पोर्न Xxx गर्ल फक कहानी में मेरे पापा की मौत के बाद मेरी मम्मी कॉल गर्ल बन चुकी थी. उनकी एक बेटी पैदा हुई जो जवान होकर मम्मी की तरह चुदाई की शौकीन बनी.
दोस्तो, इसके पहले मैंने आपको अपने घर की एक सच्ची सेक्स कहानी
विधवा मां की वासना से घर सेक्स हाउस बन गया
सुनाई थी, जिसमें मेरी मां ने पिता जी के देहांत के बाद पापा की हार्डवेयर पार्ट्स-पुर्जों और मशीनों की दुकान को चलाया और मेरे लालन पालन के चलते वे खुद भी मर्दों के नीचे लेट कर चलने लगी थीं.
यह सब पापा के गुजर जाने के बाद, उनके एक परिचित कांट्रैक्टर की मेहरबानी से सब चलने लगा था.
वह कांट्रैक्टर मेरी मां के साथ अपनी चुदाई भरी मोहब्बत का नशा लुटाता रहा था.
मां उसकी मदद के बोझ तले दबी थीं और वह अपने इस अहसान का पूरा फायदा उठाता था.
मां को रात-दिन बिस्तर पर लिटाकर उनकी जवानी को बम्पर तरीके से भोगता था.
देखते-देखते ये सिलसिला बढ़ा और बाकी लोग भी मां के जिस्म के दीवाने हो गए.
मां धीरे-धीरे एक रंडी बनती चली गईं.
इस रंडीपन से कमाई भी खूब हुई.
मां ने एक बेटी को जन्म भी दिया जो मेरी बहन हुई.
मैं और मेरी बहन, मां का छिनालपना देखते हुए जवान हुए.
मां की जवानी की बिक्री से जो पैसा आया, उस पैसे से मैंने एक नई दुकान खोली.
नई दुकान का उद्घाटन हुआ और उसी रात मैंने अपनी बहन मीनू की बुर का भी उद्घाटन कर दिया.
मीनू अब 20 साल की जवान लड़की बन चुकी थी.
उद्घाटन के बाद उसकी चुदाई के बिना मैं सो नहीं पाता था.
उसका गर्म जिस्म मुझे हर रात बुलाता था.
वह भी मेरे लंड की दीवानी हो गई थी.
दुकान में काम करने वाला सोनू भी मां को बिस्तर पर नचाता था.
आज की Porn Xxx Girl Fuck Kahani इसके बाद की है.
एक साल तक हर रात की चोदा-चोदी के बाद मेरी बहन मीनू गर्भवती हो गई.
मैंने ये बात मां से छुपाई पर अपने दोस्त राहुल को बता दिया.
मैंने राहुल को मीनू से मिलवाया.
मीनू ने उससे बात की और राहुल ने अपनी मौसी, जो लेडी डॉक्टर थीं, से सारा मामला सुलझवा दिया.
मामला सुलझने के बाद तीन-चार महीने बीत गए.
अब मेरे दोस्त राहुल ने अपनी मदद की कीमत मांगी.
वह बोला- मुझे तेरी बहन को चोदने का मन है, मुझे उसे चोदने दे!
मैंने कहा- यार, मीनू नहीं मानेगी.
दोस्त बोला- डॉक्टर के पास जाने से पहले उसने मुझसे वादा किया था. वह मुझे मना नहीं करेगी.
मैंने मीनू से पूछा, तो वह इंकार न कर सकी.
उसने राहुल के साथ चुदाई के लिए हामी भर दी.
मैंने उसे घूर कर देखा तो उसके होंठों पर हल्की सी मुस्कान थी.
मैं समझ गया कि इसे भी मां के जैसे किस्म किस्म के लंड से चुदना पसंद है.
खैर … बहन की चुदाई का दिन तय हो गया.
उस दिन मां अपने नियमित मेडिकल चेक-अप के लिए गई थीं और फिर किसी और के पास अपनी बुर की प्यास बुझाने निकल गई थीं.
हमने उसी दिन को चुना.
मेरा दोस्त राहुल सुबह 10 बजे तक घर आ गया.
मीनू तो मानो उसका इंतज़ार ही कर रही थी.
उसने खुद दरवाजा खोला.
दोस्त ने हाथ बढ़ाकर हाय कहा और मीनू सीधे उससे लिपट गई.
