जीजी ना कहा कर

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इस कहानी में भाई बहन का सेक्सी प्यार है. मामाजी की बेटी हमारे घर कुछ दिन रहने आई। एक दिन मैंने उसके साथ मजाक मजाक में छेड़खानी शुरू कर दी।

दोस्तो, मेरा नाम विकास है और मैं इंदौर का रहने वाला हूँ।
मेरी उम्र 22 साल और कद 6 फ़ीट है। मैं अभी कॉलेज में हूँ।
हॉट सेक्स स्टोरीज पिक्चर्स डॉट कॉम पर ये मेरी पहली कहानी है भाई बहन का सेक्सी प्यार की, जो मैं आप लोगों के सामने लेकर आया हूँ।

मैं घर पर पापा और मम्मी के साथ रहता हूँ।
हमारे घर में 2 बेडरूम हैं। एक में पापा मम्मी रहते हैं और दूसरा मेरे लिए।

यह बात एक साल पहले की है। उनके मुंहबोले भाई की बेटी हमारे घर आने वाली थी।

दरअसल मेरी मम्मी को घर के काम में मदद के लिए कोई चाहिए था और उसी समय मेरे उन दूर के मामा ने कहा कि उनकी बेटी रचना को वो भेज देंगे।

रचना गांव की रहने वाली थी और उसकी उम्र 24 साल थी और दो साल पहले उसकी शादी हो चुकी थी मगर अभी बच्चा नहीं हुआ था।

रचना की हाइट 5 फ़ीट 6 इंच थी।
वो बहुत गोरी थी उसका बदन भरा हुआ था।

उसके सामने आने पर पहली नज़र उसकी चूचियों पर ही जाती थी।

मेरे पापा का गांव जाना हुआ तो वो रचना को अपने साथ लेकर आ गए क्योंकि उन दिनों रचना एक महीने के लिए अपने मायके में ही रुकने आयी थी।

मैं रचना को पहले से अच्छे से जानता था।

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हम लोग जब भी गर्मी की छुट्टियों में गांव जाते थे तब मेरा रचना से मिलना होता ही था और हम दोस्तों की तरह रहते थे।

गाँव में एक बार जब सब लोग छत पर सो रहे थे तब रचना मेरे पास वाले बिस्तर पर ही सो रही थी।
तब मैंने उसके दूध दबाये थे और उसने कोई विरोध भी नहीं किया था।

मुझे नहीं पता लगा था कि वो जाग रही थी या नहीं मगर किसी के देख लेने के डर से मैंने बात आगे नहीं बढ़ाई।

मजाक मजाक में उसको गुदगुदी करने के बहाने मैं उसकी चूचियां और गांड दबा देता था।
इससे मुझे लगता था कि उसके मन में भी कुछ चल रहा होगा मेरे लिए!

मगर मैं यह राज अभी तक जान नहीं पाया था कि वो मेरे बारे में वैसा ही कुछ सोचती है क्या, जो मैं उसके बारे में सोचता था।

अब वो यहाँ हमारे घर पर कम से कम 15 दिन रुकने वाली थी।
वो पहले की तरह अकेली नहीं सोती थी इसलिए उसको मेरे ही बेडरूम में सोने के लिए कहा गया।

रात को हम लोग बातें करने लगे।
मैंने कहा- रचना जीजी, आपको याद है हम पहले कैसे मस्ती किया करते थे? कितने अच्छे दिन थे न वो?
रचना- जीजी ना कहा कर … इतनी भी बड़ी नहीं हूं मैं! तेरे से 2 साल ही बड़ी हूं बस!

मैं उसकी बात का मतलब समझ नहीं पाया कि उसने ऐसे जीजी कहने से मना क्यों कर दिया।
खैर, उस वक्त मैंने उस बारे में ज्यादा नहीं सोचा और हम लोग बातें करते हुए सो गए।

इस तरह हम लोग देर रात तक बातें करते थे। मगर अब वो बचपने वाली हरकतें बंद हो गई थीं।
उसकी गांड छूने और चूची दबाने का मेरा बहुत मन करता था बहाने से!
मगर मैं उसको गलत जगह छूने में हिचक रहा था।

फिर धीरे धीरे हम दोनों फिर से वही मस्ती मजाक शुरू हो गया था।

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एक बार रात में जब मैं उसे कमर पर गुदगुदी कर रहा था तब वो मेरी गोदी में बैठ गई और मैंने अपने दोनों हाथ उसकी कमर पर रख दिए।
उसे भी गुदगुदी करने में बहुत मज़ा आ रहा था।

