पड़ोसन मां बेटी की चूत गांड चुदाई

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देसी चुत की Xxx चुदाई का मजा मैंने लिया अपने पड़ोस की लड़की के साथ. मैंने उसे बाथरूम में नंगी देखा. उसने मुझे देख लिया. इसके बाद क्या हुआ?

फ्रेंड्स, मैं देसी Xxx चुत का भूखा राहुल, मैं पंजाब के जालंधर का रहने वाला हूँ.

आज मैं आपको मेरी और मेरी पड़ोसन आरती की सच्ची Desi Chut Ki Xxx Chudai Kahani बताने जा रहा हूँ.

मेरे घर के पड़ोस में ही आरती का घर है.
आरती यूपी से है लेकिन उसके परिवार को पंजाब में बहुत साल हो गए हैं.

आरती के घर में उसके मम्मी पापा हैं.
आरती के पापा मेरे पापा के साथ ही लुधियाना में काम करते हैं और संडे को ही घर आते हैं.

आरती की मम्मी जालंधर में ही काम करती हैं.
मेरी मम्मी नहीं हैं, पांच साल पहले उनकी डेथ हो गई थी.

मेरा खाना भी आरती ही बनाती है.
घर में आरती और मैं, हम दोनों ही होते हैं.

एक दिन आरती और मैं स्कूल से घर आए थे.
मैं अपने घर की छत पर था, आरती अपने घर में बाथरूम में नहा रही थी.

छत से अनायास ही मेरी नजर उसके बाथरूम में बने रोशनदान पर चली गई.
उधर से बाथरूम के अन्दर का नजारा साफ़ दिखाई दे रहा था.

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आज पहली बार मैंने आरती को बिना कपड़ों के देखा था.
आरती बहुत गोरी चिट्टी माल लौंडिया सी दिख रही थी. उसके बड़े बड़े मम्मे मस्त हिलते हुए दिख रहे थे.

उसके गजब के दूध देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया.

आरती पूरे मज़े से अपने दूध दबा रही थी.
वो अपने एक हाथ से अपने एक मम्मे के निप्पल को खींच खींच कर मजा ले रही थी.
शायद वो जवानी की आग में जल रही थी.

यह सीन देख कर मेरा लंड पूरा अकड़ गया था.

मैंने ऊपर से आवाज़ दे दी- मैं भी आ जाऊं क्या?
अब आरती ने मुझे देख लिया और अपने मम्मों के ऊपर अपने हाथ रख कर बाथरूम के रोशनदान का फ्लैप वाला पर्दा बंद कर दिया.

मैं अभी भी उसी तरफ देख रहा था पर अब कुछ दिखाई नहीं दे रहा था.

मगर उस तरफ से आरती को मैं दिखाई दे रहा था.

कुछ पल बाद उसने अपने बाथरूम के रोशनदान के फ्लैप को फिर से खींचा और खोल दिया.
मैंने देखा कि आरती अभी भी नंगी थी.

तभी उसने मुझे आने का इशारा किया.

मैंने छत से ही उसके घर में छलांग लगा दी और सीधा बाथरूम में आरती के पास चला गया.
आरती हंसने लगी और बोली- कब से देख रहे थे?

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मैंने उसकी जवानी को खा जाने वाली नजर से देखते हुए कहा- जब से तुम नहा रही थी.
आरती इतरा कर अपने दूध हिलाती हुई बोली- अच्छा तो बताओ मैं कैसी लग रही हूँ?

मैंने कहा- सुपर हॉट बॉम्ब.
आरती बोली- तू अब इस बॉम्ब में ब्लास्ट कर दे.

आरती इतना बोल कर मेरे सीने से चिपक गई और मुझको किस करने लगी.
उसका एक हाथ मेरे लंड पर आ गया था.

आरती लंड मसलती हुई बोली- अब अपने इस छोटू सरदार को भी आज़ाद कर दो राजा!
मैंने अपने कपड़े उतार दिए.

अब हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे.
आरती का हाथ मेरे लंड पर चलने लगा.
मैं भी आरती की Xxx देसी चुत को सहलाने लगा.

आरती अब नीचे बैठ कर मेरे लंड को चूसने लगी.
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.

फिर मैंने आरती की चूत चाटी.
बाथरूम हमारी कामुक आवाजों से गूँज उठा था.

कुछ देर बाद उसने कहा- अब पेल दो!
मैं आरती को चोदने की कोशिश करने लगा.

वो कुंवारी थी तो बाथरूम में उसे चोदने में दिक्कत आ रही थी.
लंड चूत में जा ही नहीं पा रहा था.

