मां बेटी की कामुक जुगलबंदी

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माँ बेटी हॉट Xxx कहानी में पढ़ें कि जैसे ही लड़की जवान होती है, उसके अंतर्मन में वासना जन्म ले लेती है. माँ ने अपनी जवान हुई बेटी के मन को समझा और उसकी मदद की.

प्रिय पाठको,
आपने मेरी पहली कहानी
किरायेदार के साथ वासना के खेल
पढ़ी होगी.

यह मेरी दूसरी कहानी है, कामुक पाठकों को यह मसालेदार Maa Beti Hot Xxx Kahani भी पसंद आएगी ऐसी उम्मीद है।

38 वर्षीया कामिनी देवी वास्तव में कामना की देवी है.
उसके बड़े बड़े, भरे भरे, मुलायम स्तन, उसके कसे हुए सुडौल कूल्हे, उसका चिकना गोरा बदन, हर मर्द के लंड में हलचल पैदा कर देता है।
उसकी जवानी और नए नए लंड से चुदाई की भूख अभी अपने चरम पर है।

कहानी उस समय से शुरू होती है जब उसकी जवानी फूटी ही थी, उसके 18 साल बीते ही थे कि कामदेव उसे सताने लगे।

उस के बदन में वासना की आग सुलगने लगी, उसकी चूत में सरसराहट होने लगी, उसको चूत में उंगली करके, अपने हाथ से झड़ना भी आ गया.

पर लंड आखिर लंड होता है। दुनिया की कोई अन्य चीज लंड के बराबर मजा नहीं दे सकती।

चूत की आग बुझाने के लिए 19वें साल की शुरुआत में ही उसने अपने पड़ोसी का पहला लंड अपनी कुंआरी चूत में ले लिया था।

उसके बाद तो बिना किसी भेदभाव के जो भी लंड मिला, उससे चुदी।
लंड छोटा हो बड़ा हो, पतला हो मोटा हो, बस लंड होना चाहिए।
उसकी चूत की अतृप्त ज्वाला में कितने लंड झुलसे, वो ये भी भूल गई।

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घर वालों ने भी उसकी बेकाबू जवानी और उस की वासना को ताड़ लिया और 20 की होते होते उसकी शादी कर दी।

लेकिन इस एक साल में उसने अपनी चुदाई की कामना पूरी करने के लिए 8-10 लंड अपनी चूत और गांड में ले लिए थे।

शादी बाद भी उसकी चूत में कामाग्नि धधकती रही.
शुरू के पंद्रह बीस दिन तो उसके पति ने उसे खूब चोदा, एक दिन में चार चार बार रगड़ा.
पर आखिर काम पर तो जाना ही था।

उसका ट्रक ड्राइवर पति दस पंद्रह दिन के बाद दो दिन के लिए घर आता था।

इन दो दिनों में वो जी भर के कामिनी की चुदाई करता, गांड मारता किंतु 6 महीने में ही कामिनी का मन पति के लंड से भर सा गया।
अब वो कुछ भी करे, उसको सनसनी होना बंद हो गई।

जिस औरत को एक बार नए लंड का चस्का लग जाए फिर उसे एक ही लंड से चुद के संतोष नहीं होता, थोड़े थोड़े दिन में उसे नया लंड चाहिए।

उसके बाद पति जैसे ही ट्रक ले कर टूर पर जाता, कामिनी निकल जारी अपनी चूत के लिए नए लंड की जुगाड़ करने.
एक साल होते होते उसने 7-8 लंड और ले लिए थे.

उसकी शादी को एक साल भी नहीं हुआ था कि जब उसने एक बेटी को जन्म दिया।

कामिनी का पति सुरजीत बहुत खुश था, किंतु कामिनी इतना तो जानती थी कि सुरजीत उसकी बेटी का बाप नहीं है.
लेकिन उसकी बेटी का असली बाप कौन है, यह तो पक्के तौर पर वो भी नहीं जानती थी।
क्योंकि उन दिनों चार लड़के कामिनी को दिन में अलग अलग समय पर चोदा करते थे.
ऐसे में किसका बीज अंकुरित हुआ, उसे पता नहीं था।

उसकी बेटी होने के बाद भी उसकी नए लंड की तलाश जारी रही और वो महीने दो महीने में किसी न किसी नए लंड से चुदाई का आनंद लेती रही।

