advertisement
advertisement
गलती से गांड मे लंड चला गया
advertisement

advertisement
advertisement
HOT Free XXX Hindi Kahani

मेरे लिए यह बहुत ही कठिन था कि मैं प्राची को अपने दिल की बात कह पाता क्योंकि प्राची की मम्मी और मेरी मम्मी बचपन की सहेली हैं, मैंने सोचा था कि शायद प्राची के साथ मैं कभी भी अपने दिल का इजहार नहीं कर पाऊंगा लेकिन जब मैंने प्राची से अपने दिल की बात कही तो वह मुझे मना नहीं कर पाई। उसकी और मेरी मुलाकात हमारे घर पर ही हुई, उसकी मम्मी एक दिन हमारे घर पर आए आ गई और उनके साथ प्राची भी थी, मेरी मम्मी ने मुझे प्राची से मिलवाया तो पहली नजर में ही उसे देख कर मैं उस पर फिदा हो गया और उसे अपना बनाने की चाह अपने दिल में पाल बैठा लेकिन मेरे आगे यह दुविधा थी कि उसकी मम्मी मेरी मम्मी की सहेली थी मुझे यह भी डर था कि कहीं मेरी मम्मी को यदि इस बारे में पता चलेगा तो वह हम दोनों के रिश्ते को मंजूरी नहीं दे पाएंगे इसीलिए मैंने प्राची से भी मना कर दिया और हम दोनों चोरी चुपके मिलने लगे।

हम दोनों कई बार एक दूसरे के साथ समय बिताते मुझे प्राची के साथ समय बिताना बहुत अच्छा लगता था क्योंकि उसके साथ  मेरी बहुत ही ज्यादा जमती थी हम दोनों एक दूसरे की बात को बिना कहे ही समझ लेते थे। एक दिन मैं अपनी बाइक से प्राची को उसके कॉलेज से ला रहा था और जब मैं सिग्नल पर खड़ा हुआ तो मेरे पापा उस दिन कार से ऑफिस से लौट रहे थे, वह अधिकतर बस से ही अपने ऑफिस जाते हैं लेकिन उस दिन वह कार से अपने ऑफिस गए थे इसलिए मैं उन्हें देख नहीं पाया और जब मैं प्राची को उसके घर छोड़कर वापस अपने घर लौटा तो मेरे पापा ने मुझे कमरे में बुलाया, वह मुझे कहने लगी बेटा आजकल क्या चल रहा है? मैंने पापा से कहा बस पापा आजकल मैं तैयारी कर रहा हूं। मेरे पापा मुझे उदाहरण देते हुए कहने लगे बेटा मेरे माता पिता ने अपने जीवन में बहुत ही ज्यादा मेहनत की थी उसके बाद वह मुझे जैसे कैसे बड़ा कर पाए और फिर काफी मेहनत करने के बाद मुझे बैंक की नौकरी मिली लेकिन मैं नहीं चाहता कि तुम ऐसे ही आवारा की तरह घूमते रहो और अपना जीवन ऐसे ही बर्बाद कर दो।

