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हार्ड कोर सेक्स बिना कुछ कहे डायरेक्ट गांड फाड़ा
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मैंने यहाँ पर बहुत कहानियाँ पढ़ के अपने लंड को हिलाया हुआ हे. मैं अक्सर रात को कहानी पढ़ के अपने लंड हिला के सोता हूँ. अब मेरे बारे में बताऊँ. मैं भोपाल से हूँ और एक मकान में पीजी रहता हूँ. मेरी हाईट 5 फिट 7 इंच हे और कलर में गेहुआ हूँ. लेकिन मेरा बॉडी स्ट्रक्चर एकदम बढियां हे. मेरा लंड पूरा 7 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा हे. जो भी मेरे लंड को एक बार देख ले तो उस से चुदने को उसका मन हो जाए ऐसा हे मेरा पेनिस. ये बात जो आप को मैं आज बताने के लिए आया हूँ वो मेरी डिग्री की पढाई के समय मेरे दादा जी वाले घर में मेरे साथ हुई थी.
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मेरे दादा जी की फेमली काफी बड़ी हे और वो लोग संयुक्त कुटुंब में रहते हे. तो जाहिर हे की उनका घर भी काफी बड़ा था और मैं अक्सर अपनी छुट्टियों में उस घर में रहने के लिए भी जाता था. घर काफी बड़ा हे जिसमे दो विभाग बने हे. एक साइड में घर के मेम्बर्स रहते हे. और दूसरी साइड में बोरवेल हे. उसी साइड में अनाज का छोटा गोदाम हे और एक बड़ा सा स्टोर रूम भी.

घर के दुसरे मजले के ऊपर दो बेडरूम बने हुए हे महमानों के लिए जो सिर्फ महमानों के लिए ही खोले जाते हे. घर बड़ा हे इसलिए नोकर चाकर भी काफी हे. वैसे भी दादा जी बड़े जमीनदार हे और काफी रुआब सा हे उनका. घर में नोकरों के बच्चे भी हे जो स्टोर रूम वाली साइड में घर के बच्चो के साथ ही खेलते हे. अक्सर दोपहर में जब घर के मेम्बेर्स सोये होते हे तब स्टोर रूम वाली साइड में बच्चो के खेलने का वक्त होता हे.

कामवाली के बच्चो में एक लड़की भी थी जिसका नाम नीरजा था और वो उम्र में 19 साल की थी. वो घर के बच्चो का ध्यान रखती हे और कभी कभी उनको खेलने भी ले जाती हे.

एक दिन मैं जब वेकेशन के लिए दादा के घर आया था तो लांच के बाद बड़े लोग सब घर के मेन एरिया में बैठे हुए थे. फिर सब लोग सोने के लिए चले गए. दोपहर का वक्त था और गर्मी भी काफी थी. मुझे नींद नहीं आई तो मैं दुसरे एरिया में चला गया जहां पर बच्चे खेल रहे थे. वैसे भी मुझे दोपहर में कम ही सोने की आदत हे. मैंने उस वक्त लुंगी पहनी हुई थी. मैं गया तो मैंने नीरजा को बच्चो के साथ खेलते हुए देखा. उसने एक साडी पहनी थी जिसके अन्दर रेड ब्लाउज था. उसकी नाभि दिख रही थी. उसका फिगर भी काफी अच्छा लग रहा था. उसके बूब्स काफी बड़े हे जो ब्लाउज में से जैसे बहार आने को बेताब लग रहे थे. वो बच्चो के साथ खेलते हुए उछल कूद कर रही थी जिसकी वजह से उसके बूब्स भी ऊपर निचे हो रहे थे. मेरे लंड में तूफ़ान आ गया उसकी उभरती हुई जवानी को देख के. अभी कुछ समय पहले तक तो वो चड्डी में घुमती थी. और अब एकदम से ही बड़ी हो गई जैसे!

नीरजा के उछलते हुए बूब्स ने मेरे लंड को खड़ा कर दिया था. फिर धीरे धीरे कुछ बच्चे भी दोपहर की नींद लेने के लिए निकल पड़े. फिर एंड में नीरजा के साथ सिर्फ मेरे चाचा जी का 8-9 साल का बेटा ही रह गया. मेरा लंड ऐसे खड़ा हो चूका था की उसके अंदर से प्रीकम भी लुंगी के अन्दर निकल रहा था. मैंने धीरे से अपनी लुंगी को खोला और अपना मोटा लंड नीरजा को दिखा दिया.

