पूछा।

मैं समझ नहीं पाया क्या जवाब दूं।

अचानक मुंह से निकल गया, “आंटी, हम लोग क्लास 12th में साथ कोचिंग में थे!”
“अच्छा, बेटा, तब तो कोई दिक्कत ही नहीं! ध्यान देना, बेटा, अपना समझ के। इसके पापा नहीं जा पाए!” आंटी बोली।

“आंटी, फिक्र न करिए, साथ में जा रहे हैं, साथ में वापस आएंगे!” मैंने कहा।

फिर फोन कट गया।

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अब आधा घंटा बीत गया था, बस भी लगभग फुल हो गई थी।

“पूनम, रात में कहाँ रुकने की सोची थी?” मैंने पूछा।
“स्टेशन पर!” उसने कहा।

“पागल हो? इतनी ठंड में स्टेशन पर, वो भी चिंटू को लेकर?” मैंने कहा।

“आप कहाँ रुकेंगे?” उसने पूछा।
“एक सस्ती होटल है, जान-पहचान की। कई बार गया हूँ वहाँ, तो इस बार भी वहीं जाऊंगा!” मैंने कहा।

“मम्मी ने बोला भी है साथ में रहना, तो अब साथ में चलना पड़ेगा!” मैंने मजाक में कहा।

“अच्छा, ऐसे कैसे? मम्मी से बोल दिया कि जान-पहचान के हो, पर सच में थोड़ी न जानती हूँ आपको! रूम साथ में शेयर करूँगी रात में?” उसने कहा।

“ठीक है, उतर जाओ, दूसरी बस ले लो, ये वाली महंगी भी है!” मैंने कहा।
“नहीं उतरने वाली! क्या कर लोगे? साथ में ही चलना है!” उसने हँसते हुए कहा।

खैर, ऐसे ही हंसी-मजाक के बीच सफर शुरू हुआ।
साथ में बैठ गए थे। एक-दूसरे का शरीर छू रहा था, पर वो बुरा नहीं मान रही थी। मेरा हाथ साइड से उसके बूब्स को भी लग जाता, तो वो बस मुझे देखकर नजर नीचे कर लेती।

बस अपनी रफ्तार से चलती जा रही थी।

7 बजे के बाद उसे भी झपकी आने लगी।
वो मेरे कंधे पर सिर टिकाने लगी अनजाने में।

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मुझे बहुत अच्छी फील आई!
मुझे लगा कि आज कुछ अच्छा जरूर होने वाला है।

मैंने उसे सोने दिया।

बीच में टिकट वाले से हमने तीनों का टिकट लिया।

पूरे रास्ते उसके परफ्यूम की महक मेरे नाक में आ रही थी।
उसके बाल मेरे मुंह पर आ रहे थे।
बहुत अच्छी फील आई पूरे सफर में!

खैर, हम बनारस 8:30 बजे पहुंच गए।

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“पूनम, बनारस आ गया!” मैंने उसके कान में कहा।

वो हड़बड़ाकर उठी और पर्स निकालने लगी।

“चलो, पैसा मैं दे दिया हूँ जब तुम गहरी नींद में थी!” मैं हँसते हुए बोला।
“क्यों इतना कर्जा चढ़ा रहे हम पर?” उसने कहा।

“बाद में दे देना!” मैंने जवाब दिया।
“ठीक है!” उसने कहा।

हम नीचे उतर गए और एक जगह रेस्ट करने के लिए बैठ गए।
चिंटू को भूख लग गई थी।

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“पूनम, चलो कहीं खाना खाएं होटल में!” मैंने कहा।

“नहीं, नीरज जी, मैं टिफिन में लाई हूँ। 3 लोग आराम से खा लेंगे। पैसे मत खराब करिए, हमें अच्छा नहीं लग रहा!” उसने कहा।
“अच्छा, ठीक है!” मैंने कहा।

उसने देखा, पूरे स्टेशन पर इतनी भीड़ थी कि कहीं बैठने की भी ठीक से जगह नहीं थी।

वो यहीं जाने कैसे सोने वाली थी!

