घोस्ट फंतासी सेक्स कहानी में एक विधवा को सेक्स की तलब बहुत सताती थी. उसकी सहेली उसको एक बाबा के पास ले गयी. बाबा ने उसे एक आत्मा से चुदाने का तरीका बताया.
नमस्कार पाठको! मेरा नाम अथर्व देवराज है और मैं कानपुर से हूँ.
मेरी उम्र 28 वर्ष है और मैं पेशे से बैंक क्लर्क हूँ.
मैं आपके सामने अपनी कथा की शृंखला की पहली कहानी लेकर प्रस्तुत हुआ हूँ.
आशा है कि आपको यह Ghost Fantasy Sex Kahani पसंद आएगी!
यह कहानी निम्न किरदारों पर आधारित है.
एक स्त्री अमृता, जो लोअर मिडल क्लास घराने की है.
वह 35 साल की औरत बेहद खूबसूरत और सेक्सी है.
उसका रंग गोरा और फिगर 34B-28-36 का है.
उसके पति की एक साल पहले एक एक्सीडेंट में मृत्यु हो गई थी.
अमृता का बेटा अभय एक स्टूडेंट है, जो पढ़ने में बहुत तेज है और एसएससी की कोचिंग कर रहा है.
लेकिन वह बहुत शर्मीला है और लड़कियों से बात नहीं कर पाता.
अमृता काफी समय से अकेली थी.
एक जवान विधवा के रूप में, पति के गुजर जाने के बाद वह किसी तरह अपनी जिंदगी काट रही थी.
जब उसे अपने पति की याद आती, तो वह रो लेती. कभी-कभी खुद को संतुष्ट करने के लिए हस्तमैथुन का सहारा लेती, लेकिन वह कभी पूर्ण रूप से संतुष्ट नहीं हो पाती थी.
उसे बीपी की समस्या भी हो गई थी, जिसके लिए वह दवाएं लेती थी.
धीरे-धीरे अमृता अपनी उत्तेजना का इलाज खोजने लगी थी.
विधवा होने के कारण उसे सामाजिक नियमों का कड़ाई से पालन करना पड़ता था.
उसे केवल सफेद रंग के वस्त्र पहनने की आज्ञा थी. उसका हर कपड़ा, साड़ी से लेकर पैंटी तक, सफेद ही होता था.
पति के देहांत का कष्ट और समाज के ताने सुनने के बाद, रात को अकेले में उसे अकेलापन बहुत कचोटता था.
अमृता की सहेली सुधा ने उसे एक इलाज बताया और वह था … हम सभी की चहेती वेबसाइट अंतर्वासना3 डॉट कॉम!
पहले कुछ दिन अमृता को झिझक महसूस हुई लेकिन यहां की रोचक कहानियों को पढ़कर उसे चस्का लग गया.
अब वह नियमित रूप से अंतर्वासना पर कहानियां पढ़ती थी.
यहां उसे हर तरह की कहानियां मिलतीं, जिनसे उसे कामुक कल्पनाओं के लिए एक नया दृष्टिकोण मिला.
उसने लेस्बियन, ग्रुप सेक्स, अनजान लोगों से सेक्स, रिश्तों में सेक्स, समलैंगिक संभोग जैसी हर तरह की कहानियां पढ़ीं.
लेकिन पता नहीं क्यों, उसके हृदय में पारिवारिक संबंधों को लेकर एक खास लगाव था.
अब उसे हर जगह सेक्स की संभावना दिखने लगी, जिनमें उसके आसपास के लोग भी शामिल थे.
लेकिन वह खुद को किसी को भी इस तरह नहीं सौंप सकती थी.
इसलिए कहानियां पढ़ते समय वह अपनी चुत में उंगली करके खुद को शांत करती.
अंतर्वासना पढ़ते-पढ़ते अमृता के स्वभाव में काफी बदलाव आ गया था.
वह अब आकर्षक अंडरगारमेंट्स पहनने लगी थी.
