advertisement
advertisement
पापा के दोंस्तों से मैं इतना चुद गयी की खड़े होकर चल भी ना पाई
advertisement

advertisement
advertisement
HOT Free XXX Hindi Kahani

दोंस्तों मैं अंजली आपको आपनी रंगरलियों के बारे में बताना चाहती हूँ। मैं बचपन से ही बड़ी चुदासी थी। जब मैं 6 साल की ही थी तब मैंने एक दिन अपने बाप को मेरी माँ चोदते हुए देख लिया था, बस उसी दिन से मैं चूत और लण्ड के खेल के बारे में जान गई थी। धीरे धीरे मैं जैसे बड़ी होने लगी, मैं जवान होने लगी। मेरी चुच्चियां अब उभर कर बड़ी हो गयी थी। मुझे ऍम सी आने लगी थी। मैं जान गई थी की मैं अब किसी भी मर्द का लण्ड खा सकती हूँ। मैं अब किसी भी मर्द से चुदवा सकती हूँ।

अब मैं 16 साल की हों चुकी थी। मेरे घर पर पपेरवाला, दूधवाला, भाजीवाला कई जवान मर्द आते थे। मैं उनको कामुकता की नजर से देखती थी। जब मैं उन लोगों को देखती थी तो यही सोचती थी इस लोगों का लण्ड कैसा होगा। इतना ही नही मैं दूध और पेपर लाने भी अपना सबसे कसा वाला सूट पहनकर जाती थी। उसका गला भी गहरा था, मेरे रसीले स्तन बिलकुल साफ दिखते थे। मैं सोच रही थी की कास कोई मर्द मुझसे पट जाए, पर दोंस्तों कोई पटा ही सही। जब 5 सालों तक मुझसे चुदवाने को कोई मर्द ना मिला तब मैं खुद ही जान गई, की अब तो अपने हाथ जगननाथ वाली हालत हो गयी है। मैं अपनी सहेलियों से पूछने लगी की वो कैसे मुठ मरती है। कोई कहता की बैगन से मारती हूँ, कोई कहता की मूली से, कोई अपनी ऊँगली से मारती तो कोई टूथब्रुश से।

               यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप www.HindiSexStoriesPictures.Com पर पढ़ रहे हैं!

बस दोंस्तों, मैं उस दिन बाथरूम में गयी। मैं जान बूझकर दोपहर में नहाने गयी। क्योंकि दोपहर में कम लोग ही घर में रहते है। इस समय बाथरूम खाली रहता है और घण्टो घण्टो तक इसमें कोई नही आता। मैं बाथरूम का दरवाजा अंदर से बन्द कर लिया। मेरे बाथरूम में एक बड़ा सा शीशा लगा है। मैंने अपना सूट निकाला। फिर सलवार निकाली। फिर मैंने अपनी ब्रा और पैंटी भी निकाल दी। मैं नँगी हो गयी। एक बार सोचा की बाहर बाजार निकल जाऊ। कितने ही लड़के मुझे मिल जाएंगे तो मुझे चोदना खाना चाहेंगे। फिर सोचा की कोई भी शरीफ लड़की ऐसा नही करेगी। मेरे माँ बाप की इतनी बेइज्जती होगी।

मैंने नँगी होकर शीशे के सामने बैठ गयी। अब मैं अपने मस्त जिस्म को साफ साफ देख पा रही थी। मैं अब पूरी तरह जवान हो गयी थी। चूदने को किसी मर्द का इंतजार कर रही थी। बस लण्ड का इंतजार था। मैंने अपनी बुर को उँगलियों से खोलकर शीशे में देखा । कितनी मस्त गुलाबी बुर थी। कोई लड़का इसे पा जाता तो पागलों की तरह पीता। कितना अफ़सोस था, मैं खुद अपनी बुर नही पी सकती थी। मैं सारी जिंदगी अपने बुर से स्वाद से अंजान रह जाऊंगी।

