पिकनिक में सामूहिक चुदाई

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कॉलेज स्टूडेंट्स ग्रुप सेक्स कहानी मेरे दोस्तों की चुदाई की है. हम सब लड़के लड़कियां पिकनिक के बहाने चुदाई के टूर पर गए. हमने एक गेस्ट हाउस बुक कर लिया था।

लेखिका की पिछली कहानी: कितने लण्ड खाती है तेरी बुर

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मैं अपने बाल खोले हुए और अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी बैठी हुई थी.
इतने में संचिता मेरे पास आयी, वह भी मेरी ही तरह नंगी थी।

आते ही बोली- अरे यार, तेरे पास तो रोहित था, वह कहाँ गया?
मैंने कहा- वह बाथरूम में अपना लण्ड धोने गया है।

वह सोच में पड़ गयी कि इतनी जल्दी क्या थी लण्ड धोने की?
तो पूछ बैठी- आखिर हुआ क्या? क्यों अपना लण्ड धोने गया है बाथरूम में?

मैंने बताना शुरू किया:

अरे यार, पहले पहल का मामला था। उसका लण्ड बहुत ज्यादा ही टन्नाया हुआ था।

मुझे नंगी देख कर वह भी बहुत उत्तेजित हो गया था … बड़ा सख्त हो गया था उसका लण्ड … पूरे जोश में भरा हुआ था लण्ड।

ऐसे मोटे तगड़े और खूबसूरत लण्ड को देखकर मैं भी बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गयी थी और मेरा मुंह अपने आप ही खुल गया था।
मैंने बड़े प्यार से लौड़ा पूरा का पूरा मुंह में घुसेड़ लिया, मेरे गले तक पहुँच गया था लण्ड!

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मैं एक हाथ से उसके पेल्हड़ थामे हुए थी।
लण्ड फिर बाहर निकाला और फिर अंदर पेलवा लिया।

मैं बार बार ऐसा ही करने लगी।

फिर मैंने अपनी जबान लण्ड के टोपा के चारों ओर फिराने लगी।

वह मस्ती में सिसियाने लगा, बोला- वॉवो हाय मेघना! हाय रे तेरी जबान में जादू है मेघना! ओ हो आ हो यार हां हां ऊँ ऊँ हो आ हो … वॉव मैं मर जाऊंगा तू बहुत मस्त लड़की है यार! मेरा लण्ड किसी ने इस तरह नहीं चूसा।

वो मेरी तारीफ़ करने लगा- हाय रे … बड़ा अच्छा लग रहा है। तू मेरी जान है यार मेघना! तू बुर चोदी बड़ी मस्त चीज है यार! तेरे हाथों में लण्ड काबू से बाहर हुआ जा रहा है। ओ हां हो ऊँ आ आ लगता है मैं निकल जाऊँगा मेघना। लौड़ा बाहर निकाल लो नहीं तो मैं अंदर ही झड़ जाऊंगा।

मैंने लौड़ा मुंह से नहीं निकाला क्योंकि मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था।
फिर क्या … वह सच में झड़ गया … सारा वीर्य मेरे मुंह में उड़ेल दिया जिसे मैं गटक गई।

मैं तो लण्ड पीती हूँ, मुझे लण्ड पीने में बड़ा मज़ा आता है, मैं उसका लण्ड पी गई।
फिर उसका टोपा चाट चाट कर लाल कर दिया।

उसने कहा- यार मेघना … मैं तुम्हें चोदना चाहता था सॉरी पहले ही झड़ गया।

मैंने कहा- ऐसा कुछ नहीं है यार। पहली बार ऐसा हो ही जाता है। कई लड़के ऐसे होते हैं जिनका लण्ड मैं पकड़ती हूँ, मुठ्ठी में लेकर लण्ड चूमती हूँ और थोड़ा आगे पीछे करती हूँ तो लण्ड साला भल्ल से झड़ जाता है। 

फिर वह दूसरी बार ही चोद पाता है मेरी बुर! तुम चिंता न करो अभी थोड़ी देर में चोद लेना। न मैं कहीं जा रही हूँ और न मेरी चूत!

