दोस्त की बीवी और साली की चुदाई

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दोस्तों मै एक कंपनी में जॉब करता था और मुझे कंपनी ने रूम दिया था रहने के लिए पर अच्छा नही था फिर मैंने अपना रूम लेने की सोची और निकल पड़ा रूम ढूढने |

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ढूढ़ते -ढूढ़ते एक जगह देखा एक गोरी चिट्टी लड़की खडी थी, मखमल जैसीकोमल, मस्त लग रही थी, और उसे उसकी सहेली परेशान कर रही थी कुछ कह-कह कर. दोनों मुझे देखते ही भाग के अन्दर चली गयी. वो दोनों ने मुझे मेरे पडोसी जरीन और परवेज की याद दिला दी, और आज की रात, मैं उन दोनों के नाम करता हूँ. जरीन, हलके कद काठी की थी. वह हलकी सी गोरी थी. उसके काले छोटे-छोटे बाल, उभरे कुल्हे और छोटे-छोटे वक्ष थे. वह, ज्यादा सुन्दर तो नहीं थी, पर बेहद आकर्षक कपडे पहनती थी. परवेज एकदम उलटी थी. वह, बिलकुल गोरी थी, गुलाबी-गुलाबी गाल, उभरे हुए बड़े बड़े वक्ष, मस्त कुल्हे, और गांड और सबको निहथा कर देने वाली हँसी. बिलकुल हेरोइन लगती थी. वह जरीन के मामू जान की बेटी थी. दोनों में एक ही समानता थी, दोनों के बाल काले, घने और हलके से लहराते थे. अगर दोनों एक साथ आ जाए तो किसे देखा जाये यह समस्या आ जाती थी. दोनों बढ़-चढ़ कर अपनी ओर आकर्षित करती थी. परन्तु जरीन की शादी हो चुकी थी, और उसके एक साल की बच्ची थी. परवेज की ओफ्फिसिअल चुदाई अभी बाकी थी.

जरीन और परवेज, मेरे मित्र, इरफ़ान के रिश्ते में आती थी. वे उसे भाईजान बुलाती थी. मैं और इरफ़ान एक साथ रहते थे. एक साल तक तो हम दोनों शहर के दुसरे कोने में रहते थे, कभी कभार ईद या कोई और अवसर पर हम जरीन के घर आते थे. पर कुछ समय बाद, हम दोनों जरीन के मकान के ऊपर वाले हिस्से में किराये से रहने लगे. निचले हिस्से में, जरीन अपने पति और बच्ची, आशिया के साथ रहती थी. हमारे वहा आने के कुछ चार महीने बाद परवेज भी जरीन के यहाँ रहने आई. वह कंप्यूटर में मास्टर्स कर रही थी. हलाकि मेरी नज़र बराबर जरीन और परवेज पे थी, पर एक भी मौका नहीं मिल रहा था. उसके यहाँ हमेशा ही भीड़ रहती थी. या तो कोई मामू आ जाता या फिर कोई और. मेहमानों का तांता रहता. पर धीरे-धीरे यह भीड़ कम होने लगी. इरफ़ान ने बताया की जरीन के पति को बिज़नस में नुक्सान हो गया है, और वह सब कुछ बंद कर के दुबई जा रहा है. जरीन, यहीं रहने वाली थी.
