आंटी की झांटों को साफ किया

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हैल्लो दोस्तों, में भी आप सभी की तरह पिछले कुछ सालों से लगातार चाहने वाला हूँ। मुझे सभी सेक्सी कहानियों को पढ़कर बड़ा मस्त मज़ा आता है और मेरा मन यह काम करके बड़ा खुश रहता है। दोस्तों मेरा नाम सलीम है और में हरियाणा का रहने वाला हूँ। दोस्तों आज में आप सभी को एक सच्ची घटना बताने जा रहा हूँ जिसमे मैंने अपनी एक पड़ोसन आंटी को चोदा और मुझे पहली बार पता चला कि ऊपर से दिखने वाली सतिसावित्री आंटी कितनी बड़ी चुदक्कड़ किसी अनुभवी रंडी से कम नहीं थी। दोस्तों वो दिखने में बहुत सुंदर गोरी होने के साथ साथ बड़ी ही हॉट सेक्सी भी लगती थी। दोस्तों हमारे घर के पास एक आंटी रहती है। वो 35 के आसपास की है, लेकिन वो अब भी बहुत सेक्सी लगती है उनके दो लड़के और एक लड़की है और मेरा उनके घर पर बहुत बार जाना होता है। दोस्तों यह बात तब की है जब मेरे कॉलेज में कुछ दिनों की छुट्टियाँ थी इसलिए में उस दिन अपने घर पर ही था। फिर सुबह करीब 9 बजे वो हमारे घर आ गई और फिर वो मुझे अपने साथ ही बुलाकर अपने घर ले गयी, वो मेरे घर पर मेरी माँ को बोली कि उनको अपने घर पर मुझसे कुछ काम है, काम खत्म होते ही में इसको वापस भेज दूंगी। फिर में उनके साथ चला गया और फिर आंटी ने मुझे पास की दुकान पर कुछ सामान लेने भेज दिया।
दोस्तों उस समय उनका बड़ा बेटा काम पर गया हुआ था और उनकी छोटी लड़की और एक लड़का उनके मामा के घर पर गये हुए थे और उस समय उनके पति भी किसी काम से कहीं बाहर गये हुए थे, इसलिए वो उस समय अपने घर में बिल्कुल अकेली थी। फिर में कुछ देर बाद वापस आया और उनके घर पर ही सीडी प्लेयर पर एक फिल्म को लगाकर देखने लगा, लेकिन वो मुझे अच्छी नहीं लगी और फिर इसलिए मैंने कुछ देर बाद उठकर देखा कि उस सीडी के पास एक ब्लूफिल्म भी रखी थी। अब मेरे मन में उसको देखने की इच्छा होने लगी थी, लेकिन मुझे उसके लिए सही मौके का इंतजार था और कुछ देर बाद मैंने देखा कि आंटी अब नहाने की तैयारी कर रही थी। फिर मैंने कुछ देर बाद जब वो अपने कपड़े टावल सभी सामान लेकर बाथरूम में चली गई और उसी समय मैंने सही मौका पाकर उस ब्लूफिल्म को लगा दिया और देखने लगा। दोस्तों वो एक इंग्लीश फिल्म थी और उसके पहले ही द्रश्य को देखकर ही मेरा तो लंड तनकर खड़ा हो गया। में उसमे उस मज़ेदार चुदाई को देखने लगा था। फिर कुछ देर बाद मैंने सोचा कि क्यों ना अब आंटी को नहाते हुए देखा जाए, इसलिए में चुपके से उठा और बाथरूम के अंदर झांककर देखने की कोशिश करने लगा।

फिर मुझे बड़ी कोशिश करने के बाद अंदर झांकने के लिए एक छोटा सा छेद मिल ही गया और में अब अपनी एक आंख को उस छेद से लगाकर अंदर झांककर देखने लगा। फिर जब मैंने अंदर देखा तो उस समय आंटी की कमर मेरी तरफ थी और अब मुझे उनकी गोरी चिकनी कमर उनके गोरे चिकने कूल्हे साफ दिखाई दे रहे थे और में वो द्रश्य देखकर मज़े लेता रहा। तभी अचानक से आंटी मेरी तरफ घूमी और मैंने देखा कि उनके हाथ में एक बाल काटने की मशीन थी और फिर मैंने देखा कि उनकी चूत पर हल्के