होटल में स्टेप मॉम की मस्त चुत चुदाई-1

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माँ की चुत चुदाई कहानी में पढ़ें कि मेरे पापा की मौत के बाद मेरी स्टेप मॉम बाहर के मर्दों से चुदवाने लगी थी. तो मैं भी अपनी जवान सौतेली माँ को चोदना चाहता था.

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फ्रेंड्स, ये मेरी पहली सेक्स कहानी है. मुझे आशा है कि आप सब इसे पसंद करेंगे.

हिंदी में सेक्स कहानी पढ़ना सबको पसंद है, तो मैं अपनी सारी माँ की चुत की कहानी हिन्दी में ही लिखूंगा और आपको मनोरंजन का सुख प्राप्त होगा.
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मेरा नाम रेक्स है. मैं अमदाबाद में रहता हूँ और मेरी उम्र 24 साल की है.
मैं दिखने में औसत शरीर का हूँ, मगर लंड का आकार औसत से अलग है. ये 7 इंच लम्बा लंड है और काफी मोटा है.

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मेरी मॉम का नाम जयश्री है. वो एक विधवा हैं. जयश्री मेरे पापा की दूसरी बीवी हैं, मेरी सौतेली मॉम.

मेरे पापा उस समय चल बसे थे, जब मैं काफी छोटा था.
पापा की मौत के बाद मेरी मॉम का 2-3 मर्दों के साथ चक्कर चल गया था क्योंकि उनसे अपनी जवानी संभल नहीं रही थी लंड के बिना.

इधर हमारा खुद का घर है और हम दोनों मॉम बेटा ही घर में रहते हैं.
मॉम का खुद का बिजनेस है, जिससे घर अच्छे से चल जाता है.

मेरी मॉम की हाइट 4 फुट 9 इंच है और उनके काले रंग के बाल एकदम घुंघराले हैं. मॉम का जिस्म बहुत ही सॉफ्ट और गोरा है.

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वो पोर्न फिल्मों के जैसी एक चब्बी मिल्फ हैं.
उनकी फिगर की साइज़ 36-32-38 की है, मस्त चुचे हैं और उन्होंने बाहर दूसरे मर्दों से चुदवा चुदवा कर गांड मोटी और रसीली कर ली है.

मेरा मन अपनी सौतेली मॉम को चोदने के लिए हमेशा तैयार रहता था.

एक दिन मेरा मॉम को अपनी मन्नत पूरी करने के लिए उज्जैन जाना था.
ये उनकी बहुत पहले की मन्नत थी जिसकी वजह से वो अब और रुकना नहीं चाहती थीं तो उन्होंने जाने का प्लान बना लिया.

फिर जब मैं शाम को 6 बजे घर आया, तब मैं फ्रेश हुआ और फोन में कहानी पढ़ने बैठ गया.
रात को मेरी मॉम लैगीज और टी-शर्ट पहनती हैं, जिससे मॉम का मदभरा जिस्म एकदम हॉट लगने लगता है.
मैं उन्हें हमेशा देखता रहता हूँ.

मॉम मेरे करीब आकर बोलीं- रेक्स, तुझे याद है, मैंने उज्जैन के महाकाल मंदिर में एक मन्नत मांगी थी. जो अभी तक मैं पूरी नहीं कर सकी हूँ.
मैं- हां मॉम मुझे पता है, लेकिन अभी क्या हुआ है?
मॉम- तो अब और कितना दिन टालती रहूँगी. तू ट्रेन की टिकेट देख कर बता, कब की ट्रेन में जगह खाली मिल सकती है.

मैंने फोन में ट्रेन देख ली और उन्हें बता दिया. टाइमिंग भी बताईं, लेकिन सारी ट्रेन्स एकदम पैक थीं
मैं- ट्रेन तो हैं मॉम लेकिन सब पैक हैं. रिज़र्वेशन मिलेगा ही नहीं, तुम अकेले जाकर आ जाओ.

मॉम- मुझे अकेली नहीं जाना. तुम्हारी मन्नत है, तुम्हें भी साथ चलना होगा.
मैं- ओके देखता हूँ. सुबह तक देख कर बताता हूँ.

‘ठीक है … और हां मुझसे पूछने की कोई जरूरत नहीं है, जब का रिजर्वेशन मिले करवा लेना. वापसी का भी उसी तरह से देख लेना.
मैंने ओके कहा.

मॉम ने खाना के लिए कहा- चल अब खाना खा ले.
हम दोनों ने खाना खा लिया. फिर मैं टीवी देखने लगा.

रात गहरा गई और मॉम सो गईं.
मैं उन्हें सोते हुए देख रहा था. उनकी मोटी गांड बाहर को निकली हुई थी.

