बुआ की जवान बेटी चुदक्कड़ निकली

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कज़िन सिस्टर हार्ड सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि मुझे लॉकडाउन में बुआ के घर रहना पड़ा. वहन उनकी बेटी भी हॉस्टल से आई हुई थी. वो मुझसे खफा सी रहती थी.

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम आकाश है. मैं दिल्ली का रहने वाला हूं. कद काठी से काफी लंबा और दिखने में भी मैं ठीक-ठाक हूँ.

यह Cousin Sister Hard Sex Story आज से करीब 20 महीने पहले की घटना पर आधारित है.

मेरा परिवार दिल्ली में रहता है और मेरा कॉलेज नोएडा में है.
लॉकडॉउन के कारण मैंने नोएडा छोड़कर दिल्ली आने का फैसला कर लिया था पर कॉलेज के एग्जाम्स की वजह से मुझे वापस नोएडा जाना पड़ा.

उधर मेरे रहने का बंदोबस्त मेरी बुआ के घर किया गया.
मेरा मन नहीं था मगर घरवालों के सुझाव पर मुझे बुआ के घर जाना पड़ा.

कुछ दिन तो ठीक बीते मगर एक हफ्ते बाद मेरी बुआ की बेटी स्नेहा वापस अपने घर आ गई.
स्नेहा अभी तक गुड़गांव में रहती थी.

वो आई तो उसे मेरे वहां रहने से परेशानी होने लगी. वो अपनी मम्मी से कहती थी- इसे यहां क्यों रहने दिया जा रहा है. मुझे दिक्कत होती है.
मैंने यह जानने की कोशिश की कि उसे मुझसे क्या दिक्कत है‌.

एक शाम को जब मैं छत पर टहल रहा था तो वो मेरे पास आई.

मैंने कहा- क्या हुआ, तुम मुझसे गुस्सा क्यों हो?
उसने कहा- यह कैसे कह रहे हो कि मैं गुस्सा हूं?
मैं चुप रहा.

जब मैंने कुछ नहीं कहा तो वो बोली- साफ कहूं … तुम सुन सकोगे?
मैंने कहा- हां कहो.
वो बोली- मुझे लगता है कि तुम्हारे रहने से मेरी आजादी में खलल पड़ता है.
मैंने कहा- वो कैसे?

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वो बोली- मुझे लगता है तुम लोला हो.
मैं चौंक गया कि यह साला लोला क्या हुआ.
मैंने कहा- लोला मतलब क्या?
उसने आंख मारते हुए कहा- लोला मतलब चूतिया.

मुझे अन्दर से बड़ी गुस्सा आया कि इसे मैं चूतिया लगता हूं.

मैंने कहा- साबित कर सकती हो कि मैं चूतिया हूं.
वो बोली- हां अभी के अभी साबित कर सकती हूं.

उसने उसी पल अपना टॉप उतार दिया और अगले ही पल ब्रा खोल दी.
मैं अकबका गया कि यह सब क्या है.

तभी उसने अपने दूध हिलाए और बोली- बताओ इस वक्त मुझे लेकर तुम्हारी सोच क्या कह रही है?
मैंने न जाने किस झौंक में कह दिया- मुझे साफ दिखाई दे रहा है कि तुम एक रंडी हो और चुदी पिटी आइटम हो.

वो खिलखिला कर हंस पड़ी.
उसने टॉप पहन लिया व ब्रा मेरी तरफ उछाल दी.

मैंने ब्रा को नाक से लगाया और सूंघ कर कहा- मस्त महक है तेरे मम्मों की!
वो खिलखिला कर हंस पड़ी और गांड मटकाती हुई चली गई.

उसके बाद से वह हर मुमकिन मौके पर मुझसे पैसे भी ऐंठने लगी.

दोस्तो, स्नेहा दिखने में कुछ खास नहीं है इसलिए मेरा मन कभी उसकी तरफ आकर्षित नहीं हुआ.
मगर जबसे उसके दूध देखे, मैं उसे चोदने की फिराक में रहने लगा.

अब वो मुझे हर वक्त अपने दूध दिखाकर हमेशा कुछ न कुछ अश्लील हरकत करती थी.

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कभी वह मेरे नहाते वक्त, अंजान बनने का बहाना करके बाथरूम के अन्दर आ जाती तो कभी वह मेरे फोन पर नंगी लड़कियों की फोटो डाल देती थी.
मेरी गांड फटती थी कि कहीं मैंने कुछ किया या कहा तो ये बुआ से शिकायत कर देगी और मुझे बुआ का घर छोड़ कर जाना पड़ेगा.

एक दिन की बात है, वह बाजार जा रही थी और मुझसे 500 रुपए मांगने लगी.
मेरे मना करने पर वह मुझसे अभद्र व्यवहार करने लगी.

