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नशीले दो नैनों ने जादू किया
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मेरा नाम श्याम गुप्ता है मैं एक लेखक हूं और लेखक होने के साथ ही मेरा व्यक्तित्व ऐसा है कि जो भी मुझ से मिलता है वह मुझसे प्रभावित हो जाता है इसी के चलते मेरे न जाने कितने दोस्त हैं और कितने ही लोग ना जाने मुझ से प्रभावित हैं। जिस कॉलोनी में मैं रहता हूं वहां पर तो सब लोग मुझे राइटर बाबू कह कर बुलाते हैं और शायद उन लोगों ने मेरा नाम ही राइटर रख दिया है। एक दिन मैं घर पर ही था उस दिन मेरी पत्नी मेघा मुझसे कहने लगी आज मैं आपको किसी से मिलवाती हूं मैंने मेघा से कहा आज तुम मुझे किस से मिलाना चाहती हो। मेघा कहने लगी कि आप आइए तो सही उस दिन उसने मेरी मुलाकात शिखा से करवाई शिखा का व्यक्तित्व भी बहुत प्रभावित करने वाला था उसकी बड़ी बड़ी आंखें और उसके बड़े घने बाल और उसके चेहरे का रंग गोरा था।

वह इतना ज्यादा प्रभावित करने वाला था कि कोई भी शिखा से प्रभावित हो सकता था मेरी पत्नी मेघा कहने लगी आप लोग बैठिये मैं आपके लिए चाय ले आती हूं। वह चाय बनाने के लिए चली गई मैं और शिखा आपस में बात करने लगे शिखा ने मुझसे कहा मेघा आपकी बहुत तारीफ करती हैं मैंने शिखा से कहा हां मेघा तो मेरी तारीफ हर जगह करती रहती है। मेरी मुलाकात आज आपसे पहली बार ही हुई है परंतु आपके व्यक्तित्व ने मुझे बहुत प्रभावित किया है और आप बड़ी ही शानदार महिला हैं। वह मुझसे कहने लगी मेघा आपके बारे में बता रही थी कि आप लिखने का भी शौक रखते हैं मैंने शिखा से कहा हां मैं लिखने और पढ़ने का भी शौक रखता हूं। सिखा कहने लगी पढ़ने का शौक तो मुझे भी काफी था लेकिन जब से शादी हुई है उसके बाद से तो समय ही नहीं मिल पाया और अपने ही कामों में इतनी व्यस्त चुकी हूँ कि अपने लिए बिल्कुल भी समय नहीं मिल पाता। मैंने शिखा से कहा लेकिन तुम्हें समय निकालना चाहिए यदि तुम्हे पढ़ने का शौक था तो तुम्हें वह दोबारा से जारी रखना चाहिए और यदि तुम्हें मुझसे कुछ मदद चाहिए हो तो मैं तुम्हारी मदद कर दूंगा। हम दोनों बात कर ही रहे थे कि मेरी पत्नी मेघा आई और कहने लगी आप लोग चाय लीजिए मेघा ने हम दोनों को चाय दी और वह हमारे साथ बैठ गई।