विधवा होने के बावजूद वह खुद को अच्छे ढंग से रखती थी.
यहां लेखकों के विचारों से उसे पता चला कि पुरुष महिलाओं को कैसे देखते हैं और उनके बारे में कैसे अश्लील विचार रखते हैं.
उसे यह भी समझ आ गया कि जब कोई स्त्री पुरुष को आकर्षित करने की कोशिश करती है, तो वह किस तरह से करती है.
दिन में वह सफेद साड़ी पहनती लेकिन रात को नाइटी और फिर बेडरूम में नाइटी उतारकर केवल ब्रा-पैंटी में सोती थी.
अमृता ने सुधा से कहकर कई डिज़ाइन और रंगों की ब्रा-पैंटी मँगवाई थी.
रात में रंगीन कपड़े पहन कर वह अपनी अंतर्वासना पूरी करती थी.
उसके घर पर उसके बेटे अभय के अलावा कोई नहीं था, इसलिए उसे नाइटी, ब्लाउज़, या पेटीकोट पहनने में कोई दिक्कत नहीं होती थी.
वह अभय के सामने बेधड़क ब्लाउज़ और पेटीकोट में आती-जाती थी और अभय भी अपनी माँ को ऐसे देखकर कुछ नहीं कहता था.
इसी तरह उसके दिन कट रहे थे.
दिन में वह एक संस्कारी विधवा का जीवन जीती, समाज में स्त्रियों के बीच रहती, मंदिर जाती और लोगों की मदद करती.
लेकिन रात को अंतर्वासना की कहानियां पढ़कर खुद को संतुष्ट करती.
अमृता की पड़ोसन सुधा भी उसकी तरह थी.
सुधा का पति मुंबई में नौकरी करता था और घर पर केवल उसकी बूढ़ी सास थी.
सुधा अक्सर अमृता के घर आती-जाती थी.
दोनों पक्की सखियां थीं और एक-दूसरे के साथ हर जगह साथ जाती थीं.
सुधा चंचल स्वभाव की थी, शायद इसलिए अमृता उसे पसंद करती थी.
सुधा भी अंतर्वासना की पाठिका थी और उसी ने अमृता को इसके बारे में बताया था.
एक शाम अमृता छत पर बैठकर सिलाई का काम कर रही थी. तभी सुधा आ गई.
सुधा को देखते ही अमृता ने पूछा- क्यों, कैसी रहीं तेरी रातें? तेरा पति तो आज चला गया है ना!
सुधा उदास होकर बोली- मेरी रातें सूखी ही रहीं इस बार! वे आए तो थे, लेकिन शराब इतनी पी रखी थी कि टुन्न पड़े थे!
अमृता ने हँसते हुए कहा- फिर तो तेरी सारी उम्मीदें बेकार हो गईं!
सुधा ने मुस्कुराकर जवाब दिया- नहीं, अभी तो एक और मौका हाथ लगा है!
अमृता ने उत्सुकता से पूछा- वह क्या?
सुधा ने मुस्कुराते हुए कहा- अरे, मेरे मायके में मेरी भतीजी की शादी है! मैं वहां जा रही हूँ!
अमृता ने हैरानी से पूछा- तो उसमें इतना खुश होने वाली बात क्या है?
सुधा ने चहकते हुए जवाब दिया- अरे, गांव में मेरे मजे हैं! मेरे पुराने चाहने वाले हैं वहां! एक-दो के साथ चुद लूँगी, सारी गर्मी निकल जाएगी!
अमृता ने हँसते हुए कहा- चल, अच्छा है! इसी बहाने तुझे भी मजे करने को मिल जाएंगे! मैं तो अंतर्वासना डॉट कॉम से ही काम चला लूँगी!
सुधा ने जोश में कहा- तू भी चल ना मेरे साथ! फिर हम दोनों बहनें मजे करेंगी!
