अंकल को मेरी चूत की लत लग गयी

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हॉट अंकल फक Xxx स्टोरी में मैं मेड का काम करती हूँ. एक अंकल के घर काम करते करते मैं उनसे चुदने लगी. हम दोनों अब बिना सेक्स के रह नहीं पाते थे.

मैं स्नेहा हूं. आपने मेरी सेक्स कहानी का पहला भाग
सर ने मेरे दूध चूसकर मुझे दूधवाली बना दिया
पढ़ लिया था. उसका लिंक मैं फिर से दे रही हूँ.
एक बार मेरी सेक्स कहानी के पहले भाग को अवश्य पढ़ लें ताकि आपको मेरे बारे में जानकारी हो जाए.

मुझे उम्मीद है कि आप भी इस Hot Uncle Fuck Xxx Story को जरूर पसंद करेंगे.

अंकल के साथ मेरा आग और पानी जैसा रिश्ता बन गया था.
हम लोग हफ्ते में एक या दो बार अवश्य मेरे ही घर पर मिलते थे.

घर में कभी कभार मेरे बच्चे भी रहते थे.
पर वे या तो मोबाइल पर गेम खेलते रहते थे या सोये हुए होते थे.

उस दिन अंकल घर आए तो हम दोनों दरवाजा बंद करके अपना कामक्रीड़ा करने को तैयार थे.

अंकल ने मेरी तरफ देखा और मैंने कमरे की भीतर से कड़ी लगा दी व उन्हें कामुक मुस्कान से देखने लगी.

अंकल बाजू में जाकर उधर रखी कुर्सी पर बैठ गए.

उन्होंने चुटकी बजाते हुए अपने लंड को सहलाया और मैंने तुरंत अपनी मैक्सी ऊपर कर दी.

मैंने अपने दूध खुले कर दिए थे और अंकल के करीब आ गई.
अंकल मेरे एक दूध को अपने एक हाथ में पकड़कर दबाने लगे थे, निचोड़ने लगे थे.

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आज वे मेरी चूचियों को काफी उग्र होकर मसल रहे थे.

मेरी आह निकलने लगी थी.
इससे अंकल को और ज्यादा उत्तेजना होने लगी थी.

उन्होंने मेरी दोनों चूचियों को दोनों हाथों से पकड़ लिया और बारी बारी से मुँह में लेकर मेरा दूध पीने लगे थे.
मैं उनकी इस हरक़त से काफी मस्त हो रही थी.

अंकल पहले भी इसी तरह के मूड में आकर मेरे ब्लाउज या मैक्सी में हाथ डालकर मेरे दूध को आटे की लोई के जैसे दबाते थे.
आज वे फिर से मेरे मम्मों की मां चोद रहे थे.

फिर अंकल ने मेरे होंठों पर अपने होंठों को रख दिया और लंबा चुंबन करने लगे थे.
मैं भी उनके होंठों से अपने होंठों को फेविकोल का मजबूत जोड़ बनाती हुई मजा लेने लगी थी.

तभी अंकल ने मेरे मुँह में अपनी जीभ डाल दी और वे अपनी जीभ से मेरी जीभ को भी चूसने लगे थे.

मैंने अंकल को अपनी दोनों चूचियों के बीच की घाटी को सहलाने की गुजारिश की तो वे तुरंत ही आमादा हो गए.

उन्होंने अपने दोनों हाथ मेरी चूचियों पर जमाए और मेरी घाटी को चूमने लगे, चूसने लगे.
उनकी जीभ मेरी दूधघाटी को चाटने लगी थी.

इसी वजह से जल्द ही मेरी दूध घाटी पूरी तरह गीली हो गई थी और उसी वजह से मेरी चूत के भीतर कुछ कुछ हो रहा था.

मैं बार बार उनसे कहने लगी- अंकल, क्या कर दिया है यार … मेरी चूत में खुजली हो रही है.
इस पर उन्होंने पूछा- बता मेरी जान, बोल मैं तेरी चूत खुजला दूँ क्या!

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मेरा मन तो कर रहा था कि अंकल मेरी चूत को खुजलाएं, लेकिन एक बूढ़े व्यक्ति से ऐसा करवाना मुझे उचित नहीं लग रहा था.

वे हमेशा मुझे बिना कपड़ों में ही देखना चाहते थे और मैं उनकी बात मान लेती थी.

उस दिन मैंने मन बना लिया और अपने कपड़े उतारकर बिस्तर में लेट गई.
अंकल मुझे नंगी देख कर मेरे करीब आए और मेरे ऊपर चढ़ गए.

