मेरा नाम संतोष है और मैं हरियाणा के पानीपत का रहने वाला हूं। मैं अभी कक्षा बारहवीं का ही छात्र हूं और मेरे पिताजी का प्लाईवुड का काम है। उनका काम बहुत ही अच्छा चलता है। इसलिए उन्होंने मेरा एक बहुत ही बड़े स्कूल में एडमिशन करवाया है। मैंने अपनी दसवीं के बाद यहीं पर पढ़ना शुरू किया। जब मैं कक्षा 11 में आया तो तब से मेरे यहां पर बहुत ही अच्छे दोस्त हैं और हमारा स्कूल शहर का सबसे बड़ा स्कूल है। इसी वर्ष हमारे क्लास में कुछ नये एडमिशन हुए। हमारी क्लास में एक नया लड़का आया जिसका नाम सूरज है। जब वह पहले दिन हमारी क्लास में आया तो हमारी टीचर ने उससे हम सब का इंट्रोडक्शन करवाया। वह हमारी क्लास में पढ़ने में सबसे अच्छा लड़का था। जो भी हमारे टीचर हमें पढ़ाते हैं वह फट से उन चीजों को समझ लेता है और तुरंत ही उन बातों का जवाब दे दिया करता। मैं उसकी इस बात से थोड़ा गुस्से में था क्योंकि मुझे कुछ भी याद नहीं होता था और सब टीचर मुझे बहुत ही मारा करते थे। जिस वजह से मुझे बहुत बुरा भी लगता था। मैं हमेशा उससे झगड़ा करने की कोशिश करता रहता था और जब भी मेरा उससे झगड़ा होता तो वह भी मुझसे बहुत ज्यादा झगड़ा किया करता था। मुझे वह बिल्कुल भी पसंद नहीं था। मैं उससे ज्यादा बात नहीं करता था और क्लास में अपनी पढ़ाई पर ध्यान देता था। परंतु मुझसे पढ़ाई हो ही नहीं रही थी और इस वर्ष हमारे 12वीं का एग्जाम भी था। जिससे कि मुझे बहुत टेंशन भी होने लगी।
एक दिन सूरज मेरे पास आया और उसने अपनाप ही मुझसे बात करनी शुरू कर दी। मैंने भी उससे बात की तो वह कहने लगा कि मैं तुमसे दोस्ती करना चाहता हूं और वह मेरा एक अच्छा दोस्त बन गया। वह मेरी पढ़ाई में भी बहुत मदद करने लगा। वह मुझे बहुत ही अच्छे से समझाया करता था। अब हमारे एग्जाम नजदीक आने वाले थे तो मैंने उसे कहा कि मुझे थोड़ा और तैयारी करनी है और मैं इस समय एग्जाम में अच्छे मार्क्स लाना चाहता हूं। सूरज ने मुझसे कहा कि तुम मेरे घर पर ही पढ़ने आ जाया करो। वह मुझे जब अपने घर ले आया तो उसने मुझे अपनी मां से मिलाया। उसकी मां बहुत ही सुंदर थी क्योंकि वह अपना ही ब्यूटी पार्लर चलाती थी। वह देखने में कुछ ज्यादा ही सुंदर थी और लग भी नहीं रही थी कि वह सूरज की मम्मी होगी। उनकी उम्र बहुत कम लग रही थी। सूरज के पिताजी भी पुलिस में है और वह रोहतक में रहते हैं और कभी कबार ही पानीपत आना जाना उनका लगा रहता है। अब जब भी मैं सूरज के घर जाता हूं तो उसकी मम्मी भी मुझे पूछती की तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है। मैं कहता कि मेरी पढ़ाई भी अच्छे से चल रही है। मैंने सोचा उन्हें भी किसी दिन अपने घर पर बुला लिया जाए। एक दिन मैने उन्हें अपने घर पर बुला लिया और मैंने उन्हें अपने माता-पिता से मिलाया। मेरे माता-पिता भी उनसे मिलकर बहुत खुश हुए और मेरी मम्मी भी उनके ब्यूटी पार्लर जाने लगी। अब हम लोग एक दूसरे के घर को भली भांति जानते हैं। इसलिए हमारा अब उनके घर पर भी आना जाना लगा रहता है। सूरज मुझे बहुत ही अच्छे से पढ़ाता था। जो कि मुझे सब कुछ समझ आ जाता था। एक दिन उसके पिताजी घर आए हुए थे। तब मैं उनके घर पर ही पढ़ाई करने गया हुआ था। वह कुछ दिनों की छुट्टी पर थे।
सूरज ने जब मुझे उनसे मिलाया तो वह बहुत ही खुश मिजाज और अच्छे व्यक्ति थे। उन्होंने भी मुझसे पूछा था कि तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है। मैंने उन्हें बताया कि पढ़ाई तो ठीक ही चल रही है। एक दिन वह कहने लगे कि चलो मैं तुम्हें कहीं अपने साथ घुमाकर ले आता हूं। उस दिन सूरज मैं और उसके पिताजी कहीं एक साथ घूमने चले गए। उन्होंने हमें अपनी कार में घुमाया। उन्होंने वह कार नई ली थी। वह जब भी घर आते तो वह हमेशा उसी कार को बाहर निकालते थे और उसमें ही घूमना पसंद करते थे। अब हम लोग घूम कर घर वापस आ गए और उन्होंने उस दिन मेरे घर ही मुझे छोड़ दिया था।