अमृता ने झिझकते हुए कहा- अरे नहीं, वहां मुझे कोई जानता भी नहीं है! भला मैं वहां कैसे रहूँगी?
सुधा ने उत्साह से जवाब दिया- उसी में तो मजा है, रानी! तुझे टेंशन लेने की कोई जरूरत नहीं! मैं सारे इंतजाम कर दूँगी!
अमृता को यह बात सही लगी.
आखिर, वहां उसे कौन जानता था? मजे करने में कोई दिक्कत नहीं होगी.
अमृता भी सुधा के मायके जाने को तैयार हो गई.
सुधा का मायका चित्रकूट के एक छोटे से गांव में था.
दो दिन बाद की ट्रेन थी.
दोनों ट्रेन से निकल पड़ीं.
स्टेशन पहुंचकर उन्होंने बस ली और बस ने उन्हें गांव के बाहर उतार दिया.
मायके में दोनों का अच्छा स्वागत हुआ.
उनके रुकने का इंतजाम किया गया.
फिर सुधा अमृता को गांव घुमाने ले गई. गांव के बाहर मंदिर पहुंचकर सुधा ने पुजारी से बात की.
सुधा ने कहा- पुजारी जी, ये मेरी सखी अमृता है! इसका भविष्य बताइए! क्या इसके भाग्य में कोई सुख का साधन है?
पुजारी ने अमृता का हाथ देखा और बोले- तुम्हारा पति पिछले साल एक दुर्घटना में गुजर गया है और तुम्हें एक बेटा भी है. स्वभाव से तुम कामुक और मजाकिया हो!
अमृता जरा दुखी होकर बोली- जी गुरुजी, क्या मेरे जीवन में कष्टों का अंत होगा? या विधवा बनकर दर-दर की ठोकरें खाती रहूँगी?
पुजारी ने गौर से हाथ देखा और कहा- तुम्हारे सामने दो रास्ते हैं! एक, विधवा बनकर जीवन गुजारना और दूसरा, सारे सुख और वैभव पाना! कौन-सा रास्ता जानना चाहती हो?
अमृता ने उत्साह से कहा- दूसरा रास्ता बताइए, गुरुजी!
पुजारी बोले- आने वाली पूर्णिमा पर तुम्हें रात दो बजे एक बरगद के तले जाकर एक दीपक जलाना होगा! एक आत्मा तुम्हारे पास आएगी और तुम्हारी इच्छा पूछेगी! फिर वह तुमसे भेंट माँगेगी, तुम्हारा भोग करेगी और तुम्हारी मर्जी पूरी कर देगी! लेकिन याद रखना, तुम्हें उस आत्मा को प्रसन्न करना है!
अमृता ने डरते हुए पूछा- लेकिन अगर उस आत्मा ने मुझे नुकसान पहुंचाया तो?
पुजारी ने एक ताबीज निकालकर अमृता को दिया और बोले- ये ताबीज पहनकर जाना! इससे कोई बुरी शक्ति तुम्हें नुकसान नहीं पहुंचा सकेगी!
अमृता ने सकुचाते हुए पूछा- उसके बाद सब ठीक हो जाएगा, गुरुजी?
पुजारी ने विश्वास दिलाते हुए कहा- सब तुम्हारी उम्मीद से ज्यादा अच्छा होगा! लेकिन याद रखना, तुम्हारे संबंध कई पुरुषों से होंगे! ऐसा तुम्हारा भाग्य है!
अमृता ने पुजारी को प्रणाम किया और सुधा के साथ वापस घर आ गई.
अगले हफ्ते होली थी इसलिए सुधा ने होली की तैयारी कर दी.
होली की शाम को ही अमृता एक दीपक लेकर सुधा के खेतों में चली गई.
चूँकि गांव में उसे कोई जानता नहीं था, किसी का ध्यान उस पर नहीं गया.
अमृता खेतों में बनी ट्यूबवेल की कोठरी में जाकर बैठ गई.