राहुल के होंठों को चूमते हुए मीनू की आंखों में वासना चमक रही थी.
वह अन्दर आते ही राहुल के लंड को उसकी जींस के ऊपर से ही सहलाने लगी और उसे लगभग खींचती हुई कमरे में ले गई.
मैं अंडरवियर में मीनू के बगल में बैठ गया.
दूसरी तरफ मेरा दोस्त था.
मीनू हम दोनों के बीच में थी.
उसके दोनों हाथों में दो तने हुए लंड थे जबकि उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां दो जवान लड़कों के हाथों में मसली जा रही थीं.
मेरा दोस्त मेरी बहन को चूम रहा था.
जब उसने चूमना रोका तो मैंने उसके रसीले होंठों का स्वाद लिया.
मीनू की एक चूची को मेरा दोस्त दबाता रहा और दूसरी को मैं मसलता रहा.
तभी मीनू मुझसे बोली- दीपू भैया, मैं ड्रेस खोलूँगी … प्लीज अब छोड़ दो ना!
हम दोनों अलग हुए और अपने-अपने कपड़े उतारकर नंगे हो गए.
कमरे में तीन नंगे जिस्म एक-दूसरे से टकराने को बेताब थे.
मेरा दोस्त राहुल मीनू की बुर चाटने लगा. उसकी जीभ मीनू को पागल कर रही थी.
मैं अपनी बहन की चूचियों को दबाने लगा.
मैंने दोस्त से पूछा- तूने अपनी बहन को कभी चोदा?
उसने कहा- नहीं.
मीनू ने पूछा- क्यों नहीं?
दोस्त बोला- वह मुझे लाइन देती है, सेक्सी हरकतें करती है, पर मैं ही आगे नहीं बढ़ता!
मीनू ने फिर पूछा- क्यों?
राहुल बोला- मैं अपनी मौसी मां को चोदता हूँ. डॉक्टरनी मौसी हर संडे मेरा लंड लेती है.
यह सब बताते हुए और मेरी बहन मीनू की बुर मसलते-मसलते राहुल का लंड अंगड़ाई लेने लगा.
मीनू भी संकेत दे रही थी कि अब वह चुदासी हो चुकी है और उसे लंड अन्दर चाहिए.
मैंने कहा- दोस्त, बुर चोदेगा या गांड?
वह बोला- बुर!
मैंने कहा- तो लेट जा, मीनू तेरे लंड पर बैठकर उसे अन्दर ले लेगी और मैं इसकी गांड मारूँगा.
दोस्त बोला- दोनों एक साथ?
मैंने कहा- मीनू गांड में भी लेती है, तुम चाहो तो उससे पूछ लो!
मीनू बोली- भैया, तुम तो रोज रात मुझे चोदते हो. आज इसके लंड का मज़ा लेने दो, प्लीज़ मान जाओ न!
उसने मेरा लंड प्यार से पकड़ा और लौड़े को चूम कर उससे बोली- मेरे लंड राजा, तेरी रानी गेस्ट का स्वागत करेगी, तू फुफकार मत मार ना, जरा ठंडा रह!
मैं उसकी इस भोली हरकत से हँस पड़ा.
मेरा उसे चोदने का मूड ठंडा हो गया और मेरा लंड भी ढीला पड़ गया.
मैंने राहुल से कहा- दोस्त, मेरी बहन बड़ी फ्रैंक और चुदासी लड़की है. किसी और से नहीं चुदी, बस मेरा लंड ही उसकी बुर में गया है. और हां, मां के आने से घबराना मत. मां उससे भी तेज चुदवाती है. अब तू मेरा पक्का दोस्त है, तुझसे क्या छुपाना? मेरी मां पूरी रंडी है. न जाने उसने कितने लंड लिए, उसकी कोई गिनती ही नहीं है. मेरा लंड भी मां ने दस बार से ज़्यादा बार लिया है. अगर वह आ गई, तो मां को भी चोदना पड़ेगा, तभी वह मानेगी!
दोस्त बोला- कोई चिंता नहीं. आज अपना लंड पूरा खाली करूँगा. तेरी बहन को फुल टॉस चोदूँगा. यदि लंड में जान बचेगी, तो तेरी मां को चोदकर खेल खत्म करूँगा!