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तभी मुझे एक आइडिया आया, जो मैं आपको भी बताऊंगा, जिससे आप भी अपनी मॉम लो चोदने का मज़ा ले सकेंगे.

सुबह उठ कर मैं मॉम के पास जाकर बोला.
मैं- तुम्हें उज्जैन जाना ही है न मॉम?

मॉम- हां ना, अभी बाद में बाद में करके इतना टाइम निकल चुका है.
मैं- हां, तो बस से होकर आते हैं. सुबह तक पहुंचा देगी और वहीं से शाम की बस पकड़ लेंगे.

मॉम- हां तो देख बस ही देख ले और कितना किराया है, वो सब भी देख ले.
मैं- हां देखता हूँ मॉम.

कुछ देर बाद मैंने मॉम को सब बता दिया.
उनकी हामी मिलते ही मैंने टिकट बुक करवा दिए.

दूसरे दिन रात की 9 बजे की बस से जाना था, जो हमको 6 बजे सुबह उज्जैन पहुंचा देगी.

मैंने जानबूझ कर स्लीपर बुक किए थे ताकि मॉम के साथ लेटने का मजा मिल सके.
मैंने एक दो लोगों वाली स्लीपर बुक कर दिया था.

दूसरे दिन सब कुछ सामान्य से हो गया और रात को हम दोनों खाना खा कर बस के लिए निकल गए.
तब मॉम ने एक ऐसी ड्रेस पहनी हुई थी, जिसमें उनकी गांड बाहर निकली मुझे उकसा रही थी.

मैंने अपने साथ दो कंडोम के पैक रख लिए थे और साथ ही सेक्स की गोलियां भी रख ली थीं.
हम दोनों बस स्टैंड आए और बस में आ गए.

मैंने एक गोली पानी में मिक्स करके मॉम को बोतल में भर लिया और बोतल मॉम को दे दी. जिससे वो कभी भी पानी पी सकती थीं.

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हमारी बस चल पड़ी थी और मॉम भी थोड़ा पानी पी चुकी थीं लेकिन अभी भी हाफ बोतल बाकी पड़ी थी.
कुछ देर बाद ही ढाबा आया और मम्मी उठ कर बाहर देखने लगीं.

मॉम- बेटा बाहर जाकर कुछ खाने को ले आ.
मैं- क्या खाना है आपको?

मॉम- कुछ भी ले ले, सब चलेगा.
मैं- ओके मॉम.

मैं बाहर उतरा और मैंने एक प्लेट भेल ले ली और उसमें कुछ एक्स्ट्रा मिर्ची डलवा ली.
साथ ही उसमें एक और गोली का चूर्ण बना कर डाल दी.

मैं बस में आ गया.
मॉम को भेल पसंद आई और वो भेल खाने लगीं. मिर्ची लगी तो मॉम ने पानी भी खत्म कर दिया.

उसके बाद मॉम लेट गईं और मैं भी उनके बाजू में सीधा होकर सोने लगा.

बस में जगह कम थी तो मैं मॉम से टच होने लगा.
लेकिन वो कुछ नहीं बोलीं और उनके अन्दर गोली असर करने लगी थी तो वो भी मेरे स्पर्श को एंजाय करने लगीं.

मैं ऐसे ही थोड़ा थोड़ा टच करता रहा.
कुछ देर बाद हम दोनों सो गए.

एक घंटा बाद मैंने महसूस किया कि वो मुझसे लगभग चिपककर सो रही थीं.
मुझे उनकी सांसों की महक आ रही थी.

मेरा लंड टाइट होने लगा लेकिन मैंने जैसे तैसे खुद पर कंट्रोल कर लिया क्योंकि मुझे बस में मज़ा नहीं लेना था.
बस में मुझे मॉम को सिर्फ अपने साथ खोलना भर था.

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सुबह 6:15 बजे हम उज्जैन आ गए और वहीं से होटल की तरफ चल दिए.

होटल वाला मेरी सेक्सी मॉम को देख रहा था.
उसने मुझसे हम दोनों की डिटेल ली और हमें रूम की चाभी दे दी.

मॉम ने चाय पीने चलने के लिए कहा मगर मैंने कहा- मैं आधा सामान रख आता हूँ और कमरा भी देख लेता हूँ.
मैं चाभी लेकर रूम में आ गया.

कमरा तीसरी फ्लोर पर था तो मॉम ने मुझसे कमरे में जाने के लिए हां कह दी.
मैं कमरे में आया और अपनी जेब का कंडोम एक पैक टॉयलेट में और दूसरा कमरे में बनी अल्मारी में रख दिया.

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फिर जल्दी से नीचे गया और मॉम के साथ चाय पीने लगा.
चाय के बाद मैं बोला- चलो रूम में चलते हैं.