मुझे यह बात बहुत बुरी लगी और मैंने फैसला कर लिया कि इस रांड को अब मैं अपने लंड पर नंगी करके नचाऊंगा.
मगर मैं कुछ गलत या गैरकानूनी नहीं करने वाला था, सब कुछ उसकी मर्जी से होगा.

एक शाम की बात है, सभी लोग सिनेमा देखने गए थे.
मेरा अगले दिन पेपर था इसलिए मैं रुक गया.
स्नेहा भी सिर दर्द होने के कारण नहीं गई.
मैं अपने रूम में पढ़ाई करने लगा.

कुछ देर बाद उसने मुझे आवाज लगाकर दवाई लाने को कहा.
मैं उसके कमरे में दवाई और पानी का ग्लास लेकर गया.

वह पानी का गिलास पकड़ कर बोली- ये तो ठंडा है, मुझे गर्म पानी चाहिए.
मैंने पानी का ग्लास लिया और उसमें अपना लंड डाल दिया.

वो ये देख कर गुस्से में बोली- ये क्या तरीका है किसी बीमार आदमी के साथ व्यवहार करने का?
उसने पानी टेबल पर रख दिया.

कुछ देर बाद मैं उसके कमरे में वापस आया तो वो पूरा पानी पी चुकी थी.
मैं बिना कुछ कहे वहां से चला गया.

उस रंडी ने मेरे लंड का स्वाद चख ही लिया था.
अब उसे मेरा लंड पाने से कोई नहीं रोक सकता था.

वह मेरे कमरे मैं आई और बोली- तुम्हें ये सब करते हुए शर्म आनी चाहिए.
मैं- तुझे शर्म नहीं आती रंडियों की तरह हर शाम मुझसे पैसे लेते हुए?

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स्नेहा- एक्सक्यूज मी, तुमने मुझे रंडी कहा?
मैं- रंडी को रंडी ही बोलना चाहिए और उसके साथ रंडी जैसा बर्ताव भी करना चाहिए.
स्नेहा- क्या मतलब है तुम्हारा?

मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसके सामने ही हिलाने लगा.

कुछ देर तक वो तरह तरह की शक्लें बनाती रही.
मगर फिर वो अपने घुटनों पर आ गई और मेरे लंड को लपक लिया.

“आ गयी न रंडी अपनी औकात पर … चल अब इसे चूस छिनाल साली.”

उसने मेरा लंड मुँह में भर लिया और एक पेशेवर वेश्या की तरह लंड गटकने लगी.
इस सब में उसे मजा आ रहा था.
जबकि उसे मजा देना मेरा मकसद नहीं था.

मैंने उसके मुँह से अपना लंड निकाला और उससे कहा- साली भड़वी … जा और मेरे बिना धुले हुए कच्छे अपने मुँह से उठा कर ले आ.

वो जा रही थी कि मैंने उसे चोटी से पकड़ कर रोका और कहा- एक कुतिया कभी दो पैरों पर नहीं चल सकती, चल साली चार पैरों पर रेंगते हुए जा.
उसने वैसा ही किया और अपने मुँह में मेरे गंदे कच्छे को ले आई.

मैंने उसके मुँह से कच्छा लिया और अपने लंड पर रगड़ने लगा.

उसके बाद मैंने उसके बाल पकड़े और अपने लंड को उसके मुँह में ठूंस दिया.
लंड की जकड़न से उसे दिक्कत होने लगी और छटपटाने लगी.
मुझे उसे ऐसे देख कर बड़ा सुकून मिल रहा था.

कुछ देर ऐसे ही उसके मुँह को चोदने के बाद मैंने उसके मुँह पर 3 बार थूक कर इशारा किया कि मेरा होने वाला है.
वो समझ गई और मेरे लंड को बाहर निकाल कर जीभ बाहर करके बैठ गई.

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मैंने अपना माल उसके चहरे पर गिरा कर उसे माल से सान दिया.
किसी भी रंडी किस्म की लौंडिया के लिए ये सबसे बड़ा सुख होता है कि उसके मन की हो गई.

वो जीभ से अपने मुँह पर टपके वीर्य को उठा उठा कर चाट रही थी और चटखारे ले रही थी.

मैंने उसे देखा तो वह अश्लील भाव से टांग फैला कर मेरे सामने लेट गई.
वो मुझसे अपने चूत चटवाना चाहती थी.

मैंने कहा- तूने सोचा भी कैसे कि मैं तुझ जैसी बाजारू रांड, जो न जाने कितने लौड़ों से चूत चुदवाती है, उसकी चूत चाटूंगा? मुझे अपना मुँह प्यारा है भैन की लौड़ी.

मैंने अपना लंड निकाला और उसके मुँह पर फेरने लगा.

कुछ देर बाद उसने मेरे लंड पर जीभ लगाना शुरू कर दिया.
मैंने बिना देर किए अपने अंडे उसके मुँह में डाल दिए और अपने लंड से उसके माथे पर मारने लगा.

