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मैं और नमिता एक दूसरे को पिछले 7 वर्षों से जानते हैं नमिता और मेरे पति दोनों एक ही कंपनी में जॉब करते हैं इसलिए हम दोनों के परिवार के बीच बहुत नज़दीकया हैं। कई बार मुझे लगता कि नमिता जैसे दिखावा करने की कोशिश करती है वह अपने असली चेहरे को लोगों के सामने नहीं रखती बल्कि दिखावटी चेहरे को वह लोगों के सामने रखने की कोशिश करती है। इस बात से कई बार उसे खामियाजा भी भुगतना पड़ता है मैंने कई बार नमिता को समझाया और उसे कहा देखो नमिता तुम लोगों के सामने ऐसा दिखावट मत किया करो इससे किसी दिन तुम बहुत ही बडी मुसीबत में आ जाओगी। नमिता ने मेरी बात नहीं सुनी और उसके कुछ ही समय बाद उसके साथ जो घटना घटित हुई वह उससे पूरी तरीके से टूट चुकी थी।

 नमिता के पास एक व्यक्ति आए वह नमिता से कुछ पैसे लेकर चले गए लेकिन नमिता ने यह बात काफी समय तक किसी को नहीं बताई थी। जब नमिता के साथ यह घटना घटित हो गई तो वह परेशान रहने लगी और उसने मुझे कहा कि मुझे तुमसे मिलना है। मैंने नमिता से कहा मैं अभी तो तुमसे नहीं मिल सकती लेकिन शाम को तुमसे मिलने के लिए आती हूं। मैं शाम के वक्त नमिता से मिलने के लिए चली गई जब मैं नमीता से मिलने के लिए गई तो मैंने देखा नमिता अपना सर पकड़ कर सोफे पर बैठी हुई थी। मैं उसके पास चली गई लेकिन नमिता को जैसे पता ही नहीं चला जब मैं उसके नजदीक पहुंची तो मैंने नमिता से कहा क्या हुआ तुम बहुत परेशान नजर आ रही हो? नमिता कहने लगी हां यार परेशानी की तो बात ही है मैं तुम्हें कैसे बताऊं मुझे भी लगता है कि मुझे यह बात तुम्हें पहले ही बता देनी चाहिए थी शायद मैं इस धोखे से बच जाती। मेरी तो समझ में नहीं आ रहा था मैंने सोचा नमिता आखिर किसकी बात कर रही है। नमिता कौन से धोखे की बात कर रही है ऐसा आखिरकार हुआ क्या है जो वह इतनी परेशान हो चुकी है लेकिन जब नमिता ने मुझे पूरी बात बताई।

 नमिता ने कहा कुछ समय पहले मेरे रिश्ता के एक भैया है उन्होंने मुझे एक व्यक्ति से मिलवाया। वह दिखने में सज्जन थे उन्होंने मुझे अपनी कंपनी का कार्ड दिया और कहने लगे आप हमें ₹50000 दे दीजिए उसके बाद हम आपको एक साल बाद दोगुना पैसा दे देंगे। मुझे भी लगा वह मेरे भैया के माध्यम से आए हैं तो मैं इतना भरोसा तो उन पर कर ही सकती हूं लेकिन मेरा भरोसा पूरी तरीके से टूट गया मैंने उन्हें पैसे दे दिए। उन्होंने अपने ऑफिस का एड्रेस भी मुझे दे दिया था और उन लोगों ने एक सेमिनार भी करवाया जिससे कि मुझे लगा यह सब कुछ ठीक है। मैं सिर्फ यह देखना चाहती थी कि वह पैसे देते भी हैं या नहीं उन्होंने मेरे सामने ही कुछ लोगों को चेक दिए और कहा कि हमने यह पैसे एक साल में दोगुने कर के दिए हैं। शुरुआत में तो मैंने उन्हें 50000 ही दिए थे मुझे उन पर पूरा यकीन भी आ गया लेकिन जब मैं यह सब देखती रही तो मेरे अंदर और भी ज्यादा लालच आने लगा। मैंने उन्हें 5 लाख का चेक दे दिया वह पैसे मुझे मेरे पति ने दिए थे। अब मुझे इस बात की चिंता होने लगी है कि मैं वह 5 लाख कहां से लाऊं क्योंकि वह कंपनी बंद हो चुकी है और उनका कोई अता पता भी नहीं है। मैंने नमिता से कहा तुम एक बार मुझसे बात तो कर लेती। नमिता कहने लगी मेरे अंदर तो लालच जाग चुका था इसीलिए मैं लालच में आ गई और उन्हें पैसे दे दिए। मैंने नमिता से कहा कोई बात नहीं तुम चिंता मत करो कोई ना कोई रास्ता जरूर निकल आएगा। रास्ता कैसे निकलता यह सोचकर तो मेरे दिमाग पर भी जोर पड़ने लगा क्योंकि इतने जल्दी 5 लाख लाना बहुत ही मुश्किल था। नमिता के पति ने जब उससे इस बारे में कहा तो नमिता के कुछ समझ में नहीं आया और वह कहने लगी मैंने वह पैसे अपने भैया को दे दिए हैं कुछ समय बाद वह पसे लौटा देंगे। नमिता के पास अब बचने का कोई रास्ता नहीं था वह इतनी ज्यादा घबरा गई कि उसने मुझे फोन कर के बुलाया और कहने लगी शांति तुम ही बताओ मुझे क्या करना चाहिए मैं बहुत टेंशन में आ चुकी हूं मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा।