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समय बीतता गया, उसकी बेटी हसरत जवान हो गयी थी. कामवासना के मामले में वो अपनी मां से कम नहीं थी.
इस बात को कामिनी भी महसूस कर रही थी कि जल्दी से जल्दी हसरत की गर्म चूत के लिए भी लंड का कुछ न कुछ इंतजाम करना पड़ेगा, जिससे हसरत भी खुश रहे और कभी उसकी चुदाई में रोड़ा न बने।

एक दिन उसने रात को सोते समय हसरत से पूछा- बेटी, तुझे पता है कि संसार का सब से बड़ा सुख कौन सा होता है? पूरी दुनिया में हर व्यक्ति किस सुख को पाना चाहता है?

हसरत समझ गई कि उसकी चुदक्कड़ मां चुदाई के बारे में बात कर रही है फिर भी उसने भोलेपन का नाटक करते हुए पूछा- कौन सा सुख है मम्मी?
कामिनी ने कहा- सैक्स का!

हसरत तो खुद कई बार चूत में उंगली कर के झड़ चुकी थी.
और तो और वो चूत को रगड़े का सुख देने के लिए बैंगन, मूली, ककड़ी यहां तक कि भुट्टे का इस्तेमाल भी कर चुकी थी.

वह कई बार घर में रिश्तेदार बन के आए मर्दों को अपनी मां के गदराए जिस्म को, कामुक नजरों से घूरते देख चुकी थी।
वो समझ चुकी थी कि उसकी मां बहुत बड़ी लंडखोर है.

और अब तो लंड के लिए मचलती उसकी चूत भी उसको अहसास करा रही थी कि वह अपनी मां से कम नहीं है।
लेकिन उसने मासूम बनकर कहा- मां, मुझे सैक्स के बारे में ज्यादा नहीं पता, तुम बताओ न?

कामिनी तो अपनी युवा बेटी हसरत को अपने जैसी बनाना चाहती थी और हसरत को अपने सामने बढ़िया मौका दिख रहा था चुदाई की सारी हसरतें पूरी करने का!

तब कामिनी ने फिर हसरत के होंठों को चूमते हुए पूछा- कैसा लगा?
हसरत ने कहा- मन में गुदगुदी हुई।

उसके बाद कामिनी ने हसरत के टॉप के अंदर एक हाथ डाल दिया.
हसरत कसमसाई और कामिनी का हाथ पकड़ने लगी।

कामिनी ने कहा- चुपचाप पड़ी रह, जो मैं कहती हूं वो सुन और जो मैं करती हूं वो महसूस कर!

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तब कामिनी ने हसरत के मुलायम और दिनों दिन बड़े हो रहे स्तनों को सहलाया, दबाया, निप्पलों को मसला और होठों को चूसने के बाद पूछा- अब गुदगुदी कहां हो रही है?
हसरत की चूत में चिंगारियां चटकने लगी, सांसें गर्म हो गईं, उसने शरमाते हुए कहा- नीचे!

कामिनी ने कहा- नीचे का मतलब? अरे यार … उस मां से शरमा रही है जो तेरे को जन्नत के मजे दिलाने की प्लानिंग कर रही है।
हसरत ने कहा- गुप्तांग में!

कामिनी ने थोड़ा झल्ला के कहा- गुप्तांग का कोई नाम भी तो होगा?
हसरत समझ रही थी कि उसकी मां क्या सुनना चाहती है.
फिर भी हसरत ने मजे लेने के लिए कहा- योनि!

अब तो कामिनी ने हसरत के दोनों बोबों को कस के पकड़ा और कहा- मादरचोद अपनी मां के मजे ले रही है। बोल कहां गुदगुदी हो रही है?
हसरत ने कहा- चू…त में … चू..त में!

अब कामिनी ने हसरत को नंगी करके उसके स्निग्ध मक्खन से मुलायम स्तनों को सहलाया, मसला, निप्पलों को मुंह में लेकर चूसना शुरू किया और पानी छोड़ती छोटी छोटी झांटों वाली चूत में थूक लगी उंगलियों को घुसेड़ कर हस्तमैथुन वाली चुदाई का मजा देने लगी.

हसरत उत्तेजित होकर बोल पड़ी- जोर से करो मम्मी … और जोर से!

कामिनी ने कहा- मम्मी मत बोल यार! आज से हम दोनों चुदक्कड़ सहेलियां हैं!
इस पर हसरत बोली- और जोर से कर ‘कम्मो!

