ननदोई का ताकतवर लंड

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 घर तो जैसे रहने लायक ही नहीं रह गया था हर रोज सास और मेरे बीच झगड़े होते रहते थे। मेरे और मेरी सास के बीच में बिल्कुल भी नहीं बनती थी। इसी बीच एक दिन अखिल की बहन माधुरी और उनके पति घर पर आ गए। वह लोग सुबह ही पहुंच गए थे इसलिए घर में सारा सामान इधर-उधर बिखरा पड़ा था। मेरी सास मुझे कहने लगी तुमने अभी तक घर का काम नहीं किया  मैंने तुम्हें कल रात को ही कह दिया था माधुरी और उसके पति आने वाले हैं। मैं चुपचाप खड़ी रही मैंने कोई जवाब नहीं दिया मैंने घर की सफाई जल्दी से कर दी लेकिन तब भी सफाई करते-करते 10:30 बजे ही चुके थे। मैं अब सारा सामान संभाल कर चाय बनाने के लिए रसोई में चली गई मैंने चाय बनाई। उसके कुछ ही देर बाद मैंने माधुरी और उसके पति सुरेश को नाश्ता दे दिया उन लोगों ने नाश्ता कर लिया था।

 मेरे पति अखिल ने चाय का एक प्याला पिया और उसके बाद वह अपने ऑफिस के लिए निकल गए। मैंने उन्हें टिफिन पैक कर के दिया और कहा आप टिफिन तो ले जाइए लेकिन वह टिफिन ले जाने के लिए मना कर रहे थे परंतु मैंने उनके बैग मे टिफीन रख दिया। वह अपने ऑफिस के लिए निकल पड़े मेरी एक वर्ष की बच्ची को मैंने गोद में उठाया और उसे इधर-उधर टहलने लगी। वह मुझे रोए जा रही थी लेकिन मैं उसे सुलाने की कोशिश कर रही थी परंतु निधि को नींद ही नहीं आ रही थी और वह सो ही नहीं रही थी सिर्फ रोने पर लगी हुई थी। माधुरी के पति सुरेश के व्यवहार में बदलाव आ चुका था वह अब किसी बड़े अधिकारी की तरह बात कर रहे थे पहले वह ऐसे बिल्कुल भी नहीं थे लेकिन कुछ समय से मुझे लग रहा था कि वह ऐसे ही हो चुके हैं। माधुरी  अपने पैरों पर पैर रखे हुए बैठी हुई थी उसने मेरी मदद नहीं की किचन में बर्तनों का अंबार लगा हुआ था और मैं यह सब देख कर बहुत ज्यादा गुस्से में थी लेकिन काम तो मुझे ही करना था क्योंकि माधुरी तो बिल्कुल भी काम करने के मूड में नहीं थी। मेरी सासू मां का नेचर भी किसी महारानी से कम नहीं है मेरी सासू और माधुरी आपस में बात कर रहे थे। मैंने अपनी बच्ची की ज़िम्मेदारी माधुरी को दी उसने उसे अपने हाथों में लिया लेकिन वह अब भी सोई नहीं थी मेरी सासू मां और माधुरी आपस में बात कर रहे थे।

