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क्रिसमस की रात में चोदा मुझे कार में
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कार वाइल्ड सेक्स का मजा मुझे दिया मेरे पुराने रंडीबाज़ यार ने जो मुझे कस कर पेल चुका था. रात के अंधेरे में उसने मुझे कार में बिठाया और सुनसान जगह पर ले गया.

मित्रो, मैं नीलिमा अपनी अगली कहानी लेकर आ चुकी हूँ.

आप लोगों ने मेरी पहली कहानी
मुहल्ले के रंडीबाज़ के बड़े लौड़े से चुदवाया
को बहुत प्यार दिया उसका तहेदिल से धन्यवाद करती हूँ.

और ये उसी कहानी की आगे की कहानी है जिसमें मुझे Car Wild Sex का मजा मिला.

तो यह बात पिछले 24 दिसंबर की थी.
यह वही दिन था जब मैं और मेरे घर वाले रात में चर्च जाने वाले थे.

और उस रात कुछ ऐसा होने वाला था जिसके बारे में मैं सोची भी नहीं थी.
मैं और मेरे घर वाले रात के 9 बजे चर्च के लिए निकले थे.

और तभी से मुझे प्रभाकर कॉल पे कॉल किए जा रहा था.
पर मैं तब मेरे घरवालों के साथ थी इसलिए कॉल नहीं उठा रही थी.

पर जब हम चर्च पहुँचे तब मैंने प्रभाकर की कॉल उठाई.

प्रभाकर बोला- कॉल क्यों नहीं उठा रही थी?
और प्रभाकर से बोली- वो मैं मेरे घरवालों के साथ थी.

तो प्रभाकर बोला- अभी तो घरवालों के साथ नहीं हो न?
तो मैं बोली- नहीं लेकिन थोड़ी देर बाद चर्च के अंदर जाना है.

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ये हिंदी सेक्स कहानी आप HotSexStoriesPictures.Com पर पढ़ रहें हैं|

पर मुझे क्या पता थी कि प्रभाकर मेरे पीछे–पीछे चर्च तक आ चुका था.

तो प्रभाकर मज़ाक में बोला- अंदर जा के क्या करोगी? मैं तो बाहर तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूँ.
और ये सुन कर मैं हैरान हो गई थी.

मैंने प्रभाकर से पूछा- तुम क्या करने आए हो?
तो प्रभाकर बोला- नाईट आउट पे निकला हूँ आओगी क्या?

तो मैं प्रभाकर से बोली- अभी नहीं आ सकती, टाइम लगेगा.
तो प्रभाकर बोला- ठीक है. पर जल्दी आना.

और मैंने भी प्रभाकर को ‘ठीक है’ बोल कर कॉल कट कर दी.
और फिर मैं चर्च के अंदर चली गई.

पर प्राथना शुरू होने के कुछ मिनट पश्चात प्रभाकर का मैसेज पे मैसेज आने लगा.
लेकिन मैं मेरे घरवालों के साथ बैठी हुई थी.

और ऐसे में मैं प्रभाकर के मैसेज का कोई भी जवाब नहीं दे सकती थी.

पर कुछ देर बाद जब पादरी का उपदेश शुरू हुआ तब मैं बहाने से चर्च से बाहर निकली.
और प्रभाकर को कॉल लगाई.

तो प्रभाकर बोला- बाहर निकल गई क्या?
तो मैं उससे बोली- हाँ … किधर हो?
तो प्रभाकर बोला- मुख्य सड़क के तरफ आओ.

और मैं मुख्य सड़क के तरफ जाने लगी.
तब मुझे पता नहीं था कि प्रभाकर कार लेकर आया है.

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मैं जैसे ही मुख्य सड़क के तरफ गई, वैसे ही प्रभाकर ने कार मेरे पास रोकी.
और मैं थोड़ी हैरान हुई क्यूँकि उसके पास बाइक के अलावा दूसरा कोई वाहन नहीं था.

फिर प्रभाकर मुझे बोला- आओ कहीं घूमने चलते हैं.
तो मैं उसे बोली- ठीक है … पर जल्दी वापस आ जाएँगे.

