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भाई के दोस्त ने मेरी सील तोड़ दी
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हैलो फ्रेण्डस.. मैं ज्योति.. नई दिल्ली में रहती हूँ, मेरी उम्र 23 साल है.. मेरे चूचे छोटी उम्र में ही बड़े हो गए थे.. शायद ये अपने आप हुए थे.. और मेरी गाण्ड गोल-गोल ऊपर को उठी हुई है। बस इतना कह सकती हूँ कि मुझे कोई देख ले तो.. उसका लंड एक बार ज़रूर सलामी देगा।

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अब आप सब के लंड से पानी निकालने के लिए सीधे कहानी पर आती हूँ।

मेरे घर में मेरे मम्मी पापा.. भाई और मैं रहते हैं। हुआ यह कि मम्मी की गाण्ड में बवासीर हो गई थी.. तो पापा मम्मी को दवा दिलाने के लिए हरियाणा के किसी हॉस्पिटल में गए थे.. और उन्हें अगले दिन आना था।
सुबह-सुबह मम्मी-पापा कार से निकल गए.. मैं और मेरा भाई घर में अकेले थे, हम सो रहे थे.. देर से उठने का प्लान था।

फिर सुबह 7 बजे के आस-पास हमारे घर की घन्टी बजी जिससे मेरी और मेरे भाई दोनों की आँख खुल गई.. लेकिन हम दोनों ने जान बूझकर आँखें नहीं खोलीं.. क्योंकि दरवाजे पर कौन है.. यह देखना पड़ेगा।

फिर भाई के फोन पर रिंग बजी और भाई ने उठ कर दरवाजा खोला।
मैं हल्की नींद में सोती रही.. सॉरी मैं बताना भूल गई कि मैं घर में सलवार कमीज़ में ही रहती हूँ और उन्हीं कपड़ों में ही सोती हूँ।

तो भाई ने दरवाजा खोला और देखा कि उसी का एक फ्रेण्ड था.. जो भाई को कहीं जाने के लिए बुलाने आया था।

भाई ने उससे कहा- मुझे थोड़ा समय लगेगा.. तब तक तू अन्दर बैठ जा।
भाई का फ्रेण्ड अन्दर आ गया.. उसका नाम दीपक था।
भाई ने उससे चाय-कॉफी आदि के लिए पूछा.. तो उसने मना कर दिया।

भाई ने उसे सोफे पर बैठा दिया.. जिसके साथ में ही बेड लगा हुआ था। उसी बेड पर मैं उल्टी लेटी हुई थी। भाई का फ्रेण्ड सोफे पर बैठ गया।
भाई ने उससे कहा- मैं फ्रेश होकर आता हूँ.. तब तक यहीं बैठ..

भाई फ्रेश होने चला गया.. उसका फ्रेण्ड दीपक मेरे बगल वाले सोफे पर बैठा था। मेरे बेड के सामने टीवी लगा हुआ है.. उस टाइम टीवी बंद था.. टीवी की स्क्रीन में सोफा साफ़ दिखाई देता है। मैंने स्क्रीन से देखा कि दीपक मेरी गाण्ड को घूर रहा है और अपने लंड पर हाथ फिरा रहा है। मैंने भी मज़े लेने की सोची और मैंने अपनी टांग थोड़ी और चौड़ी कर लीं..

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इस बार मैंने स्क्रीन से देखा कि दीपक ने हाथ को अपने निक्कर के अन्दर डाल रखा था।
मुझे अन्दर से पता नहीं क्या हुआ कि मैं अपना हाथ अपनी गाण्ड के ऊपर रख कर खुजलाने लगी।
दीपक को लगा कि मैं नींद में सो रही हूँ।

फिर मैंने अपना हाथ हटा लिया। दीपक थोड़ा आगे हुआ और बेड के बिल्कुल पास.. जहाँ मेरी गाण्ड थी.. वहाँ बैठ गया।

मैंने फिर से अपना हाथ अपनी गाण्ड पर ले जाकर खुजलाने लगी। इस बार जब मैंने हाथ हटाया तो दीपक ने मेरी गाण्ड की दरार में उंगली डाल दी और खुजलाने लगा। करीब दस सेकंड तक मेरी दरार में खुजलाने के बाद उसने अपना हाथ हटा लिया।

फिर दीपक खड़ा हुआ और मेरे चेहरे की तरफ़ आकर मुझे देखने लगा।
मैंने अब भी आँखें नहीं खोलीं.. और मेरे मन में भी मज़े लेने की इच्छा हुई, मैंने सोते हुए ही अपना अंगूठा अपने मुँह में डाल लिया और उसे चूसने लगी।

दीपक को लगा कि मैं नींद में चूस रही हूँ और मुझे नींद में कुछ चूसने का मन होता है।
दीपक ने फटाक से अपना लंड निकाला और मेरे अँगूठे को निकाल कर अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया।

मैं भी सोने की एक्टिंग करते-करते उसका लौड़ा चूसने लगी। तभी लेट्रीन का दरवाजा खुलने की आवज़ हुई और दीपक ने अपना लंड मेरे मुँह से खींचा और सोफे पर बैठ कर फोन में लग गया।

भाई आया.. उसने कहा- यार मुझे नहाना है.. तब तक तू थोड़ा और वेट कर ले।
दीपक तो यही चाहता था।

दीपक ने भाई से कहा- कोई बात नहीं.. तू आराम से तैयार हो ज़ा.. मैं यहीं बैठा हूँ।
फिर भाई नहाने चला गया।

