मेरी चूत गांड को रोज लंड चाहिए-1 (Sex For Free: Meri Chut Gand Ko Roj Lund Chahiye- Part 1)

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मेरी हॉट सेक्सी कहानी में पढ़ें कि मैंने स्कूल में टीचर, लड़कों से सेक्स फॉर फ्री मतलब खूब चुदाई करवाई. पढ़ाई ख़त्म होने पर मेरी चूत गांड को लंड मिलना बंद हो गया. तो मैंने क्या किया?

हाय फ्रेंड्स, मेरा नाम आशना है. मेरी उम्र 20 साल की है और मेरा फिगर 32 डी- 24 – 36 का है. मैं एकदम पॉर्न ऐक्ट्रेस लीना पॉल की तरह दिखती हूँ. मैं उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूँ. मैं एकदम गोरी हूँ. मेरी गांड भी खूब भरी हुई और मोटी है.

मैंने इंटर फाइनल कर लिया था, इसके बाद घर पर फ्री रहती थी. मुझे घूमने को नहीं मिलता था क्योंकि कोई काम नहीं रहता. तो घर से भी नहीं निकलने को मिलता था.

जब तक स्कूल जाती थी, तब तब मेरी बड़ी मस्त ज़िंदगी चल रही थी. मैंने अपने स्कूल में सबसे ज़्यादा अपनी चूत चुदाई करवाई थी. फिर वो चाहे टीचर से चुदवाई हो या लड़कों से.
मुझे तो लंड लेने से मतलब था. मतलब सेक्स फॉर फ्री फ्री फ्री!
लंड वाला चाहे चपरासी हो या ऑटो वाला हो.

मुझे तो चूत में रोज़ मुझे किसी ना किसी से लंड लेना जरूरी रहता था. मेरे पास तो सेक्स फॉर फ्री था. जिसके वजह से मेरी चूत तो पूरी खुली ही थी.

साथ ही काफी लोगों ने मेरी गांड भी मारी थी. तो गांड भी लंड लीलने के लिए रेडी रहती थी. मैंने हर साइज़ का लंड अपने मुँह चूत और गांड में ले रखा था.

वैसे तो मैं घर की लाड़ली थी, लेकिन फिर भी बिना काम से मुझे घर से निकलने को नहीं मिल रहा था. जिससे अब मेरी चूत चुदवाने की भूख ज़्यादा बढ़ रही थी. मेरे घर में मेरे अलावा तीन लोग थे. मेरे पापा, मम्मी और एक छोटा भाई.

फिर मैंने घर से निकलने का बहाना ढूंढ लिया था. सुबह में मैंने इंग्लिश स्पीकिंग क्लास ज्वाइन करने का बहाना बना लिया था, इससे मुझे घर से निकलने का ज़्यादा मौका मिलने की उम्मीद हो गई थी.

मम्मी पापा से इंग्लिश स्पीकिंग की क्लास ज्वाइन करने की परमीशन मिल गई.

उसी शाम को मैंने पहले अपने इंग्लिश सिखाने वाले सर से जाकर बात की और उन्होंने हामी भर दी. मुझे दूसरे दिन सुबह से क्लास जाना था.

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अगले दिन मैं सुबह सात बजे उठी और नहा कर तैयार हो गयी. मैंने स्कर्ट और टॉप पहना जो बहुत ही सेक्सी था और इसका टॉप थोड़ा चुस्त था. जिससे मेरे मम्मों के उभार साफ़ दिखते थे. इसका गला गहरा होने से इसमें से मेरे मम्मों की क्लीवेज भी नज़र आती थी. नीचे स्कर्ट मिनी थी, तो उससे वैसे भी मेरी पूरी टांगें साफ़ दिखती थीं.

मेरे घर से मुझे कभी किसी भी तरह के कपड़े पहनने पर कोई रोक टोक नहीं है. इसलिए पापा मम्मी ने मुझसे कुछ नहीं कहा.

मैं अपनी गांड मटकाते हुए घर से निकली और चूंकि कुछ ही दूर पर मेरी क्लास थी, तो मैंने पैदल ही जाना उचित समझा. इससे मुझे रोड पर ज़्यादा नज़रें भी घूरेंगी और मेरी चूत में पानी भी आएगा.

कुछ देर बाद मैं वहां पर पहुंची और सीड़ियों से ऊपर चली गयी. वहां सर पहले से मौजूद थे. और एक लड़की भी थी जो मेरी उम्र की ही थी. सर उसको पढ़ा रहे थे.

अन्दर जाने पर सर ने मुझे बैठने को बोला और उस लड़की को पांच मिनट और पढ़ाया. फिर वो वहां से चली गयी.

अब सर ने पहले तो मुझे बहुत ध्यान से ऊपर से नीचे तक देखा और फिर मुझे एक बुक में से पहला चैप्टर पढ़ाना शुरू किया.

मैं क्लास में अकेली ही स्टूडेंट थी, तो वो मेरे बगल में ही बैठ कर मुझे पढ़ाने लगे. मैंने देख लिया था कि सर का ध्यान मेरे क्लीवेज पर ही था.