नीरजा ने मेरे बड़े लंड को देखा तो उसकी आंखे ही फट गई जैसे. फिर उसने मुझे देख के स्माइल दिया. और फिर मैं समझ गया की वो भी इस लोडे से अपनी हार्ड फकिंग करवाना चाहती हे. मैंने चाचा के बेटे को 10 का नोट दिया और उसको कहा की जाओ सो जाओ बेटा आज गर्मी ज्यादा हे. उसके जाने के बाद मैं नीरजा को कहा बाजू वाले कमरे में चलोगी मेरे साथ? वो निचे देख के हंस रही थी. शर्ट की जेब से मैंने 100 का नोट निकाल के उसके ब्लाउज में खोस दिया. वो हंस के ऊपर देखने लगी. मैंने उसके बूब्स को हलके से दबाये और फिर उसका हाथ पकड के बगल के कमरे में ले गया.

वो एकदम देसी देहाती लड़की थी, लेकिन दिखने में जैसे मैंने कहा वैसे काफी सेक्सी थी. मेरा लंड लुंगी को फाड़ के बहार आने को बेताब सा था. मैंने कमरे में घुसते ही दरवाजे को बंद कर दिया और लुंगी उठा दी. नीरजा के हाथ में मैंने अपना लंड पकड़ा दिया. फिर मैंने लुंगी को निकाल दिया. मैं लुंगी के अन्दर अंडरवेर नहीं पहनता हूँ. नीरजा को लंड की बड़ी नवाई सी लग रही थी. वो उसे पकड़ के जैसे दूध निकालना हो वैसे हिला रही थी.

गाँव की लडकियां जब भी उन्हें चांस मिले तो लंड ले लेती हे. और मैं जानता था की नीरजा भी वर्जिन नहीं थी. वो एकदम कस कस के मेरे लंड को हिला रही थी. उसने लंड को जोर से दबाया हुआ था और हिला हिला के उसने लंड का पानी छुड़ा दिया. उसके दोनों हाथ मेरे वीर्य से गंदे हो चुके थे. उसने वही पर पड़े हुए एक कपडे से अपने हाथ को और मेरे लंड को साफ़ कर दिया.

फिर नीरजा ने मुझे बताया की यहाँ पर कोई भी आ सकता हे. मैंने कहा फिर कहा करेंगे? वो बोली ऊपर के कमरे की चाबी हे मेरे पास. मैंने कहा, पहले तुम जाओ दरवाजा खोल के अन्दर बैठो मैं आता हूँ 2 मिनिट में. मैं जब वहां पहुंचा तो नीरजा मेरी ही राह देख रही थी. मेरे कमरे के अन्दर जाते ही उसने मेरी शर्ट और बनियान को निकाला. और फिर लुंगी निकाल के मेरा लंड निकाल लिया. और फिर से वो मेरे लंड को पकड़ के हिलाने लगी. मैंने उसे लंड चूसने के लिए कहा तो उसे नहीं कहा. मैं समझ गया की वो विलेज की मेंटालिटी की हे इसलिए लंड नहीं चूसेगी.

फिर मैंने अपने होंठो को उसके होंठो से लगा दिया और हम दोनों के लिप्स लोक से हो गए. हम एक दुसरे को मस्त लिप किस कर रहे थे. 5 मिनिट तक हम दोनों के होंठ और जबान एक दुसरे से टच हो रही थी. और तब उसका हाथ मेरे लंड को पकड़ के हिला ही रहा था. वो मेरे लंड को बहुत पसंद कर रही थी और उसे स्लोवली स्लोवली हिला रही थी. मैंने एक हाथ से अब उसके ब्लाउज के बटन को खोला.

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करीब 10 मिनट के बाद हमारी किस छूटी. और तब तक मैंने उसकी ब्लाउज को और ब्रा को भी उतार दिया था. वो अपने हाथ से अपने बड़े बूब्स को छिपा रही थी. फिर मैंने धीरे से उसके पेटीकोट के नाड़े को भी खोल दिया. मेरा लंड उसकी सेक्सी चूत में घुसने के लिए बेबाक खड़ा हुआ था.

उसने अन्दर कोई पेंटी नहीं पहनी थी. उसकी चूत के ऊपर हलके हलके से बाल थे. और उसकी चूत की फांके एकदम गुलाबी गुलाबी थी. मैं अपनी ऊँगली को उसकी चूत के ऊपर रख दिया और फिर धीरे से एक ऊँगली अंदर कर दी. दुसरे हाथ से मैंने उसकी गांड को पकड़ा और उसे अपने और भी पास ले लिया.

मैंने ऊँगली से उसको चोदना चालू कर दिया. और वो अह्ह्ह अह्ह्ह्ह ह्ह्ह्ह की मोअनिंग करने लगी थी. 10 मिनिट तक ऊँगली से उसकी चूत को चोद चोद के मैंने उसे एकदम गिला कर दिया. उसके अन्दर से पानी भी छुट गया था. उसकी चूत के झड़ने से वो और भी होर्नी हो चुकी थी और उसकी मोअनिंग और भी बढ़ चुकी थी.

