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भैया और उसके दोस्तों की रण्डी बन गया मैं
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गे ऐनल Xxx मेरे बड़े भाई ने मेरे साथ किया, साथ में उसके दो दोस्त और भी थे. हॉस्टल में भैया ने बनाया मेरी गांड का भोसड़ा और उनके दोस्तों ने वो भोसड़ा भी फाड़ कर मुझे उनकी रण्डी बना दिया.

नमस्ते, मेरा नाम रितेश है.

यह Gay Anal Xxx In Hostel तब की है जब मैं 19 साल का था.

मैं पहले से ही शरीर से किसी बहुत बड़े गांडू जैसे था.
मेरे गोरे चिकने हाथ और पैर, मोटी गांड, लंबे नाखून, गुलाबी होंठ और हां बिल्कुल लड़कियों जैसी मोटी मोटी चूचियां.

इसी के कारण मुझे बाकी लड़के काफी छेड़ते थे.
कोई मेरे हाथों को अपने हाथों में लेकर बताता कि मेरे नाखून उनकी गर्लफ्रेंड के जैसे हैं. या कोई मेरी चूचियां दबा देता था और कोई कोई तो मेरी गांड पे थप्पड़ मार देता था आते जाते!

खैर ये सब बातें तो फिर भी अनजान लोगों के साथ किसी स्कूल के दिनों में हो जाती थी.

पर जब मैं कॉलेज गया तो ये बातें बदतर हो गई.
हालांकि मुझे लड़के काफी पसंद थे पर यह बात मैं किसी को खुल कर बता नहीं सकता था.

मुझे अपना कोलेज शहर से दूर, जहाँ सिर्फ लड़के पढ़ते थे, उसमें डाला गया.
वहां पास ही में हॉस्टल भी था जिसमें हर कमरे में 4 लड़के रहते थे.

विशेष बात यह थी कि यहां मेरा बड़ा भाई भी रहता था।

मेरा बड़ा भाई तब 23 साल का था.
वह ज्यादातर घर के बाहर ही रहा है तो उनसे मैंने कई सालों से ज्यादा बात नहीं की थी.
पर लग रहा था अब दिन भर ही बातें होंगी क्यूंकि हॉस्टल के सभी कमरे फुल थे मेरे भैया के कमरे में एक जगह बची थी.

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ये हिंदी सेक्स कहानी आप HotSexStoriesPictures.Com पर पढ़ रहें हैं|

“ओहो मेरी जान … अब छमिया की तरह यहीं खड़ा रहेगा या ऊपर भी चलेगा?” एक भारी और जोशीली आवाज़ में भैया ने मेरे कंधे पे हाथ रख के ऊपर चलने को कहा.

भैया का यूं मुझे छमिया कहना मुझे अजीब लगा.
पर फिर सोचा कि कॉलेज में लड़के तो थोड़े बदमाश हो ही जाते हैं.

हमारा कमरा चौथे माले पर था जो सबसे ऊपर और थोड़ा अलग थलग था.

जैसे ही मैंने दरवाज़ा खोला, एक हॉट सा लड़का जो बनियान पहने था और उसको हाथ में डंबल्स थे जिससे वो खड़ा खड़ा कसरत किए जा रहा था.

उसके गर्दन से छाती और फिर बनियान को गीला करते हुए उसके टपकते पसीने को देख कर ही मुझे गर्मी लगने लगी.

रेहान- अबे, ये किस माल को उठा ले आया बे तू करण?
करण मुस्कुराते हुए- भोसड़ी के, साले यह मेरा छोटा भाई रितेश है और अब से ये हमारे रूम में ही रहेगा!

तरुण- लंड के बाल, पिछली बार भी तो तू एक लड़की को लाया था और बहन है कह कर हमारे कमरे से बाहर जाते ही तू उसको पेल देता था!
वह बाथरूम से बाहर आते अपने बाल सुखाते हुए बोल रहा था.
उसने बस तौलिया लपेटा था जिसमें से उसके झांट के बाल भी नजर आ रहे थे.

करण- भड़वे, तू ये सब इसके आगे क्या बोल रहा है, क्या इज्जत रहे जायेगी मेरी उसके आगे?
तरुण और रेहान इस बात पर हंसने लगे!

करण- रितेश, तू इन दोनों की बातों पर जरा भी विश्वास मत करना! ये लौड़े के बाल दोनों ही बड़े मादरचोद है. ये दोनों मेरे क्लास में पढ़ते हैं तरुण और रेहान.

तरुण- हां भाई. तुझे कुछ भी लगे तो हमसे मांग लेना. दारू, चखना, मैगजीन, पुराने नोट्स यहां तक कि किसी लड़की की चूत भी अपने बड़े भाइयों से मांग लेना. बस घर पे यहां की बातें मत बता देना. वरना मादरचोद हमारी गांड मरवा देगा तू!

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मैं ये सब सुनकर मन में बोला- गांड तो तुम मारोगे मेरी … यह लगता है!

तब मैं बोला- आप सब से मिलकर बहुत अच्छा लगा भैया. टेंशन मत लो, आपको जैसा रहना है वैसा रहो. मैं नहा कर आता हूँ.