मैंने अपने मम्मे देखे। बड़े बड़े गोल गोल। जैसे गोल बैगन पेड़ पर लगे हो। मैंने अपना एक दूध लिया और ऊपर उठाया और जीभ निकालकर मैं अपना मम्मा चाटने लगी। पूरा तो मुँह में लेकर नही पी पायी, पर चाटा जरूर मैंने। फिर दूसरे दूध को भी मैंने ऊपर उठाया और चाटा। फिर दोंस्तों, मैंने अपना क्लीवेज देखा। बड़ा खूबसूरत क्लीवेज था मेरा। मेरे हाथों के नीचे मेरे बगलों में खूब बाल निकल आये थे। मैंने रेजर से अपनी बगले बनायीं। अब चूत की बारी थी। मैंने अपनी चूत देखी। बहुत सारी झांटों का काला बादल मेरी चूत पर था। ऐसे तो मेरी चूत बड़ी गन्दी लग रही थी, ठीक से बुर के दर्शन भी नही हो पा रहे थे। मैंने एक फोटो अपनी चूत की झांटों के बादल के साथ खीच ले जिससे याद बनी रहे। अब मैं अपनी झांटों का मुंडन करने जा रही थी। मैंने रेजर से अपनी झांटे बनाना सुरु कर दी। 

दोंस्तों धीरे धीरे मेरी चूत दिकने लगी। जैसे जैसे झांटों का बादल छटने लगा मेरी गोरी चूत दिखने लगी। और फिर खर खर करके मैंने सारे बाल छील दिए। आहा! अब कितनी सूंदर दिख रही थी मेरी चूत अब। दिल चाहा की इसी चूम लो, पर ये तो नामुमकिन था। भला मैं अपनी चूत कैसे चुम सकती थी। मैंने अपनी चूत की फोटो खींची और अपनी सहेलियों को भेज दी। सभी को खूब पसंद आयी। अब मुठ मारने की बारी थी। ये पहली बार मैं मुठ मारने जा रही थी, इसलिए मैंने सभलकर चल रही थी। पहली ही बार में अपनी बुर में टूथब्रुश जैसी शख्त चीज डालना मुझे कुछ सही नही लग रहा था। ऊपरवाले ने मुझे एक ही चूत दी है, कहीं कुछ उल्टा सीधा हो गया तो किसी से पेलवा भी नही पाऊँगी।

इसलिए मैंने पहले पहल अपनी बीच वाली ऊँगली डालने का फैसला किया। मैंने अपनीं चूत ऊँगली से खोली और एक और फोटो ले ली। फिर मैं अपनी बीच वाली ऊँगली बुर में डालकर मुठ मारने लगी। फिर धीरे धीरे मुझे अच्छा लगने लगा। अब मैं जल्दी जल्दी अपनी ऊँगली चलाने लगी। मुझे बराबर मजा मिल रहा था। बड़ी अजीब फीलिंग थी। बड़ी उत्तेजना हो रही थी। लग रहा था अभी मेरे भोंसड़े को फाड़कर बच्चा निकल आएगा। मेरी बुर भट्टी की तरह ढहकने लगी। मेरा पूरा शरीर गरम हो गया था। मैं जल्दी जल्दी अपनी सबसे लंबी बीच वाली ऊँगली से अपनी बुर चोद रही थी। मैं रुकी नही बल्कि शीशे के सामने मुठ मारती रही। सच में बड़ा मजा मिल रहा था।

मुझे सुकुन और दर्द और उत्तेजना एक साथ मिल रही थी। अब पल ऐसा भी आया जब अपनी बुर चोदते चोदते मेरा हाथ थक गया , दर्द होने लगा,पर मैं चाह कर भी अपना हाथ ना रोक पायी। जैसा ऑटोमैटिक मैं मशीन की तरह मेरा हाथ अपने आप चल रहा हो। दोंस्तों, 20 मिनट बाद मैं अब झड़ने वाली थी। मैं शीशे के सामने दोनों पैरों को बैठाकर मुठ मार रही थी। फिर बड़ी देर फुच्च फुच्च करके मैंने अपना पानी छोड़ दिया, जो पिचकारी की तरह शिशे पर चला गया। मैं दौड़कर शीशे पर जीभ दौड़ाकर अपना पानी पी लिया। तो दोंस्तों, ये मेरी चुदाई का पहला पाठ था, पहला अनुभव था। मैंने किसी लड़के का लण्ड तो नही खा पायी , पर खुद ही मैंने अपने को चोद लिया।

