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चचेरा भाई ने की मेरी चुदाई
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HOT Free XXX Hindi Kahani
मेरा रंग गोरा है और कद छोटा है और मैं हापुड़ से हूँ. तो अब मैं अपनी कहानी पर आती हूँ.
बात उन दिनों की है, जब मैं 12 वीं पास करके गर्मी की छुट्टियों में अपने मामा जी के घर रहने गई थी. उन दिनों मैं यही कोई 18 साल की थी. मेरे मामा के चार बच्चे हैं. तीन लड़कियाँ और एक लड़का, जिसका नाम आशु था. वो हमेशा मेरे पास ही रहता था. मैं और मेरे मामा जी के बच्चे देर रात तक बातें किया करते थे. एक बार देर रात तक हम लोग बातें करते रहे.

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आशु ने मुझसे पूछा- तेरा कोई ब्बॉय-फ्रेंड नहीं है?
तो मैं जवाब दिया- नहीं.. और तेरी कोई गर्ल-फ्रेंड है?
तो वो बोला- नहीं..!
हिंदी सेक्स कहानियां

उस दिन हम ऐसे ही बातें करते हुए सो गए. अचानक मेरी आधी रात में आँख खुली, शायद 2-3 बजे का समय हुआ होगा. मेरे मामा का लड़का आशु अपना एक हाथ मेरी नीचे वाली बगल में डाले हुए और मेरी कमर को छूकर और दूसरा हाथ मेरे चूतड़ों के नीचे डाल कर हिला रहा था, उसने मुझे कस कर जकड़ रखा था और हल्के-हल्के से मेरे होंठों पर अपने होंठो रख कर चूस रहा था, कभी-कभी अपनी जीभ मेरे होंठों के बीच में डालने की कोशिश कर रहा था.मैंने आज तक कभी ऐसा नहीं किया था, पर मुझे भी बड़ा मज़ा आ रहा था, मैं चाह रही थी यह होता रहे, मुझे डर था कि कहीं इसे ये पता चल गया कि मैं नींद से जागी हुई हूँ, तो वो ये सब बंद कर देगा इसलिए मैं चुपचाप सोने का बहाना करके लेटी रही और उसने मेरे होंठों में अपनी जीभ डाल दी और मेरे अन्दर के हिस्से को जीभ से इधर-उधर चाटने लगा. और कुछ देर बाद वह मेरी चूत तक में अपनी उंगली डाल कर आगे-पीछे करने लगा. मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था, मानो मैं जन्नत में होऊँ. तभी वो अचानक अपना हाथ मेरी बगल से निकालकर और दूसरा हाथ मेरी चूत से निकाल कर उठने लगा.
मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और कहा- आगे कुछ नहीं करेगा?
उसने कहा- तुझे पसंद है ये सब?
मैंने कहा- नहीं, पर तेरे साथ कैसी पसंद-नापसंद…!
आख़िर मैं भी गरम हो चुकी थी.
उसने कहा- ऋतु, लेकिन यहाँ ये सब ठीक नहीं है, कोई देख लेगा तो क़यामत आ जाएगी.
मैंने कहा- तो फिर?
उसने कहा- ऊपर वाले कमरे में चलते हैं!
और हम दोनों ऊपर वाले कमरे में चले गए जहाँ वो पढ़ाई किया करता था. फिर क्या था वो भी मेरा नंगा जिस्म देखने को बेचैन हो रहा था.
मैंने कहा- लाइट ऑफ कर दो..!
वो कहने लगा- ऋतु सारा मज़ा तो रोशनी में ही आता है!
मैं मान गई, आख़िर मुझे उसके साथ चुदना जो था और फिर उसने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरे ऊपर उल्टा लेट कर मुझे ज़ोर-ज़ोर से चूमने लगा और कहने लगा- जानेमन इस दिन का मुझे कब से इंतजार था.. आख़िर तू आ ही गई मेरी बाहों में!
मैंने कहा- आशु मुझे नहीं पता था, इसमें इतना मज़ा आता है..!
उसने कहा- तुम आगे-आगे देखना… कितना मज़ा आता है तुझे…
मैंने स्कर्ट पहने हुई थी. उसने मेरी स्कर्ट ऊपर की और मेरी चूत को अपनी जीभ से बुरी तरह चाटने लगा मानो कोई कुत्ता किसी हड्डी पर टूट पड़ा हो और साथ ही मेरे चूचों को अपने हाथों से हल्के-हल्के दबाने लगा. मैं ‘अयाया अया उम्म्म्मह उंह ष्ह हा..!’ की सिसकारियाँ भर रही थी. उसने तभी मेरे होंठों पर एक ज़ोरदार चुम्बन लिया और मुझे घोड़ी स्टाइल में खड़ा करके मेरी स्कर्ट पूरी उतार दी और मेरी गाण्ड चाटने लगा.
कहने लगा- वाह मेरी बहन.. क्या बुर है तेरी.. एकदम गुलाबी है..!
और अपना मोटा लंबा लंड निकाल कर मेरी बुर में डाल दिया. मेरी चीख निकल गई. मैंने कहा- आराम से आशु..!
उसने कहा- अभी तुझे भी मज़ा आएगा..!
और ज़ोर-ज़ोर से मुझे चोदने लगा. एक बार तो उसने अपना रस मेरी फ़ुद्दी में ही छोड़ दिया तब मुझे गर्म पानी जैसा अहसास हुआ और वो थोड़ी देर के लिए मेरे ऊपर ही गिर गया.
और फिर थोड़ी देर बाद उठा और बोला- मज़ा आया ना..!
मैंने कहा- हाँ…!
लेकिन मुझे ज्यादा मज़ा नहीं आ रहा था, तो वो भाई ने मेरी चूत सहलाने लगा. फिर से अपना लंड मेरी योनि में डालने लगा लेकिन मेरी फ़ुद्दी फिर से चुदने की हालत में नहीं थी.
मैंने कहा- आशु रुक.. मुझे मज़ा नहीं आ रहा है… तू प्लीज़ मेरी चूचियों को भी चूस चूस कर ठंडी कर ना..!
उसने कहा- ऋतु जैसा तुम्हें अच्छा लगे.

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और वो मेरी चू्चियां चूसने लगा, अब मैं जन्नत में थी, और फिर थोड़ी देर बाद मैं उसे अपनी चूत में लोड़ा घुसाने को कहा और काफ़ी देर बाद मेरा भी पानी टपक गया और उसका भी..!
फिर हम दोनों सो गए और

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