नहा कर आया तो कमरे को देखा इसमें बस 3 बेड थे.
मैं अपना सामान कहाँ रखता?

करण- रूम वाला बोला है कि नया बेड 1 हफ्ते में आ जायेगा, तब तक काम चला लो. मेरा बेड ही शेयर कर ले तब तक रितेश!
मैं- भैया, आपको कोई तकलीफ तो नहीं होगी?
करण- अबे मुझे क्यों परेशानी होगी? बस थोड़ा चिपक के सोना पड़ेगा इतना ही.

रात को करण भैया शर्ट उतार कर बनियान में सोते थे.
उसी छोटे बेड मैं जब उनका गर्म जिस्म मुझसे चिपकता तो मेरे मन में कई तरह के ख्याल आ जाते थे.

मैं पूरे कपड़े पहन के सोता था फिर भी भैया को मेरे गांड से लंड चिपका कर सोते थे या उनका हाथ कभी मेरे चूचों पर आ जाता था.

एक दिन बारिश हो रही थी और सबको छुट्टी थी.
सब बैठ कर गप्पे मार रहे थे.

मैं बाथरूम से नहा कर बाहर निकला.

तो करण बोला- देख तेरे भाई के डोले ज्यादा बड़े हैं या नहीं? ये चूतिया रेहान मान ही नहीं रहा.
रेहान- चमन चूतिया … तेरे ना एब्स है ना जिम वाला सीना. मेरे से बड़े डोले नहीं है तेरे. है कि नहीं रितेश?

करण अपनी बनियान उतारते हुए- ये देख साले एब्स!
उस पर रेहान ने मुक्का मारा और करण ने सांस छोड़ दिया जिससे उसका पेट थोड़ा नॉर्मल ही दिखने लगा.

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मैं करण के जिस्म को निहारता ही रह गया.
तभी तरुण बोला- अपने रितेश की बॉडी भी करण से बढ़िया होगी!

करण- वैसे मैंने भी भाई होकर इसकी बॉडी नहीं देखी यार!
तरुण- हां, जबसे आया है बाथरूम में भी शर्ट लेकर जाता है गान्डू!
रेहान- यार फ्री रह न! आज से तू भी बिना शर्ट के रहेगा यहां.

मुझको शर्म सी आई तो मैंने मना कर दिया.
पर मेरे नए हरामी दोस्तों ने मेरी शर्ट उतार दी.

तीनों लड़के मुझे देखते ही रह गए.
मेरी चूचियां बिल्कुल लड़कियों जैसी थी.

रेहान- तू बनियान में भी रह सकता है या बिना बनियान के भी! हमारी तरह लड़का ही तो है.

सब अपने लंड को पकड़ के दूसरे काम करने लगे.

मैंने महसूस किया कि ये तीनों उसके गदराए जिस्म की चर्चा कर रहे थे.

तरुण- उस दिन मैं तेरे भाई के साथ एडल्ट मैगजीन पढ़ रहा था. उसकी नज़र लड़की से ज्यादा लड़के के लंड पे थी.
रेहान- पर मेरी नज़र तो उसके लटकते मोटे चूचों पर थी, वो भी लड़की के चूची से ज्यादा हा हा!
करण- अबे, वो भाई है मेरा!
तरुण- हम तो नहीं है ना?

करण- बहनचोद, मतलब पहले मेरा हक बनता है भोंसड़ी वालों.

उस दिन से करण, तरुण और रेहान तीनों मुझको छेड़ा करते थे.
कभी मेरी गांड पर मारते, कभी गालों पर किस करते और कभी ‘ले मेरा लंड मुंह में छीनाल’ कह देते.

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मुझको उसके स्कूल के दिन याद आ गए.

एक रात सब यों ही मस्ती कर रहे थे और मेरी बनियान नीचे खींच के मेरे दोनों मम्मों को कैमरे के आगे ले आए.
मस्ती में ही तरुण रेहान मेरे चूचे दबाते, मसलते और निप्पल खींचते.

रेहान- देख कैसे 10 रुपए के सिक्के से भी बड़े निप्पल हैं साले के!

करण हाथ में कैमरा लिए- चूस दे इस मादरचोद की चूचियां, आज बहुत मजाक किया इसने मेरे साथ!
तरुण- हां हां … चल दूध पिला मेरी रण्डी!

बस यह कह कर तरुण मेरी चूचियों को दबाता, निचोड़ता, चाटता, चूसता और काट काट के मेरे मुंह से सिसकारियां निकलवाता!

रेहान दूसरे निप्पल से भी खेल रहा था उसी तरह!

सब का मस्ती का मूड अब चूदाई के मूड में तब्दील हो गया था!
मुझको भी मजा आ रहा था. अब मैं भी उनका साथ देने लगा था- आह आराम से भैया … मेरी चूचियां दुख रही हैं.

करण- रण्डी, अपने भैया को दूध पिलाए बगैर कैसे तेरे चूचे थक गए?
करण ने कैमरा मेज पर रख दिया और अब वो खुद मेरी पैंट को नीचे करने लगा.

