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देसी भाभी को मना कर गांड मारी
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गन्ने के खेत में चुदाई का मजा मुझे मेरी भाभी ने दिया. वो मुझे खाना देने आई थी तो मैंने सेक्स के लिए मना लिया. वो खेत में अंदर आने को बोली.

मेरा नाम मोहित है. मैं एक छोटे से गांव का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 24 साल की है. मैं हट्टा-कट्टा हूँ और दिखने में भी अच्छा हूँ.

यह Ganne Ke Khet Me Chudai की कहानी मेरे और मेरी भाभी के बारे में है कि कैसे मैंने उन्हें मनाया और उनकी चुदाई की.

भाभी की उम्र 35 साल है. उनका साइज 32-28-36 का है. उनका नाम रामवती है. वो एक गांव की महिला हैं.
घर के कामों के सिवाए उन्हें कुछ नहीं आता है. वो पढ़ी लिखी भी नहीं हैं.

जब मैं बारहवीं में था, तब भाभी की मैंने गांड देखी थी.
गांव में उस समय टॉयलेट नहीं बना था तो सब लोग बाहर हगने जाते थे.

शाम का समय था, मैं भी झाड़ियों में गया था.
मैं बैठा ही था कि कुछ देर बाद मैंने भाभी को बाल्टी पकड़ कर आते हुए देखा.

तो मैं दुबका बैठा रहा.
वो आईं और खड़ी हो गईं.

मेरे सामने लगभग 4-5 कदम दूर एक खेत की मेढ़ थी.
उसी के पास भाभी खड़ी हो गईं. उन्होंने मेरी ओर गांड करके इधर उधर देखा मगर पीछे नहीं देखा.

फिर भाभी ने पीछे से साड़ी उठाई और चड्डी नीचे सरका दी.
आह सीन देख कर मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई.
क्या मस्त गोरी गांड थी.

भाभी बैठ गईं और मैं उनकी गांड देख कर नयनसुख लेने लगा था.
वहीं बैठे बैठे गांड देख कर मैं अपना लंड हिलाने लगा और मुठ मार ली.

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ये हिंदी सेक्स कहानी आप HotSexStoriesPictures.Com पर पढ़ रहें हैं|

आज पहली बार मुठ मारने में मुझे काफी मजा आया था.
उस पल से मेरा सपना बन गया था कि एक बार भाभी की गांड में लंड पेलना ही है.

उस दिन से मैं रोज भाभी को नहाते देखने लगा था.
जब उनका पेटीकोट दोनों चूतड़ों के बीच फंसता था तो मादक दृश्य देख कर मन प्रसन्न हो जाता था और मैं लौड़ा हिला लेता था.

लगभग रोज का यही हो गया था.

भाभी भी मेरी नजरों को समझने लगी थीं.
चूँकि हमारा देवर भाभी का रिश्ता था तो हमारे बीच हंसी मजाक चलता रहता था.

मैं अब मौक़े का इंतजार करने लगा था कि कब भाभी की गांड मारने मिलेगी.
वो मौका भी आ गया.

अब मैं सेकंड ईयर में आ गया था. मेरी जवानी भी निखर कर आ गई थी.
भाभी जब तब मुझे देख कर मुस्कुराने लगी थीं.
मैं भी उनकी मुस्कान का कुछ कुछ मतलब समझने लगा था.

वो गर्मियों का मौसम था. मैं हमारे गन्ने के खेतों में पानी देने आया था. उस समय लगभग एक बजे का समय था.
भाभी खाना लेकर आईं.

मैं झोपड़ी में बैठा था. भाभी के आने से पहले मैं उनके बारे में ही सोच सोच कर मोबाइल में ब्लू फ़िल्म देख रहा था.

भाभी आईं और मेरे पास बैठ गईं.
मैंने कहा- क्या देने आई हो भाभी?
भाभी- खुराक देने आई हूँ.

मैंने कहा- मेरी खुराक कुछ ज्यादा है भाभी … भूख मिटा दोगी न?
भाभी हंस दीं और बोलीं- मैं सब समझती हूँ. अब ज्यादा नाटक न कर, चुपचाप भूख मिटा लो.