कुछ देर बाद मेरा औजार फिर खड़ा हो गया.
मैंने अपना लंड पकड़ा और उसकी चूत में डाल दिया.

मेरा लंड पूरा का पूरा उसकी विशाल चूत में बिना परेशानी के चला गया.
मैं बोला- साली रंडी, इधर नीचे फ्लाईओवर बना कर रखा है क्या? एनएच बना रखा है साली ने … न जाने कितने डम्पर निकल गए इस पर से.
उसने हंस कर अपना मुँह ढक लिया.

फिर उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने चूचों पर रख दिया.
मैं उसका इशारा समझ गया और उसकी चुचियों को बेदर्दी से दबाने लगा.
उसके स्तनों पर मेरे हाथों के निशान बनने लगे.

मैंने अपने लंड को टेढ़ा किया और उसे तिरछे लंड से चोदने लगा.
मेरा हाथ उसके गले पर गया और मैं उसे मादक तरीके से मुखचोदन करने लगा.

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वह मुझसे कहने लगी- साले मार मुझे किसी रंडी के जैसे मार … मेरे गाल पर चमाट मार.
मैं भी उसके गालों पर लगातार थप्पड़ मारने लगा.

कुछ देर के बाद उसके पूरे बदन पर उंगलियों के निशान छप गए थे.

अब मैंने उसकी टेबल तो एक झटके में साफ किया और उसे उसके सहारे टिका दिया; उसकी दोनों टांगें टेबल पर टिका कर मैंने अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया.

“क्यों रंडी अब आई है न तू मेरे नीचे … साली आज तेरी चूत का वो हाल करूंगा कि तू बाहर के लंड खाना बंद कर देगी.”

टेबल का किनारा उसे अपनी गांड में चुभ रहा था, उसके दर्द और उसकी चुदायी से मुझे मजा आ रहा था और वो भी पागल हो रही थी.

फिर मैंने उसे उल्टा कर दिया और उसकी गांड में लंड डालने लगा.
उसकी गांड अभी भी कुंवारी थी इसलिए लंड अन्दर नहीं जा रहा था.

मैंने उसके बाल पकड़े और खींचते हुए एक झटका दिया.
उसके मुँह से सिसकारियां आने लगीं.
अभी मेरा दो तिहाई लंड अन्दर जा चुका था.

मैंने कुछ देर ऐसे ही झटके दिए और फिर उसे, उसकी गर्दन के सहारे पकड़ कर एक और जोरदार झटका दिया.
वो चीखती हुई बोली- आंह मर गई … इसे बाहर निकाल मां के लौड़े … मैंने आज तक गांड नहीं मरवाई है.
मैं बोला- कोई बात नहीं रांड … मैंने भी आज तक इतनी बेरहमी से गांड नहीं मारी है.

फिर मैंने उसे दीवार से सटा दिया और उसका चेहरा दीवार से चिपका कर हार्ड सेक्स शुरू कर दिया. दीवार से मुँह चिपका होने के कारण उसकी चीखें बाहर नहीं निकल पा रही थीं.

मैंने उसे ऐसे ही दस मिनट तक चोदा और उसके मुँह में लंड डालकर उसे नीचे बैठा दिया.
मैं तेजी से उसका मुँह चोदने लगा और एक हाथ से उसे चाटें मारने लगा.

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उसने गलती से मेरे लंड पर दांत लगा दिए, तो मैंने भी अपने चाटों की रफ्तार बढ़ा दी.
अब मैं अपनी चरम सीमा पर पहुंच गया था और किसी भी पल झड़ सकता था.

वो उम्मीद भरी नजरों से मेरे रस गिरने का इंतजार कर रही थी.
मैंने एक झटके मैं उसके मुँह से अपना लंड निकाला और उस से पूछा- बोल साली रांड … माल किधर गिराऊं?
वह बोली- मुझे अपने स्तनों पर माल गिरता हुआ अच्छा लगता है.

मैंने उसकी बात को सुनते हुए उसके माथे पर माल की धारा गिरा दी और वह धीरे धीरे उसके स्तनों तक जा पहुंचा.

एक बार लंड लेने के बाद उसकी चुत मेरे लंड के लिए दुबारा से फड़कने लगी.
मैंने कुछ देर बाद फिर से उसे चोदा और इस बार उसने मेरे लंड का पानी गटक लिया.

अगले दिन से उसका मेरे प्रति व्यवहार सुधरने लगा.

अब गाहे बगाहे वो मेरे लंड से चुदने लगी थी, मुझे भी अपनी बहन की चुत गांड चोदने में, सिस्टर हार्ड सेक्स में मजा आने लगा था.

कुछ दिनों बाद मैं अपने घर वापस आ गया और अब हम दोनों ने इस बारे में आगे बात करना ही ठीक नहीं समझा.

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