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दुख में मुझे अपने यौवन का सहारा दिया
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मेरा नाम रोशन है मैं दिल्ली का रहने वाला हूं। मेरी उम्र 40 वर्ष है। मेरी शादी को 15 वर्ष हो चुके हैं। इन 15 वर्षों में मैंने अपनी जिंदगी में बहुत से उतार चढ़ाव देखे लेकिन अब मैं अपनी जिंदगी से काफी परेशान हो चुका हूं क्योंकि मेरे ऊपर बहुत जिम्मेदारियों का बोझ आ गया है। मैं घर पर बड़ा हूं और मेरी ही आए से पूरे घर की आजीविका चलती है लेकिन मेरे ऊपर इतना ज्यादा बोझ पड़ गया कि मैं अब परेशान होने लगा था। मैं बहुत तनाव में रहने लगा, मैं अपने दोस्तों से पैसे लेने लगा। मैं जब उनके पैसे नहीं दे पाता तो उन लोगों से भी मेरा संबंध खराब होने लगा। मेरे बच्चे भी बड़े होने लगे थे तो मुझे भी हमेशा चिंता लगी रहती इसीलिए मैं अब घर पर ज्यादा बात नहीं करता।

एक दिन मेरे पिताजी मुझे कहने लगे बेटा तुम अब बिल्कुल भी किसी से बात नहीं करते हो तुम अपने आप में ही खोए रहते हो। मैंने अपने पिताजी से कहा नहीं पिताजी ऐसी तो कोई बात नहीं है आप तो देखते हैं कि कितना काम होता है इसलिए मैं समय नहीं निकाल पाता। वह मुझे कहने लगे नहीं बेटा कुछ और बात है तुम हमसे छुपा रहे हो। आखिरकार हम भी तुम्हारे मां-बाप हैं। हमने भी दुनिया देखी है और हमें भी सब कुछ पता है। मैंने उन्हें कहा कि नहीं पता जी बिल्कुल ऐसी बात नहीं है। उन्होंने कहा देखो तुम्हें हमें बताना तो पड़ेगा ही कि तुम्हें अंदर ही अंदर से क्या समस्या खा रही है यदि तुम किसी से नहीं कहोगे तो तुम्हें बहुत दिक्कत होगी। जब उन्होंने मुझसे इतने प्यार से कहा तो मैंने भी उस दिन उनसे कहा की पिता जी आपको तो पता ही है कि अब महंगाई कितनी बढ़ती जा रही है। इस महंगाई के समय में अपना घर चलाना कितना मुश्किल हो गया है और मेरे ऊपर ही सारी जिम्मेदारियों का बोझ पड़ा हुआ है। मेरे पिताजी कहने लगे बेटा मुझे मालूम है कि तुम्हारे ऊपर ही अब सारी जिम्मेदारियां हैं। मैंने भी अपने जीवन में बड़ा संघर्ष किया है लेकिन अब मेरी तबीयत खराब रहती है इसलिए मैं काम नहीं कर सकता तुम्हें तो इस बात का आभास है यदि मैं स्वस्थ होता तो मैं भी काम करता फिर घर में दो पैसे भी आ जाते मैंने उन्हें कहा पिताजी इसीलिए तो मैं आपको यह बात नहीं बताना चाहता था आप लोग फिर मेरी बातों को अपने दिल पर ले लेते हैं।

वह कहने लगे नहीं मैं अपने दिल पर नहीं ले रहा हूं लेकिन यही सच्चाई है कि अब तुम्हारे ऊपर वाकई में जरूरत से ज्यादा बोझ बढ़ने लगा है। तब तक मेरी पत्नी भी अंदर से आ गई और वह मुझे कहने लगी तुम्हारे ऊपर तो कुछ ज्यादा ही बोझ पड़ रहा है और लोग भी तो कमा रहे हैं। उनका घर अच्छे से चल रहा है। मेरी मम्मी ने मेरी पत्नी को डांटते हुए कहा कि जब दो बड़े बीच में बात कर रहे होते हैं तो बीच में नहीं बोलना चाहिए। वह भी गुस्से में अपने कमरे में चली गई और उसके व्यवहार में भी बहुत बदलाव आने लगा था। पहले तो उसका व्यवहार अच्छा था लेकिन जैसे जैसे शादी के साल बीतते गए तो उसके व्यवहार में भी बिल्कुल परिवर्तन आ गया। मैं सोचने लगा कि यह ऐसे ही चलता रहा तो कहीं मेरा घर भी बर्बाद ना हो जाए क्योंकि मैंने अपने एक दोस्त को देखा था उसकी पत्नी उसे छोड़कर भाग गई थी। उसके बाद से मेरे दिल में भी यह बात बैठ गई कि कहीं मेरी पत्नी भी मुझे छोड़कर ना भाग जाए और मेरी पूरी सोसाइटी में बदनामी ना हो जाए इसी के चलते मैं उससे ज्यादा नही बोलता। वह कहीं भी गलत नहीं थी।  उसे भी एक अच्छी जिंदगी जीनी थी इसीलिए वह मुझे इतना सब सुनाती है। मेरा अपने काम में भी बिल्कुल मन नहीं लगता था और मैं अपने सारे दोस्तों से धीरे-धीरे दूर होने लगा। मैं सिर्फ अपनी पत्नी पर ही नजर गड़ाए रखता हूं। काफी समय तक तो मुझे ऐसा कुछ भी नहीं लगा लेकिन जब मेरे पड़ोस के व्यक्ति कि मेरी पत्नी से नजदीकियां बढ़ने लगी तो मुझे उस पर बहुत ज्यादा शक होने लगा और मैं भी सोचने लगा कि मेरी पत्नी के दिल में खोट है और यह मुझसे बिल्कुल प्यार नहीं करती। मैं हमेशा उसका फोन देखा करता और उस पर बहुत ज्यादा नजर रखता। एक दिन उसने मुझे कह दिया कि तुम मुझ पर कुछ ज्यादा ही नजर रखते हो। उस दिन के बाद से तो जैसे हम दोनों के बीच में बात होना ही कम हो गया और वह मेरे पड़ोस के व्यक्ति से मिलकर बात करने लगी।