इस तरह कई महीने बीत गए। मैं सरकारी बस से स्कुल जाती थी। हरदम यही जुगाड़ में रहती थी की कोई लड़का पट जाए, पर बहनचोद सब अपना अपना बीसी रहते थे। 1 2 लड़के मिले भी, वो बोले की पहले पैसे दे, फिर चोदूंगा। मैंने कहा बहनचोद लड़की कभी पैसा देती है क्या?? फिर मुझे गुस्सा आ जाता। मैं हर लड़के को भगा देती। घर आती , अपने कमरे का दरवाजा बंद करती और कपड़े उतारकर मैं सबसे पहले मुठ मारती। चूत को शांत करती। फिर घर के कपड़े पहनती। दोंस्तों अब मैं 25 साल की हो गयी और ये 8 साल मैंने मुठ मारकर ही गुजारे। अब तो जैसे शराबी को शराब की लत लग जाती है वैसे मुझे भी लत लग गयी थी। अब तो कोई दिन नही जाता था जब मैं मुठ ना मारू।

Hot Japanese Girls Sex Videos
advertisement
ये हिंदी सेक्स कहानी आप HotSexStoriesPictures.Com पर पढ़ रहें हैं|

अब मैं इतनी एक्सपर्ट हो गयी थी की बैगन, मूली, गाजर, और टूथब्रुश से भी मुठ मार लेती थी। फिर मेरी तकदीर का ताला खुला। मेरे पापा के 2 खास दोस्त थे तिवारी जी और मिश्रा जी। उनको कुछ मेरे पापा से काम पड़ता था। पापा वकील थे, तिवारी और मिश्राजी की नौकरी में प्रमोशन होना था। ऊपर के अधिकारी उनके प्रमोशन नही कर रहे थे। इसी पर दोनों ने मुकदमा कर किया था। बस इसी वजह से दोनों मेरे घर रोज आने लगे। 4 5 घण्टे रोज बैठते। मैं उनदोनो के लिये चाय पकोड़ा लेकर जाती।
और अंजली बेटी कैसी हो?? वो मुझसे हाल चाल पूछते ।
ठीक है!  मैं कहती और मुस्काती।
धीरे धीरे मेरी उन दोनों से जान पहचान अच्छी हो गयी। एक दिन मैं अपना वही कसा वाला सलवार सूट।पहनकर गयी। जैसै ही मैं चाय पकोड़ो की ट्रे को लेकर झुकी और मेज पर रखने लगी, मेरे दोनों बड़े बड़े दूध दोनों को दिख गये। दोनों के लण्ड खड़े को गये। पापा अभी कचेहरी से नही आये थे। इसलिए तिवारी और मिश्रा जी घर पर उनका इंतजार कर रहे थे। पापा का फ़ोन आया था कि दोनों को बैठाना और चाय पिलाना, मैं अभी आता हूँ। मेरे मस्त मम्मो को देखते ही दोनों के मन में मुझे चोद लेंने की बड़ी तीव्र इक्षा हुई।

बेटीचोद तिवारी का हाथ उसकी पैंट पर चला गया चैन के उपर। उनका लण्ड फन फना गया। दोनों मुझे बस चोद लेना चाहते थे। दोनों मेरे मम्मो का सारा दूध पी लेना चाहते थे। अचानक से मेरी छातियां देखते ही उनकी आँखे चमक उठी।
आओ बेटी बैठो यहाँ! कोई नही है यहाँ! बड़ा सुना लग रहा है! बेटीचोद तिवारी बोला। मैं जान गया कि भोसड़ी का मुझे चोदना खाना चाहता है। मैं भी बैठ गयी। आओ चोदो मुझे मैं तो कबसे किसी मर्द का इंतजार कर रही थी।
बेटी अंजली!! तुम जवान हो गयी हो! क्या कोई बॉयफ्रेंड है तुम्हारा? मिश्रा ने बड़ी प्यार से पूछा।
जी नही अंकल जी! मैं हया से नजरे झुकाकर कहा। मैं खुद को अच्छी लड़की दिखाना चाहती थी।

बेटी कोई बॉयफ्रेंड बनाना हो तो बताना! तिवारी बोला।
मैंने कहा गुरु यही मौका है लण्ड का इन्तजाम करने का।
अंकल जी! मुझे तो नही बनाना, पर आपको कोई गर्लफ्रेंड चाहिए तो आप बताना। इतंजाम करवा दूंगी। दोनों ख़ुशी से उछल पड़े। दोनों शादी शुदा थे, पर उनकी बीबियाँ मायके गयी थी। करीब 1 महीने से दोनों को बुर के दर्शन नही हुए थे। दोनों मुस्करा दिए। मैं भी मुस्करा दी।
बेटी तो हमदोनो को एक एक गर्लफ्रेंड चाहिए!! दोनों एक साथ बोले।
पर लड़की तो एक है!! मैंने अपना दुपट्टा हटाते हुए कहा।
तो दोनों की गर्लफ्रेंड बन जाओ!! दोनों गाण्डू बोले
मुझे मंजूर है!! मैंने मुस्काकर कहा।