पास ही जंगल था.
रात के दो बजे अमृता पूजा का सामान लेकर जंगल में चली गई.
हल्की चाँदनी रात में उसे भय लग रहा था.
लेकिन ताबीज के कारण उसकी हिम्मत बनी हुई थी.
अमृता ने बरगद के तले दीपक जलाया और उसकी परिक्रमा करने लगी.
सात परिक्रमा पूरी होते ही हवा चली और बरगद हिलने लगा.
अमृता को समझ आ गया कि आत्मा आने वाली है.
वह हाथ जोड़कर खड़ी हो गई.
अचानक उसके कानों में एक आवाज गूँजी- क्या चाहिए तुझे, स्त्री?
अमृता पहले तो डर गई … लेकिन हिम्मत बाँधकर बोली- आपको प्रणाम करती हूँ, बाबा! बस आपके लिए कुछ भेंट लाई थी! इसे स्वीकार कीजिए और मेरी मुराद पूरी कीजिए!
आत्मा ने गंभीर स्वर में कहा- ठीक है, स्त्री! हम तेरी मुराद पूरी करेंगे! बस तू हमें खुश कर दे! बता, तेरी मुराद क्या है?
अमृता ने दृढ़ता से कहा- बाबा, मैं विधवा बनकर समाज का तिरस्कार नहीं सह सकती! मुझे इस जंजाल से मुक्त कीजिए, बाबा!
आत्मा ने कहा- ठीक है, स्त्री! लेकिन याद रखना, फिर तुझे और भी पुरुषों को खुश करना होगा, क्योंकि यही तेरा भाग्य है!
अमृता ने हिम्मत बाँधकर जवाब दिया- ठीक है, बाबाजी! मैं तैयार हूँ!
आत्मा बोली- ठीक है, स्त्री! हम सूर्योदय तक तेरा भोग करेंगे और फिर तेरी हर इच्छा पूरी हो जाएगी!
अमृता ने धीरे से ‘जी’ कहा.
अचानक उसका शरीर हवा में अपने आप उठ गया और वह बरगद की डाल पर जा बैठी.
बरगद की डालियां आपस में इस तरह गुंथ गईं कि अमृता के लेटने की जगह आराम से बन गई.
अमृता ने देखा कि पांच सफेद वस्त्र पहने आत्माएं उसके आसपास उड़ रही थीं.
वे अमृता के पास आईं, उसे हवा में उठाया और उसकी साड़ी उतार दी.
फिर पेटीकोट और ब्लाउज़ भी उतर गए.
अमृता की ब्रा-पैंटी भी सफेद थीं.
अचानक उसके हुक अपने आप खुल गए और पैंटी भी उसके बदन से अलग हो गई.
अब अमृता के शरीर पर सिर्फ़ ताबीज़ बचा था.
आत्मा ने कहा- ये ताबीज़ उतार दो, स्त्री!
अमृता ने विनम्रता से जवाब दिया- क्षमा कीजिए, बाबा! मैं इसे नहीं उतार सकती!
आत्माओं ने आपस में बात की और बोलीं- ठीक है, स्त्री! तेरी यही इच्छा है, तो यही सही!
पांचों आत्माएं अमृता के आसपास इकट्ठा हो गईं और उसे इधर-उधर चूमने लगीं.
उनका बदन बर्फ की तरह ठंडा था.
अमृता को इतना आनन्द पहले कभी नहीं मिला था.
हर आत्मा अमृता के मखमली बदन को सहलाती और धीरे-धीरे उस पर चपत लगाती.
पति की मृत्यु के बाद पहली बार अमृता को किसी का स्पर्श मिल रहा था.
उसकी योनि से झरना-सा बहने लगा.
एक आत्मा उसकी योनि को चाटने लगी, दो आत्माएं उसके स्तनों को चूसने लगीं और बाकी दो उसकी बगलों को चाट रही थीं.
अमृता हवा में लटकी अपने बदन का भोग करवा रही थी.
