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मुंह में लंड ले लो ना
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मैं ज्यादातर अपने काम में ही बिजी रहता हूं मैं एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता हूं और पिछले 5 वर्षों से उसी कंपनी में मैं काम कर रहा हूं मेरे पास मेरे परिवार को देने के लिए समय ही नहीं होता है जिस दिन मेरी छुट्टी होती है उस दिन मैं घर पर ही रहता हूं। एक दिन मैं घर पर ही था तो मेरी पत्नी कहने लगी हमारी शादी को 10 वर्ष हो चुके हैं लेकिन इन 10 वर्षों में हम लोगों ने कभी अच्छा समय नहीं बिताया मैंने अपनी पत्नी सारिका से कहा क्या मैं तुम्हें किसी चीज की कमी होने देता हूं। वह कहने लगी नहीं आपने किसी चीज की हमें कमी नहीं होने दी लेकिन क्या कभी हम लोग साथ में कहीं घूमने का प्लान नहीं बना सकते।

मैंने अपनी पत्नी सारिका से कहा देखो सारिका तुम्हें तो मालूम है कि मेरे ऑफिस में कितना काम रहता है बड़ी मुश्किल से तो मुझे एक दिन छुट्टी का मिलता है और वह भी मैं यदि घर पर ना बिताऊँ तो तुम ही बताओ फिर मैं क्या करूं। सारिका मुझे कहने लगी आपको मालूम है हमारे पड़ोस के शुक्ला जी और उनकी पत्नी अभी कुछ दिनों पहले ही अंडमान निकोबार घूम कर आए थे और मुझे शुक्ला जी की पत्नी अपनी और शुक्ला जी की तस्वीरें दिखा रही थी मैंने सोचा कि मैं आपसे इस बारे में बात करूं वैसे मुझे लगता नहीं है कि आप कभी हमें कहीं घुमाने के लिए लेकर जाएंगे। जब सारिका ने मुझसे यह बात कही तो उसकी यह बात मेरे दिल पर लगी और मुझे भी एहसास हुआ कि शायद मैं अपनी पत्नी और बच्चों को अपने साथ कहीं घुमाने ही नहीं लेकर गय इसीलिए मैंने हिम्मत करते हुए अपने ऑफिस से छुट्टी ले ही ली। मैंने 15 दिन की अपने ऑफिस से छुट्टी ले ली और उसके बाद मैं अपनी पत्नी और बच्चों को अपने साथ जयपुर घुमाने के लिए ले गया जब हम लोग जयपुर पहुंचे तो मुझे अपनी पत्नी और बच्चों के साथ समय बिता कर अच्छा लग रहा था। इतने समय बाद सारिका के चेहरे पर खुशी थी और सारिका ने मुझे कहा चलो कम से कम आपको मेरी बात का कुछ असर तो पड़ा आप हमें घुमाने के लिए अपने साथ ले आए मुझे इस बात की बहुत खुशी है। मैंने सारिका से कहा मुझे दरअसल समय नहीं मिल पाता है इसलिए हम लोग कहीं घूमने नहीं जा पाते लेकिन मुझे भी लगा कि मुझे तुम्हें कहीं घूमाना चाहिए तो हम लोग जयपुर चले आए।