ये बोल कर मैं जल्दी से कार में बैठ गई.
और फिर प्रभाकर मुझे एक सुनसान जगह पर लेकर गया.

और कार के अंदर का लाइट ऑन की.

मैं प्रभाकर से शरमाते हुए बोली- अब क्या?
तो प्रभाकर बोला- तुम पहले जैकेट तो उतारो.

मैं मेरी जैकेट उतारने लगी.
और मैं तब जैकेट के अंदर हाई नैक स्वेटर पहनी हुई थी.

तो प्रभाकर मेरी स्वेटर के ऊपर से ही मेरी चूची को दबाने लगा.
ईईस्स्स … उम्मम … उफ्फ … मज़ा ही आ रहा था.

और प्रभाकर बोल भी रहा था- क्या मस्त चूचे है रे तेरी नीलिमा! ईईस्स्स…

तो मैं प्रभाकर से बोली- यहाँ कोई आएगा तो नहीं न?
प्रभाकर बोला- कोई नहीं आएगा.
और ये बोल कर प्रभाकर ने अपने ट्रॉउज़र को घुटनों तक सरका दिया.

और तब मैंने प्रभाकर के खड़े लंड को देखा.
ईईस्स्स्स… ऐसा लग रहा था जैसे प्रभाकर अपने लंड का मालिश करके आया था.

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और ये देख तो मैं खुद को रोक नहीं पाई और प्रभाकर के गरम लंड को पकड़ कर सहलाने लगी.

प्रभाकर बारी–बारी से मेरी चूचियों को दबा रहा था.
उउफ्फ … ईईस्स्स … मुझे मज़ा ही बहुत आ रहा था.

पर मुझे जल्दी वापस भी तो जाना था इसलिए मैंने मेरी जीन्स और पैंटी साथ में उतार दी और फिर मैं प्रभाकर से बोली- कंडोम लाए हो न?
तो प्रभाकर बोला- बिना कंडोम के करते हैं न … मज़ा आएगा.

मैं प्रभाकर से बोली- ना … बाबा ना … कहीं तुम अंदर गिरा दिए तो?
तो प्रभाकर बोला- अरे बाहर गिराऊंगा डार्लिंग.

तब प्रभाकर ने अपने सीट को पीछे सरकाया.
और फिर मैंने प्रभाकर के गोद में आ कर उसके खड़े लंड को अपनी चूत में सेट किया.

ईईस्स्श … आहह!
और फिर मैं प्रभाकर के खड़े लंड को अपनी चूत में घुसा के बैठ गई.
ईस्स्स… आह… और धीरे–धीरे उछलने लगी.

तब प्रभाकर ने मेरी स्वेटर को ऊपर उठा के पीछे से मेरी ब्रा की हुक को खोल दिया.
और वह सामने से मेरी ब्रा से चूचियों को बाहर निकाल कर चूस रहा था.

तब प्रभाकर के दोनों हाथ मेरी गांड पर थे जिन्हें वो सहला रहा था, वो भी बड़े प्यार से!

तभी प्रभाकर ने मेरी गांड पर एक थपड़ मारा और मुझे कहने लगा- थोड़ा ज़ोर–ज़ोर से गांड पटक चोदी … और मज़ा आएगा.

तो मैं थोड़ी ज़ोर–ज़ोर से गांड पटकने लगी और ईईस्स्स … आहह … उउह्ह्ह … करते हुए सिसकने लगी.

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तब मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि मैंने प्रभाकर के मुँह को मेरी चूचियों में दबा रखा था.
और मैं गांड पटक–पटक के चुदा रही थी.

प्रभाकर मेरी गांड की दरार में हाथ लगा के सहलाए जा रहा था.
उउह्ह्ह… ईईस्स्स… आहह… तब तो मैं और भी उत्तेजना से चुदाने लगी थी.

प्रभाकर मुझे बोले जा रहा था- ईईस्स्स … हाँ ऐसे ही … ऐसे ही मादरचोदी आहह!

और ये बोलते हुए प्रभाकर अपने दोनों हांथों से मेरी चूतड़ों को फैला दिया.
और मैं उछल–उछल के चुदवाए जा रही थी.

