Desi Bhabhi Gand Kahani - पड़ोस की भाभी ने ब्लैकमेल किया- 4

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देसी भाभी गांड कहानी में पढ़ें कि भाभी मुझे होटल ले गयी सेक्स के लिए. वहां उन्होंने खुद से कह कर मुझसे अपनी गांड भी मरवायी.

मैं परिमल एक बार फिर से आपसे प्रियंका भाभी की चुदाई की कहानी का अगला भाग साझा कर रहा हूँ.
देसी भाभी गांड कहानी के पिछले भाग
होटल के कमरे भाभी मुझसे खूब चुदी
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैंने प्रियंका भाभी को दूसरी बार भी चोद दिया था और हम दोनों थक कर सो गए थे.

अब आगे देसी भाभी गांड कहानी:

एक घंटे बाद मेरी आंख खुली तो भाभी अभी भी मुझसे लिपट कर सो रही थीं. मेरे चेहरे पर उनके बाल बिखरे पड़े थे.
भाभी सोते हुए क्या मस्त और मासूम लौंडिया सी दिख रही थीं. ऐसा लगता था कि भाभी को आज बहुत दिनों बाद चुदाई का इतना ज्यादा मजा मिला था, तभी वो इतनी शांति से सो रही थीं.

मैंने अपने चेहरे से भाभी के बाल हटाकर भाभी को जगाया … और अलग किया.

मेरा लंड चुत में अपने आप कब बाहर निकल गया था, मुझे पता ही नहीं चला.

भाभी ने उठकर मोबाईल की घड़ी तरफ देखा और बोलीं- अरे अभी तो बहुत टाइम है … एक और राउंड हो जाए क्या?

मैंने हां में हां भर दी और फिर से शुरू हो गया. मैंने भाभी को बेड पर लेटा दिया और उन्हें फिर से चूमने लगा.

अपने लंड को मैंने थोड़ा हिलाया और हाथ से खींचा, तो वह फिर से एकदम कड़क खड़ा हो गया.
मैंने लंड को चुत के मुँह पर सैट किया और धीरे से एक धक्का दे दिया. मेरा लंड फच की आवाज करके पूरा का पूरा अन्दर उतर गया और उसी के साथ मैंने चुत में धक्के लगाना शुरू कर दिए.

फिर पहली बार वाली पोजीशन की तरह भाभी की गांड के नीचे तकिया लगा कर फिर से धकापेल चुदाई करने लगा.

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इस बार भी अलग-अलग पोजीशन में आकर आधे घंटे तक हमने जबरदस्त चुदाई की और हम दोनों ने खूब मजे किए.
अंत में मैंने भाभी की चुत के छेद को अपने वीर्य से भर दिया था. फिर मैं भाभी के दोनों मम्मों के बीच में मुँह लगाकर सो गया.

भाभी भी मुझसे लिपट कर सो गईं.

हमारी आंख खुली … तो शाम के 4:30 बज रहे थे.
हम दोनों का शरीर खूब खौल रहा था और दर्द कर रहा था.

दोनों उठकर साथ में बाथरूम में नहाने के लिए आ गए. बाथरूम में हम एक दोनों के ऊपर पानी छिड़कने लगे और मस्ती करने लगे.

उसी दौरान भाभी ने बोला- क्यों ना एक और राउंड हो जाए?
मैंने मना कर दिया कि अब नहीं मैं थक गया हूं.

भाभी बोलीं- अभी गांड का प्रोग्राम बाकी है. इसे अकेली मत छोड़ो यार. किसी और दिन मौका मिले या ना मिले … चलो न.

मैं सोचने लगा.

भाभी बोलीं- क्या सोच रहे हो?
मैंने कहा- भाभी आपकी चुत तो मेरा लंड लेने में रोने लगी थी. गांड में लंड कैसे लोगी?

भाभी मुस्कुरा दीं- अरे यार, मेरा पति ही इसका ज़िम्मेदार है.
मैंने कहा- कैसे … वो तो आपकी चुत को ठीक से नहीं चोद पाते हैं.

भाभी- वही तो … क्या है कि जब वो मुझे गर्म करके छोड़ देता था तो मैं अपनी उंगली से चुत को ठंडी करने लगती थी. उसी दौरान मुझे एक दिन अपनी गांड में उंगली करने का मन हुआ और धीरे धीरे मैं अपनी गांड में भी उंगली चलाने लगी. कुछ ही दिनों में मेरी दो फिर तीन उंगलियां भी गांड में जाने लगीं. इसके बाद मैंने एक बार बेलन की मूठ को तेल लगा कर अपनी गांड में ले लिया था. तभी से मेरी गांड भी ढीली हो गई. आज मैं देखना चाहती हूँ कि मर्द का लंड मेरी गांड में कैसे मजा देता है.