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बस वह अपना लण्ड धोने के लिए बाथ रूम में घुस गया।

अब मैंने संचिता से पूछा- तू बता … तू क्या करके आयी है, संचिता?

संचिता बोली- मैं तो लण्ड अपनी बुर में ठुकवा के आयी हूँ। पहले पवन ने ठोका अपना लण्ड मेरी चूत में! उसके बाद अरुण ने भी गच्च से ठोक दिया अपना लण्ड मेरी चूत में! दोनों भोसड़ी वालों ने मिलकर खूब मेरी चूत का बाजा बजाया है। वैसे मज़ा भी खूब आया यार … मैं तो मस्त हो गई हूँ।

मैंने पूछा- तो फिर न्यासा क्या कर रही है बुर चोदी?

वह बोली- न्यासा ने पहले अपने कपड़े उतारे। उसने नंगी नंगी घूम घूम कर सबको अपना जिस्म दिखाया। फिर उसने राका को पकड़ा और उसके सारे कपड़े खोल कर उसे नंगा कर दिया। 

उसने देखा की राका की झांटें थोड़ा बढ़ी हुईं है तो उसने पहले तो राका की झांटें बनाई, फिर बाथ रूम में उसे ले जाकर उसका लण्ड बड़े प्यार से धोया और बाहर आकर लण्ड का सड़का मारने लगी।

मैंने कहा- तू भोसड़ी वाली चुदवाने आई है या लण्ड का सड़का मारने?
वह बोली- अरे यार, मैं जब कोई नया लण्ड पकड़ती हूँ तो पहले उसका सड़का मारती हूँ। 

फिर सड़का मार कर लण्ड का वीर्य पीती हूँ. लण्ड का स्वाद लेती हूँ और फिर दूसरी पारी में चुदवाती हूँ। अभी वह चुदवा रही है और मैं इधर तेरे पास आ गयी।

मैंने पूछा- तो फिर कविता क्या बहन की लौड़ी?

वह बोली- कविता एकदम नंगी होकर रूपेश और बालू के लण्ड बारी बारी से चाट रही है और वो दोनों कविता की बुर बारी बारी से चाट रहे हैं।

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वास्तव में यह कॉलेज स्टूडेंट्स सेक्स कहानी है, हमने एक मस्त मस्त हैंडसम जवान लड़कों का और बेहद खूबसूरत सेक्सी और हॉट लड़कियों का एक ग्रुप बनाया।
हम सब मिलकर सेक्स का मज़ा लूटना चाहती थी।

घर में तो कुछ ऐसा हो नहीं सकता था; इसलिए हमने अपने अपने घरों में कहा कि कॉलेज की तरफ से एक ग्रुप जा रहा है पिकनिक मनाने! तो मुझे भी उसमें जाना है।
फिर क्या? सबको घर की तरफ से अनुमति मिल गयी और हम लोग अपने प्लान में कामयाब हो गए।

हमने एक गेस्ट हाउस बुक कर लिया।
हम सब लोग एक गेस्ट हाउस में पहुँच गये।

इनमें मैं थी मेघना, मेरी तीन और फ्रेंड्स थीं संचिता, कविता, और न्यासा!
हमारे साथ कुछ लड़के थे रोहित, पवन, अरुण, राका, बालू और रूपेश!

यानि यह 10 लोगों का ग्रुप था।
पहुँचते ही सब लोग उतावले हो गए, सबने अपना अपना सामान रखा, अपने अपने हाथ मुंह धोया और बैठ गए।

लेकिन सब लोग बड़े उतावले हो रहे थे एक दूसरे को नंगा नंगी देखने के लिए।
ऐसा लग रहा था की अभी तक किसी ने न तो कोई बुर देखी है और न ही कोई लण्ड!

जबकि ऐसा नहीं था।
हां इन सब लोगों ने कभी आपस में किसी को नंगा या नंगी नहीं देखा था।

बातें खूब गन्दी गन्दी होने लगीं।

संचिता बोली- तुम सब लड़के लोग फ़टाफ़ट हो जाओ नंगे और अपना अपना लौड़ा दिखाओ. जिसका सबसे छोटा लौड़ा होगा उसकी मारी जाएगी गांड!
रोहित ने कहा- नहीं ऐसा नहीं … पहले लड़कियां अपने अपने कपड़े खोल कर नंगी हो जायें। उनको नंगी नंगी देख कर हम लोग नंगे होंगे।

न्यासा- लड़कों की माँ का भोसड़ा … लण्ड दिखाने में तुम लोगों की गांड क्यों फट रही है?
पवन- गांड तो हम लोग फाड़ेंगे लड़कियों की!

