चिड़ियाघर की मस्तानी झाडियों में चुदाई

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नमस्कार दोस्तों,

आज मैं आपको अपनी बहुत सुहानी कहानी सुनाने जा रहा हूँ जोकि आपको बहुत पसंद आयगी | मैंने अपने चिड़ियाघर में काम करने वाली सफाई करम चारी औरत की चुत वहीँ चिड़ियाघर में मारी और जोकि मेरे जीवन का सबसे मस्त वाला वक्त रहा था | मैं ऐसे तो अपने कॉलेज के दिनों में अक्सर ही कहीं – ना कहीं कॉलेज बंक मारकर घूमने चला जाया करता था और असली मस्त वाला मौका मुझे तब मिला जब मैंने एक चिड़ियाघर में जाने का प्लान बनाया | वहाँ हूँ सब दोस्त इधर – उधर घूम रहे थे तभी मेरी नज़ एक सफाई कर्मचारी पर पड़ी जोकि औरत थी और धिकने में बहुत ही जवान थी | अब जब वो झुकते हुए झाड़ू लगाया करती तो उसकी गांड का अलग ही माप आया करता था जोकि मुझे बहुत उकसाया करता जा रहा था | मैंने अपने दोस्तों से पेट दर्द के बहाने को मार उन्हें वहाँ से जाने को कहा और वहीँ रुक गया और फिर टहलता हुआ उसके पास भी पहुँच गया |

मैं कुछ घूमता हुआ उससे बात करने की कोशिश करने लगा तो मेरे सवालों का जवाब देती हुई वो भी मुझसे बात करने लगी जिसपर मुझे पता चला की वो अपने घर का गुज़ारा चलाने के लिए मजबूरन इधर सफाई का काम करती है और घर की रोज़ी ही चला लेती है | मैं तो हूँ अमीर बाप का लौंडा इसीलिए फ़ौरन किसी बहाने उसे ५०० की पाती पकडाई और कहा की वो थोडा और मुझे खुस कर सकती है तो मैंने उसे ओर रुपैये दूँगा जिसपर वो उत्सुक होकर मेरे साथ जिस्मानी तालुकात जोड़ने पर तैयार भी हो गयी | मैंने पहले तो उसकी कमर को वहीँ पेहे से काफी देर सहलाया और फिर उसे अंदर झाडी में लेजाकर उसकी गर्दन को चूमने लगा | मैंने जैसे ही उसकी कुर्ती को उतारा तो उसकी नंगी कमर को देखकर मेरा लंड बिलकुल सख्ती में आ गया | कुछ ही देर में मैंने उसके ब्रा का हुक खोलते हुए उसके चुचों को अपने हाथों में ले लिया और चूसने लगा |

वो भी अब गरम हो गयी अब मैंने उसके होठों को भी अपने होठों के तले दबाकर चूसने लगा | मेरी उँगलियाँ अब उसकी पैंटी तरफ पहुंचकर मैंने उसकी पैंटी को उतार दिया | कुछ ही देर में उसकी चुत में ऊँगली कर रहा था और वहीँ झाडियों में उसने अपनी दोनों टांगों को फैला लिया जिसपर अब मैंने भी अपनी कॉलेज की पैंट को उतार दिया उसकी पिलपिली चुत में अपने लंड को देने लगा और साथ उनके चुचों को भी कसकर चूसने लगा मैंने उसकी चुत लगभग आधे घंटे तक वहीँ झाडियों में लिटाकर चोदा जिसके बाद मैं उनके उप्पर ही झड गया | मेरे झाड़ते ही मैं उसकी चुत में मस्त होकर ऊँगली करने लगा और सामन्य स्तिथि में आते ही मैंने उसे काहिरी में चुमते हुए २०० रुपैये और पकड़ा दिए और मस्त होकर चल पड़ा पने दोस्तों के पास | उस दिन के बाद से मैं कभी चिड़ियाघर नहीं किया पर उस मस्तानी चिड़िया की चुत मुझे बुत याद आती है |