आरती घोड़ी बनी हुई थी.
वो भी लंड लेने की कोशिश कर रही थी मगर एक तो जोश ज्यादा था और दोनों ही अनाड़ी थे.

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आरती बोली- चलो मेरे रूम में चलते हैं राजा!
हम दोनों बिना कपड़ों के ही बाथरूम से निकल कर ऊपर बने आरती के रूम में आ गए.

मैंने पूछा- तुम अपनी मम्मी के साथ यहीं पर सोती हो?
आरती बोली- नहीं, मम्मी नीचे अपने बेडरूम में ही सोती हैं. यहां मैं ही सोती हूँ … और अब से तुम भी यहीं मेरे साथ हर रात सो सकते हो.

इतना बोलते हुए आरती बेड पर टांग उठा कर लेट गई और बोली- राजा अब देर न करो … जल्दी से मेरी चूत की प्यास बुझा दो.

मैं आरती की चूत को चाटने लगा.
वह आह इस्स की आवाज़ निकाल रही थी और मेरे लंड से खेल रही थी.

आरती से कुछ देर बाद रहा न गया और वो मुझे धक्का देकर मेरे ऊपर 69 में चढ़ गई.
उसकी चूत मेरे मुँह के पास आ गई और मेरा लंड आरती के मुँह के अन्दर था.

दस मिनट तक लंड चूत की चुदाई का खेल करने के बाद आरती झड़ गई.

अब मैं उसको सीधा लिटा कर पेलने लगा.
उसकी देसी चूत से खून निकलने लगा और वो बेहद तड़फ रही थी.
मगर जवानी की आग ने सारा दर्द खत्म कर दिया था.

उस दिन हम दोनों ने तीन बार चुदाई की.
आरती को चोदने के बाद मैं अपने घर आ गया.

कुछ समय बाद आरती की मम्मी भी घर आ गई थीं.

फिर रात को खाना खाकर मैं फिर से अपने घर आ गया था.

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पर खाना खाते समय आरती मुझसे नहीं मिली.
शायद उसे बुखार चढ़ गया था.

मैंने भी आंटी से आरती के बारे में नहीं पूछा.
पहले भी आरती शाम के खाना पर कभी कभी ही मिलती थी, पर मुझको लग रहा था कि आरती चुदाई के बाद जरूर मिलने आएगी, पर वो नहीं आई.

मेरे घर आते ही आरती की कॉल आ गई.

आरती बोली- खाना खाने में इतना टाइम लगा दिया, मैं कब से ऊपर वेट कर रही हूँ. जल्दी से आ जाओ.
मैंने बोला- आंटी अभी सोई नहीं हैं. वो काम कर रही हैं.

आरती बोली- हां तो क्या हुआ, मम्मी अब ऊपर नहीं आएंगी. अगर आ भी गईं तो मैं देख लूंगी. बस तुम मेरे पास आ जाओ. मेरे से और इंतजार नहीं हो रहा है.
मैं भी जल्दी से आरती के बेडरूम में आ गया.

हम दोनों ने अपना कार्यक्रम आरम्भ कर दिया.
अब हम हर दिन और रात एक साथ रहने लगे थे.

आरती के लैपटॉप पर हम दोनों सन्नी लियोनी की ब्लू फिल्म लगा कर देखते और उसके जैसे हर पोज़ में चुदाई का मजा करते.

एक दिन मैंने गांड मारने वाली ब्लूफिल्म चलाई.
मैंने कहा- मेरा मन ऐसे करने का है.
आरती बोली- तो आ जाओ राजा, आज पीछे से भी करके अपने मन की पूरी कर लो.

मैंने कहा- दर्द होगा तुमको!
वो बोली- कोई बात नहीं, मज़ा भी तो आएगा. मैं हर दर्द के लिए राजी हूँ. तुम बस पेलो.

आज पहली बार मैं आरती की गांड मारने लगा.
पहले झटके से ही आरती दर्द से दहल गई, लेकिन फिर वो जोश में आ गई.

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वो बोली- एक झटके में पूरा अन्दर पेल दो राजा एक बार ही दर्द होगा. फिर धीरे धीरे पेलना.
मैंने वैसा ही किया.

अब हम दोनों सातवें आसमान पर थे. हमें अब किसी बात का डर नहीं था.

कुछ दिन बाद आरती के जिस्म के बदलाव से उसकी मम्मी को हम दोनों पर शक हो गया था.

एक रात आंटी ने मुझको देख लिया था लेकिन तब वो कुछ नहीं बोली थीं.

मुझे और आरती को नहीं पता था कि उसकी मम्मी ने मुझे देख लिया है.