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मैंने अपने हाथ फैला दिए और कहा- आ जाओ, मैं तो भाभी कब से भूखा हूँ.
भाभी ने हाथ से मारने का इशारा किया और हंसने लगीं.

कुछ देर बाद मैंने खाना खाना शुरू कर दिया.

भाभी गन्ने के खेत में चली गईं, उनको पानी की धार को दूसरी दिशा देनी थी.
वो खेत के अन्दर गयी थीं.

मैं भी नजदीक में ही था और झोपड़ी से उन्हें देख रहा था.

मेरे मन में आ गया था कि आज ही है वो मौका, इसका फायदा उठा लिया जाना चाहिए.
मैंने खाना आधा खाया और इधर उधर नजर दौड़ा कर देखा. कोई नहीं दिखा, तो मैं उनके नजदीक चला गया.

वो झुक कर पानी की दिशा बदल रही थीं, मेरा लंड खड़ा था. मैंने इधर देखा ना उधर और जाकर उनके हाथ में लंड टिका कर कसके पकड़ लिया.

वो घबरा गईं और झट से खड़ी हो गईं. फिर सर घुमा कर मुझे देख कर बोलीं- ये क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- खुराक ले रहा हूँ.

भाभी मुझे डांटने लगीं और बोलीं- छोड़ मुझे, नहीं तो चिल्ला दूंगी.
मेरे मन में तो उनकी गांड का नजारा था.
मैंने छोड़ने से मना कर दिया और कहा- एक बार दे दोगी भाभी, तो छोड़ दूँगा.
वो कसमसाने लगीं.

मैंने उन्हें नहीं छोड़ा और बस उनसे देने की कहता रहा.

फिर भाभी धीरे बोलीं- ठीक है, पर किसी को बताना मत!
इतना सुन कर मेरा लौड़ा लकड़ी से सरिया बन गया क्योंकि वो लगभग मान गयी थीं.

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उन्होंने कहा- पर मैं नंगी नहीं होऊंगी.
मैं बोला- जी बिल्कुल.

वो बोलीं- पहले जाओ, देख कर आओ कि आस पास कोई है तो नहीं!
मैं बोला- भागोगी तो नहीं?

भाभी- पागल, जल्दी जाओ. मुझे घर जाना है … टाइम हो रहा है.
मैं बाहर गया और देखा तो पड़ोस के खेत में एक आदमी था.

मैं उसके जाने का इंतजार करने लगा.
कुछ देर के बाद वो दूसरी साइड चला गया.

मैं अन्दर को घुसा. भाभी बैठी हुई थीं.

मैं उनसे बोला- कोई नहीं है, अब दो.
वो बोलीं- कुछ और अन्दर घने में चलो, तभी दूंगी.
मैंने हामी भर दी.

वो बोलीं- बिछाने के लिए कुछ ले आओ.
मैं झट से झोपड़ी में से चटाई और एक चादर ले आया.

हमारे खेत बहुत फैले हुए हैं.
भाभी आगे आगे चलने लगीं.

मेरी नजर उनकी मटकती हुई गांड पर टिकी थी.
कोई 200 मीटर जाने के बाद वो रुकी, तो मैंने वहीं चटाई बिछा दी.

सीधे उनके मुँह में मुँह दे दिया और किस करने लगा.
वो बस खड़ी थीं.

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मैंने अपना हाथ उनके दोनों चूतड़ों पर रख कर दबा दिए. वो कुछ नहीं बोल रही थी.
किस रोक कर मैं उसके पीछे जाकर घुटनों के बल बैठ गया.

मैंने उन्हें साड़ी उठाने को बोला.
उन्होंने अपनी साड़ी कमर तक उठा दी.

भाभी ने काले रंग की चड्डी पहन रखी थी.
उसे मैंने प्यार से हटाया और सामने नजर गड़ा दीं.

सामने जन्नत का नजारा था.
मैंने आव देखा ना ताव, सीधे मुँह उनकी गांड में दे दिया और चाटने लगा.