जयपुर में हम लोगों ने काफी अच्छा समय साथ में बिताया मुझे इस बात की बहुत खुशी थी कि मेरे बच्चे और पत्नी खुश हैं हम लोग जयपुर में चार दिन तक रहे हैं और उसके बाद मैं सारिका के मम्मी पापा के पास सारिका और बच्चों को कुछ दिनों के लिए लेकर गया। काफी समय से हम लोग उनसे भी नहीं मिल पाए थे तो वह लोग कहने लगे अरे दामाद जी आप इतने समय बाद बच्चों और सारिका को हमारे पास लाए तो हमें बहुत अच्छा लगा। उन लोगों ने हमारी बहुत खातिरदारी कि हम लोग वहां पर तीन दिन रुके उसके बाद हम लोग घर चले आए सारिका बहुत ज्यादा खुश थी और सारिका ने काफी सारी शॉपिंग भी की थी। जब मैं 15 दिन बाद ऑफिस गया तो ऑफिस में  कुछ लोगों ने नई जॉइनिंग की थी और जब मैं मोहन जी से मिला तो मुझे उनसे मिलकर अच्छा लगा मैंने उन्हें कहा आप कहां के रहने वाले हैं वह कहने लगे मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूं। मैंने उन्हें कहा मैं भी तो उत्तर प्रदेश से ही हूं लेकिन मेरा परिवार मुंबई में आकर बस गया था वह कहने लगे आप उत्तर प्रदेश में कौन सी जगह से हैं तो मैंने उन्हें बताया कि मैं तो रामपुर से हूं जब मैंने यह बात उन्हें बताई कि मैं रामपुर से हूं तो इत्तेफाक से वह भी है रामपुर के ही निकले। हम लोगों के बीच में अच्छी दोस्ती हो गई मैंने मोहन जी से कहा इससे पहले आप कहां पर नौकरी कर रहे थे वह कहने लगे इससे पहले मैं पुणे में इसी ब्रांच में जॉब कर रहा था मैंने उन्हें कहा चलिए इस बहाने कम से कम आप से मेरी मुलाकात हो गई। अब हम दोनों के बीच में अच्छी दोस्ती हो चुकी थी तो एक दिन मैंने मोहन जी से कहा आप मेरे बच्चे के बर्थडे में घर आइएगा मैंने उन्हें बर्थडे में इनवाइट किया और अपने ऑफिस के कुछ और लोगो को भी मैंने इनवाइट किया।

मैंने एक होटल में छोटा सा फंक्शन रखा हुआ था वहां पर सारी व्यवस्थाएं बहुत ही अच्छे से थी और उस दिन जब मोहन जी अपने पत्नी और बच्चों को लाए तो मैंने उनसे कहा आपने बहुत अच्छा किया जो भाभी और बच्चों को ले आए। उन्होंने अपनी पत्नी रेखा से मुझे मिलवाया मैंने भी उन्हें अपनी पत्नी सारिका से मिलवाया सारिका रेखा भाभी से कहने लगी आप कभी घर पर आइयेगा वह कहने लगी जी बिल्कुल। हमारे बच्चे का बर्थडे हम लोगों ने बहुत ही अच्छे से सेलिब्रेट किया, एक दिन मोहन जी ऑफिस में बहुत ज्यादा उदास थे मैंने उन्हें कहा आप इतने ज्यादा उदास क्यों हैं। वह मुझे कहने लगे अरे सुबोध जी मैं आपको क्या बताऊं घर में हमारे जमीन का विवाद चल रहा है जिस वजह से आए दिन मेरे पिताजी और चाचा के बीच में झगड़े होते रहते हैं जिसकी वजह से मैं बहुत परेशान रहता हूं और पिताजी मुझे हमेशा फोन किया करते हैं। मैंने मोहन जी से कहा आप चिंता ना कीजिए आप कुछ दिनों के लिए छुट्टी ले लीजिए और घर हो आइये वह कहने लगे हां मैं भी यही सोच रहा था कि मैं कुछ दिनों के लिए घर हो आता हूं लेकिन मुझे रेखा और बच्चों को यही छोड़ना पड़ेगा। मैंने उन्हें कहा आप उनकी चिंता मत कीजिए यदि रेखा भाभी को अकेला महसूस होता है तो हमारे घर पर आ जाए करेंगे और सारिका को भी उनका साथ मिल जाएगा। मोहन जी कहने लगे हां आप बिल्कुल ठीक कह रहे हैं मैं घर हो ही आता हूं और पिताजी को भी मेरे आने से काफी साथ मिलेगा हो सकता है क्या पता वह लोग मेरी बात मान ही ले।