मैं रसोई में ही थी मैं यह सब बातें रशोई से ही सुन रही थी। मेरी सासू मां माधुरी के सामने अपना दुखड़ा रो रही थी और कह रही थी कि बहू तो बिल्कुल भी घर का काम नहीं करती वह बस ऐसे ही मुझसे हर रोज झगडती रहती है। मैं यह सब सुन रही थी परंतु मैं उस वक्त कुछ कह नहीं सकती थी तभी मेरी सासू मां ने बात को बदलते हुए आगे की बात करने लगी। उन्होंने माधुरी से उसके बारे में पूछना शुरू किया, सुरेश ने कितने दिनों के लिए अपने ऑफिस से छुट्टी ली है? माधुरी ने जवाब दिया सुरेश ने 10 दिन की ऑफिस से छुट्टी ली है। मैं उस वक्त बर्तन धोकर हॉल में आ चुकी थी मैंने अपनी बेटी निधि को अपनी गोद में लिया और उसे सुलाने की कोशिश करने लगी। वह अब सोने लगी थी तभी माधुरी कहने लगी मां मुझे भी भाभी के साथ काम करना चाहिए था। मेरी सासू मां कहने लगी तुम अपने घर में तो हर रोज काम करती हो यदि एक दिन मेरे साथ समय बिता लोगी तो क्या कुछ हो जाएगा। इस बात से माधुरी ने मेरी तरफ देखा और उसने एक भीनी सी मुस्कान मुझे दी मैं भी उसे देखकर हंस पड़ी। मैंने अपनी सासू मां से कहा आप छुटकी को संभाल लो मैं अभी आती हूं यह कहते हुए मैं बाथरूम में चली गई। मैं जब बाथरूम से लौटी तो तब तक निधि सो चुकी थी मैं उसे बेडरूम में लेकर गई और उसे सुला दिया। कुछ देर में आराम करने की सोच रही थी लेकिन मुझे मेरी सासू मां ने आवाज़ दी और कहने लगी बहू जरा इधर आना। जब उन्होंने कहा तो मैं दूसरे रूम में चली गई उन्होंने मुझसे पूछा क्या तुमने छुटकी को सुला दिया है? मैंने उन्हें कहा हां वह तो सो चुकी है। मेरी सासू मां कहने लगी तुम हमारे साथ बैठ जाओ मैं मन ही मन सोचने लगी मुझे तो नींद आ रही थी और अब मैं कुछ कह भी नहीं सकती इसलिए मैं उनके साथ बैठ गई।

माधुरी और मेरी सासू मां आपस में बात कर रहे थे मैं उन दोनों की बातों को सुन रही थी लेकिन पता ही नहीं चला कि कब शाम के 5:00 बज गए। मैंने घड़ी की तरफ देखा तो 5:00 बज रहे थे मैंने अपनी सासू मां से पूछा मैं चाय बना लाती हूं। वह कहने लगी ठीक है तुम चाय बना लाओ मैं चाय बनाने के लिए चली गई। उस दिन मुझे आराम करने का बिल्कुल मौका नहीं मिला मैं चाय बना ही रही थी कि निधि उठ गई वह जोर जोर से रोने लगी। मैं दौड़ती हुई कमरे की तरफ गई तो मैंने देखा सुरेश ने निधि को अपनी गोद में उठा रखा है वह से इधर से उधर टहल रहे थे। मैंने निधि को अपनी गोद में लिया और उसे रसोई में ले आई तब तक मेरी चाय भी तैयार हो चुकी थी। मैंने सबको चाय का एक एक प्याला दिया मैं तो जैसे उस दिन फ्री ही नहीं हो पा रही थी। मेरी सासू मेरे सर पर सवार थी वह मुझे छोटी-छोटी बातों को लेकर ऑर्डर मारती रहती। शाम के वक्त अखिल भी घर आ चुके थे सुरेश को कंपनी मिल चुकी थी मैं रात के खाने की तैयारी कर रही थी। जब मैं रात के खाने की तैयारी कर रही थी तो उस वक्त माधुरी मेरे साथ आई और कहने लगी भाभी मैं आपकी मदद कर देती हूं। वह मेरी मदद कर ही रही थी कि तभी मेरी सासू मां आ गई और वह माधुरी को अपने साथ ले गई मुझे ही अकेले घर का खाना बनाना पड़ा। मैंने घर का सारा काम अच्छे से कर लिया था दिन पता ही नहीं चला कब कैसे बीत गया। सब लोगों ने रात का डिनर कर लिया था कुछ देर तक सब लोग साथ में बैठे रहे। अखिल बहुत ज्यादा थके हुए थे इसलिए अखिल कहने लगे मैं सो रहा हूं मुझे जैसे रात में भी चैन नहीं था।

