आंटी को छत पर चद्दर में चोदा

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हेल्लो फ्रेंड्स मेरा नाम राहुल हे. और मैं महाराष्ट्र के सतारा जिले में एक कम्पनी के अन्दर प्रोडक्शन मेनेजर का काम करता हूँ. आज की ये कहानी आज से करीब 2 महीने पहले की हे. हमारे अपार्टमेंट के अन्दर एक आंटी जिसका नाम अनिला हे वो रहने के लिए आई थी. आंटी के आने के 2 3 हफ्तों में ही उसकी और मेरी माँ की अच्छी दोस्ती हो गई. वो अक्सर हमारे फ्लेट में आती थी. और मेरी माँ भी उनके फ्लेट पर.

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आंटी का पति किसी दुसरे शहर में जॉब करता था और आंटी अपने एक बच्चे के साथ अकेली ही रहती थी. अक्सर उसे अपने काम में मदद के लिए हमारी जरूरत रहती थी. माँ आंटी के बहुत सब काम जो बहार के थे वो मेरे से ही करवाती थी.

आंटी देखने में एकदम फटाका हे. वो स्लिम लड़की के जैसी हे लेकिन उसके गांड और बूब्स का आकर शराब की बोतल के जैसा हे. आंटी की गांड को देख के उसके फिगर का सही नोलेज मिलता हे. कसम से उसके वो बड़े बूब्स भी किसी को घायल करने के लिए काफी हे.

आंटी की उम्र 35-37 की होगी और उसका बच्चा (बेटा) अभी करीब 10 साल के हे. आंटी गोरी और सेक्सी हे. जब भी वो हमारे घर पर आती थी तब मैं उसे खूब घूरता रहता था. वो मेरे साथ बहुत ही फ्रेंडली भी हो गई थी. एक बार उसके किचन में छज्जे के उपर कुछ सामान रखना था. उसने मेरी माँ को कहा मुझे भेजने के लिए. मैं माँ के कहने से उसके घर चला गया. सामान हेवी था तो हम दोनों ही टेबल के ऊपर चढ़े उठाने के लिए. सामान ऊपर करते वक्त मेरी चेस्ट आंटी के सॉफ्ट बूब्स के साथ घिस सी गई. और निचे मेरे लंड वाला हिस्सा उसकी जांघ के ऊपर टच हो गया. आंटी को देख के मेरा लंड वैसे ही टाईट रहता था. इसलिए जब उसको टच हुआ तो लंड के अकड की फिलिंग उसे भी हुई.

अब मेरे से भी रहा नहीं जा रहा था. वो हर रोज किसी न किसी काम से मुझे बुलाती हे. मैं जानबूझ के उसे टच कर लेता था. वो अब और भी फ्रेंडली हो गई थी मेरे साथ. एक बार मुझे मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में पूछा उसने. मैंने भी उसे बोला की मेरी गर्लफ्रेंड हे.

आंटी: तो क्या तुम उसे घुमाने के लिए ले के जाते हो?

मैं: हां जाता हूँ ना.

आंटी: तभी तुम इतने बीजी रहते हो फोन के ऊपर.

मैं: अब क्या करूँ आंटी वो ज्यादा मिलती ही नहीं हे.

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आंटी ने आँख मार के कहा: फिर एक्शन हुआ की नहीं कभी?

मैंने कहा: एक दो बार बस.

ये सुन के आंटी हंस पड़ी.

मैं: आप का अच्छा हे शादी हुई हे जब मन में आये मिलता होगा सब कुछ. हमारे जैसी महनत मसक्कत नहीं करनी पड़ती होगी.

वो उदास हो गई. मैं बोला की क्या हुआ आंटी? वो बोली कुछ नहीं.

मेरे ज्यादा फ़ोर्स करने पर उसने मुझे बताया की उसके हसबंड ज्यादा उसके पास रहते नहीं. उनको ज्यादा पैसे की पड़ी होती हे और वो रोने लगी.

मैंने उसको समझाया और हग कर लिया. हग करते समय मेरा हाथ उसके बूब्स को लग रहा थे. तो मै चांस मार रहा था. अब मेरे दिमाग में हर टाइम प्लानिंग चलती थी. और मैं हर रोज उसकी मदद देने के लिए रेडी रहने लगा.

समर का टाइम चालु होने की वजह से उसका बेटा टेरेस के ऊपर सोने के लिए जाता था. लेकिन आंटी निचे अकेली ही सोती थी. तब मेरी माँ और मैं आंटी को टेरेस के ऊपर सोने के लिए ले के गए. सब सो गए लेकिन मुझे निंद नहीं आ रही थी. मेरे दिमाग में सिर्फ आंटी को चोदने का प्लान ही चल रहा था.

मुझे ये पता था की आंटी का हसबंड आंटी के पास कम रहता हे तो वो प्यासी ही हे. रात को मेरे से रहा नहीं गया और मैं आंटी की साइड में जा के चुपचाप लेट गया. मेरा लंड पुरे जोश में था. समर में टेरेस पर ठन्डी हवा चल रही थी. मैं आंटी की चद्दर के अन्दर घुस गया. और मेरा लंड आंटी की गांड को टच करवा दिया मैंने. वाऊ क्या फिलिंग थी वो. मेरा लंड आंटी की गांड पर लगने से मेरे से कंट्रोल नहीं हो रहा था. मैंने मेरा एक हाथ आंटी की कमर पर रखा और वो थोड़ी सी हिली. मैं थोडा दबा के हाथ को उसके बूब्स के पास ले गया. मुझे घबराहट भी हो रही थी की कहीं वो मम्मी को ना बोल दे. लेकिन हवस सर पर ऐसी सवार थी की बस मैं आगे बढ़ता चला गया.