कमरे में अँधेरा था इसलिए मैं उसके सेक्सी बदन को देख नहीं पा रहा था मगर उसे महसूस कर सकता था।
मेरा लंड अब खड़ा हो चुका था और रचना की गांड मेरे लंड के बिल्कुल ऊपर ही थी।

मुझे लग रहा था कि पता नहीं वो मेरे बारे में क्या सोचेगी लेकिन मुझे ऐसा लगा कि उसे भी मेरे लंड का अहसास अच्छा लग रहा था।

मैं अपने हाथ उसकी कमर से हटा रहा था तभी वो आगे की तरफ झुक गई और मेरे दोनों हाथ उसके दूधों से टकरा गए।

मैंने हाथ हटाने की कोशिश की तब तक उसके दोनों दूध मेरे हाथो में आ गए थे।
झट से मैंने हाथ पीछे कर लिये।
मैंने सोचा कि ये बुरा मान गयी होगी।

उससे मैंने कहा- सॉरी जीजी, गलती से लग गया!
वो बोली- जीजी ना कहा कर … तुझे उस दिन भी बोला था मैंने, हम बराबर के ही हैं उम्र में। कोई बात नहीं।

मगर मैंने देखा कि चूचियों पर हाथ लगने से वो ज्यादा असहज नहीं हुई।

तभी पापा के उठने की आवाज आई तो वो मेरी गोद में से उठकर अपने बिस्तर पर जाकर सो गई।
देर रात हो चुकी थी तो हम दोनों सो गए।

रात में मेरी नींद खुली, तब मैंने उसकी ओर देखा।
वो नींद में थी और उसका एक हाथ उसकी लोअर में था।
मैं समझ गया था कि मेरे लंड का अहसास अपनी गांड पर पाकर वो गर्म हो गई थी।
मेरे हाथ उसके चूचे भी छू चुके थे।

मुझसे भी रुका न गया और मैं उसके पास जाकर लेट गया और मेने अपना एक हाथ उसके पेट पर रख दिया।

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थोड़ी देर तक जब उसने कोई हरकत नहीं की तब मैंने अपना हाथ उसके दूध पर रख दिया।

अब भी वो वैसे ही लेटी हुई थी, उसने कोई हरकत नहीं की।

इससे मेरी हिम्मत बढ़ गई और अब मैं धीरे धीरे उसके दूध दबाने लगा।
अब मैं उसके पास जाकर उससे चिपक गया और मैं उसकी सांसें महसूस कर सकता था।

उसकी सांसें जोर से चल रही थीं और मैं समझ गया कि वो नींद में नहीं है।
मतलब साफ़ था कि वो मेरा साथ दे रही थी।

अब मैंने उसका टीशर्ट ऊपर किया और उसकी ब्रा खोल दी।
उसके दोनों दूध मेरे सामने थे, उसका साइज 36 का रहा होगा।

अब मैं बड़े ही मज़े से उसके दूध दबा रहा था और चूस भी रहा था।
उसकी सांसें अब और तेज हो गई थीं।

मैंने उसकी लोअर को भी उतार दिया और पैंटी भी!
फिर मैंने जल्दी से अपने कपड़े उतारे और मैं उससे चिपक गया।
मेरा लंड अपने पूरे उफान पर था और मैं पागल हो रहा था।

मैंने उसको ऊपर से किस करना शुरू किया।
पहले उसके गालों को किस किया, फिर उसके होंठों को।

चूमते हुए मैं गर्दन और चूचियों पर आया।
मैंने उसके दोनों दूधों को चूसा और निप्पल भी चूस डाले।

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किस करते हुए मैं नीचे नाभि पर आया। उसकी नाभि को चूमा तो उसके बदन में कुछ हलचल हुई।
फिर मैंने उसकी चूत पर होंठ रख दिए जिससे उसके बदन में हल्का सा झटका सा लगा।

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मैंने उसकी चूत को कुत्ते की तरह जीभ से चाटना शुरू कर दिया। चूत में जीभ अंदर डाली तो नमकीन स्वाद आया।

मैं तो जैसे पागल हो गया; मैं तेजी से उसकी चूत में जीभ को अंदर बाहर करने लगा।

वो जाग चुकी थी और उसका बदन हिल रहा था मगर आंखें उसने बंद ही रखीं।

मेरे हाथ उसकी चूचियों पर पहुंच गए और मैं चूत चाटते हुए उसकी चूचियां भी दबाने लगा।