जैसे ही बाथरूम का दरवाजा बंद हुआ वैसे ही दीपक खड़ा होकर फिर से मेरे मुँह की तरफ़ आया और अपना लंड निकाल कर मेरे मुँह में ठूंसने लगा।
मैंने भी सोने की एक्टिंग करते हुए अपना मुँह हल्का सा खोल लिया और उसका लंड मेरे मुँह में घुस गया।

दीपक ने अपना पूरा लंड मेरे मुँह में गले तक घुसा दिया और फिर अपना लंड 4-5 सेकंड तक अन्दर ही घुसेड़े रखा।

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फिर उसने लवड़े को बाहर खींचा.. लंड मेरे गले में फंसने से मेरी सांस दब गई थी।
मैं थोड़ी कसमसाई और सीधी हो गई.. पर आँखें मैंने तब भी नहीं खोली थीं।

अब मेरी स्थिति कुछ ऐसी थी कि मेरा मुँह बेड के कोने से नीचे लटक रहा था और मैं बिल्कुल सीधी सो रही थी। मेरी आँखें बंद थीं..

दीपक ने फिर से अपना लंड मेरे मुँह में पेल दिया और ऐसे चोदने लगा.. जैसे कुत्ता कुतिया की चूत मार रहा हो.. ठीक वैसे ही दीपक मेरे मुँह में लंड दे रहा था।

फिर मैंने हल्की सी आँखें खोल कर देखा.. तो दीपक का लंड पूरा मेरे मुँह में था और उसके गोल-गोल टट्टे मेरी नाक पर टिके थे।

दीपक का हाथ अपनी जेब से कुछ निकालने के लिए जेब में था। मैं सोचने लगी कि अब ये क्या करेगा।

तब पता चला दीपक ने अपना फोन जेब से निकाला और मेरे मुख चोदन का वीडियो शूट करने लगा। उस टाइम मुझे कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था।

मेरा पूरा ध्यान उसका मोटा लंड चूसने में था। ये लंड चुसाई 2 मिनट तक चली। फिर दीपक ने अपना दूसरा हाथ मेरे चूचों पर लगाया और उन्हें दबाने लगा। वो एक हाथ से वीडियो बना रहा था और दूसरे हाथ से मेरे चूचे मसल रहा था।

अब तक दीपक समझ चुका था कि मैं जाग कर लौड़ा चूसने का मजा ले रही हूँ।
फिर वो अपना लंड बाहर निकाल कर मेरे पैरों की तरफ़ आया और जल्दी से मेरी सलवार का नाड़ा खोल कर मेरी सलवार उतार कर पैरों से निकाल दी।
उसने मेरी पैन्टी भी अगले ही पल उतार कर अपनी जेब में डाल ली।

दीपक ने समय खराब ना करते हुए मेरे टाँगों के बीच बैठ कर अपना लंड मेरी चूत के मुँह पर रख दिया। दोस्तों मैं पहले कभी भी नहीं चुदी थी.. मेरी चूत सील पैक थी.. पर मुझे तो बस उस टाइम अजीब सा फील हो रहा था ये लग रहा था कि इसका ये मोटा लंड मेरी चूत में जल्दी से घुस जाए।

फिर दीपक ने लंड पर हल्का सा ज़ोर लगाया और चूत में चिकनाहट की वजह से उसका टोपा अन्दर घुस गया।
मेरे मुँह से दर्द भरी ‘आईई… ईई..’ की चीख निकल गई।

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दीपक ने कहा- चुप हो जा रंडी.. तेरा भाई सुन लेगा।
मैंने कहा- भैया.. प्लीज मुझे छोड़ दो.. बहुत दर्द हो रहा है प्लीज..
दीपक ने कहा- साली रंडी चोद ही तो रहा हूँ।
मैंने कहा- भाई बाहर निकालो नहीं तो अभी भैया को बता दूँगी।

तो दीपक ने कहा- जल्दी बता.. देख तेरी वीडियो बन रही है.. वो भी दिखा दूँगा.. कि कैसे तू मेरा लंड पी रही थी मेरा..
मैं चुप हो गई और मेरी आँखों में आँसू आ गए।

दीपक ने मेरे मुँह पर हाथ रखा और तेज झटके के साथ आधा लंड मेरी चूत में उतार दिया।

मैं तिलमिला गई.. पर दीपक पर कोई असर नहीं पड़ा.. उसने एक झटका और दिया और उसका पूरा लंड मेरी चूत में घुसता चला गया। अब वो झटके देने लगा और पूरे जोश में मुझे चोदने लगा।

मैं ‘अहह… उउउह..’ करती हुई रोती रही।
दीपक ने मुझे 5 मिनट तक चोदने के बाद अपना लंड बाहर निकाल लिया और मेरे मुँह में दे दिया।
मैं लंड चूसने लगी और 2 मिनट बाद लंड का सारा पानी मेरे मुँह में घुस गया।

तब दीपक ने लंड मेरे मुँह से निकाला और मुझे सलवार दी। मैंने पैन्टी माँगी तो उसने देने के लिए मना कर दिया।
मैंने बहस ना करते हुए जल्दी से अपनी सलावार पहनी और देखा कि मेरी टाँगों में सब जगह खून ही खून लगा है.. मैं सलवार पहन कर वहीं लेट गई।

भाई भी नहा चुके थे, भाई बाहर आए तो मैं सोई हुई थी और दीपक भी सोफे पर बैठा था। फिर भाई रेडी हो चुका था.. वे दोनों चले गए।

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दीपक ने जाते-जाते मुझे स्माइल दी और मैंने ख़ड़ी होकर गेट बंद किया। फिर नंगी हुई और सारा खून साफ़ किया।

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