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पड़ोसन दीदी की मस्त चुदाई
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HOT Free XXX Hindi Kahani

आज मैं आपके साथ अपनी एक पड़ोसन दीदी की सेक्सी स्टोरी बताने जा रहा हु. जो कि मुझे याद भी याद आती है. मेरा नाम अंशु है और मैं भुवनेश्वर, उड़ीसा का रहने वाला हु. कब ५.१० और साइज़ कभी मेजर नहीं किया, बट बहुत बड़ा है. उन दिनों की बात है, जब मैं बी- टेक फाइनल इयर में था और यहीं मेरे होम टाउन भुनेश्वर में पढ़ रहा था. मेरी पापा दिल्ली में सर्विस करते है. तो मेरी माँ और भाई, पापा के साथ ही दिल्ली में रहते है. मैं यहाँ घर पर अकेले रहता हु और दो दोस्तों को भी अपने साथ रखा हुआ था. क्योंकि, अकेले रहना मुझे अच्छा नहीं लगता था. यो बात ये है, कि मेरे सामने वाले घर में एक फॅमिली थी. जिनकी तीन बेटी थी. बड़ी दो लड़की की शादी हो चुकी थी, पर छोटीवाली घर में रहती थी. उनके पिता सरकारी नौकरी में थे और काफी बड़ी पोस्ट पर थे.

उस छोटी वाली लड़की का नाम रूचि है. जोकि, मेरे से २ साल बड़ी है. दिखने में ठीक – ठाक गोरी है, साइज़ भी अच्छा है. फिगर पूरा मस्त और उसका फिगर ऐसा है, कि साड़ी पहने हुए वो बहुत अच्छी लगती है. हम तीनो दोस्त कॉलेज साथ जाते थे और एकदिन हमारा छुट्टी हुआ. मेरे दोनों दोस्त अपने – अपने घर चले गये और मैं घर में अकेले ही रह गया. इस तरह ३ दिन गुजर गये और एकदिन रात को करीब १२ बजे, एक जोरदार धमाके की आवाज़ आई. मैं सो रहा था, फट से उठकर देखने गया, कि क्या हुआ? बाहर आकर बात चली, कि रूचि के घर में इलेक्ट्रिक शोर्ट सर्किट हुआ था. उनके घर की सारी वायरिंग जल चुकी थी. रूचि के पापा ने मुझे कहा, बेटे कहीं से कोई एलेक्ट्रिसियन ले आओ. रात के १२:३० हो चूका था, तो कोई कहाँ पर मिलने वाला था. मैंने कहा, अंकल मैं अभी कोई टेम्पररी बंदोबस्त कर देता हु, क्योंकि मैं एक इलेक्ट्रिकल इंजिनियर हु. मुझे कैसे करना था, वो मुझे पता था.

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तो अंकल ने हाँ बोला और मैंने एक कनेक्शन अपने घर से लेकर उनके बेडरूम में दे दिया, जोकि सोर्फ़ लाइट जला सकता था. फेन नहीं चल रहा था. क्योंकि शोर्ट सर्किट में फेन भी जल गया था. अंकल ने मुझे कहा, बेटा मैं यहाँ सो जाता हु. रूचि दीदी को अपने घर ले जाओ. वो बिना फेन के नहीं सो पाती है. उसकी माँ भी नहीं है. मैंने हामी भर ली और रूचि दीदी मेरे साथ मेरे घर पर आ गयी. क्योंकि हम बचपन से वहां रहते थे और हम लोग बहुत अच्छे दोस्त भी थे, तो रूचि दीदी के पापा को मेरे ऊपर पूरा भरोसा था. वैसे भी, मैं अकेले रहू या दोस्तों के साथ, मैंने अपने घर में कभी कोई भी गलत काम नहीं किया था. तो यहीं से स्टोरी बिगेन. घर पर हम दोनों, रूचि और मैं आये और रूचि दीदी बोली… मुझे नीद नहीं आ रही थी. चलो कुछ बातें करे. मेरी भी नीद खुल चुकी, तो मैं हाँ कर दी. मैं पापा – मम्मी के रूम में चले गया और दीदी के बिस्तर ठीक करने लगा.

तो वो बोली – तुम अपने रूम में भी मेरा बिस्तर लगा लो, मुझे अकेले में डर लगता है. यहाँ आप को बता दू, कि तब तक मेरे मन में और ना ही उसके दिल में कुछ गलत बात उभरी थी. सिर्फ ऐज फ्रेंडली वो मुझसे बोली, तो मैंने भी हामी भर ली और बोला, मेरे रूम में आ जाओ. तो हम मेरे बेडरूम में आ गयी और मैंने लाइट ऑफ किया और बातें करने लगे. तब मैंने उनसे पूछा, दीदी आपको डर क्या लगता अकेले. तो उन्होंने कहा, कि पता नहीं. पर बहुत सारी डरावने ख्याल आते है, जब मैं अकेले होती हु. मैंने कहा – आपके डर को दूर करते है और एक घोस्ट फिल्म देखते है. पहले तो उसने मना किया, कि रोमेंटिक फिल्म लगाओ. पर मुझे तो मज़ा देखना था, कि वो कितनी डरती है. तो मैंने जिद की और उन्होंने हाँ बोल दी. हम फिल्म लैपटॉप पर स्टार्ट करके एक ही बिस्तर पर लेटकर देखने लगे. तभी एक सेक्स सीन आया, तो मेरा लंड खड़ा हो गया. तभी अचानक मुझे पता नहीं, कैसे रूचि दीदी को चोदने का ख्याल आया. पर मैंने खुद को कण्ट्रोल करके, उस सीन को फॉरवर्ड कर दिया और दीदी समझ गयी और कुछ नहीं बोली.