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कविता- हां हां फाड़ो गांड हमारी … क्योंकि चूत फाड़ने का न तेरे लांड में दम है और न तेरी गांड में दम है.
बालू- नहीं नहीं, ऐसा नहीं है. हम सब तुम लोगों की बुर फाड़ने ही आए हैं।

मैंने कहा- अरे मादरचोदो, तुम सब लोग अपने अपने लण्ड इकट्ठा चूत में पेल दो तो भी चूत नहीं फटेगी. चूत कभी फटती नहीं है भोसड़ी वालो … हां थोड़ा फ़ैल जाती है बस!
फिर मैंने खुद सबको नंगा करना शुरू किया।

रूपेश और बालू ने लड़कियों को नंगी करना शुरू किया।

कुछ ही देर में सबके लण्ड सबकी बुर, सबकी चूची, सबकी गांड दिखाई पड़ने लगी।

उसके बाद जो हुआ, वो सब आपने पढ़ा।

फिर लंच हो गया।
सबने नंगे नंगे ही खाना खाया और मस्ती भी की।

फिर सब लोग इकट्ठा हो गये।

मैंने कहा- अब एक खेल होगा। यहाँ पर 10 पर्ची रखी हैं। लड़कों की नीली पर्ची है, लड़कियों की गुलाबी … तुम सब लोग एक एक पर्ची उठाओगे और उसमें जो लिखा वो करोगे।

पहली पर्ची न्यासा ने उठायी- उसमें लिखा था किसी एक लड़के के लण्ड का सड़का मार कर पियो।
न्यासा सोचने लगी कि किसका लण्ड पिया जाए?

उसने सबके लण्ड पर नज़र दौड़ाई और आखिर में राका का लण्ड पकड़ लिया।
राका को खड़ा किया और खुद घुटनों के बल बैठ गयी, एक हाथ से पेल्हड़ थामे और दूसरे हाथ से मारने लगी खुल्लम खुल्ला सड़का!

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लण्ड जब झड़ने लगा तो न्यासा उसे पी गयी सबने खूब तालियां बजाई।
दूसरी पर्ची पवन ने उठाई।

उसमें लिखा थी कि किसी लड़की की बुर चाटो और साथ साथ दोनों हाथों से उसकी दोनों निपल्स भी 5 मिनट तक मसलते रहो।

पवन ने कविता की बुर चाटने का मन बनाया।
उसने कविता को बिस्तर पर चित लिटा दिया, बड़े प्यार से उसकी बुर में अपनी जबान दूर तक घुसा दी और उसकी दोनों निपल्स अपने हाथों से मसलने लगा।

सबने देख देख कर खूब मज़ा लिया।
कविता भी बुर चोदी बड़ी मस्त हो रही थी।

तीसरी पर्ची संचिता ने उठाई।
उसमें लिखा था तुम खुल कर गालियां सुनाओ।

वह बोलने लगी- मेरी माँ का भोसड़ा, बहन चोद, गांडू, भोसड़ी के, तेरी बिटिया की बुर, मादरचोद, मैं तेरी उखाड़ लूंगी झांटें, नोच डालूंगी तेरा लण्ड! माँ के लौड़े कभी अपनी माँ की बुर चोदी है तूने जो मेरी बुर चोदने चला है? तेरे गांड में ठोक दूँगी हाथ भर का लण्ड, बेटी चोद, तेरी बहन का भोसड़ा?

