दीदी ने मालिश के बाद चुदाई कराई

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देसी लड़की की चूत कहानी में मेरे पड़ोस में रहने वाली एक मस्त गदरायी लड़की ने नंगी होकर मुझसे मालिश करवाई फिर अपनी चूत में लंड घुसवाया.

दोस्तो, मैं राहुल अपनी पहली सेक्स कहानी लेकर हाज़िर हूँ.
मैं 25 साल का हट्टा-कट्टा जवान लड़का हूँ. मैं फरीदाबाद में रहता हूँ.

Desi Ladki Ki Chut Kahani कुछ साल पहले की है, जब मैं अपने कॉलेज में था
हमारे पड़ोस में बिट्टू नाम की लड़की रहती थी. उसकी उम्र उस समय पर 23-24 साल थी.

वो दिखने में मस्त पटाखा, गोरे बदन वाली माल लौंडिया थी.
उसकी तनी हुई 34 इंच की चूचियां, बलखाती 28 इंच की पतली कमर और तोप सी उठी हुई 36 इंच की मस्त मोटी गांड थी; काले रेशमी बाल, जो उसके नितंबों तक आते थे.
उसका ये मदमस्त हुस्न किसी भी लौंडे के लंड को खड़ा कर देने के लिए काफी था.

वो अपने नाना नानी के घर पर रहती थी.
मैं जब भी उसके घर जाता था तो उसे देख कर मन करता था कि बस उसे पकड़ कर वहीं लेटा दूँ और अपना 7 इंच का मोटा लंड उसकी चूत में डाल कर उसे चोद डालूँ.

एक दिन की बात है, मेरे घर वालों को शादी में जाना था.
मम्मी ने कहा कि तुम्हें भी शादी में जाना पड़ेगा.
पर मैंने मना कर दिया क्योंकि मेरे एग्जाम आ रहे थे.

बाद में मम्मी ने कहा- मैंने बिट्टू को बोल दिया है कि वो तेरे लिए भी खाना बना देगी. रात में वहीं जाकर खाना खा लेना.
मैं बोला- ठीक है.

रात को 8 बजे मैं उसके घर पहुंच गया.
घंटी बजाई तो दीदी बाहर निकली, मुझे देखकर बोली- आ जा राहुल. मैं तेरा ही इन्तजार कर रही थी.

क्या मस्त लग रही थी यार, मन कर रहा था कि बस गले लग कर उसके जिस्म को अपने से चिपटा लूँ और उसकी जवानी की गर्मी को महसूस करता रहूँ.
उसने मैक्सी पहनी हुई थी. मैक्सी में से उसकी तनी हुई नोकें मेरा दिमाग खराब कर रही थीं.

उस दिन उसके नानाजी गांव गए हुए थे, घर पर सिर्फ उसकी नानी ही थीं.

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हम तीनों ने खाना खाया और हॉल में बैठकर टीवी देखने लगे.

कुछ देर बाद नानी बोलीं- तुम लोग टीवी देखो, मैं सोने जा रही हूं.

मैं बोला- हां, मैं भी घर जाता हूँ.
पर दीदी बोली- मुझे नींद नहीं आ रही है, थोड़ी देर बाद चले जाना.
मैं बोला- ठीक है.
और मैं मन ही बहुत खुश हो गया.

हम साथ में बैठकर टीवी देखने लगे. उसने एक इंग्लिश फिल्म लगा दी.

दीदी मेरे करीब ही बैठी थी.
तभी मूवी में कुछ सेक्सी सीन आने लगे थे तो मैंने चैनल बदल दिया.
पर दीदी बोली- अरे, वही मूवी लगाओ न!

मैंने वापस वही चैनल लगा दिया और चुदाई का सेक्सी सीन शुरू हो गया जिसे देखकर मेरी हालत खराब होने लगी.
शायद दीदी भी गर्म होने लगी थी.

मूवी खत्म होने पर हम दोनों ऐसे ही इधर उधर की बातें करने लगे.

दीदी ने टीवी के रिमोट को उठाकर टेबल पर रखा और सोफे पर मेरे बिल्कुल करीब आकर बैठ गई.