मीनू बोली- भैया, बेकार में चिंता क्यों करते हो? तेरा दोस्त है न, अच्छा ही करेगा.
मैंने बस इतना कहा- यार, मीनू तक ही बात रख, मां को छोड़ … अब चुदाई शुरू कर!
मीनू ने फटाफट अपनी पैंटी को हटाया और नंगी हो गई.
उसका गोरा जिस्म चाँदनी की तरह चमक रहा था.
मेरा दोस्त भी अपनी शर्म छोड़कर ढीला लंड हिलाने लगा और मीनू ने उसकी मदद की.
मेरी बहन के हाथ दोस्त के लंड को सहलाते हुए थपथपा रहे थे.
मैं वहीं बैठा रहा, आंखों से सब देखता हुआ.
फिर मीनू खड़ी हुई, अपनी 34 इंच की मटकती गांड को लचकाती हुई दोस्त के तने हुए लंड पर जा बैठी.
उसकी नर्म चूत लंड को मलाई जैसे निगलने को रेडी हो गई.
मेरे दोस्त ने बहन की रसीली चूचियों को दोनों हाथों से मसलना शुरू कर दिया और वह बहन के दूध सहलाते हुए अपनी हवस भरी साँसें छोड़ने लगा.
मीनू बीच-बीच में राहुल के होंठों को चूमती, उसका मुँह अपने मादक चुम्बनों से गीला कर देती.
मेरा दोस्त कमर को हिलाते हुए बोला- मीनू, जल्दी से चुद ले आह … मेरी आग बुझा दे.
मीनू उठी और अपनी न/शीली आवाज में बोली- कौन सा स्टाइल पसंद है? डॉगी या स्ट्रेट?
दोस्त बोला- स्ट्रेट!
मीनू ने अपने मखमली पैर फैलाए और बिस्तर पर ऐसी लेट गई, मानो अपनी चूत का दरवाजा मेहमान के लिए खोल दिया हो.
मैं उठा और अपनी बहन के घुटनों को पकड़कर चौड़ा कर दिया.
मैंने खुद अपने हाथ से अपनी बहन की गीली बुर को अपने दोस्त के लौड़े के लिए तैयार किया.
दोस्त ने लंड को बुर पर टिकाया.
मैंने अपनी उंगलियां लगाकर उसकी चूत की फाँकों को और फैलाया.
वह नजारा देख कर मेरे लंड में भी आग लग गई.
तभी दोस्त ने लंड चुत के मुँह में फंसाया और एक धक्का दे मारा.
मीनू की बुर में लंड समा गया.
लंड ज्यादा बड़ा नहीं था, बस 5 इंच का था.
न ही ज्यादा मोटा था और न ही मेरे लवड़े सा कड़क था.
बस राहुल का लंड मीनू की चूत में झूलता सा लग रहा था.
पोर्न गर्ल फक करवाती हुई बड़े आराम से चित पड़ी रही, न आह, न उफ, वह बस चुदाई का मज़ा लेती रही.
दस मिनट में ही दोस्त का वीर्य निकल गया.
पर मीनू की वासना अभी भरी हुई थी.
दोस्त निढाल होकर उसी के ऊपर ढेर हो गया.
तभी मां आ गई.
मैंने दरवाजा खोला.
मीनू के ऊपर दोस्त पड़ा था, उसकी साँसें अभी भी गर्म थीं.
मां ने राहुल को देखा और बोली- ये कौन है?
मैंने कहा- मेरा दोस्त.
मां बोली- मगर तू तो खुद ही अपनी बहन को चोदता था, मैं चुप रही, क्योंकि तुम दोनों सगे भाई-बहन नहीं. ये रंडी किसके लंड से पैदा हुई, कौन जानता है! पर तू तो इसी को रंडी बना रहा है!
मैं चुप रहा.
फिर मां ने दोस्त को तरेरा- कुत्ता, उठ उसके ऊपर से और इधर सामने आ!
दोस्त डरते-डरते खड़ा हुआ.
मां ने उसका लंड छूकर देखा और होंठ चटकाते हुए बोली- हुँह, लंड तो सही है. चल मेरे साथ.
वह राहुल का हाथ पकड़ कर उसे अपने बिस्तर पर ले गई.
मां की आंखों में चुदाई की भूख साफ दिख रही थी.
