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HOT Free XXX Hindi Kahani

मेरा नाम शीतल है। मैं दिखने में बहुत ही सुंदर युवती हूं। मेरा जिस्म बहुत हॉट है। मेरी उम्र 23 साल है मैं मेरठ शहर में रहती हूं। मुझे शहर के सारे लड़के देखते रहते हैं। यही सोचते हैं कि मुझे कैसे चोदे लेकिन मैं किसी को भाव नहीं देती कभी भी मैं अपने काम से काम रखती हूं। अपने घर से कॉलेज और कॉलेज से घर आती हूं। लेकिन मुझे पता चल ही जाता है कि मेरे आगे पीछे कितने लड़के घूमते रहते हैं। मैं सबको इशारों इशारों में समझा देती हूं इसी वजह से सब लोग मेरे पीछे पागल है। वह लोग मेरी नजरों के कायल हैं। मेरे घर के आगे जब भी मैं देखती हूं तो पता नहीं कितने लड़के घूमते रहते हैं। वह मेरा जिस्म पाना चाहते हैं लेकिन मैं किसी को भी अपना जिस्म देने को तैयार नहीं हूं। मैं यह नहीं चाहती जिससे मेरा मन हुआ।

मैं उसी के साथ चुदूगी और अपनी सील उसी से तुड़वाऊगी। लेकिन मुझे अभी तक कोई भी ऐसा आदमी मिला नहीं जो कि मुझे इस तरीके का लगा। इसी वजह से मैं सिर्फ अपनी पढ़ाई पर ही ध्यान देती हूं और फालतू ज्यादा इधर उधर नहीं जाती। मेरी एक सहेली भी है जिसका नाम मनीषा है। वह बहुत ही अच्छी दोस्त है मेरी और हमेशा मुझे समझाती रहती है। जब भी मेरा कुछ काम होता है या कुछ भी मुझे उसकी आवश्यकता होती है तो वह हर जगह मेरे लिए तैयार रहती है। मैं भी उसे काफी मानती हूं और हर बार उसकी सहायता लेते रहती हूं। मुझे कपड़े खरीदने का बड़ा ही शौक है। जो भी फैशन नया आता है मैं वह पहले से ही ले लेती हूं। मैं शॉपिंग काफी ज्यादा ही करती हूं लेकिन मेरे घर वाले मुझे कभी रोकते नहीं हैं वह कहते हैं तेरी खुशी में ही हमारी खुशी है। तुझे जो करना है तो अपने हिसाब से कर ले। उन्होंने मुझे पूरी आजादी दे रखी है जीने की इसलिए मैं अपने जीवन में अच्छे से ही अपनी लाइफ जीती हूं। जो मुझे करना होता है वह मैं करती हूं। जब भी मुझे मेरी सहेली के साथ कहीं घूमने जाना होता है। तो हम लोग चले जाते हैं और मेरे माता-पिता मुझे कभी कुछ नहीं कहते। मेरा एक भाई भी है जिसका नाम अजय है। अजय मनीषा को बहुत चाहता है।

मुझे भी यह बात पता है। वह मुझे किसी न किसी तरीके से कहता है इससे मेरी बात करवा दे। मैं कहती हूं ठीक है मैं बात करूंगी लेकिन मै टाल देती हूं और उससे कुछ ना कुछ बहाने बना देती हूं क्योंकि पहले मुझे वह शॉपिंग करवा दे और मैं उससे कुछ ना कुछ लेती रहती हूं। लेकिन अब मैंने उसे कहा ठीक है। मैं तेरी बात मनीषा से करवा दूंगी। मैंने मनीषा और अजय की बात करवा दी दोनों ही एक दूसरे को चाहने लगे। अब अच्छे से एक दूसरे के साथ रहते हैं। वह दोनों गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड है और मुझे भी अच्छा लगता है कि मनीषा मेरी अच्छी सहेली है और अजय मेरा भाई है। इसलिए वह दोनों एक साथ रहे अजय ने मनीषा को घर पर चोदा भी था। जब एक बार मनीषा हमारे घर पर आई थी तो मैंने उसे देखा था कि वह मनीषा के साथ सेक्स कर रहा है। और उसको चोद रहा है। मैंने उसे कुछ नहीं कहा लेकिन मैंने मनीषा को बाद में पूछा था। मनीषा ने मुझे कहा कि मेरी सील अजय नहीं तोड़ी है। मुझे काफी अच्छा लगा लेकिन मेरे चूत मे दर्द भी हो रहा था। पर उस दर्द में भी मुझे काफी अच्छा एहसास हुआ।

यह सुनकर मेरे मन में भी यह पैदा हो गया। कि मैं भी अब अपनी सील तुड़वाऊंगी। मैं एक अच्छा आदमी को ढूंढने लगी। वह मुझसे प्यार भी करें लेकिन मुझे ऐसा मिलता ही नहीं था जितने भी लड़के थे। वह आवारा टाइप के थे। तो वह मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं थे और मेरे कॉलेज में भी कोई ऐसा नहीं था कि जो मुझे अच्छा लगे। एक बार मैं शॉपिंग करने गई हुई थी। तो वहां पर मुझे एक लड़का बैठा हुआ मिला जो कि काफी हंस कर अच्छे से बात कर रहा था। मैंने उससे पूछा आपका नाम क्या है उसने अपना नाम बंटी बताया। मैंने उससे पूछा क्या तुम यहां पर काम करते हो उसने कहा नहीं मैं काम नहीं करता हूं मैं यहां का मालिक हूं। यह मेरे पिताजी की दुकान है और हमारी पुश्तैनी दुकान है कई सालों से यहां पर हैं।