 हम तीनों ही एक दूसरे से बात करने लगे तभी मेघा ने मुझे शिखा का पूरा परिचय दिया और कहा शिखा मेरे कॉलेज की सहेली है और अब शिखा के पति का ट्रांसफर भी मुंबई में हो चुका है अब यह लोग मुंबई में ही सेटल होना चाहते हैं। मैंने शिखा से कहा क्या तुम भी कहीं जॉब करती हो वह कहने लगी हां मैं एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में नौकरी करती थी लेकिन मुझे वहां से अपनी नौकरी से इस्तीफा देना पड़ा लेकिन अब मैं नौकरी की तलाश में हूं और यहीं कहीं कोई नौकरी देख रही हूं परन्तु अभी तक तो कहीं कोई बात नहीं बनी। मैंने शिखा से कहा तुम मुझे अपना रिज्यूम दे देना मैं अपने छोटे भाई से इस बारे में बात करता हूं क्योंकि वह भी एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में मैनेजर है। मैंने मेघा से कहा तुम मेरा मोबाइल रूम से लेकर आना शायद मैंने मोबाइल रूम में ही रख दिया है मेघा जब मोबाइल लाई तो मैंने अपने छोटे भाई अभिनव को फोन किया। अभिनव ने मुझे कहा भैया आज आपने मुझे कैसे फोन कर दिया मैंने अभिनव से कहा आज मुझे तुमसे कुछ काम था तो सोचा मैं तुम्हें फोन करूं। वह कहने लगा हां भैया कहिये आपको क्या काम था मैंने उसे सारी बात बताई और कहा तुम्हारी भाभी की सहेली हैं उनका नाम शिखा है और वह मुंबई में जॉब तलाश रही हैं। इससे पहले वह एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में नौकरी करती थी लेकिन उनके पति का ट्रांसफर अब मुंबई में हो चुका है अब वह यहां नौकरी की तलाश में है तो क्या तुम उनकी मदद कर सकते हो। अभिनव ने मुझे कहा भैया आप उन्हें फोन दीजिए मैं उन्हीं से बात कर लेता हूं मैंने फोन को अपने रुमाल से साफ किया और शिखा को दिया। जब मैंने शिखा को फोन दिया तो अभिनव ने शिखा से कुछ पूछा यह बात मुझे नहीं मालूम कि उन दोनों की क्या बात हुई लेकिन अभिनव ने उससे इंटरव्यू के लिए बुलाया था और कहा आप एक-दो दिन बाद इंटरव्यू देने के लिए आ जाइएगा। इस बात से शिखा बहुत खुश थी और कहने लगी चलिए आप लोगो से मुलाकात आज अच्छी रही दोबारा मैं आप लोगों से मिलने के लिए आती रहूंगी।

यह कहते हुए शिखा ने जाने की इजाजत ली और कहा अभी मैं चलती हूं दोबारा आपसे मुलाकात करती हूं। शिखा चली गई मैं और मेरी पत्नी बात कर रहे थे मेघा मुझे कहने लगी शिखा मेरी बहुत अच्छी सहेली है और जब हम दोनों साथ में कॉलेज में पढ़ा करते थे तो शिखा मेरी बहुत मदद किया करती थी। मैंने मेघा से कहा हां शिखा का नेचर तो बड़ा ही अच्छा है और उसके अंदर काम के प्रति एक जज्बा भी है और वह बहुत ज्यादा मेहनती किस्म की प्रतीत होती है। मेघा मुझे कहने लगी हां शिखा बहुत ज्यादा मेहनती है उसके पिताजी का देहांत काफी समय पहले ही हो चुका था उस वक्त उसकी उम्र महज 4 वर्ष की ही थी लेकिन उसकी मां ने ही घर की सारी जिम्मेदारियों को संभाला और उसके बाद शिखा कॉलेज के समय में पार्ट टाइम नौकरी कर के अपना खर्चा चलाया करती थी। मैंने मेघा से पूछा लेकिन शिखा के पति किस में जॉब करते हैं वह कहने लगी वह बैंक में नौकरी करते हैं और वह भी बड़े अच्छे व्यक्ति हैं वह बड़े ही शांत स्वभाव के हैं जब आप उनसे मिलेंगे तो आपको बहुत अच्छा लगेगा। कुछ दिनों बाद शिखा घर पर आई उस वक्त मैं एक साहित्य पढ़ रहा था और मैं उसमें पूरी तरीके से खो चुका था लेकिन तब तक घर की डोर बेल बजी मैंने मेघा को आवाज देते हुए कहा मेघा जरा देखना कौन है।