मेरी एक वर्षीय बेटी रात को भी रोने लगी और मैं सो भी नहीं पाई मुझे नींद ही नहीं आ रही थी। मैंने उसे सुलाने की कोशिश की लेकिन वह सो नहीं रही थी मुझे अखिल कहने लगे तुम निधि को सुला दो मुझे बड़ी गहरी नींद आ रही है मैं हॉल में सोने के लिए जा रहा हूं। वह हॉल में सोने के लिए चले गए मैंने निधि को सुलाने की कोशिश की लेकिन उसे नींद ही नहीं आ रही थी ना जाने कब मेरी आंख भी लगने लगी मैंने अपने हाथ को निधि के ऊपर रखा और मैं सो गई। निधी भी सो चुकी थी लेकिन अचानक से मेरी नींद खुली तो मैंने देखा मेरे पीछे कोई खड़ा था। मुझे लगा शायद अखिल होंगे मैं पूरी तरीके से डर चुकी थी लेकिन वह तो सुरेश थे। मैंने सुरेश को देखा और कहा आप यहां क्या कर रहे हैं? मैं उन्हें देखकर डर गई थी वह मुझे कहने लगे आप घबराइए मत। उन्होंने मुझे कहां आप बैठ जाइए। अखिल बाहर हॉल में बड़ी गहरी नींद में सो रहे थे सुरेश ने मेरी जांघ पर हाथ रखा मुझे उनकी नीयत कुछ ठीक नहीं लगी। मैंने उनके हाथ को झटकते हुए उन्हें कहां आप यह क्या कर रहे हैं लेकिन वह कहां मानने वाले थे उन्होंने मेरी छाती पर अपने हाथ को रख दिया। मेरे ऊभरे हुए स्तनों पर जैसे ही उनके हाथ का स्पर्श हुआ तो मैं गुस्से में आ गई और कहा आप बिल्कुल ठीक नहीं कर रहे हैं। वह तो मेरे साथ शारीरिक संबंध बनाना ही चाहते थे उन्होंने मेरे होठों को चूमना शुरू कर दिया और मुझे बिस्तर पर लेटा दिया। मैंने अपने हाथ पैरों को छोड़ दिया था और अपने शरीर को अब सुरेश के हवाले कर दिया था।

उन्होंने मेरे ब्लाउज के बटन को खोलते हुए मेरे स्तनों को बाहर निकाल लिया और वह उसे काफी देर तक चूसते रहे। उन्हे मेरे स्तनों का रसपान करने में काफी आनंद आ रहा था और काफी देर तक वह ऐसा ही करते रहे। जब वह धीरे धीरे मेरे योनि की तरफ बढ़ रहे थे तो उन्होंने मेरी साड़ी को खोलते हुए मेरे पेटीकोट को उतार दिया और मेरी बाल वाली चूत को वह चाटने लगे। वह मेरी चूत को बड़े अच्छे से चाट रहे थे जब उन्होंने मेरी योनि के अंदर अपने मोटे से लंड को प्रवेश करवाया तो मैं चिल्ला उठी लेकिन उनका मोटा लंड से मेरी योनि में प्रवेश हुआ तो मुझे एक अच्छी सी फीलिंग आने लगी। मेरे शरीर से करंट सा दौड़ने लगा उन्होंने मेरे दोनों हाथों को पकड़ लिया था और अपनी पूरी ताकत से वह मेरी चूत मारे जा रहे थे। जिससे कि मुझे काफी अच्छा लग रहा था उन्होंने मुझे कहा भाभी आप अपने पेट के बल लेट जाइए।

 मैं पेट के बल लेट गई और अपने चूतडो को थोड़ा सा ऊपर उठा लिया। सुरेश ने अपन 9 इंच मोटा लंड को जब मेरी योनि पर सटाकर अंदर की तरफ धकेला तो मैं चिल्लाने लगी, मेरे मुंह से आह ऊह ऊह आह की आवाज आने लगी। मुझे बड़ा आनंद आ रहा था वह मुझे धक्के दिए जा रहे थे मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि आखिल उनके सामने कहीं भी नहीं टिक पाते हैं। सुरेश ने मेरी चूत का बुरा हाल कर दिया था मैं पूरी तरीके से सतुष्ट हो चुकी थी। सुरेश तो थकने का नाम ही नहीं ले रहे थे और वह मुझे बड़ी तीव्रता से चोदे जा रहे थे। जब सुरेश ने अपने वीर्य को मेरी बड़ी चूतड़ों के ऊपर गिराया तो वह मुझे कहने लगे भाभी अब तो आपको अच्छा लगा होगा? मैंने उन्हें मुस्कुराते हुए कहा आपका शरीर तो बडा गजब का हैं और आपका लंड उससे भी ज्यादा गजब है। मुझे आज मजा आ गया और ऐसा लगा जैसे कि काफी समय बाद मै अच्छी तरीके से सेक्स संबंध बना पाई हूं। उसके बाद मै आराम से सो गई।