बाल भी थे। दोस्तों मेरा तो यह सब देखकर बहुत बुरा हाल हो रहा था और मेरा लंड तो बिल्कुल तनकर खड़ा हो गया था। में यह सब बहुत मज़े से देख रहा था और इसलिए मुझे पता ही नहीं चला कि कब आंटी ने मुझे देख लिया था। फिर आंटी ने अचानक से बाथरूम का दरवाजा एकदम से खोल दिया, आंटी ने मुझे सम्भलने तक का मौका भी नहीं दिया और अब में उनके सामने ही खड़ा था और में उन्हे देखकर एकदम चकित हो गया था और में घबरा गया, मेरे माथे से परेशानी की वजह से पसीने की बूंदे बहने लगी थी। अब आंटी ने दरवाजा पूरा खोलते ही मुझसे कहा कि अंदर ही आकर देख लो ना बाहर से देखने में इतना मज़ा तुम्हे कहाँ मिलेगा और उसी समय मेरे हाथ को पकड़कर अंदर कर लिया।
दोस्तों मैंने देखा कि आंटी ने अब तक अपनी चूत के आधे से ज़्यादा बाल काट लिए थे और अब उन्होंने मुझसे कहा क्यों क्या तुम मेरे बचे हुए बाल काटोगे? मैंने कहा कि नहीं, मैंने कभी नहीं काटे, उनके पास बाल साफ करने के लिए एक रेजर भी था और में तो वो सब देखकर बहुत शरमा रहा था। अब वो मुझसे कहने लगी तो क्या कभी काटोगे भी नहीं? एक बार कोशिश तो करो और आंटी ने जबरन मुझे वो बाल साफ करने की मशीन दे दी और अपनी चूत को मेरे आगे कर दिया और बोली चलो अब बचे बालों को जल्दी से साफ कर दो। अब मेरा ध्यान उनकी चूत के बालों पर कम और उनकी चूत के अंदर के हिस्से पर ज़्यादा था और में बालों को काटते हुए धीरे धीरे चूत को छूने की भी कोशिश कर रहा था। अब आंटी भी सब समझ रही थी और वो मुझसे कहने लगी कि तू मेरी चूत को बाद में छू लेना, पहले यह जो थोड़े से बाल मेरी चूत पर बचे है तू इन्हे तो काट दे और उसके बाद तेरी मर्जी पड़े सब कर लेना। फिर मैंने खुश होकर तुरंत ही उन बचे हुए बालों को काटना शुरू किया और कुछ ही देर में सारे बालों काटकर चूत को एकदम चिकनी कर दिया। अब उन्होंने मुझसे कहा कि पानी के साथ यहाँ वहाँ चिपके बालों को धो दे। फिर मैंने अपने एक हाथ में पानी लिया और चूत पर अपने हाथ को फेरते हुए बालों को हटा दिया।

दोस्तों मेरा लंड तो अब यह सब करते हुए मेरी पेंट से बाहर आने को बेकरार हो रहा था और उन्होंने मेरी हालत को देखकर मुझसे कहा कि तू अब अपनी इस पेंट को भी उतार दे। फिर मैंने तुरंत अपनी पेंट को उतार दिया। अब में उनके सामने बस अंडरवियर में था, क्योंकि मैंने अपनी टी-शर्ट को भी उतार दिया था और अब मेरा लंड खड़ा होकर अंडरवियर को ऊपर उठाए हुए था। अब आंटी ने तुरंत मेरी अंडरवियर में अपने एक हाथ को डाल दिया और वो अपने मुलायम हाथ से लंड को सहलाने लगी थी जिसकी वजह से मुझे बड़ा मस्त मज़ा आने लगा था। फिर आंटी ने कुछ देर बाद मेरी अंडरवियर को भी नीचे कर दिया और मैंने उसको अपने दोनों पैरों से पूरा ही बाहर निकाल दिया। अब हम दोनों एक दूसरे के सामने बिल्कुल ही नंगे थे और आंटी ने मेरे लंड को सहलाते हुए कहा कि देखो तुम्हारे बाल भी तो बहुत बड़े है तुम कभी इनको काटते क्यों नहीं? मैंने कुछ नहीं कहा और आंटी ने बाल काटने के लिए मशीन को आगे किया, लेकिन मैंने ऐसा करने के लिए उनको मना कर दिया। फिर मैंने उनको कहा कि में अपने घर जाकर खुद ही काट लूँगा। अब आंटी ने मेरा लंड अपने एक हाथ में ले लिया और वो लगातार अपने हाथ को आगे पीछे करने लगी, ऐसे मेरे लंड की मुठ मारकर वो मुझे गरम कर रही थी और जिसकी वजह से मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था।