अब तो कामिनी हसरत की चूत में उंगलियों को तेजी से अंदर बाहर करने लगी.

थोड़ी देर की मेहनत के बाद हसरत की चूत में स्पंदन शुरू हुआ, चूत के फड़कने के साथ उस का शरीर ऐंठने लगा, चूतड़ भिंच गए।
उसने दोनों हाथों से चादर पकड़ ली, उसका शरीर अकड़ के धनुष की तरह हो गया और कुछ ही देर में फिर ढीला पड़ने लगा.

लेकिन इससे पहले कि हसरत पूरी तरह संभल पाती, कामिनी टूट पड़ी, हसरत की चूत पे, कामिनी की जुबान ने झड़ती हुई चूत में फिर से एक तूफान उठा दिया.

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कामिनी हसरत की चूत और क्लिटोरिस को चूसती रही और हसरत पागलों की तरह चिल्लाने लगी।
हसरत ने कम्मो के सिर को चूत में दबाते हुए कहा- मेरी रंडी कम्मो, खा जा इस निगोड़ी चूत को, बहुत परेशान करती है स्साली!

इस बार तो चूत झरने की तरह बह चली.
एक बार फिर हसरत की चूत ने जम के पानी छोड़ा, कामिनी ने हसरत की चूत का कामरस मुंह में सुड़क लिया और हसरत के होंठों से होंठ मिला के हसरत को भी उसी की चूत के रस का स्वाद दिलाया।

उसके बाद कामिनी और हसरत बहुत देर तक इस नए रिश्ते की मस्ती में डूबी पड़ी रही।

हसरत का तूफान तो ठंडा हो गया था लेकिन कामिनी की चूत में तो लपटें उठ रही थीं.
उसने हसरत को कहा- कमीनी तू तो झड़ गई, अब मुझे भी तो शांत कर!

हसरत बोली- साली, तेरे को तो चोद चोद के शांत करने इतने सारे मर्द आते तो हैं, दूर के रिश्तेदार बन के!
कामिनी ने हसरत की चुटिया पकड़ के कहा- हरामजादी, तुझे सब पता है. फिर भी साली मां के सामने नाटक कर रही थी?
हसरत बोली- हां यार, छेड़ रही थी तुझे! मुझे तेरे इरादे का पता था कि तू मुझे भी चुदक्कड़ बना के जिंदगी के मजे लेना चाहती है, जिससे तेरी चुदाई बेरोकटोक होती रहे।

कामिनी ने कहा- मादरचोद, तू मेरी बेटी नहीं बल्कि मेरी भी मां है. साली कुतिया, लगता है तू मेरे से भी ज्यादा लंड लेगी अपनी चूत में!
“हां यार कम्मो, इरादा तो ऐसा ही है। वास्तव में कामसुख से बड़ा कोई सुख नहीं, एक एक नस में हलचल हो जाती है फिर जो राहत मिलती है उस का मुकाबला नहीं।”

उसके बाद हसरत ने अपनी मां को पूरी नंगी करके उसके गदराए जिस्म को निहारा।
कामिनी का हर अंग हसरत की तुलना में बड़ा था।
बड़े बड़े, भारी भारी स्तन, बड़ी बड़ी गहरी भूरी निप्पल, भारी भारी चिकनी जांघें, गोल सुडौल तोप के गोलों से चूतड़, और सफाचट चिकनी चूत!

हसरत देख रही थी कि उसकी चूत की तुलना में उसकी मां का तो भोसड़ा था।

उसने अपनी मां से पूछा- क्यों कम्मो, तू चूत हमेशा चिकनी रखती है?
कामिनी ने जवाब दिया- हां यार, नए लंड की शौकीन औरतें चूत चिकनी ही रखती हैं. पता नहीं चूत के लिए कब नया लंड मिल जाए।

अब हसरत ने कामिनी के बोबे सहलाते हुए उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
कामिनी के होंठ पहली बार कोई मर्द नहीं लड़की चूस रही थी और वो भी उसकी बेटी!

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वो तो पहले से ही उफनी हुई थी, उसने हसरत का सिर पकड़ के अपने बोबों पर झुका दिया.
जैसे ही हसरत ने उसकी निप्पल को चूसना शुरू किया, उसके शरीर में कामतरंगें उठना शुरू हुई।

हसरत ने कामिनी की पानी छोड़ती चूत को सहलाना शुरू किया.
कामिनी की कामवासना अपने शिखर की ओर बढ़ रही थी, उसने हसरत को नीचे की ओर धकेला.