तब कार में मेरी सिसक और मेरी गांड के थप–थप के थपेड़े गूंज रहे थे.
और मुझे पसीने भी आने लगे थे.

फिर मैं धीरे–धीरे थकने लगी थी.
पर उसी समय प्रभाकर नीचे से झटके देते हुए चोदना शुरू कर दिया.

और मैं आईई… आहहह… करते हुए कराहने लगी थी.
ऐसे लग रहा था प्रभाकर पिछली चुदाई की तरह इस बार भी मुझे मूतवा देगा.

पर प्रभाकर ने एकदम से मेरी बाल को पकड़ा और मेरी मुँह से मुँह लगा के चूसने.
हमारे जुबान एक दूसरे के मुँह में जा रहे थे.

और प्रभाकर तभी मुझे नीचे से आहिस्ता–आहिस्ता चोद रहा था.
तब मुझे एक अलग ही मज़ा आ रहा था.

कुछ देर बाद प्रभाकर मुझे कार की पीछे की सीट पर जाने के लिए बोला और मुझे टांगें फैलाने के लिए बोला.

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फिर प्रभाकर अपना पूरा ट्रॉउज़र उतार कर मेरी टांगों के बीच आया और अपने लंड को मेरी चूत में रगड़ते हुए घुसाया.

ईईस्स्स… आहहह… मुझे मजा सा आया.

फिर प्रभाकर ने मेरी दोनों टांगों को अपने कंधों पर लाद लिया और आहिस्ता–आहिस्ता मेरी चूत चोदने लगा.

उउफ्फ… प्रभाकर का लंड मेरी चूत में पूरा अंदर तक जा रहा था.
और फिर थोड़ा सा बाहर आ के फिर से अंदर चला जा रहा था.

फिर प्रभाकर थोड़े रफ़्तार के साथ मुझे चोदने लगा और मैं ईईस्स्स… आहहह… ईईस्स्स… उउह्ह्ह… करते हुए सिसकने लगी थी.

और तब प्रभाकर मेरी एक पैर की मोज़े को निकाल फेंका और मेरे पैर को चाटने लगा.

मेरी पैर को चाटते हुए भी प्रभाकर मुझे चोदे जा रहा था.
मैं ईईस्स्स… आहह… किये जा रही थी.

प्रभाकर के झूलते हुए टट्टे सीधे मेरी गांड पर लग रहे थे.

और जब प्रभाकर मुझे ज़ोर–ज़ोर के धक्के देते हुए चोदने लगा.
तब मेरी नंगी चूचियां भी मचलने लगी थी.

और प्रभाकर के झूलते हुए टट्टे मेरी गांड से लग–लग के थप–थप की आवाज़ कर रहे थे.
उफ्फ्फ… और गंदी महक भी आ रही थी.

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प्रभाकर उसी पोजीशन में मेरी चूत को चोदता रहा और उसने मेरी चूत से सफ़ेद तरल निकलवा दिया.

जो मेरी चूत से निकाल कर मेरी गांड की छेद तक जा रहा था.

साथ ही प्रभाकर मेरी चूचियों को भी दबा रहा था.

फिर कुछ देर बाद प्रभाकर रुका और मेरी गीली चूत से अपना चिपचिपा लंड बाहर निकाला.

फिर प्रभाकर अपने चिपचिपे लंड को मेरे मोज़े से साफ किया.
और साथ ही मेरी चूत–गांड को भी साफ किया.

और साफ करते ही प्रभाकर मुझे फिर से उत्तेजित करने लगा था.

पर मैंने प्रभाकर से पूछा- समय क्या हो रहा है?
तो प्रभाकर बोलने लगा- इतना सब कुछ होने के बाद चर्च जा के करोगी क्या?

लेकिन तब भी मैं उससे बोली- अरे बताओ न?
तो तब 11:20 या 11:30 बज रहे थे.

यह सुन कर मुझे सुकून मिला कि चलो समय अभी हुआ नहीं है.