मेरे पापा ने उस दिन मुझे बहुत ही जबरदस्त तरीके से लेक्चर दिया उनकी बातें तो मेरे सीधा दिल में जाकर चुभ रही थी और मैं अपनी गर्दन नीचे कर के उनके सामने बैठा हुआ था, वह वैसे तो बहुत कम बात करते हैं लेकिन यदि कभी उन्हें गुस्सा आ जाए तो उसके बाद तो सामने वाले की खैर नहीं, मुझे उस दिन यह बात तो पता चल गई कि वह बहुत अधिक गुस्से में है और इसीलिए मैं चुपचाप बैठा रहा लेकिन जैसे ही उनका गुस्सा थोड़ा शांत होने लगा तो उन्होंने मुझसे कहा तुम अपनी गर्दन ऐसे नीचे झुका कर क्यों बैठे हो? क्या तुम्हारे अंदर इतनी भी हिम्मत नहीं कि तुम मुझसे नजरें मिलाकर बात कर पाओ? मैंने कहा नहीं पापा ऐसी कोई बात नहीं है। यह कहते हुए मैंने उनसे नजरे मिलाई तो वह मुझे कहने लगे मैंने आज तुम्हें देखा की तुम किसी लड़की को अपने साथ लेकर जा रहे थे और इसीलिए मैं तुम्हें समझा रहा हूं कि तुम अपना जीवन ऐसे ही इन कामों में व्यर्थ ना करो, पहले अपने जीवन को एक दिशा दो और उसके बाद तुम्हें जो करना है वह तुम्हारा खुद का निर्णय होगा लेकिन उससे पहले तुम कुछ चीजों को हासिल तो कर लो। उन्होंने मुझसे पूछा वह लड़की कौन थी? पहले तो मैं बताना नहीं चाह रहा था लेकिन जब उन्होंने मुझे डांटते हुए कहा कि यदि तुम प्यार से नहीं बताओगे तो लगता है मुझे गुस्से से ही तुमसे यह बात पूछनी पड़ेगी, मैंने उन्हें कहा वह मम्मी की सहेली की बेटी है, उसका नाम प्राची है और वह कॉलेज में पढ़ती है। मेरे पापा कहने लगे कि यह बात मैं तुम्हारी मम्मी को नहीं बता रहा हूं लेकिन आज के बाद तुम कभी भी मुझे उसके साथ दिखाई नहीं देने चाहिए यदि तुम उसके साथ मुझे दिखाई दिए तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा और तुम अब अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान दोगे जब तक तुम कुछ बन नहीं जाते तब तक तुम यह आवारा गिरती बंद कर दो। यह कहते हुए मैं अपनी गर्दन झुकाते हुए उनके कमरे से बाहर निकला, मेरी मम्मी कहने लगी लगता है आज तुम्हारे पापा ने तुम्हें बहुत ही ज्यादा डांट दिया?

मैंने कुछ नहीं कहा और चुपचाप अपने कमरे में लेट गया, उस दिन मेरा मूड बहुत ज्यादा खराब हो गया था इसलिए मैंने प्राची के साथ भी फोन पर ज्यादा देर बात नहीं की, मुझे भी लगा कि मुझे वाकई में कुछ कर लेना चाहिए नहीं तो मैं अपना जीवन ऐसे ही बर्बाद कर दूंगा। मैं पढ़ाई की तरफ ध्यान देने लगा, मैं सोचने लगा कि पहले कोई अच्छी नौकरी कर लेता हूं उसके बाद ही मैं प्राची से बात करूंगा इसलिए मैं प्राची से अब दूर होने लगा था लेकिन मेरा दिल उससे बात किये बिना रह नहीं पाता था, मैं बीच-बीच में उसे फोन कर ही लेता था। एक दिन मेरा उससे मिलने का बड़ा मन था और उसी दिन प्राची की मम्मी ने हमें घर पर इनवाइट कर लिया, गनीमत रही कि मेरे पापा काम के सिलसिले में कहीं बाहर गए हुए थे और हम लोग घर पर ही थे हम लोग जब प्राची के घर गए तो उस दिन हम लोगों ने वहीं पर डिनर किया। उसकी मम्मी ने कहा कि आज तुम यहीं रुक जाओ, मेरी मम्मी और मैं उस दिन उनके घर ही रुक गए, मेरा तो जैसे सपना पूरा हो गया क्योंकि मैं प्राची से मिलना चाहता था।