उसकी मोटी और बिल्कुल मक्खन सी मुलायम जांघें, मेरी जांघों से रगड़ कर मुझे अजीब सा सुख देने लगीं.
मेरा पूरा बदन हिल सा गया.
मुझे बहुत अच्छा लग रहा था और मेरा लंड बिल्कुल सख्त हो रहा था.

दीदी भी मुझसे चिपक कर मज़े ले रही थी. दीदी के बदन की खुशबू मुझे पागल किए जा रही थी.
हम दोनों बातें करने में लगे थे.

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बातों ही बातों में मैंने पूछ लिया- दीदी, आप शादी कब कर रही हो?
उसने कहा- जब कोई अच्छा लड़का मिल जाएगा, तो शादी भी कर लूँगी.

मैंने पूछा- आपको कैसा लड़का पसंद है?
तो दीदी मेरी तरफ देख कर बोली- तेरे जैसा स्मार्ट, हैंडसम और जो रोज़ मुझे प्यार करे.

दीदी की बातें सुनकर मेरा लौड़ा टन टन करने लगा.

तभी दीदी बोल पड़ी- तुझे कैसी लड़की पसंद है?
मैं बोला- मुझे भी बिल्कुल आपकी जैसी.

दीदी बोली- मुझमें ऐसा क्या है?
मैं बोला- आप बहुत मस्त हो.
वो बोली- मस्त क्या है मुझमें?

मैं बोला- सब कुछ तो मस्त है … ऊपर से नीचे तक.
वो हंसने लगी.

मैं उसे गर्म करना चाहता था.
इतने में उसकी नानी अन्दर से आवाज़ देने लगीं.

दीदी बोली- मैं उन्हें दवा देकर आती हूँ, तुम जाना नहीं!
उसके जाते ही मेरा हाथ लोअर में घुस गया और मैं अपने लंड को मसलने लगा.

कुछ समय बाद दीदी आई, तो मैंने हड़बड़ा कर हाथ बाहर निकाल लिया.
दीदी ने मुझे लंड मसलते हुए देख लिया था.

वो मेरे लंड को देखती हुई बोली- आज तू इधर ही सो जा.
मैंने भी उसकी चूचियां देखते हुए ओके कह दिया.

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अब वो बोली- मैं नहा कर आती हूँ.
मैंने कहा- अरे रात को क्या नहाना?

वो बोली- ये मेरी आदत है.
मैंने ओके कह दिया.

वो चली गई और मैं सोफे पर बैठे बैठे दीदी के नंगे बदन को महसूस करते हुए अपने लंड को मसले जा रहा था.

अपनी कल्पना में दीदी को रगड़ रगड़ कर नहलाए जा रहा था.
कुछ देर बाद दीदी सेक्सी फ्रॉक वाली नाइटी पहन कर आ गई और बोली- तुम भी नहा लो, गर्मी बहुत है.

मैं उसे देखता हुआ बोला- मेरे पास कपड़े नहीं हैं.
वो बोली- उसकी टेंशन मत करो, मैं दे दूंगी.

मैं मन ही मन सोचने लगा कि जब दे ही रही हो, तो आज रात अपना छेद दे दो.

खैर … मैं बाथरूम में गया और कपड़े निकाल दिए.

पर जैसे ही मैं अपने कपड़े टांगने गया, वहां पहले से टंगी दीदी की मैक्सी को उतार कर अपनी सूँघने लगा.

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क्या मस्त खुशबू थी यार … बता नहीं सकता. नीचे टब में दीदी की ब्रा और पैंटी पड़ी थी.
मैंने झट से पैंटी उठाई और सूंघने लगा.
उस पर दीदी अपनी चूत का पानी निकाल कर गई थी.

मैं किसी पागल कुत्ते की तरह से अपनी जीभ से दीदी की चूत का पानी चाटने लगा. बहुत मस्त स्वाद मिल रहा था, शब्दों में बता पाना मुश्किल है.

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दीदी की पैंटी चाट कर मुझे बहुत अच्छा फील हो रहा था. लंड अकड़ा जा रहा था.
मैं उसकी पूरी पैंटी को अपने मुँह में डालकर उसे चूस रहा था.

मैंने पहली बार किसी लड़की के चूत का पानी टेस्ट किया था.
बस जी में आ रहा था कि दीदी की पैंटी को खा ही जाऊं.