फिर मैंने नीरजा को निचे लिटा दिया बिस्तर के ऊपर और उसके ऊपर चढ़ आया. मैंने अपने लंड को उसकी देसी चूत पर लगाया और हलके से धक्का मारा. उसकी छोटी सी चूत में मेरा 7 इंच का लंड कैसे घुसेगा वो सवाल भी था ही मेरे दिमाग में. उसकी चूत एकदम गीली होने की वजह से मेरा काम आसान हो गया था. नीरजा ने अपनी पोजीशन को भी ऐसे बना लिया की चूत के अन्दर लंड के घुसने से उसे कम से कम दर्द हो.

मैं उसके ऊपर झुका हुआ था और मेरा लंड आधे से ज्यादा उसकी चूत में ही था. वो दर्द की वजह से कराह रही थी. और उसने अपने होंठो को दांतों के तले दबा लिया था. मैंने उसके बूब्स को पकड के निपल्स को खिंच के चूसा और फिर एक धक्का दिया. मेरा लंड अब ऑलमोस्ट पूरा उसकी चूत में था. नीरजा दर्द के मारे बेहाल थी और उसका पसीना भी छुट चूका था.

नीरजा अपनी गांड को हिला हिला के अब चुदवाने लगी थी. मैं उसके बूब्स को चूस के उसकी चूत को ऐसे चोद रहा था की जैसे वो दुनिया की आखरी चूत हो चोदने के लिए. मेरा गिला देसी लंड पूरा बहार निकालता था मैं और फिर वापस उसको चूत में डाल देता था. नीरजा भी पूरा सपोर्ट दे रही थी मुझे.

पांच मिनिट कस कस के चोदने के बाद में मै उसको घोड़ी बना दिया. उसकी चूत पीछे से एकदम पिचपिची लग रही थी. मैंने लंड को अन्दर डाला और फिर से उसको कस कस के ठोकने लगा. नीरजा भी अपनी गांड को मेरे लंड पर मार मार के पुरे लंड से चुदने के मजे लुट रही थी.

फिर मैंने अपने लंड को निकाला और बिना कुछ कहे ही उसे नीरजा की गांड में डाला. नीरजा के मुहं से इतनी जोर की चीख निकली लेकिन मैंने उसके मुहं को जोर से अपने हाथ से बंद कर दिया. मेरे हाथ के ऊपर उसके आंसू आ चुके थे. वो दर्द से कराह रही थी और रोने लगी थी. उसकी गांड से खून भी बहार आ गया था. मेरा आधा लंड भी अन्दर नहीं गया था.

कुछ 2 मिनिट तक वो रोती रही लेकिन मैने लंड को बहार नहीं निकाला. आधे लंड को धीरे धीरे अन्दर बहार कर के मैं उसकी गांड मारने लगा. वो दर्द से कराह तो रही थी लेकिन काफी कम हो चूका था उसका दर्द अब. फिर मैंने अपने दोनों हाथ से उसके चूतड़ को खोला और लंड को और अंदर पेनेट्रेट कर दिया. फिर से वो दर्द से कराहने लगी थी. मेरा लंड ऑलमोस्ट अन्दर जा चूका था और उसके ऊपर नीरजा का पिला गू भी लगा हुआ था. मैंने लंड के ऊपर थूंक दिया और फिर जोर जोर से उसे अन्दर बाहर करने लगा.

नीरजा थक चुकी थी लेकिन वो गांड मरवाती रही अपनी. फिर मैंने अपने लंड से ढेर सारे वीर्य की पिचकारी छोड़ी. एक एक बूंद को उसकी गांड में ही छोड़ के जैसे मैंने लंड को बाहर निकाला तो वीर्य भी पाद के साथ बहार आ गया. नीरजा दर्द और थकान की वजह से वही लुडक पड़ी. मैंने अपने शर्ट से 200 रूपये और निकाले और उसके हाथ में पकड़ा के मैं वहां से निकल पड़ा. दुसरे दिन नीरजा काम पर ही नहीं आई. तीसरे दिन वो पूरी लंगडी चल रही थी जब काम के लिए आई तब.

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शायद मैंने उसके साथ की पहली चुदाई ही इतनी हार्ड कर दी थी की फिर नीरजा मेरे से बचने लगी थी. मुझे देखते ही वो घर के मेम्बर्स वाले एरिया में भाग जाती थी इसलिए उसे चोदने का चांस नहीं मिला फिर.

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