उस दिन हम लोग वही रूक गए मैं और मेरी मां एक रूम में लेटे हुए थे और प्राची और उसकी मम्मी दूसरे में लेटे हुए थे। प्राची और मेरी मैसेजेस में बात हो रही थी क्योंकि मैं फोन नहीं कर सकता था। ना जाने का वह कब सो गई उसे पता नहीं चला। मैं जब उसके रूम मे गया तो वहां चादर ओढ़े हुए प्राची लेटी हुई थी मैंने जब उसकी सलवार को खोलते हुए उसकी योनि के अंदर लंड डाला तो मुझे एहसास हुआ कि शायद मेरा लंड गलत चूत मे जगह चला गया है। जब मैंने उसकी गांड का साइज देखा तो मैंने सोचा यह तो उसकी मम्मी है लेकिन मेरा लंड उनकी योनि में जा चुका था मुझे उनकी योनी से लंड को बाहर निकालने का मन नहीं था इसलिए मैं उन्हें बड़ी तेज गति से पेल रहा था। वह भी अपनी गांड को मेरी तरफ कर रही थी मैंने उन्हें तेज धक्के मारे उन्हे मजा आने लगा तो वह बड़ी तेजी से अपनी गांड को मुझसे मिलाने लगी। मैंने देखा प्राची बगल में लेटी हुई है और वह बड़ी गहरी नींद में है। मैंने अपने लंड को उनकी योनि से बाहर निकालते हुए उनकी गांड के अंदर डाल दिया। वह अपनी गांड को तेजी से मुझसे मिलाने लगी वह तेज सिसकियां ले रही थी मैंने उनके मुंह को अपने हाथों से दबा लिया। मैंने उन्हें तेजी से धक्के मारना शुरू कर दिए उनकी मोटी गांड के अंदर जब मेरा लंड जाता तो मुझे बहुत अच्छा महसूस होता वह भी अपनी बड़ी चूतडो को मुझसे मिलाए जा रही थी। उस दिन मुझे बहुत ज्यादा मजा आ गया और जब मेरा वीर्य उनकी गांड में गिरा तो मैंने अपने लंड को बाहर निकालते हुए उनके कान में कहा मुझे मजा आ गया उन्होंने भी मुझे धीरे से कहा आज तुमने मुझे बहुत ही मजा दिए है। उसके बाद तो जैसे मेरे लिए यह आम बात हो गई थी वह मुझसे अपनी गांड मरवाए बिना नहीं रह सकती। उसके बाद मेरे और प्राची के बीच में संबंध बने प्राची एकदम फ्रेश माल थी मैंन ही उसकी सील तोड़ी। मैंने उसे प्रगनेंट भी कर दिया उसकी मम्मी कहने लगी कोई बात नहीं मैं सब कुछ संभाल लूंगी। उसकी मम्मी ने ही सब कुछ संभाल लिया क्योंकि मैं उन्हें लगातार डोज दिया करता हूं, उन्हें मैं खुश रखता इसलिए वह भी मुझसे बहुत खुश रहती थी। उन्होंने ही इस बात को संभाला वह मुझे कभी भी प्राची के साथ सेक्स करने से नहीं रोकती क्योंकि उन्हें भी एहसास था सेक्स की तड़प क्या होती है। जब भी उनका मन होता वह मुझे कहती बेटा आज मेरा मन हो रहा है तुम आज मेरा ध्यान रख सकते हो। मैं तुरंत ही उनके पास चला जाता क्योंकि वह मेरा बड़ा ख्याल रखती। ऐसे ही काफी समय से चलता आ रहा है, प्राची और मेरे बीच सब कुछ बिल्कुल खुल्लम खुल्ला हो चुका है। मेरी मम्मी को इस बारे में मालूम पड़ गया उन्होने मेरे पापा को सब बता दिया है। वह मुझसे बहुत ही ज्यादा गुस्से में रहते हैं लेकिन मुझे अब कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि मेरे तो दोनों हाथों में लड्डू है मैं मां बेटी को बराबर चोदता रहता हूं।

advertisement

advertisement
advertisement
advertisement
advertisement
advertisement
advertisement
advertisement