“अब बोलो, कहाँ रुकोगी?” मैंने पूछा।
“चलो, जहाँ आपका मन करे!” उसने कहा।

मैं सच में इतना खुश हुआ कि क्या बताऊं!

हम होटल गए, रूम लिया, सारा सामान रखा।
वो मेरे साथ थोड़ा अजीब फील कर रही थी, पर उसके पास कोई और ऑप्शन भी नहीं था।

उसे जैसे मुझसे कोई दिक्कत ही नहीं थी।
चार घंटे में ही जैसे मैं उसका कोई सगा सा हो गया था।

“पूनम, अंदर से बंद कर लो। मैं पानी की बोतल लेके आता हूँ, तब खाना खाएंगे!” मैंने कहा।

मैं पानी लेकर दरवाजे पर आया।
जैसे ही खोला, तो देखा वो कपड़े बदल रही थी, ऊपर वो ब्रा में थी।

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अचानक रूम में घुसने से वो टी-शर्ट से खुद को ढकने लगी।

“सॉरी!” मैंने कहा और लाइट ऑफ कर दी ताकि वो कपड़े बदल सके।

वो कपड़े लेकर बाथरूम में गई और वहीं से बदलकर आई।
चिंटू ये सब नहीं देख पाया क्योंकि वो मोबाइल में लगा हुआ था।

वो आई, लाइट जलायी, फिर बैग से टिफिन निकालकर पेपर बिछाया और टिफिन खोली।

हम तीनों ने पराठे और भिंडी की सब्जी खाई।
कुछ देर पेपर को लेकर बात की।

तब तक रात के 9:30 हो गए थे।

मैंने देखा कि रूम में एक ही रजाई थी।
मैं समझ गया कि एक ही रजाई ओढ़ना पड़ेगा, चाहे जो हो।

“पूनम, चलो, सो जाते हैं!” मैंने कहा।
“हाँ, सुबह जल्दी उठना भी होगा!” उसने जवाब दिया।

जब हम पेपर की बात कर रहे थे, तब तक चिंटू सो ही गया था.
वो एक साइड में था।

पूनम ने उसे खिसकाना चाहा ताकि वो हमारे बीच में रहे, पर वो नहीं खिसक पाया।
वो लेट गई।

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“आपको भी मेरे बगल में लेटना पड़ेगा आज, सॉरी!” उसने कहा।
“सॉरी की क्या बात है इसमें? ये बात तो हमें बोलना चाहिए था!” मैंने कहा।

वो मुस्कुराई।

मैंने लाइट ऑफ की क्योंकि मुझे भी कपड़े बदलने थे।

मैंने जीन्स उतारकर लोअर पहना और ऊपर इनर थी।

अब हम पूनम के बगल में लेट गए।

रजाई साइज में छोटी थी, इसलिए एकदम सटकर सोना था, वरना रजाई खुल जाए।

उसकी परफ्यूम की खुशबू अभी भी मेरे नाक में आ रही थी।

“पूनम, कौन सा परफ्यूम लगाया है? काफी अच्छी खुशबू है!” मैंने पूछ लिया।

पता नहीं उसने क्या नाम बताया, याद ही नहीं।

हम लेटे-लेटे बात करने लगे।
वो कुछ बता रही थी।
मैं उसकी खुशबू लेने के लिए उसकी तरफ मुंह करके लेट गया।

इस स्टोरी को मेरी सेक्सी आवाज में सुनने के लिए यहाँ क्लिक करें.
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वो सीधी लेटी थी।
मेरा एक हाथ उसकी जांघ पर छू गया।

वो मेरा हाथ हटा दी और जो बात बता रही थी, उसे आगे बताने लगी।

मुझे लगा कि शायद कुछ भी नहीं हो पायेगा आज!