सात-आठ महीने यूं ही गुज़रे. मैं, जरीन और परवेज को खिड़की से देखता रहा. हमारा कमरा छत पे था और वो दोनों छत पर बाल सुखाने रोज आती. पर कभी भी ऐसा नहीं हुआ के वे हमारे कमरे में आए. पर सभ कुछ बदल गया, जब इरफ़ान को कंपनी ने प्रोजेक्ट के लिए कनाडा भेज दिया. वह गया एक हफ्ते के लिए था, पर एक महीने तक खीच गया उसका काम वहां. उसके जाने के बाद, जरीन का एक भाई उनके साथ रहने आया. वह रात को ही आता था. दिन भर जरीन अकेली रहती. परवेज कॉलेज जाती थी, हर रोज़ सुबह से दोपहर. आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मेरा नाईट शिफ्ट रहता था. मैं रोज सुबह पांच बजे आता और शाम को ऑफिस के लिए चला जाता. एक दिन, मैं उठ के मूतने बहार निकला, बस बनियान और बर्मूडा पहना हुआ था. मैं नींद में ही था. टोइलेट बहार था, कमरे में नहीं. मैंने जैसे ही टोइलेट का दरवाज़ा बंद किया, जरीन छत पर चढ़ कर आ रही थी. मैं बाहर निकला और वह सामने ही खडी थी, अपने बालों को सहलाते हुए. उसने काले रंग की नाइटी पहेन रखी थी. सूरज की किरणों के कारण मुझे उसमे से उसके स्तनों का उभार दिख रहा था. मैं कमरे की तरफ बढ़ा, पर वह मेरी ओर एक बार भी नहीं देखि. मैं चुप चाप अपने कमरे में चला गया. उसकी पीठ कमरे की ओर थी, मैं अपनी खिड़की की ओर बढ़ा और हलके से खिड़की को खोल मैं उसमे से जरीन को निहारने लगा , हलके से अपने लौड़े को सहलाते हुए. मेरा लौडा खड़ा हो गया और बिलकुल सक्त हो गया. सूरज की किरण सीधे जरीन की नाइटी पे पड़ रही थी और उसके शरीर का हर कोना दिखा रही थी. मैं अपने लंड को सहलाते हुए उसे अपनी नजरो से नंगा करने लगा. मैंने मुठ मरना चालू किया, पर दरवाज़ा बंद करना भूल गया. वह बालों को झाड़ते हुए छत पर चलने लगी. मेरी नज़रे गीध की तरह उस पर गडी हुई थी. आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | वह जैसे ही छत की एक छोर से दूसरे छोर चलती, रौशनी की वजह से उसके शरीर का हर अंग मुझे दिखता. उसकी छाती आराम से मेरे दोनों हांथो में समा सकती थी. बिलकुल टेनिस बाल के साइज़ के थे. उसका पेट ज़रा भी बाहर नहीं निकला था. और उसके कुल्हे बिलकुल गोल-गोल सूरज की रौशनी में चमक रहे थे. एक कोने जा कर वह झुकी और अपने बालों को जोर-जोर से झाड़ने लगी. उसके बाल एक तरफ थे, और उसकी नाइटी में से उसके गोरे-गोरे छोटे-छोटे स्तन काले ब्रा में थे. कुछ बहुत साफ़ नहीं था, पर फिर भी बहुत कुछ साफ़ दिख रहा था. उसकी छाती हर चटके पर हिल रही थी. मुझे एक झलक उसके पेट की भी मिली, वह भी बिलकुल गोरा था. मेरे शरीर में कम्पन सी दौड़ गयी, और मैं उसे ताड़ते हुए जोर-जोर से मुठ मारने लगा. मेरा वीर्य जैसे ही निकलने वाला था मेरे मुह में से आह निकल पड़ी, और वह खिड़की की ओर देखने लगी. मैं पीछे हट गया और आनंद में सराबोर हो गया. पूरा वीर्य नीचे फर्श पे गिर गया.पर इतने में जरीन दरवाज़े पर आ गयी और हलके से खट-खटाई, और बोली – “प्रदीपजी?” – “प्रदीपजी?”. मैंने आपा-धापी में फर्श पर पड़े वीर्य के ऊपर अपना टॉवेल डाल दिया और लोड़े को बर्मूडा के अन्दर करते हुए दरवाजे की ओर भागा. पर साला लोवडा पूरी तरह से सुस्त नहीं हुआ था, और अब भी उसमे से वीर्य आ रहा था. मैं जैसे ही बाहर पंहुचा जरीन दरवाज़े पर ही कड़ी थी. वह बोली, मुझे कुछ आवाज़ आ रही थी. मैं बोला – हाँ, दाड़ी बनाने के लिए ब्लेड ढून्ढ रहा था, तो हाथ में लग गया. वह बोली, “संभल के रखा कीजिये”, और यह कहते हुए वह कमरे में आ गयी. उसकी नज़र कमरे में यहाँ-वहां जाने लगी. और वह बोली, आपका तोल्या ज़मीन पे पड़ा है. पर मैं हिला नहीं, और वह बढ़ कर उसे उठा कर कुर्सी पर रख दिया. मुझे यकीन है, उसे मेरे वीर्य की खुशबू आई होगी, और शायद मेरा वीर्य उसके हांथों पे भी लगा होगा, क्योंकी वह अपने हाथो से उसे फिर से उठा के मोड़ने लगी और चार बार मोड़ के उसे उसने कुर्सी पे रख दिया. फिर अपने दोनों हांथो को रगड़ने लगी. आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

जैसे ही मैंने देखा की मेरा वीर्य उसके हाथो पर हैं मेरे लंड फिर से खड़ा हो गया. शायद जरीन भांप गयी, और वह धीरे -धीरे कमरे में घूमते हुए कमरे से बाहर चली गयी. मैं उसे मद भरी निगाहों से देखता रहा और फिर दरवाज़ा बंद करके, एक और बार उसके नाम पे मुठ मारी और फिर से आनंद में सराबोर हो कर सो गया.