मैंने उनके दोनों चूतड़ फैला कर जीभ को गांड के काले छेद में दे दिया.
मुझे बहुत मजा आ रहा था.

कुछ मिनट मजा लेने के बाद मैं पूरा नंगा हो गया.
मेरा लंड पूरा रॉड बना हुआ था.

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जब उन्होंने मेरा लौड़ा देखा तो शायद वो घबरा सी रही थीं.
मेरा लंड 7 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा था.
मुझे लगा कि कहीं इतना बड़ा देख कर मना ना कर दें.

मैंने उनके हाथ में लौड़ा पकड़ा दिया और कहा- चूसो.
वो बोलीं- नहीं, मेरे से नहीं होगा. ये बहुत बड़ा है.

मैंने किसी तरह मना कर जैसे तैसे उनके मुँह में लंड दे दिया.
उनका पूरा मुँह खुल गया था, तो मैंने किसी तरह से मैंने लंड अन्दर घुसाया.

पर वो ज्यादा अन्दर नहीं ले पा रही थीं.
मैंने भाभी के सर को पकड़ कर हल्का सा पेला, उन्होंने लंड उगल दिया.

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भाभी बोलीं- चोदना है तो चोद लो, मुझे जाना है. मुझसे मुँह से नहीं हो पाएगा.

मैंने उन्हें लिटा दिया और साड़ी पूरा ऊपर करके चड्डी निकाल दी.
उनकी फुद्दी में बहुत ज्यादा घने बाल थे. मेरे लंड में भी थे.

मैंने कहा- आप झांटें साफ़ नहीं करती क्या … इतने बाल?
वो बोलीं- वो सब मैं नहीं करती और किसलिए करूं?

मैं बोला- क्यों भाई नहीं बोलते हैं?
वो बोलीं- क्यों बोलेंगे?

मैंने कहा- क्यों, वो चोदते नहीं है क्या?
वो बोलीं- कभी कभी. अब तुम वो सब छोड़ो और काम खत्म करो.

मैं भाभी की चूत में लौड़ा रगड़ने लगा, तो भाभी ने चूत फैला दी.
क्या मस्त चूत थी.

मैंने छेद में लंड रख कर पेला.
भाभी कसमसा गईं ‘अहह उहह मर गई आह.’

मैं बोला- बहुत टाइट है यार, भाई चोदता ही नहीं है क्या?
भाभी कुछ नहीं बोलीं.

मैंने- पिछली बार कब चोदा था?
वो बोलीं- आठ महीने पहले.
मैं सुनकर हैरान हो गया.

वो बोलीं- तूने कितनी को चोदा है?
मैं बोला- आप पहली हो.

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ये कह कर मैंने जोर से लंड पेला.
गन्ने के खेत में चुदाई से भाभी चीख उठीं- अहह मर गई धीरे धीरे कर ना … तेरा बहुत बड़ा लंड है … आह दर्द हो रहा है.

मैं धीमे धीमे चोदने लगा.
भाभी मजा लेने लगीं- अह्ह्ह अह्ह्ह उईई.

कुछ देर बाद लंड ने जगह बना ली और आराम से जाने लगा.
वो भी साथ देने लगीं.

भाभी गांड हिलाती हुई बोलीं- तेरा मुझे चोदने का मन कैसे हो गया?
मैंने भाभी को झाड़ी वाली पूरी बात बताई कि कैसे आपकी गांड को देखा और क्या ख्याल आया.
साथ ही मैंने अपनी गांड मारने की कामना भी बता दी.

भाभी बोलीं- भूल जाओ, मैं पीछे की नहीं दूंगी.
मैं बोला- अरे ऊपर से ही करूँगा, अन्दर नहीं डालूंगा.
भाभी- ये सब बोलने के लिए ही कह रहे हो. मौका मिलते ही अन्दर डाल दोगे. इतना बड़ा लंड नहीं लूँगी … मरना नहीं है मुझे, समझे!

मैं बोला- अरे, अगर हल्का सा ही दर्द होगा, सह लेना यार!
मैंने बहुत मेहनत करके भाभी को मनाया.

