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नींद में दोस्त की मां को ही चोद डाला
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मेरा नाम अंकित है और मै एक गांव का रहने वाला हू। मेरी पढ़ाई पूरी हो चुकी है और मैं पढ़ाई के बाद घर वापस लौट आया। जब मैं घर वापस आया तो मैंने अपने गांव में एक छोटा सा ढाबा खोल लिया। मेरा ढाबा हाइवे के किनारे ही है। उसमें मेरे पिताजी ने मेरी काफी मदद की और उन्होंने ही मुझे पैसा दिया था। गांव में कुछ काम भी नहीं था इस वजह से मैंने सोचा कि हाइवे के किनारे ही अपना ढाबा डाल लूं। शुरु शुरु में मुझे गाड़ी वालों को अपने यहां पर खाना फ्री में खिलाना पड़ा। उसके बाद जितनी भी गाड़ियां हमारे यहां से होकर गुजरती तो वह मेरे पास ही आकर खाना खाया करते थे और मेरा होटल का काम बहुत ही अच्छा चल रहा था। मुझे बहुत ही अच्छा लगता था जब यहां पर सवारियां रूकती थी। मैं बहुत ही खुश था अपने काम से।

मेरे पिताजी मेरे काम से बहुत खुश थे और वह मुझे पूछते रहते थे की तुम्हारा काम कैसा चल रहा है। मैं उन्हें बताता था कि मेरा काम बहुत ही अच्छा चल रहा है लेकिन कई बार मुझे ऐसा लगता था कि मुझे अपनी पढ़ाई के बाद कोई अच्छी नौकरी करनी चाहिए थी लेकिन अब मैं इस काम में ही लगा हूं तो मुझे उससे आमदनी भी आने लगी है। इसलिए मैं अब ढाबा नहीं छोड़ना चाहता था और ना ही कोई भी नौकरी कर सकता था। अब मेरे पिताजी भी मेरे ढाबे पर बैठने के लिए आ जाया करते थे और कभी कबार वही काम देखते थे। क्योंकि जब मैं इधर-उधर सामान लेने के लिए जाता तो वही ढाबे का सारा काम संभालते थे। मुझे बहुत ही अच्छा लगता था जब मेरे पिताजी ढाबे पर बैठते थे। अब एक दिन मेरे बड़े भैया की शादी भी तय हो गई और हम लोग बहुत ही खुश थे। क्योंकि हमारे घर में यह पहली शादी थी। इस वजह से हम लोगों ने बहुत ही तैयारियां की और मैंने भी अपने घर में पूरे सामान का बंदोबस्त किया। खाने के लिए मैंने अपने पिताजी को मना कर दिया था और मैंने कहा था कि हमारे होटल में जितने भी कर्मचारी हैं वही लोग हमारे घर पर खाना बनाएंगे। अब उनकी बिल्कुल चिंता दूर हो चुकी थी और अब उन्होंने बड़े ही धूमधाम से मेरे भैया की शादी करवाई। जब मेरे भैया की शादी हुई तो वह भी बहुत खुश थे और कह रहे थे कि मैं भी शादी कर के बहुत खुश हूं।

अब ऐसे ही काफी समय बीतता चला गया और मैंने एक दिन अपने दोस्त को फोन किया और उसका हालचाल पूछने लगा। मेरा दोस्त शहर में ही रहता है। उसका नाम सुरेश है। वह कहने लगा कि हमारे घर पर तो सब अच्छे हैं। पर तुम बताओ, इतने समय बाद तुमने मुझे कैसे फोन कर लिया। मैंने उसे कहा कि मैं कुछ दिनों के लिए जयपुर आ रहा हूं तो मैं सोच रहा था तुमसे मिलता हुआ चलू। वह कहने लगा कि तुम कितने दिनों के लिए आओगे। मैंने उसे कहा कि मुझे कुछ काम है तो हो सकता है शायद एक हफ्ते के लिए मैं जयपुर रुक जाऊ। वह कहने लगा तुम एक काम करना तुम मेरे घर पर ही रुकना और तुम्हें कहीं दूर घर जाने की जरूरत नहीं है। मैंने उसे कहा नहीं मैं बाहर ही कहीं रुक जाऊंगा लेकिन उसने मुझे बहुत जिद की और कहने लगा तुम्हें मेरे घर पर ही रुकना पड़ेगा। अब मैं उसकी बातों को मना ना कर सका और मैंने उसे कह दिया कि मैं तुम्हारे घर पर ही रुकूंगा। जब मैं जयपुर गया तो मैंने अपने दोस्त सुरेश को फोन किया और वह मुझे लेने के लिए आ गया।

अब वह मुझे अपने घर पर ले गया। जब मैं उसके घर गया तो मैं उसके बड़े भैया से पहली बार ही मिला और उसके पिताजी भी घर पर ही थे। उसके पिताजी एक सरकारी कर्मचारी हैं और उनकी पोस्टिंग अलवर में है। वह कुछ दिनों के लिए घर पर छुट्टी में आए हुए थे। उसके भैया मुझसे पूछने लगे तुम क्या काम करते हो। मैंने उन्हें बताया कि मेरा गांव में एक ढाबा है। मैं उसी को चला रहा हूं। वह कहने लगे यह तो बहुत अच्छी बात है। वह पूछने लगे कि तुमने नौकरी नहीं की। फिर मैंने उन्हें बताया कि नहीं मैंने नौकरी नहीं की। क्योंकि हमारे गांव में कुछ भी करने के लिए नहीं था और तब मैंने ढाबा खोल लिया। अब मेरा ढाबा बहुत ही अच्छा चलता है। उस से मुझे बहुत आमदनी होने लगी है। इस वजह से मैं अब नौकरी नहीं कर सकता। उसके पिताजी ने भी मुझसे बहुत देर तक बात की और मेरे घर के बारे में जानकारियां ले रहे थे। मैंने उन्हें सब बताया कि मेरे घर में कौन-कौन है। सुरेश की मां भी थोड़ी देर बाद आ गई और वह पूछने लगी कि यह कौन है। तो सुरेश ने बताया कि यह मेरा दोस्त अंकित है और यह कुछ दिनों तक हमारे घर पर ही रहने वाला है।