हम देखने लगे. आगे – आगे मेरा तो उसी सीन को देखने के बाद खड़ा हो गया था. तो अभी तक तना ही हुआ था. एक डरावने सीन में दीदी ने डरके मारे, मेरे ऊपर चढ़ गयी, तो मेरा तना लंड उनके हाथ में टच हो गया. उन्होंने झटके से हाथ हटा दिया. फिल्म ख़तम हो गयी और दीदी ने कहा – दूसरा कुछ लगाओ. आज नीद नहीं आ रही है. तो मैंने कहा, मुझे तो आई है. मैं सोता हु, आप देखिये. उसने कहा – ऐसी हालत में भी, तुझे सोने का मन कर रहा है. मुझे कुछ समझ नहीं आया, तो मैंने उनसे कहा – कैसी हालत? वो बोली – तुझे पता नहीं? मैंने कहा – नहीं. उसने झट से मेरी पेंट पर हाथ मारकर बोली, इस हालत में. मैं पूरा सुन्न हो गया. मुझे तो पता ही नहीं चला, कि रूचि दीदी डायरेक्ट क्या कर रही थी. मैंने उनके हाथ को झट से अलग करके कहा – ये क्या कर रही हो दीदी? तो उसने कहा, कि अंशु मुझे बहुत मन करता है ये सब करने का. पर पापा कितने स्ट्रिक्ट है, तुझे तो पता ही है. कोई बॉयफ्रेंड भी नहीं कर सकती. नहीं तो मार देंगे और शादी में भी एक साल बाकी है, तो मुझसे कण्ट्रोल नहीं होता.

मैंने कहा, दीदी तो आप क्या चाहती हो. उसने कहा – अगर हम दोनों कुछ करे, तो पापा को पता भी नहीं चलेगा और तुम भी पहचान के हो, किसको बोलोगे? मैंने कहा, ठीक है. मैंने कभी किया तो नहीं, अभी तक तो सिर्फ मुठ ही मारा है. लेकिन आज करते है. फिर लैपटॉप को साइड में रखकर मैंने दीदी के होठो से होठ मिला लिए. ओह्ह्ह्ह.. क्या फीलिंग्स थी. ओह्ह्ह.. उसके बाद उनके दूध को धीरे – धीरे एक हाथ से दबाने लगा. वो सिसकिया ले रही थी. फिर उन्होंने अपने हाथ को मेरी पेंट में डाल दिया. वो मेरे लंड को दबा रही थी. क्या अहसास था वह्ह्ह्ह… फिर वो इतनी उतावली हो गयी थी, कि अपने हाथ से ही सब खोल दिया और मुझे बोली, कि तुम भी खोल दो. मैंने भी खोल दिया और फिर हम दोनों एक दुसरे को लिप किस करने लगे. १५ से २० मिनट करने के बाद, उन्होंने ने कहा – अंशु अब मुझे चोद दो और फॉरप्ले नहीं, अब मुझसे और कण्ट्रोल नहीं होता है. मैं भी अब आउट ऑफ़ कण्ट्रोल हो रहा था. मैं झट से उनके ऊपर आ गया और अपना बड़े वाला लंड उनकी चिकनी फुद्दी में घुसाने लगा.. साला घुस ही नहीं रहा था. मैंने एक झटका मारा, तो मेरा लंड आधा ही उनके अन्दर गया…

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वो चिल्लाई और बोली – धीरे से अंशु. प्लीज धीरे से. तो मैं धीरे – धीरे करता रहा और कुछ देर बाद, आधे से ज्यादा लंड अन्दर जा चूका था. मैं पेलने लगा. करीब ४५ मिनट की धुनाधार पेलन के बाद, मैं झड़ गया और उस ४५ मिनट के पेलन के अन्दर वो ३ बार झड़ चुकी थी. फिर मैं उनके ऊपर सो गया और निप्पल चूसता रहा. चूसते – चूसते कब आँख लग गयी, पता ही नहीं चला. फिर अगले दिन, वो उठकर मुझे किया और बोली – मैं फिर आउंगी, पापा के ऑफिस जाने के बाद. हम फिर से करेंगे. वो चली गयी और मैं सो गया. यारो.. एक बात समझ में आई सुबह, उनके जाने के बाद. कि मेरा इतना बड़ा लंड और वो कभी चुदी नहीं थी. वो उसने मेरे लंड को कैसे संभाला और मज़े से चुदने लगी. फिर मुझे याद आया, कि मेरी पेलन में उसे ब्लड तो आया ही नहीं. तो इसका मतलब.. साली मुझसे झूठ बोल रही थी, वो पहले भी चुद चुकी थी. फिर बाद में जब वो आई, तो मैंने उससे पूछा और उसने बताया, कि वो अपनी फिंगर अपनी चूत में करती है और कुछ और भी चीजों को इस्तेमाल करती है, अपने को शांत करने के लिए. उसदिन, फिर चोदा और उसके बाद भी और जब भी मौका मिला, तब मैंने उसे चोदा.

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