मैंने उन्हें प्यार से देखा और उनके लंड को उनकी पैंट के ऊपर से ही सहला दिया.

उन्होंने अपने पैंट की जिप खोलकर लौड़ा बाहर निकाल दिया और मुझसे कहने लगे- तुम अपनी चूत में अपने हाथों से मेरे लंड को पकड़ कर डाल दो!
यह कहकर वह बारी बारी मेरी छाती को दबाने लगे, मेरी चूचियों को चूसने लगे.

मैंने भी उनका लौड़ा पकड़ा और उसकी सख्ती को महसूस करके अंदाज लगाया कि इतनी सख्ती ही मेरी चूत में घुसेड़ने के लिए काफी है.

मैंने अपनी टांगें फैला दीं और उनके लंड को चूत में घुसवाने लगी.
उनका लंड किसी मोटे चूहे कि तरह मेरे फैले हुए बिल में घुस गया और एक मीठी सी आह के साथ मैंने अपनी गांड हिलानी शुरू कर दी.

दो ही मिनट में मेरी चूत गीली हो गई थी.
उनके लंड से उनका पानी निकल कर मेरी चूत को कीचड़ का गड्डा बना चुका था.

मेरी प्यास अधूरी जान कर अंकल मेरे नीचे उतर आए और अब उन्होंने मुझे अपने हाथ की मदद से शांत करने का काम शुरू कर दिया.
वे अपनी दो उंगलियां मेरी चूत के अन्दर घुसेड़ कर चूत की आग को बुझाने लगे थे.

जल्द ही चूत ने भी हार मान ली थी और चूत रस छूटने लगा था.
उनके हाथ की उंगलियां गीली हो गई थीं.
वे मुस्कुरा रहे थे और मेरी चूत में उंगलियां डाले हुए थे.

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हम दोनों की सांसें धौंकनी सी चल रही थी.

मैंने बाजू में पड़ी अपनी मैक्सी को उठाया और उनके हाथ को चूत से हटा कर ऊपर कर लिया.
वे मुझे प्यार से देख रहे थे और मैंने उनके हाथ को मैक्सी से पौंछ दिया.

हम दोनों सीधे लेट गए और एक दूसरे से चूम कर प्यार जताने लगे.

आधा घंटा बाद अंकल एक बार फिर से गर्मा गए और उन्होंने मुझे औंधा कर दिया.

वे अपनी कामुक स्थिति को सामान्य करने के लिए अभी भी मेरे जिस्म के साथ खेल रहे थे.
मेरी गांड में अपनी जीभ घुसेड़ कर उसे चूस रहे थे.

उनके इस काम से मुझे मजा आता था लेकिन मैं सामने से उन्हें ऐसा करने से मना कर रही थी.

‘अंकल … आप मेरा दूध पियो न … आपकी सेहत लिए दूध पीना अच्छा है. आप मेरी चूत में लौड़ा मत डालो, उससे आप थक जाओगे!’

लेकिन वे नहीं माने और अपनी पैंट के पास जाकर उन्होंने उसकी जेब में हाथ डाला.
मैं समझ गई कि अंकल दवा लाए हैं.

जब उन्होंने गोली निकाल ली.
तब मैंने उनसे पूछा कि पहले ही क्यों नहीं खा ली थी?
वे हंस दिए और बोले- गोली का असर एक बार झड़ने के बाद ही मजा देता है.

ये उनका अनुभव था और मैं उनके हर अनुभव की कायल थी.

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उनकी दवा खाकर चुदाई की ताकत से मैं परिचित थी.
उस वक उनका लंड सच में किसी पिशाच जैसी ताकत वाला हो जाता था और मेरी चूत का भोसड़ा बनाने लगता था.

हालांकि दवा खाकर चुदाई करना अंकल की सेहत के लिए ठीक नहीं था.
मगर उन्हें टोकने पर वे किसी शायर की सी आवाज में कह देते थे कि अपनी महबूबा की बांहों में दम निकल जाएगा तो इससे बेहतर और क्या होगा.

मैं भी उनके होंठों पर अपना हाथ रखकर उनकी अनारकली बनती हुई उन्हें शुभ शुभ बोलने की कहने लगती थी.

तभी अंकल ने पैंट की जेब से गोली बरामद की और उसको अपने मुँह में रख कर मेरे मुँह से मुँह लगा दिया.
मैं समझ ही न पाई कि अंकल आज क्या करने वाले हैं.

हम दोनों के मुँह में थूक का सैलाब बन गया था और वह गोली हम दोनों के मुँह में किसी फुटबॉल की तरह इधर उधर हो रही थी.
अंकल ने तभी अपनी जीभ से मेरे मुँह को भरा और थूक चूसते समय वह गोली मेरे हलक के नीचे उतर गई.