मैंने कुछ देर बाद नोटिस किया कि अब वो मुझे समझाने के बाद मेरे कंधे पर हाथ रख कर पूछने लगते थे ‘समझ गई ना?’
मैं भी हां में सर हिला देती.

कोई एक घंटा उन्होंने अपनी आंखें सेंकते हुए मुझे पढ़ाया. फिर मैं घर चली आई.

शाम को मुझे एक काम से जाना था, तो पापा ने मुझे वहां तक छोड़ दिया.

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लेकिन वापसी में मुझे देर हो गयी, तो मैंने ऑटो से घर आना उचित समझा.
मैंने हाथ देकर एक ऑटो रुकवाया. जब मैंने उसमें बैठने के लिए देखा, तो वो पहले से ही पूरी भरी थी.

ऑटो वाले ने सामने वाली सीट से एक लड़के को आगे बुला लिया और मुझसे बोला कि अब बैठ जाओ.

तो मैं ऑटो पर चढ़ गयी और मैं एकदम साइड में जा कर बैठ गयी. मेरे बगल में करीब पैंतालिस साल का आदमी बैठा था, तो वो थोड़ा सा आगे को हो गया और मैं पीछे होकर बैठ गयी.

कुछ देर बाद ऑटो वाले ने पीछे की लाइट को बंद कर दिया, जिससे पीछे पूरा अंधेरा हो गया.

अंधेरे का फायदा उठा कर उस आदमी ने पहले तो कोहनी से मेरे मम्मों को रगड़ा, फिर जब मैंने कुछ विरोध नहीं किया, तब उसने अपना एक हाथ मेरी जांघ पर रख दिया और हल्के हाथों से सहलाने लगा.

अब मुझे भी थोड़ा मज़ा आने लगा था, तो मैंने अपनी दोनों टांगों को हल्का सा फैला दिया. वो मेरी टांगों को सहलाने लगा. मैंने उसे हाथ फेरने दिया. तो उसके बाद उसने अपना एक हाथ मेरी चुचियों पर रख दिया और घुमाने लगा. मैंने चूची और फुला दी, तो वो मेरे एक दूध को दबाने लगा. हम दोनों मज़ा लेने लगे.

कुछ देर बाद स्टॉप आ गया, तो वहां पर ऑटो रुक गई. उधर मैंने पहले सबको उतरने दिया. जब सब उतर गए, तो हम दोनों ही बस ऑटो में बचे थे. मैं भी उतरने लगी, तो उसने मेरी गांड को पीछे से दबा दिया और मेरे ही साथ वो भी उतर गया और मेरे पीछे पीछे चलने लगा.

मैं समझ गई कि आज लंड का स्वाद मिल सकता है. ये सोचते ही मेरी चूत में चींटियां रेंगने लगीं. मैं अपने घर जाने के बजाए दूसरी तरफ चलने लगी.
मगर लंड किधर ले सकूंगी, ये मुझे समझ नहीं आ रहा था. खुली सड़क पर तो लंड ले नहीं सकती थी तो मैं सोचने लगी.

तभी एक जगह मुझे याद आ गई. मेरे घर से थोड़ी दूर पर जिला अस्पताल था, जो इस समय सुनसान रहता था. मैं वहां जाकर एकदम किनारे खाली जगह पर चली गयी, वहां अंधेरा भी था.

वो आदमी भी मेरे पीछे आ गया और उसने मुझे पीछे से दबोच लिया. वो मेरी चुचियों को मसलने लगा और मेरे मम्मों को बाहर करके पीने लगा.

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वो एकदम कुत्ते की तरह मुझे नोंच रहा था. ऐसा लग रहा था कि जैसे इसने बहुत दिनों से किसी को चोदा नहीं है.

वो मेरी चुचियों को चूसने के बाद मुझे घुटनों पर बैठा कर अपनी पैंट की चैन खोलने लगा. अगले ही पल उसने अपना लौड़ा निकाला और मेरे मुँह में भर दिया. उसका लंड केवल पांच इंच का था, जिसको मैं पूरा अन्दर लेकर चूस रही थी.

कुछ देर लंड चूसने के बाद उसने मुझे खड़ा किया और मेरी लैंगिंग्स उतार कर मेरी चूत में अपना लंड डाल कर पेलने लगा. मैं भी चूत में लंड का सुख लेने लगी.

दस मिनट तक मुझे चोदने के बाद उसने मुझे फिर से नीचे बैठा दिया और मेरे मुँह में अपना लंड झाड़ दिया. चुदाई समाप्त हुई और वो अपने कपड़े सही करके वहां से चला गया. मैं भी चूत चुदवा कर अपने घर चली आई.

लंड से चुद कर उस रात को मुझे बड़ी अच्छी नींद आई थी.

अब अगले दिन फिर मैं सुबह नहा कर तैयार होकर इंग्लिश पढ़ने चली गयी. सर क्लास में अकेले थे क्योंकि आज वो दूसरी लड़की नहीं आई थी.