अगले दिन तकरीबन ग्यारह बजे, जरीन फिर से छत पर आयी. आज उसके साथ परवेज भी थी. दोनों वही बातें करते हुए खड़े थे. मैं भी खिड़की के पट को ज़रा सा खोल कर उन्हें ताड़ रहा था. जरीन की नज़र बार-बार खिड़की की ओर आ रही थी. वह रुक-रुक कर खिड़की की ओर देख रही थी. मैं आज अर्ध नग्न हो कर अपने लोडे पर बादाम का तेल मलते हुए उन्हें ताड़ रहा था. वो दोनों वही छत पर थोड़े और देर रह कर फिर नीचे उतर गए. इस से मुझे पूरी तरह से मुठ मारने का मौका नहीं मिला. मैं बिस्तर पर लेट कर अपने लोडे को हिला रहा था, तभी किसी ने खिड़की के पट को खटखटा कर एक लिफाफा डाल दिया. जब तक मैं देखता तब तक जो भी था वह चला गया. मैं यही सोचता रहा की शायद जरीन होगी, या फिर परवेज. मैं असामंजस्य में था की कही उसने मुझे इस हालत में देखा तो नहीं. पर देमाग में यह भी आ रहा था की काश वह मेरा सामान देख ले, और येही सोच कर मैंने उन दोनों के बारे में सोचते हुए मुट्ट मारी.

 

मेरा बिस्तर कुछ इस तरह से पड़ा था की मेरा सिरहाना खिड़की की ओर था, और उस तरह ले लेटे रहने से छत पर कुछ दूरी से कोई भी बिस्तर का निचला हिस्सा देख सकता था. मैं यह सोच कर के देखू कहाँ तक दिखा होगा, मैं बहार निकला पर तभी मैंने देखा की जरीन छत पर ही है. मैं फिर से अन्दर आ गया और किवाड़ बंद कर दी. मैं खिड़की पर आ कर धीरे से खिड़की को भी बंद कर दिया. मैं फटी मैं आ गया, और सोचा कही जरीन वहां मुझ से कुछ बोलने के लिए तो नहीं खड़ी थी. यही सोच कर मैं जल्दी से तैयार हो कर बैठ गया. मेरा कैब आने में अभी देर थी, पर मैं हलके से खिड़की को खोल कर देखा तो जरीन जा चुकी थी. मैं जल्दी दबे पांव सीढ़ी से उतर कर ऑफिस के लिए निकल पड़ा.

अगले दिन सुबह से ही मैंने दरवाज़ा और खिड़की नहीं खोला. चिटकिनी लगा के बंद कर रखा था. मैं अपना लैपटॉप ले कर मेज़ पर काम कर रहा था. मुझे जरीन के बाल झड़ने की आवाज़ आ रही थी, पर मैंने खिड़की नहीं खोली. थोड़े देर बाद मुझे दरवाज़े पर हल्के से खट-खटने की आवाज़ आई. मैं डर गया, सोचा कंही जरीन कल की बात तो नहीं करेगी और कुछ उल्टा सीधा तो नहीं बोलेगी. मेरी फट गयी. पर हिम्मत कर के मैंने दरवाज़ा खोला तो जरीन मुस्कुराते हुए बोली – “मैंने सोचा आप सो रहे होगे.” मैं बोला – “नहीं बस ऑफिस का काम कर रहा था.” वह बोली आज आशिया का जन्मदिन है, आपके लिए खीर लायी हूँ. यह कह कर वह अन्दर आ गयी. और पलट कर खीर मेरे हांथो में दे दिया.