तब मुझे अहसास हुआ कि आज अंकल मुझे भी गर्म करके चुदाई का संग्राम छेड़ना चाहते हैं.
सच में मुझे उस वक्त इतनी ज्यादा खुशी हुई कि मैं बता नहीं सकती.

अंकल ने अब मेरे मुँह को छोड़ा और अपने हाथ में ली हुई दूसरी गोली खुद खा ली.
अब मुझे समझ आ गया था कि करना क्या है.

मैं घुटनों के बल नीचे बैठ गई और अंकल के मुरझाए हुए मुर्दा लंड को किसी मांस के लोथड़े के जैसे अपने मुँह में भर लिया.
यदि इस तरह का मांस का लोथड़ा किसी और को चूसने के लिए कहा जाएगा, तो वह निश्चित रूप से घृणा से मुँह मोड लेती.

मगर मुझे मालूम था कि इस रॉ मैटेरियल से एक ऐसा मूसल लंड बन जाएगा जो मुझे आधा घंटा तक चोद कर मजा देगा.
इसलिए मैं बड़ी तन्मयता से अंकल के मुर्दा लंड में जान फूंकने लगी थी.

करीब पांच मिनट बाद दवा ने असर दिखाना शुरू किया और उनके मुर्दा मांस के लोथड़े ने लंड का आकार लेना शुरू कर दिया.
अभी कम से कम दस मिनट तक और फोरप्ले करना जरूरी था, जब अंकल के लौड़े से आग बरसना शुरू होती.

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तब तक मेरी चूत से भी धुआँ उठना शुरू हो जाता.
अब मैं उठी और अंकल को इशारा किया.

अंकल ने मुझे चित लेटने का कहा और मेरे लेटते ही उन्होंने मेरी चूत पर अपना मुँह लगा दिया.
आह … सच में आज भी अंकल की जीभ से चूत चटवाने में जो मजा आता है, वह मैंने अब तक किसी से भी नहीं पाया था.

अंकल जीभ से चूत चूसते समय मेरी चूचियों का मलीदा जरूर बनाते हैं.
आज तो उनके अन्दर सेक्स पावर बढ़ाने वाली गोली असर दिखा रही थी.

वे मेरी चूत के दाने को किसी च्यूंगम के जैसे खींच खींच कर चूस रहे थे और चूत को वासना की आग से भर रहे थे.

कुछ ही देर बाद हम दोनों सांड सांडनी के जैसे चुदाई का खेल खेलने के लिए गर्मा उठे थे.
अंकल ने मुझे घोड़ी बनाया और पलंग पर चूचियां रख कर झुका दिया.

पीछे से वे मेरी दोनों टांगों को फैला कर चूत का छेद टटोलने लगे.
एक हाथ से लंड को पकड़ कर अंकल ने चूत की दरार में लौड़े को सैट कर दिया.

उसके बाद अंकल ने मेरी गीली और रसीली हुई पड़ी चूत में धीरे से अपने लौड़े को अन्दर सरका दिया.

आज उनका लंड मुझे किसी मोटे डंडे के जैसा लग रहा था और चूत को फाड़ता हुआ सा महसूस हो रहा था.

मेरी आह निकलने लगी तो अंकल ने ताकत से अपना पूरा मूसल मेरी चूत की जड़ में ठांस दिया.

लंड अन्दर पेलने के साथ ही अंकल मेरी पीठ पर लद गए और मुझे मेरी गर्दन पर चूमने लगे.
सच में बेहद सुकून मिल रहा था.

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कुछ देर बाद अंकल ने मुझे अपने ऊपर ले लिया और अपने कड़क लंड की सवारी का मजा भी दिलाया.
उस दिन अंकल ने अपनी चुदाई की कला से मुझे बीस मिनट तक रौंदा और मेरी चूत में ही झड़ गए.

झड़ने के बाद लंड को चूत से निकाल कर मैं खुद ही उनके लौड़े को सहलाने लगी और अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.
उनके न के बराबर निकले वीर्य का स्वाद मुझे बेहद अच्छा लग रहा था.

फिर हम दोनों लेट अए और अंकल की आंखें मुंदती चली गईं.
वे सो गए.

आधा घंटा बाद वे उठे और जाने की कहने लगे, उठ कर अपने कपड़े पहनने लगे.

मैं अभी भी पूरी नंगी थी.

