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द हाफ वाइफ: भाभी आधी घरवाली- 1
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आई लव यू भाभी! मेरे भाई की शादी के बाद मेरी भाभी घर में आई. मैंने उन्हें पसंद करने लगा. भाभी के प्रति मेरे विचार वासनात्मक होने लगे.

दोस्तो मेरा नाम अभि (शॉर्ट नेम) है.
मेरा घर बिहार के एक छोटे से गांव में है।

वैसे तो मैं हॉट सेक्स स्टोरीज पिक्चर्स डॉट कॉम का पाठक तब से हूं जब 2G का जमाना था और कीपैड वाले फोन होते थे.
लेकिन एक लेखक के रूप में यह मेरा पहला कदम है।

कहानी थोड़ी लम्बी हो सकती है इसलिए आप सबसे प्रोत्साहन की आशा करता हूं।

मेरे घर में मेरी मां, एक बड़ा भाई, भाभी और मैं हूं.

यह कहानी मेरे और मेरी भाभी के बीच बने एक खूबसूरत से रिश्ते की है।

मेरे भाई की शादी 2020 के फरवरी महीने में हुई थी.
राकेश नाम है मेरे भाई का!

वे दिल्ली में एक बैंक में मैंनेजर के पोस्ट पर काम करते हैं और मेरी प्यारी भाभी का नाम है नेहा.
नेहा भाभी दिखने थोड़ी सांवली हैं पर उनके चेहरे पर गजब की चमक है, नूर है.

भाभी की फिगर का क्या कहूं … उनको तो देख कर कोई भी मूठ मार ले.
भाभी की चूची है 36″ कमर 30″ और गांड है 34″ की.

भाई की शादी के अगले साल यानि 2021 में हमारे पापा का देहांत हो गया.
उस समय पर भाभी गर्भ से भी थीं।

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ये हिंदी सेक्स कहानी आप HotSexStoriesPictures.Com पर पढ़ रहें हैं|

नवंबर महीने में भाभी की डिलेवरी डेट थी.

मां के कहने पर भाभी की छोटी बहन कोमल, जो करीब 20 साल कोई थी, को डिलीवरी के कुछ दिन पहले हमारे घर बुला लिया गया।

भैया दिल्ली थे और भाभी को प्रसव पीड़ा शुरू हो गयी.
शाम के 6 बजे मैंने कार निकाली कार में मां कोमल और भाभीं को लेकर अस्पताल पहुंचा।

वहां डॉक्टर ने बताया कि ऑपरेशन द्वारा डिलीवरी करानी होगी जिसके बाद 10 दिन तक अस्पताल में ही रुकना होगा भाभी को!
खैर बच्चा हुआ और उसे डॉक्टर्स ने शीशे में रखने का बोला.

भाभी बेहोश रहीं. अगले दिन भाभी को होश आया.

मैं, मां और कोमल थे वहां!
डॉक्टर्स ने चेकअप किया, सब ठीक था.

तब मैंने कोमल को अस्पताल में रुकने को बोला और मां को लेकर घर पहुंच गया.
वहां मैं फ्रेश होकर खाना खाकर कोमल और भाभी के लिए खाने का लेकर वापस अस्पताल आ गया।

मुझे कोमल के साथ बैठ कर बात करना अच्छा लग रहा था.

अभी तक मेरे मन में भाभी या कोमल को लेकर कोई गंदी बात नहीं आई थी.

लेकिन अगले दिन जब भाभी थोड़ी फ्रेश सी दिखने लगी तो मैंने कोमल को भी आराम करने के लिए घर भेज दिया और खुद भाभी के पास रुक गया.

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भाभी ने नाइटी पहनी थी.
सर्दी का मौसम था इसलिए वे कम्बल ओढ़ कर लेटी थी.
मैं एक कम्बल में खुद को लपेटे हुए वहीं बैठा था.

हम दोनों लोग बात कर रहे थे।

भाभी बोली- बाबू, आपको तो बेवजह ही इतनी सर्दी में मेरी सेवा करनी पड़ रही है. जबकि यह काम आपके भैया का है.
मैं बोला- ऐसी कोई बात नहीं है, बच्चा मेरा भी तो भतीजा है. और भाई को छुट्टी नहीं मिली है, मिलते ही आयेंगे ही!

कुछ देर ऐसे ही बात करते रहे तो भाभी बोली- जरा नर्स को बुलाइए, दर्द हो रहा है.
मैंने भाग कर नर्स को बुलाया.