सबने खूब तालियां बजाईं।

चौथी पर्ची रोहित ने उठायी।
लिखा था कि किसी लड़की की चूची तब तक चोदो जब तक कि तुम झड़ न जाओ।

वह देखने लगा कि किसकी चूचियाँ सबसे बड़ी हैं क्योंकि बड़ी चूचियाँ ही चोदने में मज़ा आता है।
उसने कविता की चूचियाँ चुनी और आगे बढ़ कर उसकी चूचियों में लण्ड घुसा दिया।

कविता सोफा पर बैठ गयी और रोहित खड़े खड़े चोदने लगा चूचियाँ!
बड़े मन से, प्यार से और अपनी दोनों चूचियाँ दबाकर कविता चुदवाने लगी।

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वह बार बार लण्ड का टोपा चाटने भी लगी जब लण्ड ऊपर आता।
कविता के सहयोग से रोहित उत्तेजित हो गया और झड़ भी गया।

तब सबने एन्जॉय किया और तालियां बजाईं।
लौड़ा तो सुरंग की तरह उसकी चूचियों में घुस रहा था।

पांचवी पर्ची अरुण के हक़ में आयी।
लिखा था किसी लड़की का मुंह चूत की तरह चोदो। जब तक झड़ न जाओ तब तक लौड़ा मुंह से मत निकालो।

उसने मेरा ही मुंह सेलेक्ट कर लिया।
मैंने भी कहा- अच्छा लो मेरा ही मुंह चोद लो। मैं तैयार हूँ।

अरुण का लण्ड मोटा भी था और खूबसूरत भी!
उसने लण्ड मेरे मुंह में पेला और चोदने लगा।
मैं भी चुदवाती रही।

मैं अंदर ही अंदर उसके सुपाड़े के चारों ओर जबान घुमाती रही तो जल्दी ही मेरे मुंह में झड़ गया और मैं पी गयी।

छठी पर्ची कविता ने उठायी।
उसमें लिखा था कि एक सांस में कितनी बार ‘लण्ड’ बोल सकती हो? बोल कर सुनाओ।

उसने बोलना शुरू किया- लण्ड लण्ड लण्ड लण्ड लण्ड लण्ड लण्ड लण्ड लण्ड लण्ड लण्ड लण्ड लण्ड लण्ड लण्ड लण्ड लण्ड लण्ड लण्ड लण्ड लण्ड.
मैंने कहा- बाप रे … 21 बोला तुमने लण्ड कविता। शाबाश!

सातवीं पर्ची राका के हाथ में आई।
लिखा था- किसी लड़की के पूरे नंगे बदन पर अपना लण्ड फिराओ और आखिर में उसकी आँखों में आँखें डाल कर अपने हाथ से सड़का मारो और उसकी चूचियों पर झड़ जाओ।

उसने इस काम के लिए संचिता को चुना।

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राका अपना लण्ड संचिता के माथे से लेकर नाक पर, गालों पर, होंठ पर, कान पर, गर्दन पर, घुमाता हुआ फिर चूचियों पर आ गया। फिर नाभि पर लण्ड फिराया और कमर में भी। जाँघों पर लण्ड फिराया और घूमकर उसके चूतड़ों पर भी घुमाया, गांड पर घुमाया लण्ड, फिर चूत पर आ गया। जाँघों पर फिराता हुआ लण्ड फिर घुटनों पर ले आया और आखिर में पैर पर और पैर की उंगलियों पर भी।

संचिता चित लेटी थी वह दोनों तरफ अपनी टांगें रख कर उसे देखता हुआ सड़का मारने लगा।
लण्ड ने फिर सारा वीर्य उसकी चूचियों पर गिरा दिया।
सबने बड़ी जोर से तालियां बजाईं।

आठवीं पर्ची रूपेश ने निकाली.
लिखा था- एक लड़की की बुर में लण्ड पेले हुए दूसरी लड़की की बुर 5 मिनट तक चाटो।

उसने न्यासा की बुर में लौड़ा पेल दिया और कविता की बुर चाटने लगा।
रूपेश को मज़ा तो आ रहा था पर वह बेचारा चोद नहीं पा रहा था।

चिंता यह भी थी कि कहीं लौड़ा न्यासा की बुर से बाहर न निकल आये?
यह भी सबने खूब एन्जॉय लिया।

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नवीं पर्ची मैंने उठायी.
लिखा था- तुम किसी के लण्ड पे बैठो और 5 मिनट तक अपने चूतड़ उसी पर रगड़ती रहो लेकिन चूत लण्ड से बाहर न होने पाए।

मैं लपक कर पवन के लण्ड पर बैठ गयी और अपने चूतड़ उस पर रगड़ने लगी।
मुझे भी मज़ा आया और उसे भी!