मैंने कहा हां आप मुझे फोन कर दीजिएगा और कुछ दिनों बाद मोहन जी अपने घर चले गए जब वह घर गए तो रेखा भाभी हमारे घर पर आ जाया करती थी सारिका को भी अच्छा लगता क्योंकि सारिका भी घर में अकेली रहती थी तो उसे भी रेखा भाभी का साथ मिल जाया करता था। उसी बीच मुझे मोहन जी का फोन आया मैंने उन्हें कहा घर में सब कुछ कुशल मंगल तो है ना वह कहने लगे हां घर में तो सब ठीक है लेकिन चाचा और पिताजी अब बात करने को तैयार ही नहीं है। मैंने उन्हें कहा था कि आप एक बार बात कर के सुलाह कर लीजिए लेकिन पिताजी अपनी बात पर अड़े हुए हैं और चाचा भी किसी की बात सुनने को तैयार नहीं है। मैंने कहा आप एक बार और उन्हें समझाइए वह कहने लगे हां मैं कोशिश करता हूं और मोहन जी ने फोन रख दिया। दो दिन बाद मोहन जी का मुझे फोन आया वह कहने लगे चाचा और चाची के बीच में अब जमीन को लेकर समझौता हो चुका है और वह दोनों एक दूसरे की बात मान चुके हैं। मोहन मुझे कहने लगे क्या आप मेरे घर पर चले जाएंगे सब मुझे कुछ पैसे चाहिए थे आप रेखा से पैसे ले लीजिएगा मैंने मोहन जी से कहा ठीक है मैं आपके घर पर चला जाऊंगा और रेखा भाभी से पैसे ले लूंगा। मैं अगले ही दिन रेखा भाभी से पैसे लेने के लिए चला गया मैं शाम को जब फ्री हुआ तो उसके बाद मैंने रेखा भाभी से पैसे लिए। मैंने जब रेखा भाभी से पैसे लिए तो वह मुझे कहने लगी अरे आप रुक जाइए मै आपके लिए कुछ बना देते हूं। रेखा भाभी अपने पल्लू को बार-बार नीचे गिराती जा रही थी जिससे कि मुझे उसके स्तन दिखाई दे रहे थे वह मुझे गरम करने की कोशिश कर रही थी और उसके स्तनो को देखकर मेरा लंड भी पूरी तरीके से खड़ा हो चुका था और मैं अपने आप पर काबू ना रख सका।

मैंने रेखा भाभी को अपनी बाहों में ले लिया मैंने रेखा से पूछा लगता है आपके अंदर कुछ ज्यादा ही बेचैनी है तो वह कहने लगी आप उसे बुझा दो ना मैंने उसके रसीले होठों को अपने होठों में लेकर चूसना शुरू किया उन्हें बहुत अच्छा लग रहा था और मुझे भी बहुत अच्छा लगता। मैं रेखा के स्तनों को अपने मुंह में ले रहा था मै उनके स्तनो को अपने मुंह में लेकर अच्छे से चूसता जाता जिससे कि मेरे अंदर की बेचैनी और भी ज्यादा बढ़ जाती मैंने जब उनके कपड़े उतारने शुरू किए तो मुझे उनके बदन को महसूस करने में बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने रेखा भाभी की चूत को चाटना शुरू किया तो उनको मजा आने लगा वह मुझे कहने लगी आप मुझे बेडरूम में उठाकर ले जाइए ना। मैं उनको बेडरूम में लेकर गया और बिस्तर पर उन्हें लेटा दिया उन्होने कुछ देर मेरे लंड को चूसा जैसे ही मैंने अपने लंड को उनकी योनि के अंदर डाला तो वह चिल्लाने लगी मैंने उनके दोनों पैरों को चौड़ा कर लिया और मेरा 9 इंच मोटा लंड उनकी योनि के अंदर तक जा चुका था।

उनकी बेचैन बढ चुकी थी और मैं भी बहुत ज्यादा उत्तेजित होने लगा था वह मुझे कहने लगी जब आप अपने लंड को मेरी योनि के अंदर बाहर कर रहे हैं तो मेरे अंदर बड़ी बेचैनी सी जाग रही है। मैंने उन्हे कहा बस आप मेरा साथ देते जाओ वह मेरा साथ बड़े ही अच्छे से दे रही थी मैं बड़ी तेजी से उनको धक्के देता मुझे बहुत ज्यादा मजा आता वह भी मेरा पूरा साथ देती जैसे ही मेरा वीर्य पतन हुआ तो वह मुझे कहने लगी मुझे आज मजा आ गया। मैंने रेखा भाभी से कहा लेकिन आपका फिगर तो लाजवाब है मैंने उनसे कहा आप एक बार मेरे लंड को सकिंग करोगी वह कहने लगी क्यों नहीं मैं आपके लंड को अभी चुसती हूं। उन्होंने मेरे लंड को अपने मुंह में लिया और उसे अपने गले के अंदर तक लेने लगी मेरा लंड खडा हो चुका था मैंने जैसे ही उनकी चूत के अंदर अपने लंड को दोबारा डाला तो वह भी पूरे जोश में आ गई। मैंने बड़ी तेज गति से धक्के दिए मैंने 5 मिनट तक उनकी चूत मारी और उनकी इच्छा को शांत किया मोहन भी अब वापस आ चुके हैं और उनका जमीनी विवाद भी खत्म हो चुका है।

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