उसने एक सफ़ेद रंग की सलवार-कमीज़ और जिस्म के रंग की ब्रा पहन राखी थी. मुझे चुल्ल मचने लगी. मेरी आँखें उसे नंगा करने लगी. मैं वही खड़ा रहा और जरीन मुड कर मेज़ की ओर बढ़ गयी. मैं वही से उसकी पीठ और गांड को निहारने लगा और सोचने लगा की कितना मज़ा आयेगा इसकी गांड पर हाथ फेरने में, और पीठ को चूमने और चाटने में. पर मैं कण्ट्रोल में रहा. मेरे हाथ मचल रहे थे उसके जिस्म के हर अंग को छूने के लिए, उन्हें महसूस करने के लिए. वह मेरे लैपटॉप पर कुछ देख रही थी, और फिर बोली “आपके पास इन्टरनेट है क्या?” मैं बोला “जी हाँ”. वह बोली “मुझे आशिया की फोटो अपने ऑरकुट के अकाउंट पे डालनी है, पर वह परवेज के मोबाइल फ़ोन में है, क्या आप उसे ऑरकुट में डाल सकेंगे?” मैं बोला “अगर परवेज का नोकिया फ़ोन है तो मैं अभी कर देता हूँ”. वह बोली “मैं अभी लाती हूँ, परवेज और आशिया अम्मी के घर गए है, पर देखती हूँ की उसका मोबाइल अगर वहा हो तो”. यह कह कर वह कमरे से चली गयी, और मैं भगवान् से प्रार्थना करने लगा की मोबाइल वहि हो. आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | वह जल्द ही वापस आ गयी, और उसके हाथ में परवेज का मोबाइल था. मैंने बढ़ कर फ़ोन जरीन के हाथ से लिया, और अपने लैपटॉप का काबले कंनेक्ट कर के इन्टरनेट कंनेक्ट करने लगा. जरीन यह कह कर की मैं अभी आती हूँ, चली गयी. मेरा दिल बैठ गया. साली चली गयी? अब मौका नहीं आयेगा? पर फ़ोन नोकिया था, सो मैंने प्रोग्राम को चला के सारे-का-सारा डाटा अपने लैपटॉप पर डाउनलोड कर लिया.

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मैंने एक भी चीज़ नहीं छोड़ी. उसकी मोबाइल में जितनी भी फोटो, गाने, और अन्य चीज़े थी सब कुछ अपने लैपटॉप पर डाउनलोड कर लिया. फिर मैंने आशिया का सारा फोटो अलग एक फोल्डर मैं कॉपी कर दिया. आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | जरीन कुछ देर बाद आ गयी, और बोली, “हम यह कर सकते है न, कही आप को ऑफिस के लिए जल्दी तो नहीं है?” मैं बोला “नहीं अभी बहुत समय है, हम यह चुटकी में कर लेंगे.” मैं उसको अपना लैपटॉप देते हुआ उसे ऑरकुट पे लोगिन होने के लिए बोला, और कुर्सी से हट गया. उसने अपने अकाउंट पे लोगिन किया और फोटो छांटने लगी. उसने कुछ फोटो अपने अकाउंट पे अपलोड कर दिया और मैं तब तक वही उसके बाजु से खड़ा रहा. मेरी आँखें बार-बार उसके वक्षो की ओर जाते और मैं ऊपर से झाकता रहा उनके दर्शन के लिए. दो-तीन बार मुझे वह दिखे भी और मुझे उनका रंग अपनी ओर आकर्षित करने लगा. अचानक जरीन ऊपर की ओर देखि और बोली “अब क्या करे?” तब मैंने स्क्रीन की ओर देखा तो एक फोटो थोडा बड़ा था और उस से वह अपलोड नहीं हो रहा था. मैं अपने घुटनों के बल जरीन के बाजु बैठ गया. वह बोली ” आप कुर्सी पे आ जाइये”, पर मैं बोला “नहीं अभी ठीक हो जायेगा.” मैं जरीन के इतने करीब था की मेरा कन्धा, उस के कन्धा से रगड़ रहा