तुम ही कोई रास्ता निकालो जिससे कि जल्दी से कोई हल निकल सके लेकिन मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा था मैंने नमिता से कहा मुझे तुम कुछ दिनों का समय दो मैं तुम्हें सोच कर बताती हूं हमें ऐसे वक्त में क्या करना चाहिए। मेरे मामा जी के लड़के का नाम रोशन है वह पुलिस में है मैंने उनसे जब यह बात कही तो वह कहने लगे क्या तुम लोगों ने इसकी कंप्लेंट पुलिस स्टेशन में करवाई थी। नमिता ने कहा हां मैंने इसकी कंप्लेंट पुलिस स्टेशन में करवा दी थी लेकिन अभी तक उन लोगों का कोई पता नहीं चल पाया है। वह कहने लगे चलो मैं देखता हूं मैं अपनी तरफ से कितनी मदद तुम लोगों की कर सकता हूं। नमिता को थोड़ा बहुत तो भरोसा आ चुका था कोई ना कोई रास्ता तो निकल ही आएगा। नमिता और मैं जब घर लौट रहे थे तो नमिता ने मुझे कहा शांति मैं तुम्हारा थैंक्यू कैसे कहूं। मैंने उसे कहा देखो नमिता मैंने तुम्हें कितनी बार समझाया तुम कभी भी कोई डिसीजन लेती हो तो उसे किसी से तो पूछा करो तुम आखिरकर क्या करने जा रही हो बिना पूछे ऐसा ही होता है इसीलिए तो तुम्हारे साथ यह घटना घटित हुई है। मैने उसे कहा तुम्हें इसके लिए मुझे थैंक्यू कहने की जरूरत नहीं है मेरा भी कोई फर्ज था तो मैंने सोचा तुम्हारी मदद कर दूं इसलिए तो मैं तुम्हारी मदद कर रही हूं। नमिता को भी इस बात का एहसास हो चुका था कि आगे से वह कभी ऐसा नहीं करेगी।

कुछ दिनों बाद रोशन भैया ने नमिता खुशखबरी देते हुए कहा कि उन लोगों का पता तो चल चुका है और पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार भी कर लिया है लेकिन उन लोगों के पास पैसे नहीं हैं और फिलहाल तो इतनी जल्दी कोई उम्मीद नहीं दिखती कि वह पैसे लौटा पाएंगे क्योंकि उन्होंने और लोगों से भी पैसे लिए हैं उन्होंने अभी तक उनके भी पैसे नहीं लौटाए हैं इसीलिए तो और लोग भी पुलिस स्टेशन के चक्कर काट रहे हैं परंतु आप उम्मीद रखिए सब कुछ ठीक हो जाएगा। नमिता को जल्द ही पैसे की जरूरत थी और उसके पास अब कोई भी रास्ता नहीं बचा था जिससे कि वह पैसे अपने पति को दे पाती। उसकी टेंशन और भी ज्यादा बढ़ती जा रही थी उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रहा था कि वह कितने टेंशन में है। नमिता गुमसुम सी रहने लगी थी वह ज्यादा किसी से बात नहीं कर रही थी। मैं भी उसे मिली लेकिन उसने मुझसे भी ज्यादा बात नहीं की। नमिता की परेशानी बढ़ चुकी थी अब वह बहुत ज्यादा परेशान तो रहने ही लगी थी और काफी तनाव में भी आ चुकी थी लेकिन उसकी मदद शायद मैं भी नहीं कर सकती थी। उसे पैसे की बहुत ज्यादा जरूरत थी इसलिए उसने अपनी मदद खुद की और वह मुझे जब मिली तो कहने लगी मैंने पैसो को बंदोबस्त कर लिया है। मैंने नमिता से कहा लेकिन तुम्हारे पास इतने पैसे कहां से आए? वह मुझे कहने लगी मुझे एक व्यक्ति ने यह पैसे दिए है। मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार इतने पैसे कोई कैसे दे सकता है लेकिन जब एक दिन में नमिता के घर पर गई तो मैंने देखा नमिता एक अधेड उम्र के व्यक्ति के लंबे लंड को अपने मुंह में ले रही थी और वह नग्न अवस्था में थी।