भाभी ने बताया कि उन्हें ब्लीडिंग हो रही है.
यह सुन कर मैं घबरा गया.

नर्स ने डॉक्टर को बुलाया.

डॉक्टर ने आते ही भाभी से पूछा- सच बताना, आखरी बार सेक्स कब किया था?
यह सुन कर भाभी असहज हो गई.
इसलिए मैं बाहर निकल आया.

फिर जब कुछ देर में डॉक्टर मैम चली गई तो मैं अंदर गया.

भाभी अपनी आंसू पौंछ रही थीं.
मैंने पूछा- क्या हुआ भाभी?
भाभी ने बोला- तुम जाने दो छोटे … तुम्हारी मतलब का नहीं है. काश तुम्हारे भाई यहां होते!

मेरे काफी फोर्स करने पर भाभी ने रोते हुए बताया कि भाई ने भाभी के साथ गर्भ के 8वें महीने में भी सेक्स किया है जिसके कारण योनि के अंदर कुछ कट आ गए हैं जिनसे ब्लीडिंग होने लगी थी. पर घबराने की बात नहीं है।

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भाभी ने यह बात वैसे तो मुझे देवर और दोस्ताना व्यवहार होने के कारण बताया था.
पर मेरे मन में शैतान जागने लगा था क्योंकि जब भाभी ये सब बता रही थी मेरा लन्ड खड़ा होने लगा था।
मैं मन में सोच रहा था – आई लव यू भाभी!

यहां किस्मत ने एक बार फिर मेरा साथ दिया.
डिलीवरी हुए 48 घंटे से अधिक होने को थे और बच्चा मां से अलग था जिस कारण भाभी को चूचियां दूध से पूरी भर गई थी और नाइटी को भिगो रही थी टपक टपक कर!

रात के 2 बज रहे थे.
हमारे वार्ड में दो बेड थे जिनमें से एक खाली हुआ था कल शाम को ही!
इसलिए उस बेड पर मैं लेट गया था कम्बल ओढ़ कर!
पर अभी मैं सोया नहीं था, अंतर्वासना पर घूम रहा था.

इधर भाभी के सिसकने की आवाज आने लगी.
तो मैं उठ कर भाभी के बेड पर गया और उनका माथा सहलाते हुए पूछा- क्या बात है भाभी? भैया की याद आ रही है क्या?
भाभी बोलीं- नहीं यार, सीने में दर्द हो रहा है.

मैं– नर्स को बुलाऊं?
भाभी- नहीं, ये खुद से ठीक करना पड़ेगा, तुम एक प्लास्टिक की थैली दे दो बस!

मैंने पूछा- थैली का क्या करना?
वे बोली- बच्चे को दूध नहीं पिलाने के कारण सीने में बहुत सारा दूध भर गया है जिसके कारण दर्द हो रहा है.
मैं– तो थैली का क्या करना है?
भाभी- अरे बुद्धू, थैली में दूध निचोड़ कर निकालूंगी तुम उसे बाहर फेंक आना.

मैं थैली लेने के लिए बैग खोल रहा था, साथ ही मजाक में बोला- भईया होते तो थैली की जरूरत नहीं पड़ती ना!
इस पर भाभी बोली- हां तेरे भैया के होने का ही नतीजा है कि नीचे ब्लीडिंग होने लगी थी. तू क्या मुझे मार डालना चाहता है जो उनकी याद दिला रहा है?
और वे हल्के से हंस दी.

मैं- वे होते तो खुद ही पी नहीं जाते क्या!
भाभी शर्माती हुई- धत्त शैतान … कैसी बातें करता है. लगता है सारी ट्रेनिंग ले रखी है.
तब तक मैंने थैली दे दी भाभी को!

भाभी ने नाइटी के बटन खोले.
इसके बाद मुझे जो दिखा … उफ्फ क्या बताऊं यारो … दूध से भरी हुई 2 किलो की एक बड़ी सी कसी हुई चूची … निप्पल देख कर लगा मानो ये निमंत्रण है मुझे कि आ और पी जा इनमें भरा हुआ सारा अमृत!

मैं एकटक भाभी की दाहिनी चूची को देखता ही रह गया.
भाभी मेरी नजर को पहचान गईं और जैसे मुझे सोते में से जगाया हो- अभी … अभी … क्या देख रहा है? चल उधर मुंह कर! मैं ये काम कर लूं!