तिवारी ने अपना हाथ बढ़ाया और मैंने थाम लिया। तिवारी ने मुझे अपनी गोद में बैठा लिया। दोनों की किस्मत खुल गयी थी। कहाँ वो 40 45 साल के थे। और कहाँ मैं 25 साल की मस्त चुदासी लौण्डिया थी। तिवारी के हाथ मेरे मम्मो पर चले गए। वही मिश्रा भी अब शांति से नही बैठ पा रहा था। वो मेरे चूतड़ों पर हाथ लगाकर देखने लगा की बड़े है या छोटे। तिवारी ने मेरा नारा खोल दिया। मिश्रा ने खीचकर मेरी सलवार निकाल दी। फिर तिवारी ने मेरी पैंटी उतार दी।
आ चूस! तिवारी बोला।


उसने जल्दी ने पैंट खोली लण्ड बाहर निकाला। कबसे मैं लण्ड पाना चाहती थी, आज तमन्ना पूरी हुई। मैं तिवारी का लण्ड चूसने लगी। उधर मिश्रा जी मचल गये। फर्श पर बैठ पीछे से मेरी बुर से खेलने लगी। कभी ऊँगली करते, कभी बुर चाटते। मुझे मजा आने लगा। 20 मिनट मैंने तिवारी का लण्ड पिया। अब मिश्रा ने मुझे खीच लिया। उनका लण्ड भी मोटा तगड़ा था, मैं मजे से फेट फेंटकर चूसने लगी।

                 यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप www.HindiSexStoriesPictures.Com पर पढ़ रहे हैं!

20 मिनट उनका भी लण्ड पिया मैंने।
ला! बुर पिला! तिवारी बोले
मुझे सोफे पर खीच लिया। लेता दिया, मेरे पैर फैला दिए और मेरी बुर पिने लगा। वाओ! मजा आ गया दोंस्तों। और चूस हरामी!! जीभ गड़ाके मेरी बुर पी!! मैंने उत्तेजना में कह दिया। तिवारिया पगला गया। हब्सी कि तरह मेरी बुर खाने लगा। दोनों ने आधे आधे घण्टे मेरी बुर खायी और पी। तिवारी अब मुझे चोदने लगा। मैंने आँखे बंद कर ली शर्म से। अपने बाप की उमर के आदमियों से मैं चुदवा रही थी। सच में मैं छिनाल बन गयी थी। 15 मिनट बाद तिवारी झड़ गया। उसने मेरे मुँह पर माल गिरा दिया।

वो हटा और मिश्राजी मुझे चोदने खाने आ गए। उसने मुझे 20 मिनट लिया और मेरे काले गले बालों में माल गिरा दिया। मिश्रा जी हटे अब फिर तिवारी जी आ गए। उसने मुझे 45 मिनट लिया। कूट कूटकर मेरी बुर फाड़ दी। फिर मिश्रा से मुझे 1घण्टे बिना रुके चोदा। मेरी बुर में बुरादा भर दिया दोंस्तों। उस दिन मैं इतना चुदी.. इतना चुदी की सारी 8 9 साल की कसर पूरी हो गयी।
अब तू जा! वरना तेरे पापा आ जाएंगे! गाण्डू तिवारी बोला।
मैं खड़ी हुई पर बुर इतनी दुःख रही थी की मैं तिवारी पर लड़खड़कर गिर गयी। गाण्डू ने मुझे गोद में उठाया और सीढिया चढ़कर दुमंजिले पर पहुँचाया। कुछ देर बाद मेरे पापा आ गए। पर उनको कुछ नही पता चला।

दोंस्तों उस दिन के बाद से मैं दोनों बेटीचोदो से नियमित चुदवाने लगी और बुर फड़वाने लगी।

advertisement

advertisement
>
advertisement
advertisement
advertisement
>
advertisement
advertisement
advertisement