उनकी चूत पूरी तरह से खुल चुकी थी. मैंने लंड चूत से निकाला और उनके दूध चूसने लगा.

फिर उन्हें उल्टा लिटा दिया.
अब भाभी की गोरी गांड मेरे सामने थी.

मैं चाटने लगा तो उन्होंने अपने हाथों से अपने दोनों कूल्हे फैला दिए.

मैंने चाट चाट कर भाभी की पूरी गांड गीली कर दी और लंड उनकी गांड के छेद में रख दिया.

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उन्होंने लंड को अपने कूल्हों से कसके जकड़ लिया, अन्दर पेला तो भाभी छटपटाने लगीं.

कुछ देर के दर्द के बाद भाभी ने लंड गांड में ले लिया था.
मैंने आगे पीछे करना चालू कर दिया.

कोई 5-6 झटके के बाद लंड निकल गया तो उन्होंने फिर से गांड फैला दी.

मैंने फिर से लौड़ा घुसाया और चोदने लगा.
गांड चोदने में जो आवाज आ रही थी, उसे सुन कर और तेज तेज झटके देने लगा.

क्या मस्त आवाज थी फट फट!
भाभी की सांसें तेज हो गयी थीं.

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ऐसी ही आवाज के साथ चोदते हुए 8-9 मिनट बाद मैं झड़ने वाला था.
मैंने स्पीड बढ़ा दी और भाभी की गांड में ही झड़ गया.

साला इतना सारा माल निकला कि पूछो मत … पूरा कप भर जाता.
रस झड़ जाने के बाद गांड में ही लंड रहने दिया और लेटा रहा.

भाभी भी चुपचाप लेटी रहीं.
मैंने भाभी से पूछा- भाभी कैसा लगा? मजा आया या नहीं?

भाभी मरी सी आवाज में बोलीं- हां … अच्छा तो लगा, पर दर्द बहुत हुआ.
मैंने कहा- एक राउंड और करें?
भाभी- बस … अब नहीं.

मैं- तो अगली बार रात में दोगी?
भाभी बोलीं- मुझे पता था कि एक बार दूंगी, तो दोबारा जरूर मांगोगे!

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मैं बोला- प्लीज भाभी.
वो बोलीं- कोई चारा भी तो नहीं है, चस्का तो मुझे भी लग गया है. तू भी मुझे बिना चोदे तो मानेगा नहीं.

मैं हंस कर उनके ऊपर से हट गया.
उनकी गांड की दरार से मेरे सफ़ेद माल की धार बह रही थी.

भाभी उठीं और अपने पेटीकोट से गांड को अन्दर तक उंगली डालकर पौंछा.
उनकी जांघों में भी रस लगा हुआ था.

मैंने उनकी चड्डी उठाई और लंड को साफ किया.
भाभी बोलीं- मेरी चड्डी दो.
मैंने मना कर दिया और कहा- भाभी, इसे मैं रखूँगा प्लीज.
वो बोलीं- पर छुपा कर रखना!

मैंने हां कह दी और अपने कपड़े पहन लिए.
पहले मैं बाहर गया.
भाभी दूसरी साइड से निकल गईं.

मैं झोपड़ी में जाकर बैठ गया.
कुछ देर बाद भाभी वापस आ गईं.

मैंने देखा, वो अभी भी पीछे हाथ दे रही थीं, गांड सहला रही थीं.
मैंने कहा- क्या हुआ भाभी … कुछ लगा है क्या? उठाइए साड़ी, मैं पौंछ देता हूँ.

वो साड़ी उठा कर खड़ी हो गईं.
मैंने चड्डी से अन्दर तक साफ कर दिया और भाभी से लिपट कर उन्हें किस करने लगा.

भाभी बोलीं- बस करो जी.
मैंने उन्हें रात को चुदवाने को मना लिया.

वो हंस कर मुझसे लिपट गईं.
तो ये थी मेरी पहली चुदाई की कहानी.
रात को भाभी को कैसे चोदा, वो आपको अगली सेक्स कहानी में बताऊंगा.

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