 मेघा ने मुझे कहा बस अभी जाती हूं मेघा जब दरवाजे पर गई तो शायद दरवाजे पर शिखा खड़ी थी और शिखा को मेघा ने अंदर आने के लिए कहा वह अंदर आ गई और वह लोग हॉल में बैठे हुए थे। मेघा ने मुझे हॉल से ही आवाज देते हुए कहा शिखा आई हुई है और वह आपसे बात करना चाह रही है मैंने मेघा से कहा बस अभी आता हूं। मैं हॉल में चला गया शिखा मुझे कहने लगी आपकी ही वजह से मेरी नौकरी लग पाई है मैंने शिखा से कहा इसमें मेरी कोई मेहनत नहीं है इसमें तो तुम्हारी ही मेहनत थी क्योंकि इंटरव्यू भी तुमने अच्छा दिया होगा तुम्हारी ही मेहनत से यह सब हुआ है लेकिन फिर भी वह मुझे ही इस चीज का श्रेय दे रही थी। शिखा उस दिन आधे घंटे तक घर पर रही और उसके बाद वह चली गई लेकिन जाते-जाते उसने कहा कि आप लोग हमारे घर पर आइएगा मैं आपको अपने पति से मिलवाना चाहती हूं। कुछ दिनों बाद हम लोग भी शिखा के घर पर गए वहां पर उसके पति निर्मल और उसकी 5 वर्षीय बेटी थी हम लोगों ने उस दिन रात का भोजन उन्हीं के घर पर किया। मुझे वहां पर काफी अच्छा लगा निर्मल से भी अच्छी बात चित हुई उसके बाद हम लोग अपने घर वापस लौट आए। शिखा का व्यक्तित्व ऐसा था कि वह मुझे अपनी और खींचे जा रहा था वह वह भी मुझसे बहुत प्रभावित थी। हम दोनों के ही पैर डगमगाने लगे थे हम दोनों एक दूसरे के साथ समय बिताने लगे लेकिन शिखा कई बार मुझसे कहती कि मैं निर्मल को धोखा दे रही हूं मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा। मैंने उसे समझाया ऐसा कुछ नहीं है प्रेम की अपनी कोई सीमाएं नहीं होती और तुम मुझे पसंद हो और मैं तुम्हें पसंद करता हूं यह हम दोनों के लिए काफी है।

 इस बात से वह काफी प्रभावित हो गई हम दोनों ही एक दूसरे से मिलने लगे हम दोनों समय साथ में बिताते तो बहुत अच्छा लगता हम दोनों की इच्छाएं अब और भी आगे बढ़ने लगी थी हम दोनो एक दूसरे से शारीरिक सुख की उम्मीद करने लगे थे। इसी उम्मीद के चलते एक दिन हम दोनों ने एक दूसरे से मिले हम दोनों उस दिन एक दूसरे से मिले मेघा उस दिन घर पर नही थी उस दिन हम लोगो ने एक दूसरे को संतुष्ट किया लेकिन उसके बाद यह सिलसिला और भी आगे बढ़ने लगा। शिखा मुझसे मिलने के लिए चली आती जब वह मुझसे मिलने के लिए आती तो मेघा घर नही होती थी। शिखा एक दिन बिना कहे घर पर आ गई मेघा उस दिन कहीं गई हुई थी लेकिन वह अपनी शारीरिक सुख को पूरा करने के लिए मेरे पास आई थी। उस दिन जब हम दोनों ने एक दूसरे को अपने आगोश में लिया तो ऐसा लगा जैसे कि यह किसी सपने की कल्पना मात्र है लेकिन जब मैंने अपने हाथों से शिखा के कपड़ों को उतारना शुरू किया तो मैं उसके यौवन को देख कर अपने आप पर भी काबू ना रख सका।

उसने जब मेरे लिंग को अपने मुंह में लेकर उसका रसपान करना शुरू किया तो मेरे उत्तेजना और भी ज्यादा चरम सीमा पर पहुंच गई मैं अपने आपको ज्यादा समय तक रोक ना सका। मैंने जब शिखा की चूतडो को पकड़ते हुए उसकी योनि के अंदर में लिंग को प्रवेश करवा दिया तो वह बड़ी तेजी से चिल्ला उठी मेरा लंड उसकी योनि के अंदर जा चुका था। अब उसे भी बड़ा आनंद आने लगा था वह मुझसे अपनी चूतडो को मिलाने लगी थी मैं भी उसे बड़ी तेज गति से धक्के देने लगा था जिससे कि उसके अंदर की उत्तेजना भी चरम सीमा पर पहुंच गई थी। हम दोनो एक दूसरे के बदन की गर्मी को ज्यादा देर तक बर्दाश्त नहीं कर पाए मैंने अपने वीर्य को उसकी योनि के अंदर ही कोई गिरा दिया। जब हम दोनों के बीच शारीरिक संबंध बन चुके थे तो हम दोनों एक दूसरे से हमेशा मिलने लगे थे लेकिन इस बात का मैंने कभी भी किसी को पता नहीं चलने दिया। मेरी पत्नी मेघा हमेशा यही सोचते कि मेरे और शिखा के बीच में बड़े ही अच्छे दोस्ताना संबंध है उसे हम लोगों से कोई आपत्ति नहीं थी लेकिन हम दोनो ने कभी भी उसे अपने नाजायज रिशते की भनक तक नहीं लगने दी।

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