अब में भी जोश में आकर उनके बूब्स को दबाने लगा था और उसी समय मैंने उनके नरम गुलाबी होंठो पर एक ज़ोर का किस किया और फिर में उनके बूब्स को दबाने भी लगा था और वो भी लगातार मुझे पागलों की तरह चूमे जा रही थी। फिर मैंने उन्हे कसकर अपने गले से लगा लिया, जिसकी वजह से उनके बड़े आकार के बूब्स मेरी छाती से दब गए क्योंकि हम दोनों पूरे नंगे थे। दोस्तों वाह क्या मस्त मज़ा मुझे उस समय आ रहा था, गले लगने की वजह से मेरा खड़ा लंड अब उनकी नाभि पर छू रहा था और वही पर छेद करने को बेताब हो रहा था। अब मैंने आंटी को बाथरूम में रखी स्टूल पर खड़ा किया, जिसकी वजह से अब हम दोनों का आकार कुछ बराबर हो गया और फिर मैंने खड़े खड़े ही उनकी चूत में अपने लंड को अंदर डालने की कोशिश की और हम दोनों की कोशिश से लंड चूत में चला भी गया। फिर मैंने तेज धक्के देने शुरू किए, लेकिन मुझे इतना मज़ा नहीं आया, क्योंकि वो अब भी मुझसे थोड़ी सी नीची थी और में इतना नीचे जा नहीं सकता था। फिर आंटी ने मेरी परेशानी को ठीक समय पर समझकर उसी समय मुझसे कहा कि में नीचे लेट जाती हूँ, उसके बाद तुम दोबारा इसको मेरी चूत के अंदर डाल देना, तुम्हे इतना परेशान होने की जरूरत नहीं, लो में भी तुम्हारी मदद कर देती हूँ।

अब मैंने यह बात सुनकर मन ही मन खुश होकर उनको कहा कि नहीं तुम अपने घुटनों के बल हो जाओ, पहले तो आंटी ने ऐसा करने से ना कहा, लेकिन वो भी चुदने के लिए गरम होकर बड़ी बेताब हो गयी थी और फिर वो तैयार हो गयी। अब वो मेरे सामने अपने घुटनों के बल बैठ गयी और मैंने पीछे से उनकी खुली चूत में अपना लंड एक जोरदार धक्का देकर डाल दिया। मेरे पहले धक्के में थोड़ा लंड उनकी चूत के अंदर गया। अब वो दर्द से चीखते हुए ऊईईईई आईईईई माँ मर गई करते हुए बोली कि धीरे से डाल मुझे तेज दर्द होता है। अब में उनको कहने लगा क्यों आप मुझसे मज़ाक कर रही हो, आंटी तुम तो हर रोज़ अपनी चुदाई करवाती हो, उसके बाद भी झूठा नाटक करती हो। फिर वो मुझसे कहने लगी कहाँ अब तो मुझे यह सब करने का मौका ही नहीं मिलता, क्योंकि तेरे अंकल को उनके काम से फुर्सत ही कहाँ मिलती है और इसलिए मुझे अपनी चुदाई के मज़े लिए बहुत दिन हो जाते है। फिर मैंने अगले धक्के में अपना पूरा लंड उनकी चूत में डाल दिया, जिसकी वजह से अब तो जैसे उनके पूरे शरीर में बिजली सी दौड़ गयी और वो भी अब जोश में आकर मेरे साथ धक्के लगाने लगी थी।