था. उसके बदन की गर्मी मुझे महसूस हो रही थी. मुझे उसके पावडर की खुशबु भी आ रही थी जो की मुझे मदहोश कर रहे थे, पर मैं फिर भी कण्ट्रोल में रहा. मैंने उस फोटो को कांट-छांट कर अपलोड कर दिया. जरीन बेहद खुश हो गयी. मैंने उसकी ओर देखा, वह मेरे बहुत ही नज़दीक थी. मुझे उसके होंट, उसके गले पर तिल का निशान और उसके जिस्म पर हलके-हलके बाल, सभ कुछ बहुत अच्छे से दिख रहा था, और मुझे न जाने क्या हुआ, मैंने उसके होंटो को चूम लिया, और उसके गले के तिल को चुमते हुए उसे मैंने दोनों हांथो में जकड लिया. वह एकदम झेप गयी, बोली “प्रदीपजी, यह आप क्या कर रहे है? छोडिये मुझे.”

मैं बोला “आप बहुत सुंदर है. बहुत ही मोहक है. मैंने आज तक आप जैसी सुन्दर लड़की को नहीं छुआ है.” यह कह कर मैं कुर्सी के पीछे उसके कमीज़ के बाजुओं से अपना हाथ अन्दर डालने लगा और उसकी पीठ को चूमने लगा. एक हाथ मैंने उसके होंटो पर रख दिया और मुझे उसकी जरम सासें महसूस होने लगी. मैंने पीठ को चुमते हुए, अपनी ऊँगली उसके मुह में घुसा दी और उसके गर्म मुह और नर्म जीभ को महसूस किया. मैंने अपने होंटो से उसकी सलवार कमीज़ की जिप चैन पीछे से उतरना चालू किया, लेकिन अपनी ऊँगली उसके मुह में ही रखा हुआ था. जैसे ही मैंने उसकी कमीज़ की चैन पूरे कुल्हे तक खोल डाला, मैंने अपने जीभ से उसकी रीढ़ की हड्डी को नीचे बिलकुल गांड के पास से ऊपर की ओर चाटना चालू किया और पूरे गले के पीछे तक चाटता चला गया. जैसे ही मैं उसके कानो को काटने लगा, वह मेरे ऊँगली को जोर से काटने लगी. उसकी साससें और तेज़ हो गयी और वह गहरी साँसे लेने लगी. अगले ही पल, उसने मुझे अपने ओर खीचते हुए मेरे होंटो को चूमने लगी, और अपना जीभ मेरे मुह में डाल दिया. मैं उसके गरम जीभ को चूसने लगा, और अपना थूक उसके मुह में डाल दिया, और अपने हांथो से मैंने उसके कमीज़ को कंधे के दोनों ओर से नीचे के लिए सरका दिया. कमीज़ उसकी कोहनी तक आ गयी थी. उसकी छाती का पूरा नाप अब दिख रहा था. वह बिलकुल टेनिस बल की तरह थे, बिलकुल गोल-गोल. उसका बंदन के रंग का ब्रा बहुत ही टाईट था, और उसके उभारों को और भी आकर दे रहा था.मैं अपने हांथो को उसके नंगे बाज़ुओ पर फेरने लगा, और धीरे-धीरे मैंने अपनी हथेली उसके कंधे पर रगड़ना चालू किया. फिर मैंने उसके कंधे पर से उसके ब्रा को सरकाने लगा, वह सरक कर उसके बाज़ुओ पर आ गया, और मैंने अपने हथेली को उसकी छाती पर रख दिया, और उन्हें दबाने लगा. फिर धीरे से मैंने उसके वक्षो को ब्रा में से निकाल लिया, और उसके नंगे स्तन पर अपना हाथ फेरने लगा. उनमें बड़ा लोच था, और वह बहुत ही भारी थे. मैं उन्हें और दबाने लगा, और अपने अनघूटे और दूसरी ऊँगली से उसके निप्पल दबाने लगा. जरीन ने मेरे होंटो को काट दिया और कर्हाने लगी. मैं पीछे हो के उसके स्तनों को निहारने लगा, उसने अपने हाथ छाती की ओर किया पर मैंने उन्हें नीचे कर दिया. उसके स्तन बिलकुल