तभी मीनू ने मुझे बुलाया और तिरस्कृत भाव से गाली देती हुई बोली- हुँह मां का लौड़ा … मां को चोदने वाला साला अपनी मौसी को चोदता है और यहां जरा सा भी नहीं टिका. अब मेरी आग कौन शांत करेगा?
मैंने अपना लंड उसके हाथ में थमा दिया- ये तो है तेरा रुस्तम-ए-लंड … ले घुसवा ले अपनी भोसड़ी में!
मीनू ने मेरे लौड़े को अपने मुँह में लेकर चूसा, अपने हाथ से मुठियाती हुई मेरे लंड को जगा दिया.
उसके होंठों की गर्मी ने मुझे पागल कर दिया.
मैंने उसकी गीली बुर में लंड पेल दिया, जहां से दोस्त का वीर्य अभी भी टपक रहा था.
घचाघच लंड अन्दर-बाहर होने लगा.
मैं बोला- मीनू, मेरा लंड पूरा अन्दर है न!
बहन ने हाथ से छूकर देखा और बोली- इतनी जल्दी पूरा बुर में अन्दर तक पेल दिया? गजब प्रेक्टिस कर ली है भाई तुमने!
मैं बोला- मेरे पास चूहा नहीं है, लंड है लंड. चूहा तो मां की बुर में घुस रहा है.
यह सुनकर मीनू हँस पड़ी.
मैंने पूछा- मीनू, कोई तकलीफ?
वह बोली- नहीं, कुछ भी नहीं. तू मेरा भैया है, मुझे तकलीफ देगा क्या?
मैं धक्के देते हुए बोला- भैया सबके सामने … चोदने में सैंया यानि हस्बैंड. तू मेरी दीदी नहीं, बीवी यानि वाइफ!
मीनू हँसती हुई बोली- ठीक है मेरे स्वामी, मेरे पतिदेव. पर सिन्दूर तो नहीं डाला, तो आधे पतिदेव!
मैं बोला- बोल, सिन्दूर लगा दूँ?
बहन बोली- लगा दो!
मैंने चुदाई बीच में छोड़ी, लंड बाहर खींचा और सिन्दूर ले आया, मीनू को बोला- ले, सर आगे कर … तेरी मांग भर देता हूँ.
मैंने अपनी बहन की मांग सिंदूर से भर दी.
मीनू मेरे पैरों पर झुक गई और बोली- भैया, ये क्या कर दिया? सिन्दूर की इज्जत है. अब आप मेरे पति हैं, मेरा सब कुछ आपका!
मैं बोला- और मेरे दोस्त का?
मीनू बोली- बस आपकी मर्जी, आपका हुक्म!
मैं बोला- मेरा हुक्म मानेगी … तो रंडी बन, कमाई कर!
मीनू ने सिर झुकाकर कहा- आपका हुक्म.
मैं बोला- अगर तेरी शादी हो गई तो?
मीनू बोली- शादी के बाद भी आपका हुक्म चलेगा.
मैंने उसे गले से लगा लिया.
उस रात चोदा-चोदी नहीं, बस प्यार हुआ.
उसके होंठों पर चुम्बन, गालों पर चुम्बन, बस चुम्बन की बरसात.
फिर हम दोनों बहन भाई लिपटकर सो गए.
सुबह जागा तो मेरा दोस्त गायब था.
मैंने मम्मी से पूछा- मां, मेरा दोस्त?
मां बोली- सुबह चला गया. साले ने बड़े मज़े से चोदा, मज़ा आ गया. उसका लंड छोटा है, पर वीर्य स्वादिष्ट और गाढ़ा. मैंने तो फुल इंजॉय किया. तीन बार चुदवाया, फिर सो गई. सुबह उसे जगाकर घर भेज दिया.
मैं हंस दिया और मैंने अपनी बहन की चुदाई की कहानी मां को बताई.
अब बाकायदा घर में चकला चलने लगा है.
हफ्ते में एक दो बार थानेदार मेरी बहन के ऊपर चढ़ता है … तो कभी मां से लंड चुसवाता है.
खूब आमदनी हो रही है.
मेरी सेक्स कहानी आपको कैसी लगी?
इस सच्ची पोर्न Xxx गर्ल फक कहानी पर अपने कमेंट्स जरूर करें ताकि मैं अपनी मां बहन के कुछ और किस्से आपको बताऊं.