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हसरत समझ गई कि अब चूत की बारी है।
उसने चूत को अच्छे से चाटा और अपनी जुबान चूत में डाल के चूत की गर्मी का अनुभव किया और चटखारे लेकर चूसने लगी।

जब कामिनी बदहवास होने लगी तो हसरत ने उसके क्लिटोरिस को जुबान से गिरफ्त में लेकर चूसना शुरू किया.
कामिनी पहली बार लेस्बियन सैक्स का आनंद ले रही थी।
उसके शरीर में वासना का ज्वार भाटा उसे पागल करने लगा।

वो बोल पड़ी- बहुत मजा आ रहा है यार … चूस मेरी गर्म कुतिया, और जोर से चूस! आज का आनन्द तो अनोखा है साली! और थोड़ा सा … और!
बोलते बोलते कामिनी की चूत में कामुकता के ज्वालामुखी ने लावा उगल दिया।

बेटी द्वारा झड़ने के आनंद ने चूत में इतना कंपन पैदा कर दिया कि हसरत के मुंह में अपनी मां की चूत का नमकीन रस भर गया।
उसको यह नशीला रस इतना पसंद आया कि वो उसे गटक गई और बोली- कम्मो, तुझे तो तेरे यारों ने तेरी चूत का रस चखा ही दिया होगा?
कामिनी हंस पड़ी- हां, कई बार!

फिर बोली- यार हसरत, आज तो मजा आ गया! इतना आनंद शायद किसी और औरत के साथ नहीं आता, जितना तेरे साथ आया है।

कामिनी और हसरत के मां बेटी के संबंध, अब दो कामुक, चुदाई की शौकीन, सहेलियों में बदल चुके थे।
अब दोनों एक दूसरे को पता लगने के डर से मुक्त थीं।

अगले दिन कामिनी का एक यार राजीव पटेल कामिनी को चोदने के इरादे से घर में घुसा.

इस समय आमतौर पर हसरत कॉलेज गई होती है।

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उसने जैसे ही यह कहते हुए कामिनी के बेडरूम का दरवाजा खोला कि “कहां है मेरी जान? आ गया हूं तेरी प्यास बुझाने!”
दरवाजा खुलते ही वो चौंक गया.
सामने हसरत कामिनी की गोद में सिर रख कर लेटी थी.

राजीव एकदम सकपका गया, उसको समझ नहीं आ रहा था कि कैसे बात को संभाले?

उसकी स्थिति को देख के कामिनी और हसरत दोनों खिलखिला के हँस पड़ी.
राजीव भौंचक्का सा देख रहा था, उसे समझ नहीं आ रहा था कि यह माजरा क्या है?

कामिनी ने बोला- आओ पटेल साहब, घबराओ मत, ये मेरी बेटी नहीं, मेरी ही तरह गर्म चूत वाली मेरी सहेली है।

उसके बाद कामिनी ने राजीव को बता दिया कि कैसे हसरत भी अब उसके साथ ही नए नए लंड लिया करेगी।
राजीव की जान में जान आई।

अब राजीव का मन हसरत को देख के ललचा गया, उसने कहा- कम्मो, आज तो ये नगीना मुझे दे दे यार!
कम्मो ने राजीव से पूछा- पटेल साहब, तुमने कभी सील पैक चूत चोदी है?
राजीव ने कहा- कहां यार? मुझे तो बीवी भी चुदी हुई मिली और तू भी!

फिर कम्मो ने कहा- मेरी बेटी हसरत की अभी सील भी नहीं टूटी है, बोल तोड़ने के क्या देगा?
राजीव ने कहा- दस!
कम्मो हंसने लगी, बोली- ऐसा करो पटेल साहब, तुम तो पांच बार मुझे चोद लो, तुम्हारे लंड को पहली बार बिना चुदी चूत दिला रही हूं, थोड़ा तो दिल बड़ा करो। पचास हजार से कम नहीं लूंगी। और हां, मेरी बेटी के साथ मैं फ्री!