सफ़ेद थे, छोटे-छोटे बाल थे उन पर, और उसका निप्पल भी छोटा सा काले रंग का था. दाहिने स्तन पर निप्पल के पास दो तिल के निशान थे. वह बहुत ही मस्त लग रही थी. मैं ज़रा सा नीचे हो कर उसके गले से चुमते हुए नीचे उसकी छाती के बीच में चूमने लगा. अब मेरे दोनों हाथ उसकी पीठ और कंधे पर थे. उसके वक्ष मेरे मुह से टकरा रहे थे, पर मैंने उन्हें छुआ नहीं और सीधे उसकी नाभि तक चूमता चला गया. और फिर उसे भी चाटने लगा. वह अपने हांथो से मेरे बालों को जकड के मुझे ऊपर की ओर ले आई और मेरा मुह अपनी छाती पर रगड़ने लगी. उसका कोमल गरम स्तन मेरे मुह से टकरा रहा था. आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मैंने धीरे-धीरे उसके स्तन के नीचे चूमना चालू किया, और उसके शरीर पे पड़ा पावडर मेरे मुह में चला गया. मैंने उसके पूरे स्तन को चुमते और चाटते हुए उसके निप्पल को अपनी नाक से रगडा और धीरे-धीरे मैंने उसका निप्पल अपने मुह में ले लिया. मैंने अपनी ऊँगली फिर से उसके मुह में दे दी और वह उसे चूसने लगी और अपने जीभ से खेलने लगी. मैं उसके स्तनों को चूसने लगा, और उनमे से दूध आने लगा. मैंने संकोच किया, क्योकि यह दूध उसकी बेटी की लिए था, पर मैंने सब कुछ भूल कर उसके स्तनों को और चूसा और उसके निप्पल को अपने मुह में रख कर जीभ से खेलने लगा. मैंने उसे हलके से काटा, तो उसके मुह से “अम्मी” निकल पड़ी. मैंने उसके पूरे वक्ष को अपने मुह में ले लिया और उन्हें मेरे मुह में रख कर मैं खेलने लगा. उसका स्तन मेरे मुह में पूरी तरह से आ गया. फिर मैंने उन्हें छोड़ दिया और फिर से मुह में ले लिया. काफी देर एक से खेलने के बाद वह मेरा मुह दुसरे स्तन पर ले गयी. मैंने वही सब कुछ इस पर भी किया और बिलकुल पागल हो गया. मैं उसके स्तनों दो काटने लगा, चाटने लगा और पागलो के तरह चूमने लगा. आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मैंने धीरे से उसके पैजामे का नाडा खोल दिया और उन्हें सरकाते हुए उसकी नंगी झंगो पर अपना हाथ फेरने लगा, फिर मैंने धीरे से उसकी काली चड्डी उतार दी और उसकी बुर के बालो पे हाथ फेरने लगा. मैंने अपनी एक ऊँगली उसके चूत मैं घुसाई, और धीरे-धीरे अन्दर बाहर करने लगा. वह कर्हाने लगी और बोली “प्रदीपजी, मुझे कुछ हो रहा है, प्लीस मेरे अन्दर आ जाओ”. मैंने अपने पैजामे को उतार फेका और अपने खड़े लंड को उसके चूत पे रगड़ने लगा. फिर धीरे से मैंने उसके चूत के अन्दर उसे घुसा दिया. वह बिलकुल गीला हो गया था और मेरा लंड बहुत ही आसानी से उसमे समां गया. मैं धीरे-धीरे अपने लंड को उसके चूत में हिलाने लगा. और वह करहा उठी और बोली – “अल्लाह , या अल्लाह, आह… आ … आ … ऊं ऊं ऊं ऊं … आह.” यह सुनते ही मैंने उसे बड़ी तेज़ी से चोदना चालू किया और वह “आह … आह … आह” करने लगी. मैं उसके ऊपर लेट कर उसके स्तनों को अब भी चूस और चाट रहा था. वह अपने दोनों हंतो से अपने स्तनों को दबा रही