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फिर मैं दूसरी तरफ घूम गया.
पर मेरा लन्ड खड़ा हो चुका था जिसे शायद भाभी ने भी नोटिस कर लिया था
क्योंकि मेरे ट्राउजर में बने तंबू को छुपाने की मैंने अब तक कोई कोशिश नहीं की थी।

भाभी अपनी चूचियों को निचोड़ रही थी. एक हाथ में उन्होंने थैली पकड़ी हुई थीं, इसी हाथ में कैनुला निडल लगी थी, जिस कारण उन्हें दिक्कत हो रही थी.

काफी कोशिश करने के बाद भी उन्हें दिक्कत ही हो रही थी.
तो उन्होंने मुझे आवाज दी.

मैंने पूछा- हो गया क्या?
भाभी बोली- नहीं, तू जरा इधर आ!

मैं उनके पास गया.
पर चूंकि मेरे पैंट में तम्बू बना था इसलिए मैं थोड़ा अलग ही रहा.

भाभी बोली- एक हेल्प कर देगा?
मैं बोला- क्यों नहीं … आप बोलो तो सही!
भाभी- जरा ये थैली पकड़ यहां खड़े होकर और आंख बंद कर ले. मुझे दिक्कत हो रही … मेरे से नहीं पकड़ी जा रही थैली!

मैं बोला- इतनी सी बात है. आप एक काम करो, आप बस बैठिए और मुझे बताइए क्या करना है.
भाभी बोली- तू कुछ कर मत … बस थैली पकड़ ले. बाकी मैं कर लूंगी.

मैं थैली लेकर उनके नजदीक आया और मेरे लौड़े के उभार पर उनकी नजर फिर से पड़ी.
उनकी चूची को इतने नजदीक से देख कर मेरा लन्ड अब पूरी तरह सख्त हो चुका था, मानो अब वो फट ही जाने को था।

मैंने आंखें बंद कर ली और थैली चूची के नीचे लगा दी.
भाभी ने चूची दबाई.
उनके मुंह से सिसकारी और आह एक साथ निकली.
साथ ही चूची से दूध की धार भी निकली जो कुछ तो थैली में और कुछ मेरे हाथ पर गिरी.

भाभी ने मेरा हाथ पकड़ कर और नजदीक किया जिससे मेरा हाथ उनकी चूची से टच हो गया और मेरा शरीर गनगना उठा.
मैंने अपनी आंख हल्के से खोली, देखा तो भाभी सर झुकाए चूची को लगातार दबाते हुए दूध निचोड़ रही हैं.

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ये सब देख कर मेरी हालत का अंदाजा आप खुद ही लगा सकते हो.
ऊपर से मैं जानबूझकर उनकी चूची को छू भी रहा था.

भाभी चूची निचोड़ती गई, दूध थैली और मेरे हाथ पर टपकता रहा.

बारी बारी से दोनों चूचियों से दूध निकालने के बाद भाभी मुझसे बोली– अब आंखें खोल सकते हो. और इसे बाहर बेसिन में बहा दो!

मैं– बहाने से तो सब बर्बाद हो जाएगा?
भाभी हंसती हुई– फिर क्या … पिएगा क्या पगले?

मैं- मुझे कोई दिक्कत नहीं, पी सकता हूं!

भाभी– अच्छा जी, बिना पिए तो ये हालत है.
वे मेरे लंड की तरफ इशारा करके हंसती हुई बोली.

मैंने भी मौके पर चौका मारना ही उचित समझा और मेरे हाथ पर लगे दूध को भाभी के सामने ही चाटते हुए बाहर निकल आया।

दूध बहा देने के बाद मैं वापस आया और भाभी से बात करने लगा.

वे बच्चे के बारे में बात करने लगीं.

कुछ देर बाद उन्होंने पूछा- अच्छा ये बता तो कैसा लगा?
मैं- क्या कैसा लगा?
भाभी– कुछ नही!
मैं- बताओ ना क्या?
भाभी- वही जो टेस्ट किया.
मैं- दूध?
भाभी बस मुस्कुरा दी.
मैं- आपकी तरह ही नमकीन!

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भाभी– मुझे कब टेस्ट किया?
मैं- अभी तो किया!
और मैंने हाथ चाटने की एक्टिंग की.

मेरी इस हरकत पर भाभी हंसने लग– बदमाश हो गए हो!
मैं- देश में लोगों को पीने को दूध नहीं मिलता और यहां लोग दूध नाली में बहा रहे हैं.

