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मै अब और नहीं रह पाउंगी
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HOT Free XXX Hindi Kahani

मैं अपने घर में ही था तभी मेरे पास हमारे मोहल्ले का एक लड़का बंटी दौड़ता हुआ आया वह कहने लगा भैया कुछ लोग कविता को छेड़ रहे हैं मैंने उसे कहा क्या तुम सच कह रहे हो वह कहने लगा हां कुछ लोग उसके साथ बदतमीजी कर रहे हैं मुझे लगा मैं आपको बता दूँ। मैं जब बाहर गया तो मैंने देखा कविता के साथ कुछ लोग बत्तमीजी कर रहे थे मैंने कविता से कहा तुम यहां से जाओ इन्हें मै देख लूंगा और मैंने उन लड़कों को बहुत बुरी तरीके से मारा। कविता वहां से चली गई थी लेकिन उसके बाद जब कविता मुझे मिली तो वह मुझे कहने लगी तुम आखिरकार मेरे लिए क्यों खतरा मोल लेते रहते हो मुझे यह बात बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती। मैंने कविता से कहा तुम्हें मालूम है ना मैं तुमसे कितना प्यार करता हूं लेकिन तुम्हारी ही वजह से मुझे कितनी सारी तकलीफ देखनी पड़ी है।

कविता और मैं एक दूसरे से प्यार करते हैं लेकिन कविता के परिवार वाले मुझे बिल्कुल पसंद नहीं करते वह मुझसे कहते हैं कि तुम तो गली के गुंडे और बदमाश हो क्योंकि मेरी छवि शायद सब लोगों की नजरों में ऐसी ही बनी हुई थी लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। मैं अपना एक गैराज चलाता हूं और मैं मेहनत से काम करता हूं परंतु कुछ चीजें ऐसी हुई जिसकी वजह से सब लोग मुझे गुंडा कहते हैं और इसी वजह से कविता से मेरी शादी आज तक नहीं हो पाई है। मैं कविता से शादी करना चाहता था लेकिन उसके पिताजी ने मुझे मना कर दिया उसके पिताजी स्कूल में टीचर है वह मुझे कहने लगे यदि मैं तुम जैसे गुंडे मवाली के साथ अपनी लड़की की शादी करवा दूंगा तो लोग मेरे बारे में क्या सोचेंगे। उसके बाद उन्होंने मुझे कभी कविता से मिलने ही नहीं दिया मैं कविता को दिल से आज भी चाहता हूं और हमेशा उसका इंतजार करता हूं लेकिन वह मेरी किस्मत में नहीं है। मेरे दोस्तों ने मुझे कई बार समझाया और कहा तुम कविता के बारे में भूल जाओ क्यों बेवजह कविता के पीछे पड़े हो उसका बुड्ढा बाप तुमसे कभी भी उसकी शादी नहीं करवाने वाला। मैं कविता को दिल से चाहता हूं और मैं उसे कभी भुला नहीं सकता मैंने किसी और लड़की के बारे में आज तक कभी नहीं सोचा है जब कविता मुझे पहली बार दिखी थी तो उसे भी मेरे बारे में शायद ऐसे ही गलत फहमी हुई थी।

