advertisement
advertisement
मेरी बीवी की चुदाई डॉ के साथ
advertisement

advertisement
advertisement
HOT Free XXX Hindi Kahani

कानपूर में आने के बाद मनीषा की चूत मचलने लगी | मुझे इस बात का बहुत अच्छी तरह से पता था लेकिन नौकरी की व्यस्तता के कारण अपनी बीवी के लिए किसी लंड का इन्तेजाम नहीं कर पाया | इस बीच मनीषा को अपने हेल्थ चेकअप की जरूरत हुई तो मैंने उसे सभी सुविधा से सरकारी हॉस्पिटल सैनिक हॉस्पिटल में जाने को कहा । पर मनीषा ने मुझे भी साथ में चलने को कहा लेकिन मेरे पास समय तो नहीं था  मगर अपनी जान से प्यारी चुदक्कड़ बीवी की बात भी तो नहीं टाल सकता था | मनीषा को सजते संवरते दो घंटे लग गए और हम लोग हॉस्पिटल करीब दो बजे पहुंचे। डॉक्टरों के हर केबिन में भीड़ थी | खैर गायनोकोलॉजिस्ट को मैडम दिखाने में कामयाब हो गई और चेक के लिए रेडियोलॉजिस्ट को रेफर कर दिया । वहां डॉ राहुल जो पेशेंट देखने में बहुत व्यस्त थे और उनके सहायक ने पहले ही बता दिया कि आज डॉक्टर साहब आपको चेक नहीं कर पाएंगे मैडम  आप कल आये | यह सुनकर जब मैंने मनीषा को घर चलने को कहा तो उसने मुझे जोरदार तरीके से आंख मारी और कहा अब तुम मेरा कमाल देखो थोड़ा टाइम जरूर लगेगा | तब तक मेरा एक दोस्त नज़र आया |

हाय हैल्लो के बाद उसने अर्जेंसी में मेरा दो घंटे का समय माँगा । कहीं दूर जाना नहीं थ |  हॉस्पिटल के पास ही उसका काम हो जाना था लेकिन बीवी का बहाना बनाया तो मनीषा ने बीच में दखल देते हुए कहा कि उसे दो तीन घंटे तो लगेंगे ही और इतने में आप काम भी कर लेंगे । कुछ देर बाद मैं वापस आया तो हॉस्पिटल खाली था | मैं सीधे डॉक्टर के कैबिन में गया और  उस समय कोई पेशेंट नहीं था । डॉक्टर साहब और मनीषा हंस हंस गप्पें लड़ा रहे थे | मुझे देखते ही मनीषा ने डॉक्टर साहब से बड़ी गर्मजोशी के साथ मेरा परिचय कराया । डॉ.राहुल भी मुझसे बहुत अच्छे से मिले । उधर मनीषा डॉक्टर साहब की तारीफ़ कर रही थी तो डॉक्टर भी कुछ पीछे नहीं रहा | माहौल देखकर समझ गया कि मनीषा ने अपने लिए लंड का जुगाड़ कर लिया है |

 

डॉक्टर से विदा लेकर हम दोनों घर की रवाना हुए | मगर मनीषा जब तब डॉ. के केबिन की बात नहीं बता लेती उसे चैन नहीं हो रहा था | मुझे बातें शेयर करने के लिए घर पहुंचने ही मनीषा ने सिरदर्द का बहाना बनाया । बच्चे भी तब तक स्कूल से आ चुके थे और मुझे भी थकान और सिरदर्द का बहाना करना पड़ा | हम दोनों ने कुछ देरभर आराम करने के लिए शोरगुल न करने और शांति के साथ होम वर्क करते रहने को कहा | अब अन्दर से दरवाजा बंद करने के बाद मेरी जान मनीषा बिल्कुल खुल गई  जैसे उसे कोई बहुत बड़ा खजाना मिल गया हो | मैं अपने कपड़े बदलने लगा तो दूसरी ओर अगले कुछ ही पलों में मैडम ब्रा-पैंटी में आ गईं और मुझसे लिपट गईं और कहने लगी कि तब तक करीब तीन बज चुके थे और डॉ राहुल अपने सभी पेशेंट निबटा चुके थे |  रूटीन के काम बंद होने का समय था और सभी जा चुके थे और डॉक्टर अपनी रिपोर्ट बनाने में लगा हुआ था तभी कंपाउंडर ने मुझे को अगले दिन आने को कहा क्योंकि वह खुद भी जा रहा था |