धीरे धीरे उसकी चूत की गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ गई और उसका बदन हिलने लगा।
मैं समझ गया कि अब ये झड़ने के करीब है।

मैंने लंड को रचना जीजी की चूत पर रख दिया और रगड़ने लगा।
उसके चेहरे पर चुदास साफ झलक रही थी।

मैंने धीरे से लंड को उसकी चूत में उतार दिया और अपनी कमर चलानी शुरू कर दी।
मेरा तना हुआ कड़क लंड उसकी गीली चूत को चोदने लगा।

चोदते हुए मैं उसके दूध भी दबाने लगा।
पांच मिनट तक ऐसे ही चुदाई चली; वो पड़ी पड़ी चुदती रही।
उसका मुंह खुला हुआ था और सांसें तेज थीं; उसने आंखें बंद कर रखी थीं।

फिर जल्दी ही उसकी चूत में मैंने वीर्य झाड़ दिया।
मेरे झड़ने के पहले वो भी झड़ चुकी थी।

मैं थोड़ी देर तक ऐसे ही उसके ऊपर पड़ा रहा।
फिर मैंने उठकर अपने कपड़े पहने और उसके नंगे बदन पर चादर डालकर मैं अपने बिस्तर पर जाकर लेट गया।

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मैं सोया नहीं था और देखना चाहता था कि वो अब क्या करेगी।

मेरे बिस्तर पर लेटने के मुश्किल से 5 मिनट के अंदर वो उठी और उसने चादर से अपनी चूत से बहता हुआ वीर्य साफ़ किया।

फिर उसने मेरी तरफ देखा कि मैं सो रहा हूँ या नहीं!
मगर मैंने सोने का नाटक किया लेकिन हल्की आंख खोलकर उसको मैं नीचे ही नीचे देख रहा था।
फिर उसने अपने कपड़े पहने और बाथरूम होकर आई।

उसने मुझे एक किस किया और अपने बिस्तर पर जाकर सो गई।

कुछ रातों तक मैंने ऐसे ही रचना जीजी की चुदाई की।
मगर किसी के जग जाने के डर से रात में एक बार से ज्यादा चुदाई नहीं हो पाती थी।

अब मेरा मन था उसे खुल्लम खुल्ला चोदने का।

मेरी वो इच्छा भी जल्दी ही पूरी हो गयी.

पापा मम्मी को मेरे चाचा ने अपने शहर बुला लिया।
उनके घर कोई ऐसा कार्यक्रम था कि पापा मम्मी का होना जरूरी था।
मगर मैंने जाने से मना कर दिया और रचना ने भी!

वो लोग 3 दिन के लिए चले गए।
अब पूरे घर में मैं और रचना ही थे।

रात में खाना खाने के बाद हम दोनों बातें करने लगे और फिर मैंने उससे उसकी शादी के बारे में पूछा तो वो उदास हो गई।

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उसने कहा- मेरी शादी तो न के बराबर ही है। मुझे पति का प्यार मिला ही नहीं है अभी तक! दो साल हो गए हैं शादी हुए लेकिन उन्होंने ठीक से मुझे छुआ तक नहीं है। इससे ज्यादा खुलकर नहीं बोल सकती।

मैंने कहा- तो फिर? कैसे खुश रह पाओगी जीजी?
वो गुस्से से बोली- तुझे कई बार बोल चुकी हूं, मुझे जीजी ना कहा कर … रचना भी तो बोल सकता है?
मैं बोला- ठीक है रचना! मगर फिर तुम कोई अच्छा लड़का क्यों नहीं देख लेती, जो तुम्हें प्यार भी करे और तन का सुख भी दे?

उसने कहा- मैं कैसे ढूंढूंगी, तुम ही बता दो, कौन है ऐसा?
मैं बोला- मगर जिस लड़की को मैं पसंद करता हूं, उसकी सेटिंग मैं खुद किसी और से क्यों करवाऊंगा?