मैंने जान-बूझकर हिम्मत करके फिर से हाथ उसी जगह रख दिया।
वो फिर से हटा दी।

अब जैसे वो गुस्से में थी।
चुप हो गई, मेरी तरफ मुंह करके लेट गई।

“क्या है? क्यों छू रहे पैर को बार-बार?” उसने पूछा।
“सॉरी, गलती से हुआ!” मैंने कहा।

“नहीं, गलती से नहीं था! आपने जान-बूझकर हाथ रखा था!” उसने कहा।

मैं शर्मा गया।
चुप रहा, कुछ बोला नहीं।

थोड़ी देर बाद वो फिर सीधी लेट गई और चिंटू की तरफ देखी।
वो गहरी नींद में सो गया था।

“अच्छा, रख लो हाथ जहाँ रखना हो!” पूनम बोली।

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मैं ये सुनकर इतना खुश हुआ कि क्या बताऊं!
मैंने उसके जांघ पर हाथ ले गया।

उसकी चुस्त लोअर की वजह से ऐसा लगा जैसे मैंने उसके नंगे बदन पर हाथ रखा हो।
मैं सहलाने लगा।

वो मुझे अपने घर की बात बताने लगी।
मैं उसे सुन भी रहा था और पूरे मन से उसकी जांघों को सहला रहा था।

अब मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर फिराया।

वो कुछ बता रही थी, अचानक चूत पर हाथ गया, तो चुप हो गई।

मैं धीरे-धीरे चूत को ऊपर से सहलाने लगा।
वो फिर अपने घर की कहानी बताने लगी, पर मेरा मन उसकी बातों पर नहीं लग रहा था।

मैं हाँ में हाँ मिला रहा था, पर उसे जोश में लाने की पूरी कोशिश कर रहा था ताकि वो रात यादगार बन जाए।

उसकी साँसें तेज-तेज चलने लगी।

मेरा लंड भी एकदम टाइट हो गया था मेरे लोअर में।

फिर मैंने हिम्मत करके हाथ उसकी लोअर के अंदर डालने लगा।
वो फट से मेरा हाथ पकड़ ली।

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“मत करो, नीरज जी! मैं कंट्रोल नहीं कर पाऊँगी, ये गलत है न!” उसने कहा।
मैं उसके कान के पास अपना मुंह ले गया और धीरे से बोला, “हम कुछ भी गलत नहीं होने देंगे, पूनम!”

मैंने प्यार से उसके कान में किस कर लिया।
धीरे से मैंने हाथ लोअर में डालकर उसकी चड्ढी के अंदर से उसकी चूत पर ले गया।

वो गीली हो चुकी थी।
उसे भी पूरा मजा आ रहा था इसलिए खुलकर मना नहीं कर पा रही थी।

उसे भी पता था कि न मैं किसी से ये सब बताने वाला था, न वो।
उस रात को खुलकर जी लेने में ही ठीक था।

मैं चूत सहलाते-सहलाते अचानक हाथ बाहर निकालकर उसके होंठों पर उंगली रख दी।
वो मेरी उंगली को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी.

मेरा लिंग और भी तन गया।

“पूनम, मुझे वहाँ चूमना है!” मैंने कहा।

“नहीं, प्लीज! गंदा है न वहाँ पर!” उसने मना किया।

पर मैं रजाई के नीचे चला गया।
मैंने उसकी लोअर और चड्ढी सहित खींचकर पूरा निकाल दिया और बाहर रख दिया।
मैं मोबाइल जलाकर उसकी चूत देखने लगा।

उसकी गोरी-गोरी चूत और हल्के-हल्के बाल काफी सेक्सी लग रहे थे।
चूत से बहुत सेक्सी खुशबू आ रही थी।

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मैं नीचे सिर करके उसकी चूत को जीभ से चाटने लगा, फिराने लगा, जीभ चूत के अंदर डालने लगा।

वो जैसे पागल हो गई हो, मेरे सिर को पकड़कर अपनी चूत पर जोर से दबाने लगी।

मैं समझ गया, अब कुछ भी करूँ, ये मना नहीं कर पायेगी।

“अपना भी लोअर निकालोगे? ये मैं ही बस बेशर्म हूँ?” उसने धीरे से कहा।

मैंने भी अपने लोअर और चड्डी दोनों निकाल दी।
ऊपर का इनर भी निकाल दिया, पूरा नंगा हो गया।

फिर वो भी उठी और ऊपर के सारे कपड़े, ब्रा सहित, सब उतार दी।
वह कपड़े उतार रही थी, पर उसकी आँखें बंद थीं।