राजीव ने कहा- ठीक है, मंजूर है. मुझे पता है कि अगली बार मैं आऊंगा तो इसकी सील टूट चुकी होगी।

हसरत तो आश्चर्य में थी, उसे पता नहीं था कि औरत की चूत इतनी कीमती होती है, वो तो फोकट में चुदने को तैयार थी।
उसकी चूत तो लंड की उम्मीद में गीली हो रही थी।

पहले तो वो यही समझ रही थी कि उसकी मां मजे लेने के लिए नए नए लौड़ों से चुदती है, अब पता चला कि मां की चूत तो नोट छापने की मशीन है।

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राजीव ने हसरत को नंगी किया और कम्मो ने राजीव को!

उसके बाद राजीव ने हसरत के बदन को सहलाया, उसकी गोलाइयों को टटोला, उसके गुलाब की पंखुरी जैसे होठों का रस लिया।

तत्पश्चात बाद राजीव पलंग के साइड में बैठ कर हसरत को सामने खड़ी करके उस के स्तनों को आम की तरह चूसने लगा।
बिना रस के इन आमों में उसे आनंद का रस मिला।

कम्मो नीचे घुटने के बल होके उसका लंड चूसने लगी।

दो मिनट में तो उसका लंड एकदम कड़क हो गया.

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अब उसने हसरत को लिटाया, उसकी झांटों भरी चूत पर हाथ फेरा और हाथ को सूंघा.
क्या नशीली महक थी … पहली बार एक कुंआरी चूत उसे चोदने को मिल रही थी.
वो बहुत खुश था।

उसके बाद राजीव ने हसरत को पलंग पर लिटाया और जुट गया हसरत के नशीले चूतरस को पीने में!
राजीव की जुबान कुत्ते की तरह हसरत की चूत पर चल रही थी.

बीच बीच में वो चटखारे भी ले रहा था, जैसे इससे अधिक स्वादिष्ट ड्रिंक कभी उसने पी ही नहीं हो।
हसरत की चूत को पहली बार कोई मर्द चाट रहा था.

उसकी चूत में जैसे दीपावली की आतिशबाजी हो रही थी.
एक दिन पहले ही उसकी मां ने उसे झड़ाया था लेकिन मर्द की जुबान का अहसास बिल्कुल अलग था.

वो धीरे धीरे चरम की और बढ़ रही थी।
उत्तेजना में उसकी बड़बड़ाहट में तेजी आ रही थी- हां, पटेल साहब, जोर से चूसो, क्लिटोरिस को चूसो!

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अचानक पटेल साहब की जगह आवेश में बोल पड़ी- क्लिटोरिस को जोर से चूस कुत्ते, और थोड़ा सा … बस … बस!
हसरत की चूत इतनी ज़ोर से फड़की कि पूरा शरीर कम्पन करने लगा.

फिर भी राजीव रुका नहीं, उसने घुटने के बल होके अपने लंड पर थूक लगाया और हसरत की चूत के बीचोंबीच टिका के उतावली में जोर से धक्का लगाया.
राजीव का लंड हसरत के कौमार्य को चीरता हुआ हसरत की चूत में समा गया।

हसरत पीड़ा और आनद को एक साथ अनुभव कर रही थी.

राजीव तो हसरत की सील तोड़ने के अहसास में ही मस्त हो रहा था।

कुछ पल सांसें संयत कर वो पिल पड़ा हसरत की चूत को रौंदने में!

हसरत की चूत में आनंद की लहरें उठती रही, एक मर्द की बांहों में उसके लंड से चुदने का जो सुख उसे मिल रहा था, वो गूंगे के गुड़ की तरह समझाया नहीं जा सकता।

राजीव भी उत्तेजना के कारण ज्यादा ठहर नहीं पाया और उसके लंड से वीर्य के कतरे उछल उछल के हसरत की चूत को भरने लगे।

राजीव पूरा वजन डालते हुए हसरत पर पड़ गया, उसके पूरे शरीर पर मस्ती पसीने की बूंदों के रूप में चमक रही थीं।

हसरत ने राजीव को अपनी बांहों में भींच लिया.
औरत को किसी मर्द के नीचे दब के कितना सुकून मिलता है, यह आज हसरत को पता चला।

राजीव का लंड जब सिकुड़ गया, उसकी सांसें जब सामान्य हो गईं तब वो विजेता की मुस्कान लिए नंगी हसरत पर से उतरा।
हसरत की चूत से लंड निकलते ही चूत में से वीर्य, खून और चूत का रस बह निकला.
राजीव हसरत की चूत से खून और वीर्य मिले चूत रस को देख कर गर्व से भर गया।