मॉम- ओके चलो.
मैं- तुम चलो मॉम, मैं बाकी का सामान लेकर आता हूँ.

मॉम रूम के पास चली गईं.
मैंने उन्हें रूम की चाभी दे दी थी.

वो रूम में अन्दर गईं और अपना हैंडबैग रख कर वॉशरूम में चली गईं.
तब तक मैं भी आ गया.

कुछ मिनट के बाद वो बाहर निकलीं और उसके बाद मैंने मॉम से कहा.
मैं- तुम नहा लो मॉम और रेडी हो जाओ, फिर मंदिर भी जाना है.

मॉम- हां मैं नहा लेती हूँ, उसके बाद तुम भी नहा लेना.
मैं- ओके मॉम.

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मैं टीवी ऑन करके देखने लगा और मॉम अपने कपड़े लेककर वॉशरूम में चली गईं.

कुछ देर बाद नहा कर और कपड़े पहन कर बाहर निकल आईं.

मॉम- जा अब तू जा नहा ले और जल्दी से रेडी हो जा.
मैं- हां जाता हूँ.

मैं वॉशरूम में गया तो देखा वहां वो कंडोम का पैकेट नहीं था जो मैंने बिल्कुल मिरर के सामने रखा था.
मैं समझ गया कि मॉम ने कंडोम उठा लिया है क्योंकि वो मुझे वॉशरूम में कहीं नहीं मिला.

फिर मैं नहा कर बाहर आया और हम लोग मंदिर मन्नत पूरी करके कमरे में वापस आने लगे.
करीब एक बजे हम दोनों होटल पहुंच गए थे और अब बड़ी जोर की भूख लगी थी.

मैंने ऑर्डर किया और खाना खाकर थोड़ी देर के लिए नीचे घूमने चला गया.
मॉम ने खाने के बाद चाय मंगवाने के लिए बोल दिया था.

मैं एक सिगरेट पीकर कमरे में आ गया.
तब मॉम खाना खाने के बाद हाथ धोने वाशरूम में गई थीं.
उस वक्त चाय आ गई थी तो मैंने उनकी चाय में एक गोली और डाल दीं.

अब हम दोनों चाय पी चुके थे और मॉम भी अब मूड में आ गई थीं.
उनको नींद आने लगी थी.

मॉम- बेटा मेरा सर दर्द हो रहा है. मैं सो लेती हूँ.
मैं- हां सो लो मॉम, वैसे भी हमारी बस रात को 8:30 की है. मुझे भी थकान हो रही है, मैं भी सो लेता हूँ.

मॉम- ठीक है, तू भी सो जा.
मैं मॉम के बाजू में सोने लगा.

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थोड़ी देर बाद रूम एकदम ठंडा हो गया था और हम दोनों एक कम्बल में लेट कर सो रहे थे, एक दूसरे की सांसों की महक महसूस होने लगी थी.
मॉम को कुछ बेचैनी होने लगी थी और वो बार बार अपने पैरों को मोड़ रही थीं.

मुझे पता चल गया कि अब उनकी चुत में कीड़ा चल रहा है.
मैं नींद में मॉम को थोड़ा थोड़ा टच करने लगा और मैंने अपना एक पांव मॉम के पांव पर चढ़ा दिया.

कुछ ही देर में मैंने अपना पांव उनके घुटनों तक चढ़ा दिया और थोड़ी थोड़ी देर में मैं अपने पैर से मॉम के पांव को सहला रहा था.

मॉम ने अपना हाथ पेट पर रखा हुआ था. वो कसमसा रही थीं मगर मुझे कोई रेस्पॉन्स नहीं दे रही थीं.

फिर मैंने पांव हटा दिया और थोड़ी देर दूर सोने के बाद मैं फिर से उनकी तरफ हो गया.
अब मैंने अपना एक हाथ मॉम के मम्मों के ऊपर रख दिया और सो गया.

इस वक्त मेरा लंड उनकी गांड को टच हो रहा था. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
मॉम पलट कर सीधी लेट गईं, मगर मैंने फिर से मॉम के पैरों के ऊपर अपना एक पैर रख लिया और उनके मम्मों पर हाथ रखे रहा.

ऐसे ही थोड़ी देर चलता रहा.

कुछ देर बाद मॉम ने फिर करवट बदली और अब वो मेरी तरफ गांड करके सोने लगीं लेकिन उसने मेरा हाथ वहीं अपने मम्मों पर रहने दिया.
मॉम की गांड की दरार में मेरा लंड सही से सैट हो गया था.