जैसे ही मैंने ये माहौल देखा, तो मैंने अपने मन में ये पक्का कर लिया कि आज ही सर से चुद कर रहूंगी, चाहे जो भी हो जाए.

मैंने मिनी स्कर्ट पहनी थी, जिसके नीचे ब्लू पेन्टी पहनी थी. ऊपर आधी आस्तीन की शर्ट थी, जो बिल्कुल मेरे बदन पर चिपकी हुई थी. इसमें से मेरे दोनों दूध बिल्कुल साफ़ दिख रहे थे.

जैसे ही मैं उनके सामने पहुंची, तो सर ने मुझे वासना से देखा और कहा- तुम बैठो, मैं आता हूँ.

वो पेशाब करने गए थे. तब तक मैंने मौका देख कर अपनी पेन्टी को उतार कर अपने बैग में रख लिया और अपने टॉप का एक और बटन खोल दिया, जिससे मेरे दोनों मम्मों के बीच की गहराई और ज़्यादा दिखने लगी थी.

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कुछ देर बाद सर आ गए और उन्होंने मेरे स्तनों को बड़े ध्यान से देखा और मुझे एक सिंगल बेंच पर बैठने को बोला, जिसमें दो लोग बैठते थे. सर भी मेरे बगल बैठ कर पढ़ाने लगे. उन्होंने पहले ही मेरे कंधे पर और फिर पीठ पर अपना हाथ फेरना शुरू कर दिया.

कुछ देर पढ़ाने के बाद उन्होंने अचानक से मेरी जांघ पर हाथ रख दिया. जिससे मेरे मन में भी उत्तेजना बढ़ने लगी. मैंने भी इसका कोई विरोध नहीं किया, तो वो धीरे धीरे जांघ को सहलाने लगे.

कुछ देर बाद मुझे एक शब्द का मतलब समझ नहीं आ रहा था. तो उसको देखने के लिए वो सामने से डिक्शनरी ढूंढने लगे.

तभी उनके पेन का बॉक्स नीचे जमीन में गिर गया और वो नीचे होकर उठाने लगे. मैंने भी मौका देख कर अपनी दोनों टांगों को खोल दिया, जिससे सर को मेरी चूत के दर्शन हो जाएं.

हुआ भी यही.. उन्होंने मेरी बुर को देख लिया. फिर वो डिक्शनरी लेकर मेरे पास आ गए और मुझे देकर बोले- लो इसमें देखो.
मैं उसमें ढूंढने लगी.

तभी सर फिर उठ कर सामने चले गए और कुछ ही सेकंड बाद मुझे आवाज दी कि तुम यहां आ जाओ. यहां कुछ और किताबें हैं, उसमें देख लो.
मैं गयी और नीचे झुक कर बुक्स निकालने लगी. तभी उतनी देर में सर ने अपना लंड पेंट में से निकाल कर धीरे से मेरी स्कर्ट उठा कर एक ही बारे में अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया.

मैं अचानक हुए इस हमले से एकदम से चौंक गयी और सर से बोलने लगी- ये क्या कर रहे हो आप. छोड़ो मुझे कोई देख लेगा.
लेकिन उन्होंने मेरी एक न सुनी और वो पूरी रफ्तार में अपने लंड को मेरे अन्दर घुसाने लगे.

अब धीरे धीरे मेरी विरोधी आवाज, उत्तेजना में बदलने लगी और मजा आने लगा.

कुछ देर तक पीछे से मेरी चूत में लंड पेलने के बाद सर ने मुझे सीधे किया और मेरे सारे कपड़े उतार तक अलग रख दिए. अब मैं उस कोचिंग क्लास में पूरी नंगी थी. सर मेरे पूरे बदन को चूमने लगे. मेरी चुचियों को दबाने लगे और मजा लेने लगे.

कुछ पल के बाद उन्होंने मुझे अपना लंड चुसाना शुरू किया. उनका लंड भी 5 इंच का ही था, जिसको मैं बड़ी आसानी से पूरा मुँह में रख कर चूसने लगी. कुछ देर बाद सर खड़े हुए और मुझे सामने रखी मेज पर झुका दिया. फिर मेरी गांड के छेद को अपनी जीभ से चाट कर ढीला किया और अपने लंड से मेरी गांड चोदने लगे.

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सर ने मेरी गांड बड़े मजे देकर मारी. तकरीबन आधे घंटे तक मेरी बढ़िया से गांड चुदाई करने के बाद उन्होंने अपना सारा लंड का रस मेरे मुँह में झाड़ कर मेरी प्यास बुझा दी.

आज मेरी गांड और चूत में लंड ने मजा दे दिया था. रात को बड़ी बढ़िया नींद आई.

अगले भाग में मैं आपको अपनी चूत गांड की चुदाई की हॉट सेक्सी कहानी आगे लिखूंगी. आप मुझे मेल जरूर कीजिएगा. मेरे पास सेक्स फॉर फ्री है. लूट लो मुझे!