और तब प्रभाकर का लंड भी ढीला हो गया था.
तो प्रभाकर मुझे चूस कर अपने लंड को खड़ा करने बोला.

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मैं प्रभाकर के ढीले लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी.
प्रभाकर उस समय कार में झुक कर खड़ा था मैं सीट से नीचे प्रभाकर के टांगों के बीच बैठ कर उसके लंड को चूस रही थी.

प्रभाकर का ढीला लंड धीरे–धीरे सख्त होता जा रहा था.और साथ ही प्रभाकर भी मेरी मुँह में लंड पेल रहा था.

मैं प्रभाकर के लंड को चूस–चूस कर मेरी मुँह के लार से पूरा गीला कर रही थी.
मन तो कर रहा था कि चोपा लगाना शुरू कर दूँ.

पर अचानक से प्रभाकर मेरी मुँह में अपना पूरा लंड ही पेल दिया.
तब तो मैं बौखला ही गई थी.

पर फिर जब प्रभाकर अपना लंड निकाला तो मेरी लार से उसका लंड लथपथ हो गया था.
फिर प्रभाकर कार का दरवाज़ा खोल कर बाहर गया.

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और मुझे दरवाज़ा के पास आ कर घोड़ी बनने के लिए बोला.
और मैं वैसा ही किया.

मेरी गांड तब कार से बाहर की ओर निकली हुई थी.
और प्रभाकर मेरी चूत में अपना चिपचिपा लंड घुसा के धीरे से मगर ज़ोर–ज़ोर के धक्के दे रहा था.

प्रभाकर के धक्के से थप… थप… की आवाजें आ रही थी और मैं आहहह… आहह… करते सिसक जा रही थी.
उउफ्फ… ईईस्स्स… वाइल्ड सेक्स इन कार का मजा तो आ रहा था.

मैं प्रभाकर से बोली- जल्दी–जल्दी करो न … ज्यादा समय नहीं है.

तब प्रभाकर ने मेरी गांड में एक ज़ोर का थपड़ मारा चटाक से!
जिससे मैं आहहह … करते हुए कराह गई.

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और फिर जो प्रभाकर मेरी कमर पकड़ के जो ज़ोरदार चोदन करने लगा कि मैं आहहह… आईई… करते हुए कराहने लग गई.
प्रभाकर मुझे चोदते समय ‘छिनाल … चोदी’ जो मन में आ रहा था. वो बोले जा रहा था एकदम ज़ालिम की तरह.

मेरी हालत भी ख़राब होने लगी थी और मैं आईई… आहहह… उउह्ह्ह… करते हुए कराह रही थी.

प्रभाकर मुझे चोदते हुए कहने लगा- आहह… रंडी से ज्यादा मज़ा है तुझ में है … चोदी!

और तब प्रभाकर भी चरम सीमा पर आ गया था.
मुझे चोदते–चोदते उसने एकदम से मेरी चूत से अपना लंड निकाला और मेरी गांड में एक कस के थप्पड़ मारा.
मैं आहहह… ईईस्स्स… करते हुए कराह उठी थी.

और उसी समय प्रभाकर मेरी गांड पे अपमें लच्छेदार वीर्य से मेरी गांड को लथपथ कर दिया था.

और तब जा कर मुझे सुकून मिला.
उउफ्फ… ठंड में भी पसीना निकाल दिया था कमीने ने.

उसके बाद हमने झट–पट एक दूसरे को साफ किया और वापस चले गए.

मैं एकदम आखरी समय पर चर्च पहुँची थी.

फिर अगले दिन मैं मेरे घरवालों के साथ गाँव चली गई थी.
और हम नया साल के बाद ही आने वाले थे.

पर प्रभाकर नया साल मेरे साथ मनाना चाहता था.
और मैं उसके लिए नया साल से एक दिन पहले गाँव से भी आ जाती.

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लेकिन कमीना प्रभाकर अपने दो दोस्तों को भी बुलाने का प्लान बनाया था.
इसीलिए मैं नहीं गई.

दोस्तो, मेरी कार वाइल्ड सेक्स कहानी आप लोगों को पसंद आई होगी.

मुझे ईमेल करके बताएं
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