उन आत्माओं ने अमृता को अच्छे से चूसा. तभी एक आत्मा ने उसकी योनि को रगड़ना शुरू कर दिया.
अमृता के मुँह से आहें निकलने लगीं.
वह चीखी- आह! उफ! मर गई! ये बहुत ठंडा है! डाल दीजिए, बाबा! अब सब्र नहीं होता!
अमृता की आंखें बंद हो गईं.
उसकी योनि पर एक ठंडा दंड-सा महसूस हुआ, जो धीरे-धीरे उसमें प्रवेश कर गया.
अमृता चीख पड़ी.
वह ठंडा लिंग उसकी भीगी योनि में रगड़ खा रहा था.
यह अनोखा आनन्द अमृता को तृप्ति दे रहा था.
आत्माओं के प्रभाव से उसके स्तनों में दूध उतर आया. दो आत्माएं उसके दोनों स्तनों को चूसकर स्तनपान करने लगीं.
दो आत्माओं ने अमृता का हाथ पकड़कर अपने लिंग पर रख दिया.
ठंडा लिंग उसकी योनि से होकर उसकी बच्चेदानी तक जा रहा था.
यह ठंडक अमृता को इतना सुखद अहसास दे रही थी कि वह सारी शर्म भूल गई.
उसने अपनी टांगें चौड़ी कर दीं और अपने हाथों से दो आत्माओं के लिंग सहलाने लगी.
एक लिंग को उसने मुँह में भर लिया.
इस वक्त अमृता एक साथ चार आत्माओं को संतुष्ट कर रही थी.
उन आत्माओं को अमृता का यह कामुक अंदाज़ बहुत पसंद आया.
उन्होंने जी भरकर उसका भोग किया. जैसे ही अमृता स्खलित होती, एक आत्मा हट जाती और दूसरी उसकी जगह ले लेती.
इस तरह वे सभी अमृता को भोगते रहे.
अमृता करीब दस बार स्खलित हुई थी.
उसके शरीर में अब कामेच्छा बिलकुल नहीं बची थी लेकिन वह आत्माओं को संतुष्ट करने के लिए संभोग में लीन रही.
आत्माओं ने भी पूरे मनोयोग से अमृता के बदन का भोग किया.
सुबह पांच बजे, जैसे ही सूर्य की पहली किरण निकली, सभी आत्माएं जाने लगीं.
जाते-जाते उन्होंने कहा- तेरी इच्छा ज़रूर पूरी होगी, स्त्री! तुझे इतना भोग करने को मिलेगा, जितना तूने सोचा भी नहीं होगा! लेकिन इस वासना में हर कोई तुझ पर आकर्षित होगा, तेरे अपने भी!
यह कहकर सभी आत्माएं अदृश्य हो गईं.
अमृता पेड़ से नीचे उतरी और जैसे-तैसे अपने कपड़े पहन लिए.
रात भर आत्माओं ने उसे भोगा था.
कितनी बार वह स्खलित हुई, उसे खुद नहीं पता था.
जीवन में इतना संभोग उसे पहले कभी नहीं मिला था.
वह ठीक से चल भी नहीं पा रही थी.
किसी तरह वह घर पहुंची, कमरा बंद किया और सो गई.
सुबह दस बजे जब वह उठी, तो उसका बदन हर पीड़ा से मुक्त हो चुका था.
उसे अपना शरीर बहुत प्रफुल्लित महसूस हो रहा था.
उसके चेहरे पर एक अलग ही आकर्षण था.
सुधा ने अमृता को देखा तो समझ गई कि उसने वह क्रिया पूरी कर ली है.
अब अमृता के दिन बदलने वाले थे.
तो पाठको, ये था घोस्ट फंतासी सेक्स कहानी का पहला भाग.
इसके आगे की कहानी ‘घर वापसी’ लेकर जल्दी ही आपके सामने प्रस्तुत होऊंगा.
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