आखिरी पर्ची बालू के नाम पर थी।
लिखा था- तुम हर लड़की के मुँह में अपना लण्ड दो दो मिनट के लिए घुसेड़ो और आखिरी लड़की के मुंह में झड़ जाओ।

उसने ऐसा ही किया और आखिर में संचिता के मुंह में झड़ गया।

शाम हुई तो दारू चालू हो गयी।

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लड़के सब दारू पीते ही हैं और लड़कियां तो उनसे ज्यादा पीतीं हैं दारू!
यह बात किसी के घर वालों को पता बिलकुल नहीं है।

दारू के साथ चारों लड़कियां सिगरेट भी पीने लगी और लड़के तो सिगरेट का मज़ा लेते ही हैं।

कुल मिलाकर बड़ी मस्ती का माहौल बन गया।

रोहित बोला- यार मेघना, तू बुर चोदी बड़ी गज़ब की चीज है यार! तूने ही यह प्रोग्राम किया है। यह तेरी ही सोच है। बड़ा मज़ा आ रहा है सच में ज़िन्दगी का!
संचिता बोली- ये मेघना भोसड़ी की बहुत बड़ी रंडी है। इसकी माँ का भोसड़ा। इसने हम सबको रंडी बना दिया है।

न्यासा बोली- रंडी तो हम अपने आप ही बन गईं हैं। अब जवानी में एक लण्ड से तो काम चलता नहीं! जब तक 2-3 लण्ड चूत में नहीं घुसते तब तक मज़ा नहीं आता।

कविता ने कहा- हाय दईया … तो फिर मैं पेलूँगी तेरी चूत में लण्ड … तेरी बुर चोदूंगी मैं! फिर चोदूँगी तेरी माँ का भोसड़ा!

तब तक उधर से राका बोला- आज रात को अपने आप ही सबकी चूत का भोसड़ा बन जाएगा। आज तो सब लोग चोदेंगें सबकी बुर! सबके लण्ड जब सबकी बुर में घुसेंगें तो चूत ससुरी भोसड़ा तो हो ही जाएगी।

कपड़े फिर सबके एक बार उतर गए।
एक एक करके सब लोग नंगे हो गए।

लड़कियां एक एक करके सबके लण्ड शराब में डुबो डुबो कर चाटने लगी।

लड़के भी सबकी चूचियों पर शराब डाल डाल कर चाटने लगे फिर चूत में सबकी शराब डाली और चाटने लगे।

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जवानी का मज़ा इससे बेहतर और क्या हो सकता है!
नशा अपना काम कर रहा था।
इधर इतने सारे लण्ड का नशा, इतनी सारी नंगी लड़कियों का नशा सब कुछ दिमाग में छाया हुआ था।

अरुण अपना लण्ड मेरे आगे करके खड़ा हो गया।
मैंने भी पकड़ लिया उसका लण्ड!

संचिता ने लपक कर रोहित का लण्ड पकड़ लिया।
उसके बगल में राका खड़ा था तो उसने राका का भी लौड़ा दूसरे हाथ से पकड़ लिया।

संचिता दो दो लण्ड का मज़ा लेने लगी।

यही काम कविता ने भी किया। उसने एक हाथ में रूपेश का लौड़ा लिया और दूसरे हाथ में पवन का लौड़ा।

न्यासा के हाथ में बालू का लण्ड आया।

हम सब लण्ड मुँह में डालकर चाटने चूसने लगीं और एक दूसरे को लण्ड चूसते हुए देखने लगीं।
कौन कैसे लण्ड चाटती है … कौन कैसे लण्ड चूसती है। यह सब बड़े गौर से देखने लगीं।

इतने में अरुण ने पेल दिया लण्ड मेरी चूत में और मजे से अपनी बीवी की चूत समझ कर चोदने लगा।

रोहित ने संचिता की बुर चोदना शुरू कर दिया और राका ने लौड़ा उसके मुंह में घुसा दिया।
वह दोनों लण्ड का मज़ा एक साथ लेने लगी।