अब में आगे की तरफ धक्का लगा रहा था और वो पीछे की तरफ धक्के दिए जा रही थी, ऐसा करने में हम दोनों को बड़ा मज़ा आ रहा था। दोस्तों में उनका जोश देखकर बहुत चकित था क्योंकि इतनी उम्र की शादीशुदा औरत आज एक किसी कुंवारी लड़की से भी ज्यादा अपना जोश दिखाकर मेरा साथ दे रही थी। फिर वो जल्दी ही धक्के देते हुए झड़ गयी, जिसकी वजह से अब उनकी चूत गीली और एकदम चिकनी हो चुकी थी। फिर उन्होंने उसी समय मुझसे कहा कि तुम अब लंड को बाहर निकालो और मैंने उनके कहते ही अपने लंड को बाहर निकाल लिया। अब उन्होंने अपनी पेंटी से मेरे लंड को साफ कर दिया। फिर उसके बाद मैंने एक बार फिर से अपने लंड को आंटी की चूत के अंदर डाल दिया और में ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर उसकी चुदाई करने लगा था। फिर थोड़ी देर वैसे ही लगातार धक्के देकर चुदाई करने के बाद वो एक बार फिर से झड़ गयी और मैंने भी अपने धक्कों की स्पीड को बढ़ा दिया। अब आंटी ने मुझसे कहा कि तुम वीर्य को मेरी चूत के अंदर मत छोड़ना। अब मैंने उनको पूछा कि आप मुझे बताए कि में इसको कहाँ निकालूं और फिर अपने लंड को चूत से बाहर निकाल लिया, वो सीधी हुई और आंटी ने मुझसे कहा कि तुम मेरी चूत के ऊपर ही निकाल दो।

अब आंटी ने मेरे लंड को अपने एक हाथ से पकड़ा और आगे पीछे करने लगी और उनके थोड़ी देर ऐसे करने पर में झड़ गया और मैंने उनकी चूत के ऊपर ही अपना वीर्य निकाल दिया और में उनकी चूत पर मेरे लंड को रगड़ने लगा। अब में अपने लंड को उनकी चूत के मुहं पर धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा और अब हम दोनों खड़े हुए और वो मुझसे चिपक गयी, उसके बाद में उनके होठों को चूमने लगा था। फिर कुछ देर हम दोनों साथ ही नहाए और एक दूसरे को हमने बहुत साबुन लगाया उसके बाद पानी डालकर साबुन को हटाकर हम साथ ही नहाने के भी मज़े लेने लगे थे। अब आंटी ने मुझे और मैंने उनको कपड़े भी पहनाए, उसके बाद हम दोनों बाहर आए और में पहले बाहर आकर एक बार फिर से सीडी को चालू करके सेक्सी फिल्म देखने लगा। अब वो बाथरूम से बाहर आई और शीशे के सामने खड़ी होकर बाल सवांरने लगी, मैंने कहा कि आंटी आप लिपस्टिक लगाओ ना, क्योंकि मैंने कभी उन्हे लिपस्टिक लगाए हुए नहीं देखा था। अब वो मुझसे बोली कि अब मेरी उम्र थोड़ी है यह सब लगाने की, लेकिन मेरे बहुत कहने पर आंटी ने लाल रंग की लिपस्टिक अपने होंठो पर लगाई। दोस्तों वो क्या मस्त लग रही थी? एक तो उनका रंग एकदम गोरा और उस पर लाल होंठ, मैंने उन्हे बेड पर लेटा दिया और उनके होठों को चूसने लगा, वो भी मेरे होंठो को चूसे जा रही थी ऐसा करके हमे बड़े मज़े आ रहे थे।
अब उनके होंठो का लाल रंग मेरे होठों पर भी आ चुका था, मैंने एक बार फिर से उनके सारे कपड़े उतार दिए। अब वो मुझसे कहने लगी कि नहीं, अब नहीं, अभी तो हमने यह सब किया था। अब मैंने सीडी पर भी दूसरी सेक्सी फिल्म को लगा दिया था, जिसमें भी बड़ी मस्त चुदाई का द्रश्य चल रहा था और मैंने जोश में आकर उनके बूब्स को ज़ोर से दबाए और वो भी मेरे यह सब करने और उस फिल्म में चुदाई को देख देखकर मेरा लंड दबाने लगी थी। फिर कुछ देर बाद हम दोनों ने मिलकर दोबारा चुदाई के मज़े लिए, जिसमे हर बार आंटी ने मेरा पूरा पूरा साथ दिया और उस दिन दोस्तों मुझे अनुभव हुआ कि किसी भी अनुभवी औरत लड़की के साथ उसकी चुदाई करने के कितने फायदे होते है और चुदाई का यह खेल उसके साथ खेलने में मज़े भी कितने आते है कि बस मन उस काम को करके खुश हो जाता है ।।
धन्यवाद