थी और अपनी जीभ से मेरे कान चाट रही थी. जैसे ही मेरा वीर्य निकलने वाला था, मैंने अपना मुह ऊपर किया और उसके होंटो को चूमने और काटने लगा. और फिर मैंने करहाते हुए अपना सारा वीर्य जरीन के चूत में गिरा दिया. फिर भी हम दोनों चिपके हुए थे और कुछ षण तक यु हे पड़े रहे. फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत से निकाला और उसे चूमने लगा. उसने भी मुझे चूमा और फिर उठ कर बैठ गयी.उसे बैठा देख मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और मैंने उसके गांड को उससे छूना चालू किया. फिर से उसके गांड से रीड की हड्डी को चुमते हुए मैं गर्दन तक पंहुचा और अपने पैरो को उसके दोनों ओर डाल दिया, और उन से उसके पैरो को रगड़ने लगा. मैं अब भी अपना लंड उसके गांड पर टिकाये हुए था और उसे उसकी पीठ पर रगड़ रहा था. मैंने उसे धीरे से उठाते हुए कुत्ते की तरह खड़ा कर दिया और अपना लंड उस के गांड पे फेरने लगा. जैसे ही मैं उसकी गांड मारने वाला था, वह बोली “प्लीस वहां नहीं … प्लीस”. तब मैंने उसके गांड को छूते हुए मुठ मारना लगा. मैंने उसे कुछ इस तरह से लिटा दिया की उसका मुह मेरे लंड पर था और मैं फिर से उसके गांड और पीठ पर हाथ फेरने लगा. मैंने उससे कहा, “जरीन, प्लीस मुझे अपने अन्दर ले लो” और वह धीरे-धीरे मेरे टटों को चाटने लगी और फिर मेरे लंड के नीचे से अपना जीभ से चाटते हुए मेरे लुंड की गुलाबी हिस्से पर ले गयी. मुझे अच्छा लग रहा था. उसने अपना मुह खोला और मेरा लंड अपने मुह में ले लिया, और अपने जीब हे हलके-हलके झटके से लंड से खेलने लगी. उसका एक हाथ मुझे मुठ मार रहा था और मुझे इतना माजा आ रहा था की क्या बताऊ. बस थोड़ी देर बाद में आ गया और मैंने अपना वीर्य उसके मुह में गिरा दिया. उसने मेरे लंड और टटों को दबाते हुए पूरा वीर्य अपने मुह में ले लिया. यह बहुत आनंद दायक था. फिर हम दोनों ने एक दुसरे को चूमा और कपडे पहेनने लगे. आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | फिर वह परवेज का मोबाइल उठा के कमरे से बहार जाने लगी. मैंने उसे रोका और फिर से अपने आगोश में करते हुए उसे “थानक यू” कहा और वह मुस्कुराते हुए चली गयी. हम दोनों कई बार इसके बाद भी एक दुसरे को चोदते रहे. कई बार टों वह चाट पर आती और मैं उसे कमरे में बुला कर उसकी छाती दबाता, कई बार मैं उन्हें बहार निकल कर चूमता और चूसता और फिर वह चली जाती. कई बार वह मेरा लंड अपने मुह में लेती और मुझे मुठ मार के देती. और कई बार हम दोनों ने खुल कर चुदाई की. और कभी ऐसा भी हुआ की वह ऊपर आती और बोलती “मुझे बाहों में ले लो, प्लीस.” और हम दोनों एक दुसरे के आगोश में खड़े रहते.

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जरीन के जाने के बाद, मैं फिर अपने लैपटॉप की ओर गया और परवेज के फ़ोन से डाउनलोड किया डाटा देखने लगा. उसमे एक फाइल पेरसोनल के नाम से थी. मैं उस को खोलने लगा |