उसकी मां ने कहा चलो यह तो बहुत ही अच्छी बात है और अब मैं सुरेश के घर पर ही था। जब मैंने सुरेश से कहा कि मुझे जयपुर में काम है तो वह कहने लगा कि हम लोग कल चल पड़ेंगे। आज तुम घर में आराम कर लो। अब मैं घर पर आराम करने लगा और सुरेश मुझसे कॉलेज के दिनों की बात कर रहा था और कह रहा था कि हम लोग कॉलेज में कितनी मस्तियां किया करते थे और हम सब दोस्त कितना घूमा करते थे। मैं उसकी इस बात से बहुत ही खुश था और कह रहा था कि कॉलेज का समय तो कुछ और ही था। परंतु अब समय बहुत आगे बढ़ चुका है। अब सब लोग अपने कामों में बिजी हो चुके हैं। सुरेश भी सरकारी नौकरी के लिए तैयारी कर रहा था। अगले दिन हम लोग मेरे काम से चले गए। मैंने अपना काम किया और उसके बाद हम लोग घर वापस लौट आए। जब हम लोग घर आए तो हम लोग साथ में ही बैठे हुए थे और बहुत देर तक हम बात कर रहे थे। उस दिन मौसम भी बहुत ज्यादा अच्छा था। उस दिन बहुत तेज बारिश हो रही थी और उसके बाद हम लोग छत से नीचे चले गए जब बारिश शुरू हुई।

मैं और सुरेश अब कमरे में चले गए थोड़ी देर बाद सुरेश को नींद आ गई और वह सो गया लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी। फिर थोड़ी देर बाद मेरी भी आंख लग गई और मैं भी सो गया। लेकिन मुझे नींद में चलने की आदत है इस वजह से मैं नींद में सुरेश की मां के कमरे में पहुंच गया और जब मैं उसकी मां की कमरे में पहुंचा तो मुझे कुछ भी पता नहीं था। मैंने उसकी मां को कसकर पकड़ लिया। जब उसकी मां ने मेरे लंड को देखा तो उसने उसे मुंह में लेना शुरू किया। वह बहुत ही अच्छे से उसे मुंह में लेती जाती और मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। थोड़ी देर बाद मेरी नींद खुली तो मैंने देखा सुरेश की मां मेरे लंड को मुंह में लेकर चूस रही है। मैंने उनको बिस्तर में लेटा दिया और उनके दोनों पैर खोलते हुए उनकी योनि को चाटना शुरू किया। मुझे बड़ा मजा आ रहा था जब मैं उनकी योनि को चाट रहा था लेकिन थोड़ी देर बाद मुझसे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं हुआ और मैंने अपने लंड को उनकी योनि में डाल दिया।

अब वह बड़ी तेज तेज मादक आवज निकालाने लगी और मैंने उन्हें तेज झटके मारता रहा। मैं उन्हें बहुत अच्छे से चोद रहा था जिससे कि उनकी उत्तेजना पूरी चरम सीमा पर पहुंच गई। उनकी उत्तेजना इतनी चरम सीमा पर पहुंच गई कि मुझे मेरा बर्दाश्त नहीं हो रहा था और वह चिल्लाने पर लगी हुई थी। मैंने थोड़ी देर बाद उन्हें अपने ऊपर लेटा दिया। जब वह मेरे ऊपर आई तो उनका वजन कुछ ज्यादा ही था और उनके चूतड़ों का भार बहुत था। अब वह अपनी चूतडो को ऊपर नीचे करती जाती। मैं उनके स्तनों को चूसने पर लगा हुआ था मैंने उनके स्तनों को अपने मुंह में लेकर चूसना जारी रखा और मुझे बहुत ही मजा आ रहा था। जब मै उनके स्तनों को अपने मुंह में लेकर चूसता जा रहा था। वह भी अपने चूतडो को बड़े अच्छे से हिला रही थी मुझे बहुत ही मजा आ रहा था लेकिन थोड़ी देर बाद मैंने अपने लंड को बाहर निकालते हुए उनके मुंह के अंदर डाल दिया। वह उसे बड़ी ही अच्छे तरीके से चूसने लगी। वह इतने अच्छे से मेरे लंड को अपने गले तक ले रही थी कि मेरा शरीर गर्म होने लगा और मेरा वीर्य गिरने वाला था। उन्होंने अपने मुंह से मेरे लंड को बहुत अच्छे से चूसा जिससे कि मेरा वीर्य सीधा ही उनके गले के अंदर जाकर गिरा तो वह उन्होंने एक ही झटके में अपने अंदर समा लिया। उन्होंने मेरे लंड को चाटते हुए उसे बाहर निकाल दिया और मैं जल्दी से सुरेश के साथ सोने के लिए चला गया।

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