मैं जब भी उसके पास जाती तो हमेशा बंटी के यहां से ही कपड़े लेती अब मैं उसकी रेगुलर कस्टमर बन गई थी। बंटी मुझसे हंस कर बात करने लगा। मैंने बंटी से पूछ लिया क्या आप ने पढ़ाई की है या नहीं उसने कहा हां मैंने पढ़ाई की है। लेकिन फिर मैं इसी काम में लग गया मेरे पिताजी की भी तबीयत अब ठीक नहीं रहती है। तो वह कहने लगे बेटा यह काम मुझसे नहीं होगा तुम ही संभाल लो तब से मै काम रहा हूं। मै बंटी की तरफ अट्रैक्ट हो गई। बंटी मेरी बातों को समझ चुका था। वह कहने लगा आप कहां रहते हैं। मैंने उसे बताया कि मैं यहां पास में ही रहती हूं और कॉलेज पढ़ती हूं। उसके बाद बंटी और मेरी नजदीकियां बढ़ने लगी।

मैंने बंटी  को अपना फोन नंबर दे दिया। बंटी ने मुझे फोन किया और वह काफी देर से मुझसे बात करता। एक दिन उसने मुझे कहा आज दुकान बंद है। तो तुम दुकान में आ जाना। मैं उसकी दुकान में चली गई। दुकान में मैं गई तो मैंने देखा उसकी दुकान का शटर लगा हुआ है। मैंने उसे फोन किया और कहा कि तुम्हारी दुकान तो बंद है। उसने बोला तुम पीछे की तरफ से आ जाओ पीछे की तरफ से एक रास्ता आता है। तो मैं पीछे से उसकी दुकान में चली गई।

मैंने देखा बंटी वहां पर बैठा हुआ है। बंटी ने कहा तुम फोन पर बडी अच्छी-अच्छी बातें करते हो और यहां पर आकर चुपचाप खड़े हो गए। मैंने कहा नहीं ऐसी कोई बात नहीं है। ऐसा कहते हुए बंटी मेरे बालों को सहलाने लगा और उसने मेरी टी-शर्ट पर अपना हाथ रख दिया। मेरी टीशर्ट पर हाथ रखा उसके बाद उसने मेरे स्तनों को भी पकड़ लिया। जैसे ही उसने मेरे स्तन को पकडा मुझसे रहा नहीं गया। बंटी खड़ा था मैंने उसकी पैंट की ज़िप खोली और उसके लंड को निकालकर हिलाने लगी। जैसे-जैसे मे उसके लंड को हिलाती जाती उसका लंड बड़ा होता जाता और वह काफी मोटा और बड़ा हो गया था। मैंने उसके लंड को अपने मुंह में ले लिया और उसको चूसने लगी। वह खुश हो गया और कहने लगा मुझे मजा आ रहा है। उसने मेरी जींस उतार दी और मेरी चूत को चाटने लगा। जैसे जैसे वह चाटता मेरे पानी टपकता जाता। वह अपने मुंह से पीता रहता और कहता तुम्हारी चूत में से जो पानी गिर रहा है। उसका  स्वाद काफी अच्छा है। मुझे मजा आ रहा है। उसके बाद उसने मेरी गांड पर दो तीन दांत मार दिए जिससे कि थोड़ा खून जैसा निकलने को हो गया। बंटी ने मेरी टांगों को चौड़ा किया और अपने लंड को मेरे चूत में लगा दिया और अब वह धक्के मारने लगा। मेरी चूत गीला और चिपचिपा सी हो रखी थी तो लंड धीरे-धीरे अंदर चला गया। जैसे अंदर गया तो मेरी सील टूट गई मुझे महसूस होने लगा। मुझे ऐसा ही महसूस हुआ कि जैसे कुछ गिर रहा है। मैंने अपनी चूत में हाथ लगाया तो देखा मेरे वहां से खून निकल रहा है। बंटी ने मुझे चोदना शुरू किया। मुझे काफी दर्द हो रहा था। बंटी मुझे अच्छे से चोदने लगा वह अपने लंड को अंदर बाहर करता जाता और मुझे अच्छा लगता जाता। ऐसे ही धीरे-धीरे वह और तेज करने लगा। अब उसने काफी तेज तेज करना शुरू कर दिया था। जिसे मेरे खून काफी तेजी से बाहर निकलने लगा। मेरे गांड के रास्ते टपकने लगा लेकिन मुझे अच्छा लग रहा था। कुछ देर बाद हम दोनों के लंड और चूत से जो गर्मी निकली। उससे ही हम दोनों झड़ गए और बंटी ने मेरे अंदर ही अपना वीर्य गिरा दिया। मैंने कपड़े से साफ किया।

बंटी ने दोबारा से मुझे चोदना शुरू किया और अपने लंड को मेरी योनि में लगाकर धीरे से धक्का अंदर की तरह देने लगा। जिससे उसका लंड चूत के अंदर चला गया। इस बार मैंने उसे अपने पैरों के बीच में जकड़ लिया और वह भी तेज तेज झटके मारता गया। थोड़ी देर बाद उसे गिरने को हुआ तो उसने मेरे स्तनों पर अपना वीर्य गिरा दिया। इस प्रकार से मैंने अपनी सील तुड़वाई। यह मुझे काफी अच्छा लगा। उसके बाद यह बात मैंने अपनी सहेली मनीषा को बताई। जिससे वह कहने लगी तुझे कैसा महसूस हुआ। मैंने उसे कहा मुझे बहुत ही अच्छा महसूस हुआ।

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