इस बार पर वो तपाक से बोली- अच्छा जी … ये बात है!
मैंने कहा- हाँ, तुम मुझे पसंद हो और मैं तुम्हारी जैसी लड़की से ही शादी करना चाहता हूँ।

उसने कहा- अगर मैं इतनी ही पसंद हूँ तो फिर मेरे लिए कोई और लड़का क्यों देखने की बोल रहे थे?
मैं- अब मुझे क्या पता कि आप मुझे पसंद करोगी या नहीं, मैं तो इसलिए बोल रहा था।

वो बोली- तो फिर मुझे प्यार क्यों नहीं दे रहे हो?
मैंने कहा- फिर मुझे उसके लिए बिल्कुल बेशर्म होना पड़ेगा।
वो बोली- तो हो जाओ।

इतना कहते हुए मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया, उसको गालों पर किस कर लिया और वो शर्मा गई।
मैंने कहा- ब्लू फिल्म देखी है कभी?
वो बोली- नहीं।

मैं उठा और टीवी पर ब्लू फिल्म लगा दी।
देखते देखते मेरा तो लौड़ा तन गया।

वो भी गर्म हो चुकी थी।
वो बार बार मेरे लोअर में तने लंड को देख रही थी।

मैं बोला- यार, तुम्हें नंगी देखने का मन कर रहा है।
रचना- तो देख लो न!
मैं हिचकिचाते हुए- यार ऐसे नहीं!

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रचना- तो कैसे, आप शर्माओ मत, जो चाहे बोलो।
मैं- रचना मेरा मन कर रहा है कि तुम्हारे जिस्म से सारे कपड़े उतार दूँ और तुम्हें पूरी नंगी कर दूँ। तुम्हारी नंगी जवानी देखने का मन है मेरा!

वो बोली- अब तो तुम मेरे पति हो, जो चाहे कर लो। मैं आपके लिए सब कुछ कर सकती हूँ।

उसके बाद मैंने उसका टॉप उतारा और उसका लोअर भी उतार दिया।
अब वो बिकिनी में थी और बहुत सेक्सी लग रही थी।

वो थोड़ा शरमाई।
मैं- अगर तुम शरमाओगी तो मैं आगे नहीं बढूंगा, तुम्हें तो हद से ज्यादा बेशर्म बनना है रचना, नहीं तो तुम्हें असली सुख नहीं मिलेगा।
रचना- ठीक है, तो आपने ये दो कपड़े क्यों छोड़ दिए, इन्हें भी तो उतारो? और आपने अपने कपड़े क्यूं नहीं उतारे?

फिर मैंने उसकी ब्रा और पैंटी भी उतार दी और अपने भी सारे कपड़े उतार दिए।
अब हम दोनों पूरे नंगे थे।

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उसके नंगे बदन को ऊपर से नीचे देखते हुए मैंने कहा- यार रचना, तुम्हारा नंगा बदन तो बहुत मस्त है … तुम्हारी नंगी जवानी देखकर तो मज़ा आ रहा है।

रचना- मेरी जवानी आपके लिए है मेरी जान … जी भरकर इस जवानी के मज़े लो।
मैं- यार तुम्हारी चूचियां कितनी मस्त हैं, इन्हें तो दबाने और चूसने का मन कर रहा है।

रचना मेरे हाथ अपनी चूचियों पर रखकर- तो दबाओ न इन्हें मेरे राजा … जी भरकर दबाओ … चूसो और मसल कर रख दो।
अब मैं उसके सामने खड़ा होकर उसके दूध दबा रहा था और हम दोनों पागलों की तरह एक दूसरे की ओर देख रहे थे।

फिर उसने मेरे खड़े हुए लंड की तरफ देखा और बोली- जवानी तो तेरी भी बहुत उबाल मार रही है विकास!
मैं- तो सम्भालो न मेरी जान इस जवानी को जीजी!
रचना- जीजी ना कहा कर … वरना तेरे लंड को खा जाऊंगी मैं!

मैं- तो खा लो न जान … मेरे लंड को चूस चूसकर खा लो।
फिर उसने मेरा लंड अपने हाथ में लिया और मस्त तरीके से उससे खेलने लगी। फिर उसको मुंह में लेकर चूसने लगी।

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अब मैं उसकी चूचियां दबा रहा था और वो मेरे लंड से खेल रही थी और उसको बार बार सहलाकर मुंह में भर लेती थी।
मैं- यार रचना अब तो मुझसे रहा नहीं जा रहा। मन कर रहा है कि तुम्हारे नंगे बदन को सिर से पैर तक चाट लूँ।

रचना- तो शुरू हो जाओ न विकास!
मैंने उसे चाटना शुरू किया और फिर चाटते हुए उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसके पैर ऊपर कर दिए।