मुझे चोद कर जाने से पहले जब तक वे मुझे पीछे से पकड़कर मेरे बूब्स नहीं दबाते और मेरी गांड और चूत में लौड़ा नहीं रगड़ते थे, तब तक मुझे मजा ही नहीं आता था.
वे जैसे ही जाने को हुए मैंने उनसे इसरार किया कि दीवार से चिपका कर मेरे दूध को दबाकर जाओ न!

वे मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगे और उन्होंने मेरी मुराद पूरी कर दी.
फिर वे चले गए.

दोस्तो, इस तरह से अंकल मेरी चूत चुदाई करते थे, मेरी दूधघाटी को चूमते थे, मेरे होंठों को चूमते थे तो मुझे स्वर्ग जैसी ख़ुशी महसूस होती थी.
इसी लिए मैं अंकल को हमेशा मेरी चुदाई के लिए आमंत्रित करती थी.

कम से कम आधा घंटा हम दोनों एक दूसरे की चुदाई करते थे.
हर दिन हमारी चुदाई का मेनू बदलता रहता था. लेकिन कुछ कुछ तो रोजाना होता रहता था.

मिसाल के तौर पर मैं कपड़े पहनकर अंकल का लंड चूसकर, उनको होंठों पर चुंबन देकर चाय बनाने किचन में जाती थी.
रोज ही ऐसा होता था.

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कभी कभी अंकल मुझे पीछे से पकड़कर अपना लौड़ा मेरी गांड में डालकर मेरे दोनों मम्मों को हाथों में पकड़कर किचन में ले जाते थे.
पीछे से मेरी मैक्सी ऊपर करके मेरी पीठ को चुंबनों से नहला देते थे. मेरे होंठों को चूसते थे, गांड और चूत में अपनी उंगलियों को घुसेड़ देते थे.

वे अपने लौड़े को मेरी चूत और गांड पर रगड़ते थे और मुझे दीवार के साथ दबोचकर मेरी दोनों छातियों को दीवार से दबाते थे.
मुझे उनकी ये हरकतें भी बहुत भाती थीं.

मैं उसके लिए सदैव तैयार थी.

हम लोग बहुत ही रोमांटिक हो जाते थे. मुझे यह सब करना बड़ा अच्छा लगता था.
मैंने प्रेम विवाह किया था लेकिन शादी के पहले सब कुछ कर लिया था.

अंकल को भी मैंने ही इस रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित किया था.

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मैंने बहुत ही कम समय में अपने आपको अंकल के समर्पित कर दिया था, जिसकी ठोस वजह थी.
मेरे पति का अकस्मात एक्सीडेंट हुआ था. उन्हें पेट के निचले हिस्से में गहरी चोट लगी थी, जिसकी वजह से मुझे वैवाहिक सुख से वंचित होना पड़ा था.

उस वक़्त मैंने कहीं सुना था कि एक बूढ़े व्यक्ति और जवान लड़की के बीच बहुधा सेक्स संबंध होते हैं. जहां शक की कोई गुंजाइश नहीं होती … और बस मेरी जरूरत मुझे उस राह पर ले गई थी.

मेरे घर में पैसों की तंगी रहती थी. मैं जब भी अंकल से पैसे मांगती थी, तो वे दे देते थे.
मैं जानती थी कि उनकी आर्थिक स्थिति भी काफी कंगाल वाली थी.

उनसे मैं पैसे मांगना नहीं चाहती थी लेकिन मैं लाचार विवश ही जाती थी, तब ही उनसे पैसे मांगती थी.

कम से कम पांच साल से हम दोनों के बीच यह हॉट अंकल फक चल रहा है और अभी तक किसी को उस की भनक नहीं लगी है.
लेकिन सत्य एक दिन तो बाहर आएगा, तब क्या होगा?

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भगवान ने खुद हमें मिलाया है. अब उसका नतीजा भी अच्छा ही आएगा, यह सोचकर हम आगे बढ़ रहे हैं.

हमारी यह दास्तान आज भी जीवंत हैं कल भी जीवंत रहेगी.
मैं आपसे वादा करती हूं कि अगली बार हमारी सेक्स कहानी हम दोनों को कौन से मोड़ पर ले आई है, मैं उसके बारे में जरूर बताऊंगी.

हमारा रिश्ता सही है, एक दूसरे के प्यार में भी कोई कमी नहीं है.
फिर भी हम जानते हैं कि हमारा रिश्ता दुनिया की नजरों में ग़लत है. फ़िर भी हमने तो केवल ईश्वर के आदेश को सर आंखों चढ़ाकर यह सफर शुरू किया है.
उसका अंजाम क्या होगा … यह हम ईश्वर पर छोड़ते हैं.

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