मैंने सोने का नाटक किया लेकिन मेरा लंड अभी भी उसकी गांड पर और हाथ बूब्स पर था. उसको भी अच्छा लग रहा था इसलिए उसने भी मेरे जैसे सोने का नाटक किया. और उसने अपनी गांड को मेरे लंड की तरफ दबाया. मेरा लंड उसकी गांड में घुस रहा था जैसे. वाऊ आंटी की सेक्सी बड़ी गांड पर लंड घिसने में जो मजा आ रहा था वो आप को कैसे बताऊ. तब तक सुबह के 4 बज चुके थे तो माँ उठ के निचे चली गई. अब मैं थोडा रिलेस्क हो चूका था.

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मैंने फिर मेरा हाथ आंटी के बूब्स पर रख के बूब्स को दबा दिया. उसके मुहं से हलकी सी सिसकियाँ निकल पड़ी. मैं कन्फर्म हो गया की वो जाग रही हे और सोने की एक्टिंग ही कर रही हे. फिर मैंने जोर से बूब्स को दबाये. अब उसके मुहं से अह्ह्ह्ह की आवाज आई. फिर क्या था मैंने उसकी टी शर्ट को ऊपर कर दी और उसकी गांड को हाथ लगाया. वाऊ क्या मस्त नजारा था. चांदनी रात में आंटी की गांड बड़ी ही सेक्सी लग रही थी. काफी समय से जो सपना था मेरा वो आज पूरा हो रहा था. उसकी मस्त गांड पर मेरा लंड था. उसकी चूत पर हाथ लगा के मैंने उसे भी मसल दिया. और फिर आंटी मेरी तरफ घूम गई. उसने चद्दर खिंच के अंदर अपने बूब्स निकाले और मुझे चूसने के लिए दे दिए. मैंने उसके बूब्स चुसे और आंटी ने मुझे जोर से हग कर लिया.

मैं उसके बूब्स को मसलने लगा और वो अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह उईई करने लगी. फिर मैंने आंटी को किस किया. वो भी बहुत पेश्नेट किस कर रही थी. हम अपनी जबानो को एक दुसरे से टच कर रहे थे. पूरा रस पी रहे थे एक दुसरे के मुहं का, जिसमे बड़ा मजा आ रहा था. फिर मैं उसके बूब्स को चाटते हुए उसकी चूत तक चला गया. आंटी की चूत भी एकदम मस्त थी. मैं अब चूत को चाटने लगा. उसकी चूत को मैं मेरे मुहं से चोदने लगा था. वो सिसकियाँ भरने लगी अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्हह अह्ह्ह्ह राहुल अह्ह्ह्हह चाटो अह्ह्ह्हह अह्ह्ह्ह खा जाओ मेरी चूत, बहोत तडपाती हे अआः आज तक मेरी चूत किसी ने नहीं चाटी हे ऐसे अह्ह्ह्हह्ह. और मैं अपने सर को और भी अन्दर घुसेड के उसकी चूत में पूरी जबान डाल के उसे मजे देने लगा था.

मैंने अपना लंड आंटी के मुहं में लेने को कहा. पहले तो उसने मन कर दिया लेकिन बाद में उसने मुह में ले ही लिया और चूसने लगी. आह्ह क्या मस्त लग रहा था. 10 मिनिट चूसने के बाद मैंने उसकी चूत पर मेरा लंड रख दिया और जोर का झटका मारा. 1st टाइम में वो फिसल गया. बहोत दिनों से चुदाई नहीं की थी आंटी ने तो उसकी चूत बड़ी टाईट थी. फिर एक बाद मैंने शॉट लगाया और पूरा लंड अअंदर चला गया तो वो चिल्ला उठी. साइड में उसका बेटा भी सो रहा था तो मैंने उसका मुहं दबाया और शॉट धीरे धीरे लगाने लगा.

अब आंटी ने अपने पैर उपर उठाये और मैंने भी स्पीड बढ़ा दी. वो अह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह राहुल अह्ह्ह्ह आह्ह्ह मजा आ रहा हे अह्ह्ह्हह अह्ह्ह्हह कर रही थी.

मैंने उसके बूब्स मसले और उसके गले के ऊपर हाथ रख के गले को जैसे दबा के कस कस के शॉट लिए. वो बोली: वाह मेरे राजा क्या चोदता हे अह्ह्ह्हह्ह अह्ह्ह्हह्ह फाड़ दे मेरी निगोड़ी चूत को आज अपने लंड से अह्ह्ह्हह मार ले मेरे राजा अपनी अनिला की चूत को.

मैंने आंटी को कहा आंटी मेरा माल निकलने को हे. वो बोली अंदर ही छोड़ दे अपने पानी को मैं तभी संतोष की चुदाई कर सकुंगी. मैंने अपने लंड का पानी आंटी की चूत में ही छोड़ा. वीर्य से आंटी की चूत और भी चिकनी हो गई थी. मैं उस चिकनी चूत में धीरे धीरे से शॉट लगा रहा था. उतने में आंटी की चूत का पानी भी छटक गया. वो खुश हो के अपनी गांड हिला हिला के चुदने लगी. फिर मैंने अपने लंड को उसकी चूत से निकाला और आंटी की चद्दर से ही उसको साफ़ किया.

सुबह के 6 बजे से पहले मैंने और दो बार आंटी की चूत को चोदा. मेरा मन तो गांड मारने को भी था. लेकिन आंटी ने कहा आज पीछे नहीं, वो फिर कभी.

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और अगले हफ्ते उसने अपने फ्लेट में डाइनिंग टेबल की कुर्सी को पकड़ के मेरे से गांड भी मरवाई. अब मेरा जब भी चोदने का मन होता हे मैं उसके बेटे के स्कुल के वक्त उसके घर में घुस जाता हूँ!