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दो घंटे के आराम के बाद राजीव का लंड फिर हरकत में आने लगा.
इस बार हसरत ने अपने मुलायम होंठों में लंड को लिया और चूसने लगी।

कम्मो भी अपनी जुबान से राजीव के आंड की मालिश कर रही थी।

जब लंड तन्ना गया तो राजीव ने कम्मो से कहा- यार, मुझे अब हसरत की गांड मारनी है।

कम्मो ने कहा- पटेल साहब, बात हसरत की सील तोड़ने की थी, वो तो तुमने तोड़ दी. उसकी तो गांड भी अनछुई है, क्या फोकट में मारोगे?
राजीव पर तो वासना का नशा चढ़ा था, चूत की सील तोड़ने के गर्व से भरा, वो बोल पड़ा- जो चाहे ले लेना रंडी, पर आज तो इस की गांड भी मारूंगा।

राजीव ने हसरत को घोड़ी बना के उसको गांड को अपनी जुबान की नोक से कुरेदा, गांड में गुदगुदी हुई, फिर जुबान को अंदर डालने की कोशिश की तो थूक से चिकनी गांड में जुबान अंदर बाहर होती रही।

हसरत के लिए ये खेल तो बिल्कुल अनोखा था, उसे यह तो पता था कि हर मर्द किसी भी औरत की गांड जरूर मारना चाहता है।
वो भी मानसिक रूप से तैयार थी.
आज तो उसकी मां उसके जिस्म को बेचकर उसे यह सिखा रही थी कि औरत का जिस्म, उसकी जवानी, उसकी कामुकता को कैसे रुपयों में बदला जाता है।

हसरत की गांड में सरसराहट बढ़ती जा रही थी, अब तो उसे गांड में भी रगड़े की जरूरत महसूस होने लगी।

उसने राजीव को बोला- पटेल साहब, अब डाल भी दो यार!

राजीव ने खूब सारा तेल हसरत की गांड और अपने लंड पर लगाया और लंड को हसरत की गांड में धीरे से दबाव डाल के सुपारा अंदर प्रवेश करा दिया।

हसरत ने दांत भींच के अपनी चीख रोकी, हसरत की गांड के किनारे में कट लग चुका था पर रुपयों ने उसका मुंह बंद कर रखा था।

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फिर राजीव ने धीरे धीरे पूरा लंड हसरत की गांड में घुसा दिया।
राजीव को अपने लंड पर हसरत की कसी गांड की टाइट रिंग अजीब सा आनंद प्रदान कर रही थी।

उसके बाद दस मिनट तक हसरत की गांड की मां चुदती रही, रगड़े लगते रहे, हसरत गांड को सिकोड़ती और ढीली छोड़ती रही।

करीब दस मिनट की भीषण घिसाई के बाद राजीव ने वीर्य का एनिमा हसरत की गांड में लगा दिया.

राजीव और हसरत दोनों निढाल पड़े थे। राजीव तो आज अपने चरम आनंद के शिखर को छूकर सातवें आसमान पर था।
हसरत भी अपनी चूत और गांड की बोहनी यानि पहली चुदाई से प्रसन्न थी।

हसरत की चूत के उद्घाटन के बाद अब तो कामिनी जब भी किसी मर्द को बुलाती तो हसरत भी उसके साथ अपनी चुदाई की सारी हसरतें पूरी करती.

और जब हसरत किसी लड़के को पटा के लाती तो कामिनी भी उस के साथ अपनी कामवासना शांत करती।
कई बार दोनों मिलजुल के किसी मालदार आसामी को फंसाकर मोटी रकम भी ऐंठ लेती।

कामिनी अपनी बेटी को राजदार बनाकर अधिक फायदे में थी क्योंकि उसे नए और कड़क, नौजवान लंड मिलते थे और हसरत को अनुभवी लौड़ों से चुदने के अवसर मिलते थे।

दोनों चुदाई का भरपूर आनंद लेते हुए बहुत खुश थीं।

तो मेरे अनजाने रसिक दोस्तो, कैसी लगी मेरी ये पहली और सच्ची कामुक माँ बेटी हॉट Xxx कहानी?

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एक निवेदन सभी पाठकों से: कृपया अपनी भाषा संयमित रखें और मिलने की आस ना रखें, या डींगें मारने की कोशिश न करें।
मैं हर मेल का जवाब दूंगी, मेरा वादा है।

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