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मैं भाभी की बात सुनकर समझ गया कि भाभी पूरी चुदक्कड़ बन चुकी हैं और आज इनको अपनी गांड में भी लंड लेने का मन है.

मुझे सोचते देख कर भाभी बोलीं- अच्छा तुम कुछ मत करना … जो करूंगी कि वो मैं करूंगी, तुम सिर्फ बैठे रहो और मजे लो. किसी और दिन मौका मिले या ना मिले, चलो ना … आज मौका है, तो ले लो न.

मैं फिर से तैयार हो गया और भाभी मेरा लंड पकड़ कर जोर से हिलाने लगीं और ऊपर नीचे करने लगीं.

मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और उसमें खून दौड़ने लगा. इस बार लंड के ऊपर भाभी ने बहुत सारा शैंपू लगाया. मैंने भी थोड़ा सा शैंपू भाभी की गांड के छेद पर लगा दिया. फिर भाभी की गांड में अन्दर तक उंगली चलाई और अन्दर तक शैंपू उतार दिया.

हम दोनों इस बार गांड चुदाई के तैयार हो गए थे. फिर मैं बाथरूम के टब के अन्दर लेट गया और भाभी मेरे ऊपर आ गईं. भाभी मुझे किस करने लगीं और मैं भी उन्हें किस करने लगा. हम दोनों फिर से गर्म हो गए.

भाभी अब मेरा लंड अपनी गांड के छेद के पास ले गई और सैट कर दिया. मैंने नीचे से जोर से धक्का लगा दिया, जिसकी वजह से मेरा आधा लंड गांड के अन्दर चला गया.

भाभी थोड़ी सी उछलीं और फिर से बैठ गईं.
शैंपू की चिकनाई की वजह से लंड पूरा का पूरा अन्दर तक उतर गया था.
इसी वजह से भाभी की चीख भी निकल गई.

वह मेरे लंड के ऊपर बैठी थीं और ऊपर नीचे हो रही थीं. मैं भी नीचे से हल्के से धक्के देते जा रहा था.
लेकिन ज्यादा तो भाभी ही उछल कूद कर रही थीं. हमें धीरे-धीरे मजा आने लगा.

भाभी की गांड बहुत टाइट थी, इसीलिए मैंने लंड बाहर निकाला और फिर से शैंपू लगाकर फिर से थोड़ा धक्का लगा दिया.

इस बार पूरा लंड गांड के अन्दर तक उतर गया. मेरे लंड पर गांड की गहराई महसूस हो रही थी.

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भाभी ने कुछ पल बाद अपनी थोड़ी स्पीड बढ़ा दी.
शैंपू की चिकनाई के वजह से पूरे बाथरूम में फचाफच की आवाज गूंज रही थी.

मेरा लंड जब भी गांड के अन्दर जाता था, तो मुझे लगता था कि लंड को किसी ने दोनों हाथों से मुट्ठी में जोर से पकड़ लिया हो.

भाभी की गांड लंड पर इतनी ज्यादा फिट थी. शायद आज तक प्रियंका भाभी के पति ने उनकी गांड में लंड डाला ही नहीं होगा. भाभी की गांड में पहला मेरा ही लंड गया होगा, ऐसा लग रहा था.

मुझे भाभी की गांड मारने में चाची की गांड मारने में से भी ज्यादा मजा आ रहा था. हम दोनों खूब मस्ती में गांड चुदाई के मजे कर रहे थे.

लेकिन बाथरूम के टब के अन्दर हम ठीक से चुदाई नहीं कर पा रहे थे. हम दोनों थक भी गए थे. मेरी जांघों में दर्द कर रहा था इसीलिए 10-12 मिनट के बाद हमने गांड की चुदाई रोक दी.

भाभी टब से बाहर आ गईं और मुझे भी खींचकर बाहर निकाल कर बोलने लगीं- कोई और दिन गांड की चुदाई कर लेंगे.
मैं बोला- मैंने तो पहले से ही कहा था ना.

मैं अपने खड़े लंड को देखने लगा. अभी भी मेरा माल निकला नहीं था.

तो भाभी लंड देखते हुए बोलीं कि इसे तो खाली करना ही पड़ेगा.