न्यासा बालू से रंडी की तरह उछल उछल कर चुदवाने लगी।

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रूपेश ने लौड़ा कविता की बुर में पेला और पवन ने लौड़ा उसके मुंह में पेला।

कविता भोसड़ी वाली दो दो लण्ड का मज़ा एक साथ लूटने लगी।

इस तरह सबकी बुर चुदने लगी और चुदाई की आवाज़ सबको मस्त करने लगी।

हम सब एक दूसरे की चुदाई देखने बड़े गौए से लगीं।

चुदाई के समय लड़के और लड़कियां सब कुछ न कुछ बोल रही थीं जैसे कि:

हाय मेरे राजा पूरा लौड़ा पेल दो अंदर! मेरी चूत बुर चोदी बड़ी गहरी है!

वॉवो क्या मस्त लौड़ा है तेरा, ये तो मेरी माँ का भोसड़ा भी फाड़ डालेगा.

आज तो मैं तेरी बुर चीर कर ही दम लूंगा!

तू भोसड़ी की बहुत मजे से चुदवा रही है. तेरी बुर लगता है कि खूब चुदी हुई है.

अबे माँ के लौड़े तुझे बुर चोदने में शर्म नहीं आती? अपनी बहन की बुर चोदी है कभी?

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हां हां यार … मुझे अपनी बीवी की तरह चोदो. मैं तो रंडी हूँ और रंडी ही रहूंगी।
रोज़ रोज़ चोदा करो मेरी बुर …

कुछ भी हो तेरी बुर मज़ा खूब देती है. तू भी कविता की तरह गांड उठा उठा के चुदवाती है.

यार तू लण्ड बहुत अच्छी तरह पीती है.

मर्दों की तरह चोदो मेरी बुर! मैं तो सबसे अपनी शादी के बाद भी चुदवाती रहूंगी.

मेघना बुर चोदी देखो कितनी मस्ती से हम सबकी बुर चुदवा रही है!
आदि आदि!

कुछ देर बाद पहली चुदाई ख़त्म हुई तो सब लोग थोड़ा रेस्ट करने लगे।

तभी मैंने कहा- देखो तुम सब लड़कियां सवेरे उठ कर लण्ड पीना। कहते हैं कि सवेरे का लण्ड एकदम तरोताज़ा होता है और उसका जूस यानि लण्ड का वीर्य टॉनिक का काम करता है। सवेरे लण्ड पीने एक दो फायदे हैं। 

पहला की खूबसूरती खूब बढ़ती है, चेहरे पर निखार आ जाता है और दूसरे शरीर के सारे रोग दूर हो जाते हैं और हम सब स्वस्थ रहतीं हैं। इसलिए कल सवेरे उठ कर तुम सब लण्ड का सड़का मारना और उसका वीर्य मस्ती से पीना। चुदाई सुबह का नाश्ता करने के बाद शुरू होगी।

सुबह जब मैं उठ तो देखा कि कविता नंगी रोहित लण्ड का सड़का मार रही है.
न्यासा राका के लण्ड का सड़का मार चुकी है अब वह लण्ड पी रही है.
संचिता पवन का लण्ड बड़ी मस्ती से पी रही है.

मुझे तभी लगा कि बालू जग गया है तो मैं उसका लण्ड पकड़ कर हिलाने लगी।

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लण्ड जब खड़ा हुआ तो मैंने सड़का मारा और लण्ड पिया।

तब तक रूपेश की नींद खुल गयी।
यह सब देख कर उसका लौड़ा भी खड़ा हो गया तो फिर मैंने उसके लण्ड का भी सड़का मारा और वीर्य पिया।

तब तक कविता ने अरुण का लण्ड हिला हिला कर उसे जगा दिया और सड़का मार कर लण्ड पिया।

उसके बाद सबने बाथरूम का काम किया और करीब करीब 10 नाश्ते की मेज पर आ गए।

नाश्ते के बाद फिर खेल शुरू हुआ और फिर धुआंधार चुदाई हुई।
तो यह थी हमारी पिकनिक में सामूहिक चुदाई।

पाठको, आपको इस कॉलेज स्टूडेंट्स ग्रुप सेक्स कहानी को पढ़ कर मजा आया होगा.
मुझे मेल से और कमेंट्स में बताएं.
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