मैंने जब उसे डॉक्टर से केवल एक मिनट के लिए मिलाने का रिकवेस्ट किया तो डॉक्टर ने आवाज देकर कहा कि तुम मैडम को भेज दो | मैं जैसे ही डॉक्टर के केबिन में अंदर गयी  तभी डॉक्टर पहली ही बॉल पर क्लीन बोल्ड हो गया था. मगर अपने आप को संतुलित रखा | रखता भी क्यूँ नहीं मेरी बिंदास अदा  गोरा जिस्म गोलमटोल चूतड़ 38 साइज़ की मस्त मम्मे किसी को चोदने के लिए मजबूर देंगी और मुझे इसी बात का घमंड भी है |  डॉक्टर ने अपने आप पर काबू रखा और मुझसे मेरी प्रॉब्लम पूछा तो मैंने अदा बिखेरते हुए कहा  खुजली होती है | फिर डॉक्टर ने कुछ सवाल और भी पूछे  मगर आखिरी सवाल था सेक्स करते समय कंडोम तो इस्तेमाल करती हैं न ? तो मैंने जो जवाब दिया उसे सुनते ही डॉ का सिर हिल गया | मैंने कहा डॉक्टर साहब  क्या पति के साथ भी कंडोम लगाया जाए ? आमतौर पर तो उन्होंने हाँ बोल दिया लेकिन साथ अपनी ओर से एक सवाल और पूछ दिया और हिचकिचाते हुए बोले तो हस्बेंड के अलावा भी कोई है क्या ?

मेरी तीर सटीक निशाने पर लगा  झुकते हुए मैंने ने जवाब दिया ताकि डॉक्टर को मम्मे भी दिख जायें  वैसे भी मेरे कुर्ते का फ्रंट डीप लो कट में होता है | मेरा जवाब था नहीं, केवल एक फ्रेंड है कभी कभार के लिए | अब तो डॉक्टर के चेहरे पर लाल डोरे नज़र आने लगे मगर बेचारे ने खुद को संभाले रखा | डॉक्टर ने मुझे चेकिंग के लिए अन्दर केबिन में मशीनों के बीच लगे बेड पर कपड़े निकाल कर लेटने को कहा तो मैं चूतड़ मटकाते हुए ऐसे चली जैसे चुदने जा रही हूँ | डॉक्टर ने तो मुझको पजामी का नाड़ा ढीला करने को कहा क्योंकि उस बेचारे को चूत चेक करनी थी मगर मैंने सारे कपड़े निकाल कर ब्रा-पैंटी में लेट गयी । यह भी डॉक्टर के लिए बड़ा झटका था लेकिन तब भी उसने शालीनता के साथ कहा मैडम आपको केवल पजामी ही हटानी थी | मैंने फिर जलवे बिखेरे और कहा नहीं सर थोड़ा ब्रेस्ट भी देख लेंगे तो गिल्टी का शक ख़त्म हो आएगा | डॉ. चुप हो गया |

मैं अब भी ब्रा-पैंटी में थी और  डॉक्टर का इशारा पैंटी हटाने का हुआ | मगर मैंने थोड़ा नाटक कर ऐसा जताई कि 72 किलो वजन के चलते वो पैंटी नहीं निकाल पर रही है | डॉक्टर को ही मेरी चुदक्कड़ पैंटी निकाल कर मेरे हाथ में देनी पड़ी |  लेकिन यह डॉक्टर का आखिरी इम्तहान था | मैंने हाथ में पैंटी देते हुए वह भी हसरत भरी नज़र से मुस्कुरा दिया । उधर उसकी पेंट का तम्बू ताने हुए लंड के साइज़ का साफ़ पता चल रहा था | इस बीच जैसे ही डॉक्टर की नज़र मेरी चूत पर गयी तो वह एकदम से उछल पड़ा आखिर बोल पड़ा मैडम, इतनी सफाई ? वैक्सिंग कराती हो क्या ? थोड़ी देर बाद डॉ ने अपने दिल की यह बात बयाँ कर दी | पूरी चूत पर एक भी बाल नहीं  झांट भले आज ही साफ़ की गयी हो| मगर इतनी साफ़ |