मैंने ब्रा को भी खूब चूसा और चाट चाट कर मज़े लिए, दीदी की पैंटी पहन कर उसी में लंड मसल कर अपना पानी निकाल दिया और नहा कर टॉवेल लपेटकर बाहर आ गया.

दीदी बोली- बहुत देर कर दी नहाने में?
मेरे मुँह से बस ‘हां … वो …’ ही निकला, तो दीदी समझ गयी.
वो बोली- मैं कपड़े धोकर आती हूँ.

कुछ देर बाद वो गुस्से में आई और बोली- तुमने अन्दर मेरे कपड़ों के साथ क्या किया?
मैं सकपका गया.

तभी दीदी ने गुस्सा खत्म करते हुए कहा- अरे तुमको जो भी करना था, वो किया, पर उसके बाद अपने कपड़ों को मशीन में क्यों नहीं डाला, साथ में मेरे भी डाल देता.
मैं बोला- मैं भूल गया दीदी.

दीदी मुस्कुरा कर बोली- इस उम्र में ऐसा होता है.
मैंने सर झुका लिया.

वो बोली- मजा आया?
मैंने उसकी तरफ देखा.

वो बोली- और मजा लेना है?
मैं खुश हो गया.

वो बोली- मजा बाद में मिलेगा, पहले तुम्हें सजा मिलेगी.
मैं बोला- कैसी सजा दीदी?

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दीदी ने आंख दबाते हुए कहा- तुम्हें मेरे पैर दबाने पड़ेंगे.
मैं समझ गया और बोला- हां ठीक है, मैं दबा दूंगा.

वो सोफे पर टांगें पसार कर बैठ गई.
मैं उसकी टांगों को अपने हाथों में लेकर दबाने लगा.

वो बोली- अरे वाह, तू तो बड़ी अच्छी तरह से दबाता है, हां ऐसे ही राहुल दबाते रहो … बहुत अच्छा लग रहा है.
मैं दीदी की दोनों टांगों को बारी बारी दबाने लगा.
मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.

कुछ देर बाद मैं दीदी की एक टांग को अपने कन्धे पर रख कर मालिश सा करने लगा.
मुझे उसकी पैंटी दिखाई दे रही थी.
उफ्फ्फ … बहुत मज़ा आ रहा था.

शायद दीदी भी अपनी आंखें बंद कर मेरी जवानी के मज़े ले रही थी.
दीदी की एक टांग की बड़ी उंगली को मैं अपने मुँह में लेकर उसकी पूरी उंगली को चूसने लगा.

दीदी मेरे किए गए प्रहार से खुद को संभाल नहीं पाई और उसके मुँह से ‘अअह अअह …’ की आवाज निकलने लगी.
उसने आंख खोल कर मुझे अपनी उंगली चूसते हुए देखा तो बोली- अब ऐसे ही करता जा.

मैं भी निडर हो गया और दीदी की सभी उंगलियों को एक एक करके गपागप चूसने लगा.
दीदी ने भी बिंदास होकर मुझे अपने आपको सौंप सा दिया था.

मैं अब उसके पैर के तलवे को अपनी जीभ से चाटे जा रहा था.
दोनों हाथों से गर्म, गोरी और कोमल टांगों को सहलाए जा रहा था.

फिर घुटनों के नीचे पूरे टांगों को अपनी जीभ लगा कर चाटने लगा था.
उफ्फ … सारा कुछ वर्णन करना ही असम्भव है. हमारे बीच एक मौन सहमति बन गई थी.

मैं और ऊपर आते हुए दीदी की मस्त चिकनी जांघों को चाटने लगा.
दीदी भी अब मेरा पूरा साथ दे रही थी.

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वो खुद ही अपनी नाइटी ऊपर करके अपने अत्यंत कोमल और गदराए बदन को मेरे हवाले करने को आतुर थी.
मैं पूरे जोश में जांघों को चूमने चूसने और चाटने लगा था.

दीदी बोल रही थी- आंह राहुल … और जोर से चूसो मेरे बदन को, मसल दो राहुल मुझे मेरी जान!
मैं भी खूब मस्ती से दीदी की जांघों को चूस रहा था.
दीदी मेरा सर पकड़कर दबा दबा कर अपनी जांघों को चटवा रही थी.