वह व्यक्ति उसके लंबे और घने बालों को पकड़े हुआ था और नमिता उसके मोटे से लंड को अपने मुंह में लेकर सकिंग कर रही थी जिससे कि उसकी गर्मी बढ़ती ही जा रही थी। वह व्यक्ति उसे कहने लगा और अच्छे से चूसो नमिता उसके लंड को बड़े अच्छे से चूस रही थी और काफी देर तक उसने उसके लंड का रसपान किया। मैं यह सब खिड़की से देख रही थी जब उसने नमिता को कहा तुम मेरे लंड के ऊपर बैठ जाओ तो नमिता जैसे उसके हाथ की कठपुतली थी जैसे वह कह रहा था वैसे ही वह कर रही थी। नमिता ने अपनी बड़ी सी चूतड़ों को उस अधेड़ उम्र के व्यक्ति के लंड पर रखते हुए अंदर की तरह घुसा दिया। वह अपनी चूतड़ों को ऊपर नीचे करने लगी नमिता के मुंह से सिसकियां निकल रही थी। वह व्यक्ति बड़े ही अच्छे से नमिता का साथ दे रहा था उस व्यक्ति ने नमिता से कहा और तेजी से करो ना तो नमिता भी अपनी चूतडो को तेजी से ऊपर नीचे किए जाती जिससे कि नमिता के शरीर से भी गर्मी निकलती जा रही थी। वह व्यक्ति भी खुश हो चुका था लेकिन कुछ देर बाद उस व्यक्ति ने नमिता से कहा तुम मेरे लंड पर तेल की मालिश करो।

जैसे ही नमिता ने उसके लंड पर तेल की मालिश की तो उस व्यक्ति ने नमिता की गांड पर अपने लंड को प्रवेश करवा दिया। नमिता के मुंह से तेज चीख निकलने लगी वह व्यक्ति बड़ी तेजी से नमिता के साथ मजे ले रहा था नमिता भी उसका पूरा साथ देती और अपनी चूतड़ों को उससे मिलाए जाती। नमिता ज्यादा देर तक उसके मोटे लंड को बर्दाश्त ना कर सकी और वह उसे कहने लगी अब मुझे जाने दो मुझे बहुत दर्द हो रहा है लेकिन वह तो जैसे उसे छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था और बड़ी तेजी से उसने नमिता की गांड मारी। जैसे ही उसने नमिता के मुंह के अंदर अपने वीर्य को गिराया तो उसने अपने कपड़े पहने और नमिता को कुछ पैसे दिए। उसके बाद वह चला गया मैं जब नमीता से मिली तो उस दिन नमिता ने मुझे सारी बात बता दी और कहने लगी इन्ही व्यक्ति ने मुझे पैसे दिए थे और उन्होंने ही मेरी जरूरतों को पूरा किया। अब मेरे पास पूरे पैसे आ चुके हैं लेकिन मुझे भी उनकी जरूरत को हमेशा पूरा करना पड़ता है क्योंकि उनकी पत्नी की मृत्यु हो चुकी है अब वह मुझसे ही सेक्स की उम्मीद करते हैं और मेरी चूत के मजे लेते रहते है अब मुझे भी आदत हो चुकी है।

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