मैं किसी के साथ भी बेवजह कभी लड़ाई नहीं करता लेकिन कभी ऐसी स्थिति बन जाती है कि आपको अपनी रक्षा के लिए हाथ उठाना पड़ता है तो वही स्थिति मेरे साथ हो जाती थी। मैं उस वक्त कॉलेज में पढ़ रहा था और कविता भी कॉलेज में नई नई आई थी उसका पहला ही साल था और मेरा कॉलेज पूरा ही होने वाला था। एक दिन कुछ लड़कों ने मेरे दोस्त को बहुत बुरी तरीके से पीटा कॉलेज में ना जाने उनकी किस बात को लेकर इतनी बहस हुई कि उन्होंने मेरे दोस्त के साथ बहुत गलत किया जिससे कि मैं बहुत गुस्से में आ गया। मैंने भी उन लड़कों के साथ वही किया जो उन्होंने मेरे दोस्त के साथ किया था शायद उस वक्त कविता ने यह सब देख लिया था और उसे मेरे बारे में यही लगा कि मैं एक गुंडा हूं लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं था। मेरे परिवार में कोई भी नहीं है मेरे माता-पिता का देहांत बचपन में ही हो चुका था मेरे चाचा चाची ने मुझे पाल पोष कर बड़ा किया लेकिन कुछ समय बाद उन लोगों की भी मृत्यु हो गई और अब उनके बच्चों की जिम्मेदारी मेरे कंधों पर ही है मैं ही उनकी देखभाल करता हूं मैंने उन्हें कभी कोई कमी नहीं होने दी। मैंने अपना कॉलेज तो पूरा कर लिया था और मैं चाहता था कि मैं किसी अच्छी कंपनी में जॉब करूं लेकिन ऐसा हो ना सका और मुझे अपना गैराज खोलना पड़ा मेरा काम अच्छा चलता है। एक दिन कविता की स्कूटी खराब हो गई थी तो वह मुझे रास्ते में दिखी लेकिन वह मुझे देख कर डर रही थी मैंने उसे कहा तुम्हारी स्कूटी को क्या हुआ है तो वह कहने लगी कुछ नहीं बस ऐसे ही तेल खत्म हो गया था। मैंने उसे कहा मैं देख लेता हूं लेकिन वह मुझे टाल रही थी और कहने लगी आप चले जाइए मैं देख लूंगी लेकिन मैंने उसकी स्कूटी को ठीक कर दिया तो वह मुझे कहने लगी आपने मेरी स्कूटी ठीक कर दी उसके लिए मैं आपको कितने पैसे दूं।

मैंने उसे कहा तुम रहने दो उस वक्त मैंने अपना गैराज शुरू नहीं किया था उसके बाद मेरी कविता से बातचीत होने लगी थी कॉलेज के दौरान हम लोग कई बार एक दूसरे से मिला करते थे और धीरे-धीरे हम दोनों के बीच में नजदीकियां बढ़ती चली गई। कविता और मेरी अच्छी दोस्ती हो चुकी थी हमारी दोस्ती प्यार में बदल गई कुछ पता ही नहीं चला मैंने कविता को अपने बारे में सब कुछ बता दिया था और हम दोनों ने मिलकर ना जाने क्या क्या सपने साथ में देख लिए थे। मुझे हमेशा ही लगता था की कविता और मेरी जब शादी हो जाएगी तो सब कुछ ठीक हो जाएगा मैंने अपने जीवन में इतनी तकलीफें देखी उसके बाद मेरे जीवन में कोई खुशी आ रही थी तो मैं उसे कभी खोना नहीं चाहता था। मैंने कविता के साथ शादी करने के बारे में सोचा कविता मुझे कहने लगी कि माधव तुम्हें पिताजी कभी स्वीकार नहीं करेंगे। मैंने कविता से कहा देखो कविता मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं और मैं तुम्हारे बिना एक पल नहीं रह सकता मुझे तुम्हारे पापा से बात तो करनी ही पड़ेगी। कविता को यह बात अच्छे से मालूम थी कि उसके पापा कभी भी मेरे साथ उसका रिश्ता नहीं करवाएंगे इसलिए वह मुझे मना कर रही थी कविता चाहती थी कि हम दोनों घर से भागकर शादी करें लेकिन मैं नहीं चाहता था कि मैं कविता के साथ भाग कर शादी करुं। एक दिन मैं कविता के पिता जी से मिलने के लिए चला गया क्योंकि मेरे परिवार में कोई बड़ा नहीं है इसलिए मुझे खुद ही बात करनी पड़ रही थी मैंने उस दिन कविता के पिताजी से कविता का हाथ मांगा और कहा मैं कविता के साथ शादी करना चाहता हूं।