एक दिन मुझे उन पड़ोस के व्यक्ति की पत्नी मिली उनका नाम राखी है। वह मुझे कहने लगे कि भाई साहब आप तो बड़े ही सज्जन पुरुष है। मेरे पति और आपकी पत्नी के बीच में कुछ तो गलत चल रहा है। जब उन्होंने मुझसे यह बात कही तो मैं भी अपनी पत्नी पर शक करने लगा और उसका भी शक बिल्कुल जायज था। राखी मुझे कहने लगी मेरे पति का आपकी पत्नी के साथ चक्कर चल रहा है। अब हम दोनों उन दोनों पर नजर रखने लगे। वह दोनों अक्सर कहीं बाहर घूमने के लिए चले जाते हैं उन्हें जब भी मौका मिलता तो वह लोग एक दूसरे से मिल लेते। एक दिन मैं अपनी पत्नी पर बहुत ज्यादा गुस्सा हो गया उस दिन मैंने उसे कहा कि यदि तुम्हें मेरे साथ रहना अच्छा नहीं लगता तो तुम अपने मायके जा सकती हो। वह भी अपने मायके चली गई और कई दिनों तक घर नहीं लौटी। मैं बहुत ज्यादा टेंशन में था मेरे माता पिता उस वक्त मुझे बहुत ज्यादा सपोर्ट कर रहे थे। उन्होंने कहा बेटा कोई बात नहीं वह वापस आ जाएगी। मैं एक दिन जब अपने ऑफिस जा रहा था तो उस वक्त मुझे राखी दिखी। वह मुझे कहने लगी मेरे पति कई दिनों से घर नहीं लौटे हैं।

जब हम दोनों ने पता करवाया तो वह मेरी पत्नी के साथ किसी होटल में रुके हुए थे। मेरा तो अपनी पत्नी को लेकर पूरा मन ही खराब हो गया था। मैं उसे घर लाना भी नहीं चाहता था। राखी मुझे अपने घर ले गई वह जोर जोर से रोने लगी। मैने उससे कहां तुम क्यों रो रही हो? वह कहने लगी मेरे पति ने मेरा जीवन बर्बाद कर दिया। मैंने उसे कहा तुम ऐसा क्यों समझ रही हो मेरे साथ भी तो इतना कुछ बुरा हुआ है उसके बावजूद भी मैंने हार नहीं मानी। यह कहते हुए मैंने उसे गले लगा लिया जब मैंने उसे गले लगाया तो वह मुझसे लिपट कर रोने लगी। मेरे अंदर उसे अपना बनाने की चाह पैदा हो गई। मैंने उसे पकडते हुए उसके होठों का रसपान करना शुरू कर दिया। मैं उसके होठों का रसपान कर रहा था तो मेरा लंड तेजी से खड़ा होने लगा। राखी भी पूरी उत्तेजित हो गई। जब मैंने अपने लंड को बाहर निकाला तो उसने मेरे लंड को सकिंग करना शुरू कर दिया। वह मेरे लंड को इतना अच्छे से सकिंग कर रही थी कि मेरे अंदर उसे चोदने की इच्छा पैदा होने लगी। मैंने भी राखी के सारे कपड़े उतार दिए उसका बदन बड़ा गजब का था। मैं उसके हुस्न को देख कर अपने आपको ज्यादा देर तक नहीं रोक पाया। मैंने उसके दोनों पैरों को चौड़ा करते हुए अपने लंड को उसकी योनि के अंदर प्रवेश करवा दिया जैसे ही मेरा लंड उसकी चिकनी और मुलायम योनि के अंदर गया तो मुझे बड़ा मजा आ गया क्योंकि उसकी योनि मेरी पत्नी की योनि से ज्यादा टाइट था मुझे बड़ा आनंद आ रहा था। वह मादक आवाज मे मुझे अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश करती। मैंने उसके साथ काफी देर तक संभोग किया। जब मेरा वीर्य उसकी योनि के अंदर गिर तो वह मुझसे लिपट कर बैठ गई। उसकी योनि से मेरा वीर्य टपक रहा था लेकिन मेरा लंड दोबारा से हिलोरे मारने लगा। मैंने उसकी योनि में दोबारा से अपने लंड को प्रवेश करवा दिया। जैसे ही मेरा लंड उसकी योनि के अंदर घुसा तो मुझे बहुत अच्छा महसूस हुआ। मैं उसे बड़ी तेज गति से धक्के देने लगा। मैं उसे तेज गति से धक्के मारता रहा। मैने उसके साथ कुछ मिनट तक सेक्स किया लेकिन जब मेरा वीर्य दोबारा से गिर गया तो मुझे खुशी मिली और वह भी बहुत खुश हो गई। उसके दिन के बाद मुझे ना तो अपनी पत्नी से कोई लेना देना था और ना ही मैं उसका चेहरा कभी देखना चाहता था। राखी ने मुझे अपना पति मान लिया और हम दोनों एक दूसरे की जरूरतों को पूरा करने लगे। मैं उसके साथ अपना जीवन बिता कर बहुत खुश हूं।

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