अगले दिन जब मैं सूरज के घर गया तो सूरज बाहर कहीं सामान लेने गया हुआ था और घर पर कोई नहीं था। मैंने जब देखा तो उसके पिताजी का बेडरूम का दरवाजा खुला हुआ है और वह उसकी मां की चूत मे लंड डाल रहे हैं। मैं यह सब बाहर से देख रहा था और वह उसे बड़ी तेजी से चोद रहे थे। उसकी मां बहुत ही तेज तेज आवाज में चिल्ला रही थी। मैं यह सब देखकर बहुत ही खुश हो रहा था जब उनका वीर्य गिरा तो उसकी मां ने अपने मुंह के अंदर वह सब निगल लिया। अब उसकी मां की गांड मेरे दिमाग में छप चुकी थी और अब उसके पिताजी चले गए तो मैं उसके घर पर आया मैंने उसकी मां से पूछा क्या आपका मन आजकल सेक्स करने का नहीं हो रहा। वह कहने लगी तुम्हें कैसे पता। मैंने उन्हें कहा कि मैंने आप को देख लिया था जब आपको अंकल चोद रहे थे।
अब मैं आपको चोदना चाहता हूं आपकी गांड मेरे दिमाग में छप चुकी है। उन्होंने कहा कि तुम आज हमारे घर पर ही रुक जाना। अब मैं उनके घर पर ही रुक गया और जब सूरज सो गया था तो मैं उसक मां के कमरे में चला गया। वह एकदम नंगी लेटी हुई थी और उनकी चूत मे एक भी बाल नहीं था उन्होंने मेरे मुंह को अपनी चूत पर लगा दिया और मैंने उनकी चूत को बहुत ही अच्छे से चाटना शुरू किया। मैं इतने अच्छे से चूत को चाट रहा था कि उनके मुंह से सिसकियां निकलती जाती। वह बड़ी तेज आवाज में चिल्ला रही थी और कह रही थी कि तुम तो बहुत अच्छे से मेरी चूत को चाट रहे हो अब मैंने अपने लंड को उनके मुंह में डाल दिया। वह बहुत ही अच्छी से मेरे लंड को चूसने लगी और कहने लगी तुम्हारा तो बहुत मोटा है मुझे बहुत अच्छा लगा तुम्हारा लंड देखकर। कुछ समय बाद मैंने उनके स्तनों को भी चूसा अब मैंने उनकी योनि के अंदर अपने लंड को जैसे ही डाला तो उनकी योनि बहुत ज्यादा गर्म थी। मेरे लंड पर ज्यादा गर्म लग रहा था मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मानो मैंने किसी चीज में डाल दिया हो। मुझे बहुत मजा आ रहा था जब मैं ऐसे ही चोदता रहता उनका शरीर हिल रहा था और मुझे काफी मजा आ रहा था। वह कहने लगी कि तुम मुझे बहुत ही अच्छे से चोद रहे हो और मेरी इच्छा पूरी कर रहे हो।
उन्होंने मेरे लंड को बाहर निकालते हुए दोबारा से अपने मुंह के अंदर समा लिया और इस बार उन्होंने इतना अंदर तक लिया कि मेरे अंडकोष उनके मुंह से टकराने लगे और मुझे दर्द होने लगा। उन्होंने मेरे लंड को पूरे गले तक उतार लिया और बहुत देर तक ऐसे ही मेरे लंड को चूसना जारी रखा। उसके बाद वह घोड़ी बन गई और जब मैंने उनकी बड़ी बड़ी चूतडे देखी तो मेरा मन पूरा खराब हो गया। जो तस्वीर मेरे दिमाग में थी वह मेरे सामने असलियत में थी। मैंने अपने लंड को चूत मे डाल दिया जैसे ही मैंने उनकी चूत मे डाला तो वह और भी ज्यादा टाइट हो गई थी। मैंने उनकी बड़े-बड़े चूतडो को अपने हाथ से पकड़ते हुए उन्हें झटके देना शुरु किया। मैं इतनी तीव्र गति से उन्हें चोदता जिससे उनका पूरा शरीर हिलने लगा और वह कहने लगी तुम बहुत ही अच्छे से मेरी चूत मार रहे हो और मेरी चूतडे भी तुम्हारे लंड से टकरा रही है मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है। मैं अब भी ऐसे ही झटके दिऐ जा रहा था उनकी चूतडे लाल हो चुकी थी और मुझे बहुत ही मजा आ रहा था। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं अब जवान हो गया हूं और किसी जवान लड़की को मैं चोद रहा हूं क्योंकि उनका शरीर एकदम लड़की जैसा ही था। उनकी कमर में बिल्कुल भी चर्बी नहीं थी उनका पेट एकदम अंदर गया हुआ था। मुझे उन्हें धक्के मारने में बहुत ही मजा आ रहा था और मैं उन्हे झटके मार रहा था। कुछ देर बाद में उन्होंने अपने चूतडो को और टाइट कर लिया जिससे कि मेरा लंड उनकी चूत के अंदर ही फस गया और बहुत मुश्किल से अंदर बाहर करना पड़ रहा था। कुछ समय बाद मेरा वीर्य पतन हो गया और मैंने उनकी चूत के अंदर ही अपने माल को डाल दिया। अब जब भी मैं सूरज के घर जाता तो उसकी मां मुझे देखकर हंसती रहती थी और मुझे कहती थी कि आज तुम यहीं पर रुक जाओ। जब मैं वहां रुकता तो मैं उनको जरूर चोदता था।