फिर मैंने सोफे पर बैठ कर दीदी को अपनी गोद में बैठा लिया.
वो मेरे मुँह की तरफ अपना मुँह करके बैठी थी.

मैं पागलों की तरह से दीदी के बदन को सहलाने लगा.
दीदी की बड़ी गांड अब मेरे हाथों में थी. मेरा लंड दीदी की गांड की दरार के बीच में अड़ गया था.

तभी दीदी ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और मेरे मुँह का पानी चूसने लगी.

उसके चुम्बन से मेरे दोनों हाथों में दीदी के एक एक चूची आ चुकी थी.
मैं उसकी चूचियों को नाइटी और ब्रा के ऊपर से ही मसल रहा था.
दीदी बस उत्तेजक सिसकारियां निकाल रही थी- अअह … ऊऊह.

मैं दीदी के कान को चूसने लगा. कान के अन्दर जीभ डाल कर अन्दर तक चाटने लगा. दीदी की कान में जीभ डाल कर अन्दर बाहर पेलने लगा.

दीदी बोली- खा जाओ इसे … और अन्दर तक पेलो मज़ा आ रहा है … शाबाश राहुल ऐसे ही लगे रहो … और मेरे जिस्म के एक एक अंग से ऐसे ही खेलो … आह बड़ा मज़ा आ रहा है … मुझे खा जाओ … आह अपनी इस दीदी को आज पूरा मजा दे दो.

दीदी के गले को चाटते हुए मैं नीचे की तरफ आने लगा और हाथों से चूचियों को मसलने लगा, उसके कड़क निप्पल्स को दो उंगलियों के बीच लेकर दबा दबा कर मसलने लगा.

तब दीदी बोली- राहुल, मेरे पूरे शरीर को नंगा करके पूरे बदन की मालिश कर दो.

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मैंने कहा- दीदी मालिश करवानी है या नुरो मसाज करवानी है?
वो बोली- अच्छा तू नुरो मसाज करना जानता है?

मैंने कहा- हां, उसमें अंग से अंग रगड़ कर मालिश की जाती है.
वो हंसी और बोली- फिर अंग में अंग घुसेड़ कर चुदाई भी कर दी जाती है.

मैंने कहा- हां दीदी, मुझे सब आता है.
दीदी- साले, दीदी भी कह रहा है और अपनी दीदी की चुदाई की बात भी कर रहा है.

मैं भी हंस दिया.
हमारे बीच चुदाई की सहमति बन गई थी.

दीदी- अब दांत ही निकालता रहेगा या मुझे मजा भी देगा?
मैंने कहा- मजा दूँगा, तो मजा लूंगा भी!

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दीदी- मतलब?
मैंने कहा- मतलब वही, जो अभी आपने कहा था.

दीदी- अच्छा मतलब नुरो मसाज करेगा, तो मुझे चोदेगा भी?
मैंने दीदी के दूध मसलते हुए कहा- हां, मेरी बिट्टू रानी.
दीदी- अच्छा भोसड़ी के, अब बिट्टू रानी भी कहेगा?

मैंने उसके कपड़े उतारना शुरू कर दिए और दीदी को नंगी कर दिया … साथ ही खुद भी नंगा हो गया.
अगले कुछ पलों में मैं दीदी को चित लिटा कर उसके ऊपर चढ़कर मालिश करने लगा.

मालिश क्या हुई, वो तो लंड ने चुत की गुफा में घुसने का जतन किया.
उधर नीचे से दीदी ने भी टांगें खोल कर लंड चुत में ले लिया.

लंड जैसे ही चुत में घुसा, दीदी ने एक मीठी आह भरी.
मैं समझ गया कि ये चुदी चुदाई माल है.

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मस्त धकापेल चुदाई चलने लगी.
मैंने बीस मिनट तक कलाबाजी खाई और उसकी चुत में ही झड़ गया.

उस रात मैंने दीदी के साथ तीन बार चुदाई का खेल खेला.
उसके बाद तो मेरी लाइन क्लियर हो गई थी और हफ्ते में एक या दो बार दीदी की चुत का मजा मिलने लगा था.

दोस्तो, आपको देसी लड़की की चूत कहानी कैसी लगी, मुझे ज़रूर बताइएगा.
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