उन्हें मेरे बारे में सब कुछ मालूम था वह कहने लगे कि माधव मैं तुम्हारी शादी कभी कविता से नहीं करवा सकता यदि मैं कविता की शादी तुमसे करवाऊंगा तो इसमें मेरी ही बदनामी होगी तुम कविता को भूल जाओ। मैंने कहा मैं कविता को नहीं भूल सकता कविता मेरे जीवन का अहम हिस्सा है मैं उससे शादी करना चाहता हूं लेकिन यह शायद मेरी  शराफत थी की कविता का हाथ मांगने के लिए मैं उसके घर पर चला गया। कविता के पापा ने मुझे उससे कभी मिलने भी नहीं दिया लेकिन जब भी हम लोग कहीं बाहर मिलते तो कविता और मैं एक दूसरे को देख कर अपना रास्ता बदल लिया करते थे कविता के दिल में अब भी मेरे लिए उतना ही प्यार है और मेरे दिल में भी उसके लिए बहुत ज्यादा प्यार है। हम दोनों को मिले हुए चार साल हो चुके हैं लेकिन इन चार सालों में मैंने बहुत कोशिश की परंतु कविता के पिताजी ने मेरी शादी उससे करवाने से साफ तौर पर मना कर दिया। मेरी जिंदगी में यह सबसे बड़ा दुख है कि मैं आज तक कविता को अपना नहीं पाया, कविता भी मुझसे अलग रहती है लेकिन हम दोनों का प्यार कभी एक दूसरे के लिए कम नहीं हुआ। कविता ने अभी तक किसी से शादी नहीं की है और वह चाहती है कि हम दोनों ही शादी करें। कविता और मैं एक दूसरे को बहुत चाहते हैं हम दोनों के सब्र का बांध टूटने लगा था। एक दिन कविता मेरे पास आई वह कहने लगी माधव मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती हम दोनों एक दूसरे को पिछले 4 साल से जानते हैं मैं अब और नहीं रह सकती मुझे भी तुमसे शादी करनी है। मैंने उस दिन कविता को समझाया और कहां देखो कविता जब तक तुम्हारे पापा इस रिश्ते को मंजूरी नहीं देते तब तक हम दोनों एक दूसरे से नहीं मिले तो ही बेहतर होगा।

वह मुझे कहने लगी देखो माधव मैं तुमसे प्यार करती हूं मुझे यह सब नहीं सुनना इतने वर्षों से मैं यही सुनती आ रही हूं लेकिन तुमने कभी मेरे बारे में सोचा है कि मेरे दिल पर क्या बीत रही होगी। मैंने कविता को गले लगा लिया और उसे कहा तुम शांत हो जाओ लेकिन कविता तो चुप नहीं हो रही थी मैंने उसके होठों को किस कर लिया जिसे हम दोनों उस दिन एक दूसरे के बदन की गर्मी को महसूस ना कर पाए मेरे अंदर अलग ही फीलिंग थी। मैंने जब कविता के होठों का रसपान करना शुरू किया तो उसके अंदर की उत्तेजना और भी ज्यादा बढ़ने लगी उसने अपने कपड़े उतार दिए। उसने मेरे सामने अपने कपड़े उतारे तो मैं भी उत्तेजित हो गया मैं अपने आपको ना रोक सका उसने मेरे लंड को अपने हाथों में लिया और उसे हिलाने लगी। वह मेरे लंड को अपने हाथों में लेकर हिलाती तो मेरे अंदर की उत्तेजना और भी ज्यादा बढ़ जाती उसने मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर सकिंग करना शुरू कर दिया था।

जैसे ही मैंने कविता की चूत पर अपने लंड को सटाया तो हम दोनों के बीच में यह पहला ही अवसर था मैंने उसकी योनि के अंदर धक्का देते हुए अपने लंड को घुसा दिया मेरा 9 इंच मोटा लंड उसकी योनि के अंदर जा चुका था और उसकी योनि से खून की धार बाहर की तरफ निकल आई। वह अपने पैरों को चौड़ा करने लगी मैं उसे बड़ी तेजी से धक्के देने लगा वह अपने पैरों को जितना चौडा करती उतनी तेज गति से मैं उसे धक्के दिया करता। अब वह पूरी तरीके से जोश में आ चुकी थी वह मुझे कहने लगी माधव मैं तुम्हारे बिना बिल्कुल भी नहीं रह सकती और तुम्हारे बिना मैं अधूरी हूं। मैंने कविता से कहा मुझे मालूम है कि तुम मेरे बिना अधूरी हो मैं उसे बड़ी तेजी से धक्के दिए जा रहा था जब हम दोनों एक दूसरे की गर्मी को ना झेल सके तो मेरे माल जैसे ही कविता की योनि के अंदर गिरा तो वह कहने लगी अब तो तुम मुझे अपने साथ रख लो। मैंने उसे कहा बस कुछ समय की बात है उसके बाद मैं तुमसे शादी कर लूंगा लेकिन आज तक हम दोनों ने शादी नहीं की है हम दोनों बस एक दूसरे के साथ सेक्स संबंध बनाते है।

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