मैं धीरे धीरे मज़ा ले रहा था और वो भी थोड़ी थोड़ी देर में अपनी गांड को हिला कर मुझे सिग्नल दे रही थीं.

नींद में मैं उन्हें टाइट हग करने की एक्टिंग करने लगा और उनके चूचों को सही से सहलाने लगा.

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मैंने पहले देखा कि मॉम ने मेरे हाथ से चुचे सहलाने से कुछ परहेज नहीं किया तो मेरी हिम्मत बढ़ गई और अब मेरा लंड मानो उनकी सलवार को फाड़ता हुआ उनकी गांड को टच करने लगा था.

लंड फ़नफना रहा था.

मैंने अपने हाथ से उनकी चूचियों को सही से टटोला तो उनके निप्पल कड़क होने लगे थे.

मैंने बेख़ौफ़ अपना हाथ उनकी जांघ पर रख दिया और धीरे से अपने हाथ को उनकी चुत तक सरका दिया.
वो भी थोड़ी पीछे को होकर मेरी तरफ होने लगीं. अब मेरा लंड मॉम की गांड को और जोर से घिसने लगा.

वो मेरी बांहों में पूरी तरह से मस्त पड़ी थीं और मैं उनकी चुत को सहलाने लगा था.
मुझे अपनी उंगलियों में कुछ नमी सी महसूस होने लगी थी.
मैं समझ गया कि अब मॉम का काम उठाने का समय आ गया है.

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मैंने उठ कर कम्बल हटाया और उनकी सलवार का नाड़ा खोल कर उनकी सलवार को नीचे करके उनकी गांड देखने लगा.
उन्होंने अन्दर ब्लू कलर की निक्कर पहनी हुई थी.

मॉम की गांड मोटी डबल रोटी की तरह फूली हुई थी और उनकी चुत में पैंटी पूरी गीली हो कर चिपकी हुई थी.

मैंने चड्डी को थोड़ा साइड में किया और अपने लंड को सैट करके अन्दर डालने लगा.
मेरा मोटा लंड एकदम कड़क हो गया था वो मॉम की गीली चुत की फांकों में चला गया.

अभी मेरे लंड का सुपारा अन्दर गया ही था कि मॉम मचल उठीं.

मॉम- बेटा ये क्या है?
मैं- कुछ नहीं मॉम वो बस ग़लती से हो गया … सॉरी.

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मॉम ने मुझे नकली गुस्से से देखा, लेकिन अभी तक उन्होंने अपनी सलवार सही नहीं की थी.

मॉम- बेटा ये सब किसी को पता चला तो किसी अच्छी लड़की से तेरी शादी नहीं होगी.

वो मुझे डांटने लगी थीं मगर न तो उन्होंने अपनी सलवार सही करने की कोशिश की थी और न ही मेरा लंड चुत से हटाने की कोशिश की थी.
मैं चुपचाप माँ की चुत में लंड फंसाए पड़ा रहा.

अभी भी मेरा लंड आधा बाहर था.
मॉम ने मेरे तगड़े लंड को देखा और थोड़ी देर के लिए चुप हो गईं.

मैंने कहा- मॉम कुछ नहीं होता, अभी तो हम अपने शहर से बाहर हैं और यहां हमको कौन जानता है.
मॉम कुछ नहीं बोलीं.

मैं अपने लंड को माँ की चुत पर फिर से सैट करने लगा और मॉम ‘थोड़ा रुक तो …’ कह कर नाटक करती हुई हिलने लगीं.

मैंने लंड थोड़ा और अन्दर पेल दिया.
मॉम- बेटा रुक जा, मैं तेरी मां हूँ.

मैं- मां हो, तो करने भी दो न … इतना तो खुल ही गई हो.
मॉम- थोड़ी शर्म कर ले बेटा, ऐसा कोई नहीं करता.

मैं- तेरा मूड नहीं है क्या मॉम … करने का … देख ना तेरी चुत कितनी गीली हुई पड़ी है.
मॉम- तू चुप रह.

मैं उनके ऊपर आ गया और उन्हें किस करने लगा.
वो मना करती रहीं और मैं किस करता हुआ उनसे पूरी तरह से लग गया. उनके चुचे दबाने लगा और चुत में उंगली करने लगा.

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करीब दो मिनट बाद मॉम ने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया और वो अब मुझे अच्छे से किस करने लगी थीं.

मॉम ने अपना एक पांव मेरी कमर के ऊपर चढ़ा दिया और मुझे दबा कर किस करने लगीं.
दोस्तो, अपनी माँ की चुत चुदाई कहानी का पूरा मजा मैं अगले भाग में लिखूंगा. आप मुझे मेल करें.
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माँ की चुत चुदाई कहानी का अगला भाग: मॉम चुत चुदाई कहानी


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