मैं समझ गया, वो एकदम मदहोश हो गई है।

उसने कमर पर काला धागा पहना हुआ था, बहुत सेक्सी लग रहा था।

उसकी चूत के थोड़ा ऊपर एक तिल था, जो उसकी चूत को और सेक्सी बना रहा था।

अब हम दोनों पूरे नंगे थे।

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वो पेट के बल लेट गई।
मैं उसके ऊपर लेट गया।

मैं अपना लिंग उसकी गांड पर ऊपर से रगड़ने लगा।
काफी अच्छा फील आ रहा था।

मैं उसकी पीठ पर जीभ से किस कर रहा था, उसके बालों को हाथों से सहला रहा था, गले पर भी चूम रहा था।

वो एकदम मदहोश हो चुकी थी।
उसे मानो होश ही नहीं था कि बगल में चिंटू भी सोया है।

10 मिनट तक ऐसे ही उसकी पीठ और गांड पर लिंग को घिसते-घिसते मेरा अब आगे करने का मन हुआ।

मैंने धीरे से उसे सीधा लेटने को कहा।
वो सीधी लेट गई।

मैं उसके ऊपर 69 पोजीशन में लेटने लगा ताकि मैं उसकी चूत पर किस करूँ और वो मेरे लिंग को मुंह में लेकर चूसे।

पहले तो उसने मना किया, फिर बाद में मान गई।

अब वो मेरे लिंग को अपने मुंह में लेकर अच्छे से चूसना शुरू की।
मैं उसकी चूत चाट रहा था, साथ में दोनों हाथों से उसकी जांघों को सहला भी रहा था।
उसके लिंग चूसने की वजह से मैं एकदम पागलाने लगा। मुझे लगा, कहीं मैं मुंह में ही न झड़ जाऊं।

मैंने उसे रोक दिया।
अब हम सीधे होकर एक-दूसरे को लिप किस करने लगे, पागलों की तरह।

मेरे लिंग उसके पेट पर, नाभि के पास, छू रहा था। मैं पेट पर ही लिंग घिसने लगा।

“नीरज जी, ये बहुत गलत हो रहा है!” उसने मेरे कान में कहा।
“नहीं, ऐसा मत बोलो, पूनम!” मैंने कहा।

“नीरज, अब नीचे करो!” उसने कहा और अपने हाथ से मेरा लिंग पकड़कर अपनी चूत पर लगाने लगी।

मैं समझ गया कि अब ये पक्का जल्दी ही झड़ जाएगी।

मैंने देर न करते हुए सीधा उसके ऊपर आ गया।
वो अपने हाथ से ही चूत पर लिंग रखने लगी।
मैं भी आराम से धक्का देने लगा।

लिंग के पानी और चूत के चिकने पानी की वजह से मेरा लिंग आराम से चूत में सरक गया।
काफी टाइट चूत थी उसकी!

अब वो कमर हिला-हिलाकर मेरा साथ भी दे रही थी।
मैं भी जोर-जोर से उसे चोदने लगा।

वो मेरे होंठ को अपने दांतों से काटने लगी थी प्यार से।

मुझे अच्छा लग रहा था।
मैं भी उसके गाल को दांतों से काट रहा था, चूम रहा था।

अब वो जोर-जोर से कमर हिलाने लगी।
मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है … मैं भी और जोर-जोर से चोदने लगा।

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वो आह-आह करते-करते पूरा झड़ गई दोस्तो!
उसका सारा पानी बिस्तर पर गिर गया।

मुझसे भी अब रुका नहीं गया।
लगातार 10 मिनट ऐसे ही चोदते-चोदते मैं भी उसकी चूत में ही झड़ गया।

हम ऐसे ही एक-दूसरे से चिपककर आधे घंटे तक लेटे रहे, एक-दूसरे को चूमते रहे।

उसने मुझसे उसी दिन प्यार का इजहार भी कर दिया।

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आज भी हम दोनों अपने ही शहर में मिलकर होटल रूम लेकर ऐसे ही सेक्स करते हैं।

मेरी अ नाईस सेक्स कहानी आपको कैसी लगी?
कृपया कमेंट्स लिख के बताएं जरूर!
मेल आईडी नहीं दी जा रही है.

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