दरअसल डॉ राहुल सोच भी नहीं सकता था। अब तक उधर डॉक्टर ऑटोमेटिक मशीनों और रिपोर्ट नोट करने में लगा रहा तो दूसरी ओर मैं कभी हाथ से चूची सहलाती तो कभी चूत और इस बीच दो-तीन बार डॉक्टर ने चूत साइड से मेरा हाथ भी हटाया। बीच बीच में अपनी पैंटी भी सूंघ ले रही थी | कम्लीट चेक होने के बाद जब डॉक्टर अपना नोट पैड समेटने लगा तो मैंनेने बीच में टोका- सर, ब्रेस्ट चेक अप प्लीज ! जवाब में डॉ राहुल मुस्कुराते हुए केवल ‘ओके’ बोल सके | मेरी ब्रा अभी खुली नहीं थी तो बेचारा डॉक्टर ब्रेस्ट कैसे चेक करता । मेरा वही बहाना डॉक्टर साहब, हुक पीछे है, खोल दो न ब्रा का हुक ! यह कहते हुए मैंने करवट बदलीं और डॉक्टर ने हुक को ढीला कर दिया । इसके साथ ही मेरी के मोटे मोटे आज़ाद कबूतर हवा में लहरा उठे | अब मेरी षाकी मंज़िल उसके सामने थी और इस तरह डॉक्टर ने मेरे मम्मों पर हाथ फेरने शुरू कर दिया । बहाना ब्रेस्ट कैंसर चेक करने का था मगर डॉ राहुल भी अब मजा लेने लगे थे |

 

माहौल गरम होने लगा और उधर मैं स्ट्रेचर के दूसरे छोर से सट गयी ताकि डॉक्टर मम्मों को मसलते वक्त उसके करीब आये और लंड मेरी पकड़ में आ जाय | अगले कुछ ही पल में ऐसा ही हुआ अब बिना टाइम जाया किये मैंने डॉक्टर के लौड़े पर हाथ रखा और पैंट की जीप नीचे सरका दी | इस तरह उनकी पसंदीदा चीज मेरे हाथ में थी | मैं ख़ुशी से पागल हो रही थी और चिल्ला पड़ी- वॉव, ग्रैंड ग्रेट ! दरअसल डॉ राहुल का लौड़ा 8″ से कम लम्बा नहीं था और कोई तीन या साढ़े तीन इंच मोटा था तो ऐसे में मेरा खुश होना लाजिमी था | खैर, मुझे उसकी जन्नत मिल चुकी थी | लिहाजा मैंने अपने गाल, होंठ, दांत, जीभ और चूचियों को इस शानदार लौड़े की सेवा में लगा दिया, ताकि मेरी चूत को डॉक्टर चारों धाम का दर्शन करा दे | वही हुआ जो मैं चाहती थी और मेरी कलाबाजी के आगे डॉ राहुल पस्त हो गए और थोड़ी देर पहले ही तो बेचारे डॉक्टर साहब मुझको को कंडोम लगाकर चुदाई करने का उपदेश दे रहे थे  मगर मेरी चूत की गर्मी में ऐसे बेहाल हुए कि स्ट्रेचर पर मुझे अपने अलग अंदाज़ में बिना कंडोम के ही चोदने के लिए बेक़रार हो गए | दोस्तो, अपनी इस ग्रैंड गोला चुदाई की घटना को बताने से पहले ही मैंने अपने पति चूतड़ के दो तकिये रख दिया था और मेरे छह इंच लम्बे लंड पर सवार होकर अपनी चुदाई के खेल का आँखों देखा हाल सुना रही थी |

advertisement

advertisement
advertisement
advertisement
advertisement
advertisement
advertisement
advertisement