एक रात को बिजली नहीं आ रही थी.
आरती की मम्मी भी उसके साथ ऊपर कमरे में आ गईं.

आरती ने बेडरूम में से कॉल की और बोली- अभी कमरे में मत आना. आज मम्मी कमरे में हैं. मैं कॉल करूंगी, तब आना.
मैंने ओके बोल दिया.

तकरीबन 30 मिनट बाद उसकी कॉल आई.
आरती बोली- आ जाओ, मम्मी नीचे चली गई हैं.

पर आरती को ये नहीं मालूम था कि आंटी नीचे नहीं, साथ वाले रूम में ही थीं. लाइट ना होने की वजह से आरती को आंटी का पता नहीं चला था.

मैं अब आरती के रूम में आ गया था.
मैंने आरती को चोदना चालू कर दिया.

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लाइट नहीं थी इसलिए हम दोनों ने दरवाजा भी नहीं बंद किया था.

दस मिनट बाद रूम में लाइट जल गई.
वो लाइट आरती की मम्मी के मोबाइल के फ्लैश लाइट थी.

आंटी पूरी गुस्से में थीं वो कड़क आवाज में बोलीं- ये सब क्या चल रहा है?

मेरा लंड आरती की गांड में था.
हम दोनों डर गए.
आंटी पूरे गुस्से में थीं.

मैं गांड में से लंड निकाल कर बेड से नीचे आ गया था.

आंटी बोलीं- अब तुम कहीं मत जाना.
आरती एकदम से सहम गई थी.

आंटी बोलीं- संडे को आने दो तुम्हारे पापा को, फिर मैं बात करूंगी.
मैं भी घबराया हुआ था.

मैंने कहा- आंटी, प्लीज़ पापा को नहीं बताना. आप जो बोलोगी, मैं वो करूंगा प्लीज़ आंटी.
अब आरती भी बोलने लगी- प्लीज़ मम्मी, पापा को मत बताना, हम दोनों से ग़लती हो गई. प्लीज़ मम्मी प्लीज़ हमें माफ कर दो. आप जो बोलोगी, हम वो करेंगे.

आंटी बोलीं- पक्का वही करोगे, जो मैं बोलूँगी?
हम दोनों ने एक साथ क़हा- हां पक्का वहीं करेंगे.

आंटी बोलीं- तो ठीक है, आरती तुम नीचे जाओ. मुझे राहुल से कुछ बात करनी है.
अब आंटी चुप हो गई थीं, उनका गुस्सा भी खत्म हो गया था.

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आरती नीचे चली गई.

आंटी मुझसे बोलीं- तुम कहीं मत जाना. मैं आरती से बात करके अभी आती हूँ.
आंटी भी नीचे चली गईं.

दस मिनट के बाद लाइट भी आ गई.
मैंने अपने कपड़े पहन लिए थे.
आंटी वापस आ गई थीं.

मुझे देख कर आंटी बोलीं- तुमने कपड़े किससे पूछ कर पहने … क्या मैंने बोला था तुमको?
मैंने सहमते हुए कहा- नहीं आंटी.

“तो फिर क्यों पहने … चलो उतारो इनको … जल्दी से उतार!”
मैंने कपड़े उतार दिए.

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आंटी मेरे लटके हुए लंड को देख कर बोलीं- तेरे औजार को क्या हुआ … अभी तो आरती की गांड में लाठी जैसे घुसा था?
मैंने सर झुका कर कहा- सॉरी आंटी माफ़ कर दो, ग़लती हो गई.

आंटी बोलीं- ऐसे कैसे माफ़ कर दूँ. यहां आओ.
मैं डर गया था.

आंटी बोलीं- सुना नहीं, यहां आओ.
मैं आंटी के पास आ गया.

आंटी ने कहा- मैं तुझे माफ़ कर दूंगी. चल पहले तू अपना लौड़ा खड़ा कर!

मैंने ये सुना तो आंटी की तरफ देखा.
अब वो हंसने लगी थीं.

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वो बोली- डर गया क्या?
आंटी ने मेरा लंड अपने हाथ में ले लिया और उसने सहलाने लगीं.

आंटी का हाथ लगते ही मेरा लंड तनने लगा. आंटी अब मेरे लंड को हिलाने लगीं.

फिर वो लंड कड़क होते देख कर बोलीं- मैं माफ़ तो कर दूँगी … पर पहले मेरी भी चुदाई करनी होगी.

इतना बोल कर आंटी घुटने के बल बैठ गईं और मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं.
मैंने भी आंटी से कहा- आह आंटी … आपने तो डरा ही दिया था. मैं आपकी पूरी सेवा करने को तैयार हूँ आपको जरूर चोद दूँगा.