मैं नीचे बाथरूम की जमीन के ऊपर टब के साथ पीठ लगा कर बैठ गया और दोनों पैर आगे की ओर कर दिए.

भाभी आकर मेरे जांघों के ऊपर बैठ गईं और उन्होंने हाथ में थोड़ा सा शैंपू लिया. भाभी ने उसे मेरे लंड के ऊपर लगा दिया और हाथ से ही लंड ऊपर नीचे करके मुठ मारने लगीं.

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सच में भाभी क्या जोरदार मुट्ठ मारती थीं … फुल स्पीड में. मैंने तो अपने दोनों हाथ फैला दिए और मुठ मारने के मजे लेने लगा. किसी और से मुठ मरवाने का मजा ही कुछ अलग होता है … और खास करके कोई भाभी जैसी चुदक्कड़ माल मिल जाए तो पूछना ही क्या.

थोड़ी देर में मेरा लंड अकड़ने लगा और ज्यादा कड़क होने लगा … तो भाभी ने स्पीड बढ़ा दी और झटके के साथ ही मेरे लंड के अन्दर से सिर्फ एक दो बूंद वीर्य ही निकल सका.
भाभी ने उसे जीभ से चाट लिया. मुझे तो जैसे चक्कर आ गए थे.

मैं वहीं पर सो गया.

थोड़ी देर बाद मुझे होश आया तो भाभी शॉवर में नहा रही थीं.

भाभी ने मुझे देखा और बोलीं- अरे तुम जग गए … चलो आओ हम साथ में नहाते हैं.
मैं वहीं बैठा रहा और बोला- आप नहा लो … मैं बाद में नहा लूंगा.

मैं वहीं बैठा बैठा उन्हें नहाते हुए देखता रहा.
अभी भी मेरे लंड के अन्दर जैसे दुख रहा था … मुझे ऐसा लग रहा था कि लंड के ऊपर की चमड़ी जल रही थी. यह सब उस दो गोली खाने की वजह से हो रहा था.

मेरी हालत खराब हो गई थी.

इधर भाभी लंड से चार बार चुदने के बाद भी मजे से नहा रही थीं और मेरे ऊपर पानी छिटक रही थीं.
वो मस्ती में गाने गुनगुना रही थीं.

कुछ देर बाद भाभी नहा कर बाहर चली गईं.
फिर मैं उठा और नहाने लगा. नहाकर मैं भी बाहर आ गया.

भाभी अभी भी रूम में नंगी घूम घूम कर अपना शरीर सुखा रही थी. उनके छुट्टे लंबे बाल गोल गांड तक झूल रहे थे.
आगे दो मोटे गोल मम्मे हल रहे थे और पीछे मोटी गांड को दबाए भाभी के दो भरे हुए कूल्हे सच में क्या गजब का तराशा हुआ शरीर था.

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मैं थका हुआ था मगर मेरी वासना जागने लगी थी.
मेरे सामने भाभी एक हॉट माल के जैसे दिख रही थीं.
मुझे तो लग रहा था कि अभी ही उसे पकड़ कर अपना पूरा लंड उसकी चुत में उतार दूं और उसे चोद चोद कर भोसड़ा बना दूं.

लेकिन मैं ऐसा कर ही नहीं सकता था. मेरे अन्दर ऐसा करने की अब ताकत ही नहीं बची थी.

मुझे देख कर भाभी बोलीं- बहुत जल्दी नहाकर वापस आ गए.

मैं भाभी के पास जाकर बिना कुछ बोले उन्हें पकड़ कर जोर से उनके होंठों पर किस करने लगा.
भाभी ने भी जवाब में मुझे होंठों पर किस दे दी.

भाभी बोली कि तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया … जितना तुम्हारा धन्यवाद करूं … उतना कम है. थैंक्यू परिमल … आज का मेरा दिन मेरी लाईफ का बहुत स्पेशल दिन बनाने के लिए मैनी मैनी थैंक्स.
मैंने कहा- अरे भाभी ऐसी कोई बात नहीं. आज हम दोनों का स्पेशल दिन था. मुझे भी बहुत मजा आया.

फिर हम दोनों ने कपड़े पहने और जैसे तैयार होकर आए थे, वैसे तैयार हो गए.

उस वक्त टाइम करीब 5:30 बजे होंगे.
फिर हम होटल से निकले और बाहर आकर हमने नाश्ता किया.
भाभी को बाइक पर बिठा कर मैं उनकी सोसाइटी के बाहर गेट तक ले गया.