भाभी– यह दूध बाहरी लोगों को तो नहीं दिया जा सकता ना!
मैं- मेरे जैसा घर वाला तो पी ही सकता है.
भाभी शर्मा गई.

ऐसे ही बात करते करते हम दोनों सो गए.

अगले दिन सुबह मां और कोमल अस्पताल आ गई.
मैं घर चला गया और भाभी की चूचियों को याद करके मुठ मारी.
फिर नहा कर मैं शाम को फिर से अस्पताल आया और मां और कोमल को घर भेज दिया.

ऐसे ही मैंने दस दिनों तक भाभी का पूरा ध्यान रखा.
इस बीच 3 दिन मैंने उनकी हेल्प की दूध निचोड़ने में … जिससे भाभी बड़ी खुश थीं।

आज अस्पताल में आखरी रात थी, कल डिस्चार्ज होना था.
भाभी अब काफी ठीक थी, बच्चा भी अब भाभी के पास था।

बच्चा सोया था, रात के 11बज रहे थे.
मैं और भाभी फोन में लूडो खेल रहे थे और बातें कर रहे थे.

पर मेरी चोर नजर भाभी की नाइटी से झांकती हुई उनकी मोसम्बियों पर थी.

भाभी– तेरी बीवी तेरे से बहुत खुश रहेगी, तू बहुत केयरिंग है। एक तेरे भईया हैं जिनको मेरी चिंता ही नहीं. देख ना कैसे अब तक देखने भी नहीं आए. और एक तू है जो अपनी भाभी के पास से एक दिन को भी दूर नहीं हुआ, एकदम अपनी बीवी को तरह केयर कर रहा।

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मैंने मजाक करते हुए बोला- तो आप मेरी ही तो बीवी हो, आधी ही सही पर हो तो!
वे थोड़ी मायूस सी आवाज में बोलीं- हम्म … ये सब तो कहने की बातें होती हैं.
उनकी आंखों में आंसू थे जो मैंने देख लिए थे.

मैंने फोन साइड में किया और दोनों हाथों से उनके चेहरे को पकड़ कर ऊपर उठाया.
फिर मैंने उनके आंसू पौंछे और प्यार से पीठ सहलाते हुए उनके बगल में बैठ गया.

वे भी धीरे से मेरे सीने पर अपना सर टिका कर आंख बंद कर लेट गईं।
मेरे एक हाथ को उन्होंने अपने हाथो में पकड़ रखा था.

हम दोनों खामोश रहे.
मैं उनके हाथ, सर पीठ को सहलाता रहा.

कुछ देर में मैंने उठने की कोशिश की.
भाभी ने धीरे से कहा- अभि, यहीं बैठो ना, मत जाओ!
मुझे ऐसा लगा भाभी मेरी भाभी नहीं मेरी वाइफ हों.
मैं पिघल गया और अपनी बांहों में भर लिया उन्हें … और वहीं बैठा रहा.
वे मेरे सीने पर सर रख हुए लेट गईं।

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ऐसे ही सुबह हो गई.

मैंने उन्हें जगाया.
भाभी ने हल्की सी स्माइल दी और बोली- कई महीनों बाद रात सुकून की नींद आई है. तुम बहुत अच्छे हो मेरे प्यारे देवर जी!
मैं बोला- आप भी तो बहुत प्यारी हो. और जब आप इतनी प्यारी हो, फिर आपसे प्यार करने वाला आपका देवर प्यारा कैसे नहीं होगा.

इस बात पर भाभी ने मेरी तरफ अजीब सी नज़रों से देखा.
मैंने बात संभालने के लिए बोल दिया- भाभी देवर का रिश्ता होता ही प्यारा है।
वे मुस्कुरा दी।

डॉक्टर आई और चेकअप के बाद घर जाने का बोला.
मैं बाहर जाकर काउंटर पर बिल और अन्य पेपर बनवाने लगा।

फिर हम लोग घर आ गए.

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2 दिन बाद भैया भी घर आ गये।

अब घर में सब खुश थे पर मुझे तो भाभी का नशा होने लगा था इसलिए कई बार तो उनको याद कर के मुठ मारनी पड़ी।
मेरे प्रिय पाठको, आपको इस आई लव यू भाभी कहानी में अगले भाग में भरपूर सेक्स पढ़ने को मिलेगा.
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आई लव यू भाभी कहानी का अगला भाग: रियल लव सेक्स कहानी

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