उसने कहा भूलना मत मै आज तक नहीं भुला

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मैं शरद हिमाचल क रहने वाला हूं। यह बात की है जब मैं ग्याहर्वीं में पढता था। मैं अपने मामा के यहां पेपर देने गया था। वहां पड़ोस में एक लड़की सुन्दर सी, मस्त फ़िगर वाली रहती थी। नाम था हनी। वो मुझ पर पहले दिन से ही लाइन मारने लगी थी पर मैनें ज्यादा धयान नहीं दिया l

एक दो दिन में वो मुझ से बात भी करने लगी और हम लोग एक दूसरे को इशारे भी करने लगे। एक दिन जब मामा काम पे गये थे और मामी बच्चों के साथ पड़ोस में गयी थी तो वो बाहर छोटे बच्चों के साथ खेल रही थी। मैने बड़ी हिम्मत कर के उसे इशारा किया और अपने पास बुलाया मगर उसने आने से मना कर दिया।

उस दिन के बाद मैनें सोच लिया कि कुछ ना कुछ तो जरुर करुंगा उसे पाने के लिये। मेरे मामा शाम को ७ । ३० बजे वापिस आते थे। उस के थोड़ी देर बाद जब थोड़ा स अन्धेरा हो गया तो सब बच्चे घर चले गये और उस ने मुझे इशारा कर के मुझे बुलाया, मै उसके पास गया मगर पड़ोस की एक औरत वहां आ गयी और उससे बात करने लगी। मै बात बिना किये ही आगे चला गया।

थोड़ी देर बाद जब वापिस आया तो वो अकेली खड़ी थी। मै उस से बात करने लगा। पहले तो हम इधर उधर की बातें करते रहे फ़िर वो बोली कि आप मुझे भूल तो नहीं जाओगे। मैने कहा कि भूलूंगा तो नहीं मगर चाहता हूं कि ये याद थोड़ी शानदार और हसीन हो जाये। यह सुन कर वो शरमा गयी। उस समय काफ़ी अन्धेरा हो गया था और उसने बाहर की रोशनी भी नहीं जला रखी थी। हम अन्धेरे में ही बातें कर रहे थे। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि आगे कैसे बढूं। उस तरफ़ भी आग बराबर लगी थी l

वो हिम्मत कर के बोली – मुझे एक किस करो तो मैनें पूछा – कहां पे? तो वो बोली- गाल पे।

मैने कहा- नहीं मेरा दिल होठों पे करने को कर रहा है। उसने कहा- जहां दिल करता है वहीं कर लो। मैने उसे अपनी बाहों में पकर लिया और एक जोरदार चुम्मी ली उसके होठों पे। उसका गदराया बदन मेरे हाथों में था। पहली बार मैने ऐसे किसी लड़की को पकड़ा था। हम दोनो बहुत गरम हो गये थे। उसने कहा कि यहां कोइ आ जायेगा, चलो मेरे कमरे में चलो। मैनें पूछा- घर पे कोइ नहीं है?

वो बोली-पापा मम्मी बाहर रहते हैं, यहां मै और भैया रहते हैं। वो भी आज नहीं आयेंगे। मेरे साथ मेरी एक भतीजी है ५ साल की, उसे पहले ताई जी के पास भेज देती हूं थोड़ी देर के लिये। उसने फ़टाफ़ट भतीजी को भेज दिया और मैं उस के कमरे में चला गया।दरवाजा बद करके हम एक दूसरे से लिपट गये। मैनें उसे बिस्तर पे गिरा लिया और उस की कमीज उतार दी। मै उसके मोम्मों को दबाने लगा। हम काफ़ी देर एक दूसरे को चूमते, चूसते रहे। मैने उस के मोम्में खूब चुसे पर दिल नहीं भरा। तभी दरवाजे पर दस्तक हुई और हम डर गये।

हनी ने पूछा कि कौन है तो बाहर उसकी भतीजी थी। उसने मुझे फ़टाफ़ट छिपने के लिये कहा। मैं बिस्तर के नीचे छिप गया। उस ने दरवाजा खोला और कुछ बात करके भतीजी को फ़िर कहीं भेज दिया। दरवाजा बद करके वो वपिस आयी तो मैं निकला। मैनें देर ना करते हुए उसकी सल्वार उतार दी और जल्दी से उसकी चूत में अपना लन्ड घुसा दिया।मगर बड़ी दिक्कत के साथ अन्दर गया और उसके आंसू निकल आये। दोस्तों आप ये कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है l

वो चीखी- निकालो बाहर इसे, मगर मैं अन्दर घुसाये जा रहा था। मेरे कुछ रुकने पे वो सामान्य हुई। अब मेरे हल्के हल्के धक्कों से उसे मजा आने लगा और वो सिस्कारियां भरने लगी। मैं उसे चोदता रहा वो मजे लेती रही। थोरी देर बाद उसने मुझे कस के पकड़ लिया। मैने पूछा -क्या हुआ?

वो बोली- तुम धक्के लगते रहो, मजा आ रहा है। मै धक्के लगाता रहा और मैनें अपने लन्ड पे कुछ गरम गरम महसूस किया। उसकी चूत से पानी निकल रहा था। मुझे भी मजा आ रहा था। मैनें धक्के तेज कर दिये। थोड़ी देर में मैं भी झड़ गया। हम एक दूसरे से लिपटे रहे और चूमते रहे। कुछ देर बाद हमने कपड़े पहन लिये।

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तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। हनी ने पूछ कि कौन है। बाहर उसकी भतीजी थीअनी ने मुझसे कहा कि तुम अभी छुप जाओ, मैं इसे कहीं और ले जाती हूं, पीछे से तुम निकल जाना। हम कल मिलेंगे।

मै वहां से आ गया। अगले दिन उसका भाई आ गया और हम दोबारा नहीं मिल पाये। एक दो दिन में मैं वापिस आ गया। फ़िर ३ -४ साल बाद वहां गया तो उसकी शादी हो चुकी थी, मगर उसने कहा था कि भूलना मत और सही में मैं उसे आज भी नहीं भुला पाया हूंl