ये कहते हुए मैंने आंटी का गाउन उतार दिया.
आंटी भी आरती के जैसे बॉम्ब आइटम थीं.

वो लंड चूसती हुई बोलीं- तो मेरे ऊपर आ जा. अब तेरी भी ताकत देख लेती हूँ. कितना दम है तेरे लंड में!

आंटी के इतना बोलते ही मैंने उन्हें चुदाई की पोजीशन में किया और अपना लंड आंटी की चूत में पेल दिया और चोदने लगा.
दस मिनट के बाद आंटी झड़ गईं.

मैंने अब आंटी को घोड़ी बना लिया और पूछा- आंटी, क्या आप भी आरती वाला मज़ा लेना चाहती हैं?
आंटी बोलीं- कौन सा मज़ा?

मैंने कहा- हां या ना में ही बोलो. मजा लेना है या नहीं?
मैं ये कहते हुए अपने लंड पर थूक लगा रहा था. मुझको पता था कि आंटी हां ही बोलेंगी.

आंटी बोलीं- हां लेना चाहती हूँ.
उनके हां बोलते ही मैंने एक ही झटके में अपना पूरा लंड आंटी की गांड में पेल दिया.

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आंटी की चीख निकल गई.
वो कराहती हुई बोलीं- आह मर गई … बाहर निकाल इसको कुत्ते.
मैंने हंस कर कहा- नहीं आंटी अब मैं नहीं निकालूँगा.

मैं लंड गांड के अन्दर बाहर करने लगा.

कुछ देर बाद आंटी को भी मज़ा आने लगा.
आंटी बोलीं- आह और तेज पेल … और तेज पेल मुझको … तेरे अंकल और तेरे पापा मैं अब दम नहीं रहा … पेलो.

मैं आंटी की बात सुन कर चौंक उठा. मैंने पूछा- क्या मेरे पापा भी आपको पेलते हैं?
आंटी बोलीं- नहीं, अब उन दोनों में पेलने की दम नहीं बची है, दोनों 5 मिनट में ही फुस्स हो जाते हैं.

ये सुन कर मैंने अपनी स्पीड तेज कर दी और कहा- आंटी, मेरे लंड में बहुत शक्ति है … मैं आपको और आरती दोनों को एक साथ ठंडा कर सकता हूँ.

आंटी बोलीं- अच्छा अच्छा आरती को भी कर देना, पहले मेरी आग तो बुझा दे साले कमीने.

इतना बोलते बोलते आंटी दूसरी बार झड़ गईं और बोलीं- बस अभी बस कर!
मैंने कहा- आंटी अभी आपने मेरा दम तो देखा ही नहीं … और मैं कोई भी काम अधूरा नहीं छोड़ता.

मैं आंटी को पेलता रहा.

आंटी की आवाजों से पूरा रूम गूँज उठा था- आआह साले छोड़ दे हरामी … ऊऊह अब बस कर!
मैंने कहा- आह साली रांड ऐसे कैसे छोड़ दूँ … अभी तो मेरा रस निकलना बाकी है.

उतनी देर में आंटी की देसी Xxx चुत फिर से गर्मा गई और उनकी आवाजें बदल गईं- आह पेल दे पेल साले … आह कितना मस्त पेल रहा है! उई अम्म्म्मा ऊऊह … चोद दे भोसड़ी के साले … तेरा बाप तो झंडू बाम हो गया है.’

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मैंने आंटी के दूध मसले और कहा- साली रंडी, बाप नहीं तो लौंडा तो है … तेरी चूत का भोसड़ा बनाने के लिए … आह ले मेरा लंड ले.

अब मैं आने वाला था, मैंने कहा- मैं आने वाला हूँ.

आंटी ने झट से लंड छेद से निकलवाया और हाथ में पकड़ कर अपना मुँह सामने कर दिया.
मेरा रस आंटी के मुँह में जा गिरा.
फिर आंटी ने मेरा पूरा लौड़ा चूस कर साफ़ कर दिया.

अब हर दिन सुबह से शाम तक आरती की चूत गांड सेवा और उसके बाद रात में आंटी की चूत गांड की सेवा का समय चलने लगा.

हम तीनों संडे को छोड़ कर हर दिन चुदाई करने लगे थे.
दो साल से यही रूटीन चल रहा है.

आज संडे ही है, मैं फ्री था इसलिए स्टोरी लिखने लगा.
कल तो फिर से अपनी देसी चुत की Xxx रानियों की सेवा में जाना ही है. कभी कभी शाम को दोनों को एक साथ भी पेलने का मौका मिल जाता है.

गुडबाइ फ्रेंडज़!

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