भाभी बाइक से उतर कर मुझे फिर से थैंक्यू बोलने लगीं और पूछने लगीं- अब दोबारा कब ऐसी मुलाकात होगी?
मैंने कहा- अब बिना गोली के मुलाकात करनी हो … तो ही बोलना.

भाभी मुस्कुराने लगीं और मुझे आंख मार कर और पीछे मुड़कर अपनी गांड हिलाते हुए चली गईं.
मैं उनकी चलते समय उछलती हुई गांड को दूर तक देखता रहा.

मुझे उनकी गांड को देखकर एक कही सुनी कहावत याद आ गई कि रोड के ऊपर गाड़ी का पेट्रोल खत्म हो सकता है लेकिन रोड कभी खत्म नहीं हो सकती.

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मैं भी मुस्कुरा कर वहां से चला गया.

अच्छा हुआ इस बार किसी ने हमें देखा नहीं वरना वाट लग जाती.

मैं घर आ गया … और फ्रेश होकर खाना खाने लगा.
खाना खाने के बाद मुझे पूरे शरीर के अन्दर दर्द कर रहा था. खास करके मेरे लंड के अन्दर दर्द हो रहा था. अगर थोड़ा भी सहलाता था, तो फिर से खड़ा हो जाता … ऐसा लग रहा था.
इसीलिए मैंने थोड़ा कंट्रोल किया और 9:00 बजे से ही सोने चला गया.

मम्मी ने कहा कि पूरा दिन दोस्तों के साथ घूमते रहते हो, तो बदन तो दर्द करेगा ही ना … जाओ और सो जाओ. कल सुबह जॉब पर भी जाना है.

मैं अपने रूम में आ गया.

उस दिन चाची ने कुछ स्पेशल खाना बनाया था, तो वह देने के लिए हमारे घर पर आईं और बोलीं- यह लो आज मैंने स्पेशल डिश बनाई है.
मम्मी बोलीं- परिमल ने तो खाना भी खा लिया.
चाची बोलीं- वह दिख नहीं रहा?

मम्मी ने बोला- उसका बदन दर्द कर रहा है, इसलिए वो सोने चला गया है.
चाची तो समझ गई होंगी कि क्यों मेरा बदन दर्द कर रहा है.

चाची बोलीं- क्या रे ऐसा कैसे हुआ? पूरा दिन घूमता रहता है, छुट्टी के दिन भी घर पर नहीं रहता … तो बदन तो दर्द करेगा ही न. क्या मैं उसे देख आऊं?
मम्मी बोलीं- हां हां क्यों नहीं, वह रूम में ही है.

चाची मेरे रूम में आईं और बोलीं-सरप्राइज … कैसा रहा आज का तुम्हारा दिन?
चाची को मैंने बोला- सब बात छोड़ो … आपको मैं कल पूरी कहानी बताऊंगा.

चाची बोलीं- ठीक है, सो जाओ. कल मिलते हैं. पर एक बात याद रखना प्रियंका के चक्कर में अपनी चाची को मत भूल जाना.
मैंने बोला- अरे चाची कैसी बात कर रही हो आप … आपकी तुलना तो प्रियंका तो क्या कोई भी कर नहीं सकता.

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चाची मुस्कुराने लगीं और वहां से चली गईं.

फिर अगले 10-15 दिन तक ना तो मैंने मुठ मारी … ना तो किसी के साथ सेक्स किया.
उसी दौरान मुझे चाची के और प्रियंका भाभी के दो-तीन बार मैसेज और कॉल आए कि चलो ना फिर से चुदाई करते हैं. लेकिन मैं न तो चाची के पास और ना ही प्रियंका भाभी के पास चुदाई के लिए गया.

फिर एक डेढ़ महीने के बाद प्रियंका भाभी का मैसेज आया. वो बहुत खुश थीं और बोल रही थीं- मुझे एक महीने से पीरियड नहीं आया. मैंने चेकअप करवाया तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई मतलब कि मैं प्रेग्नेंट हो गई हूं. तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया मेरे बच्चे के होने वाले पिताजी.

यह सुनकर मैं बहुत खुश हुआ कि चलो मेरी वजह से किसी की इच्छा तो पूर्ण हुई.
यह बात मैंने चाची को भी बताई … तो चाची भी सुनकर बहुत खुश हो गईं. उन्होंने मुझे बधाई भी दी.

उसी दिन रात को मैंने घर जाकर यह कहानी लिखी थी.

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तो आपको मेरी और देसी भाभी गांड कहानी कैसी लगी. आप मेल करके बताइएगा.