उसकी चूत मेरे सामने थी. मैं बोला- रचना तुम्हारी चूत कितनी मस्त है यार … इसे भी चाटने का मन कर रहा है।

रचना- चाट लो विकास … मेरी चूत को भी पागलों की तरह चाटो।
मैं उसकी चूत को पागलों की तरह चाट रहा था।

रचना- विकास मुझे भी तुम्हारा लंड फिर से चूसना है।
मैंने चूत से मुंह हटाकर कहा- हाँ मेरी जान … मैं भी यही चाहता हूँ।

फिर हम दोनों 69 के पोज़ में आ गए और उसने भी मेरा लंड पागलों की तरह चूसना शुरू कर दिया।
मैं- रचना यार, अब तो तुम्हें चोदने का मन कर रहा है।
रचना- हाँ विकास … मेरा भी मन कर रहा है कि तुम मुझे गचागच चोदो।

उसकी ऐसी बातें सुनकर मैं फटाक से बैठ गया और उसकी चूत पर अपना लंड रख दिया।
अब मैं बेशर्म होकर उसकी आखों में आखें डालकर देख रहा था और मैंने कहा- रचना, मैं बता नहीं सकता कि तुम्हें चोदने के लिए मैं कितना पागल हूँ।

रचना- मैं भी … आपसे अपनी चूत मरवाने के लिए पागल हुई जा रही हूँ विकास … अब तड़पाओ मत … घुसा दो अपना लंड मेरी चूत में!
मैंने धक्का मारा और पूरा लंड एक बार में ही उसकी चूत में उतार दिया।
वो भी कांप गई।

अब मैंने उसे जोर जोर से चोदना शुरू किया।
उसकी आंहों से पूरा माहौल जबरदस्त हो गया।

वो पागलों की तरह चिल्लाए जा रही थी- आह्ह्ह … विकास … चोदो मुझे … पागलों की तरह चोदो। बहुत मज़ा आ रहा है यार!

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मैं- रचना कितनी मस्त चूत है यार तुम्हारी … बहुत मज़ा आ रहा है तुम्हारी मस्त नंगी जवानी को चोदने में!
थोड़ी देर ऐसे ही जबरदस्त चुदाई चली।

फिर उसने मुझसे कहा- विकास … जैसे ब्लू फिल्म में अलग अलग तरीके से चुदाई करते हैं वैसे तुम भी करो न … आह्ह … मुझे अलग अलग पोज में चोदो। चूत के हर कोने में लंड का अहसास करवा दो मुझे।

रचना की यह बात सुनकर तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए और मैंने उससे पूछा- तो सबसे अच्छा तरीका कौन सा लगा तुम्हें?
रचना- तुम मुझे अब कुतिया बनाकर मेरी चुदाई करो।

इतना बोलने के बाद वो खुद ही कुतिया बनकर बैठ गई।

मगर अब मुझे उसकी गांड दिखाई दे रही थी तो मैंने लंड वहीं टिका दिया और कहा- जानेमन … या तो तुम खुद ही मेरा लंड अपनी चूत में डाल लो … या अब मैं तुम्हारी गांड मारने वाला हूँ।

तब उसने मेरा लंड पकड़कर अपनी चूत पर रख दिया और बोली- मारो धक्का मेरे राजा!
मैंने भी ऐसा झटका मारा कि पूरा लंड एक बार में ही उसकी चूत में उतार दिया।
मैं- तुम्हारा प्लान एकदम मस्त है मेरी जान … बहुत मज़ा आ रहा है तुम्हें कुतिया बनाकर चोदने में।

अब मैं ताबड़तोड़़ उसको चोदने लगा।
हम दोनों के मुंह मस्त सेक्सी आवाजें आ रही थीं- आह्ह … आह्ह … ओह्ह … चोदो … आह्ह … और चोदो … आह्ह … फाड़ दो।

इस तरह से हम दोनों भाई बहन का सेक्सी प्यार में डूब गए और फिर मेरा वीर्य उसकी चूत में निकल गया।

उधर से रचना भी चिल्लाई- आह्ह … विकास … आह्ह … गईईई … मैं गईईई … आह्ह … मेरी चूत … आह्ह मेरी चूत … चुद गई … ओेह्ह ओह्ह!
कहते हुए रचना की चूत ने ढेर सारा पानी छोड़ दिया और हम दोनों हांफते हुए बेड पर पसर गए।

दोस्तो, उसके बाद तो 3 दिन तक चुदाई चली।
मजा आ गया जीजी की चूत मारकर!

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