3 नौजवान लौंडे मेरे जिस्म पर टूट पड़े थे.
करण मेरी गांड को थप्पड़ मारने लगा; थप्पड़ मार मार कर उसने मेरी गोरी गांड लाल कर दी.

तरुण- क्या चिकनी गांड है रितेश तेरी!
रेहान- अबे, इसके चूचे मेरे एक्स गर्लफ्रेंड के चूचों से भी बड़े और मस्त हैं.
करण- हां दूध का फैक्ट्री है साला रण्डी. चल अपने भैया को भी पिला दे!

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रेहान- भैया को दूध बाद में पिलाना. अभी सैंया का दूध पी ले!
मैं- हां बाबा हां, अब तो मैं तुम सबकी निजी कुतिया‌ हूँ. जब चाहे मार लेना … आह्ह्ह!

तरुण मेरी गांड चाट रहा था!
उसकी जीभ मेरे छेद पर चोद रही थी.

तरुण- क्या गुलाबी छेद है तेरा जान!
मैं- तरुण भैया, आह आह … चोद दो मुझे!

रेहान ने मेरे सिर को पकड़ा और मेरे होठों को चूस लिया।

फिर अपने बगल के बाल चटवा के अपने जिस्म को खुशबू से मुझे मदहोश कर डाला.
उसने मेरे हाथ में अपना मोटा लौड़ा हिलाने के लिए दे दिया.

मुझको एक कुतिया‌ की तरह बेड पर बिठा के तरुण ने मेरी गांड में उंगली करना चालू कर दी.
मैं- आहह हह हहह!

करण भी नंगा हो गया और अपना झांटों से भरा लौड़ा मुझे को हिलाने के लिए दे दिया.

रेहान ने उसी बीच अपना लौड़ा मेरे मुंह में डाला और मेरे मुंह की चुदाई चालू कर दी.

“मादरचोद‌ पूरा अंदर ले! अपने भाई का भी लेना है तुझे इसके बाद!”

मुझसे सांस नहीं ली जा रही थी क्योंकि रेहान का लंड बहुत बड़ा और गर्म था.

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रेहान तरुण को बोला- थूक लगा के डाल गांड में लौड़ा!
तरुण- थोड़ा लुब्रिकेंट और मिलता तो अच्छा रहता! पर रण्डी के छेद पे थूक लगाना भी बड़ी बात है. तुझे तो बिना कंडोम के चोदना चाहिए था. पर क्या करें तुझे प्यार भी बहुत करते हैं ना हम 3 पतियों की तरह!

एक झटके में तरुण ने अपना लंड मेरी गांड में घुसा कर मेरी गांड की की सील तोड़ दी.

अब मैं आगे मुंह में और पीछे गांड में दोनों तरफ से कुतिया जैसे चुदे जा रहा था.

करण भी बीच बीच में चूचियों से खेल कर रितेश को अब पक्की रण्डी का अहसास दे रहा था.

कुछ देर बाद तरुण मेरी गांड में झड़ गया.
रेहान भी उसके कुछ मिनट बाद मेरे मुंह में झड़ गया.

मुझे उसका पानी बहुत गर्म, नमकीन एवम् गाढ़ा पानी लग रहा था.
मैं उसे पूरा पी गया.

उसके बाद करण ने भी मुझसे अपना लौड़ा चुसवाया.

मैं अम्म म्ममम के अलावा कुछ न बोल सका.

अपने भईया का लौड़ा उसको कभी चूसने मिलेगा, मुझे यह कभी अहसास भी नहीं था.
करण का एक झांट का बाल भी मेरे गले में चुसवाते हुए जा पहुंचा.

मुझे खांसी उठी तो भाई का लंड मेरे मुंह से निकल गया.
मैंने पानी पीया तो मेरा गला ठीक हुआ.

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अब तरुण का भी बड़ा लंड जो मेरी गांड से आया था, अब वो मेरे मुंह में था.

करण- रण्डी, अब देख असली चुदाई!

यह कहकर अब मेरे भाई करण ने अपने लौड़े को मेरी गांड में पेल दिया.

मैं- भैया आपका लौड़ा बहुत बड़ा है! बहुत … आआह्ह … मजा आ रहा है!
तरुण- कौन से भैया का लंड बे?
और वह भी आगे से मुंह चुदाई करने लगा.

रात भर मुझको पेल पेल कर सभी लड़कों ने बहुत मजा लिया.

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रात को सोते वक्त मैंने सबका लौड़ा चूस दिया और सुबह होते ही सबको अपने चूचों का दूध पिला दिया.
यह सिलसिला तो अब रोज का हो गया था.

और अब तो मुझको मेरे भैया ने हॉस्टल के दूसरे लड़कों से भी मिलवा दिया जो अब इस रण्डी को चोद चोद के इसके बूबे और चूतड़ मोटे कर डालते हैं!

आपको ये गे ऐनल Xxx कहानी बढ़िया लगी होगी.
मेरी इमेल और कमेंट्स में अपने विचार बतायें.
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