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जब में दिल्ली में पढ़ता था और दोस्तों से ढेर सारे किस्से सुनता था। कुछ
दोस्तों की गर्ल-फ्रेंड थी और वो उनके मुम्मे दबाते थे या उनकी किस लिया
करते थे। मुझे भी यह सब सुन कर बहुत ज़रुरत महसूस होती थी कि मैं भी किसी
लड़की के साथ वो सब करूं। मैं मुठ तो मारता ही था तो शरीर की ज़रूरत तो
पूरी हो जाती थी पर हमेशा एक जिज्ञासा बनी रही कि किसी लड़की के साथ वो सब
करके कैसा लगेगा।
यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप www.HindiSexStoriesPictures.Com पर पढ़ रहे हैं!
मेरे एक चाचा हैं जिनकी लड़की सीमा मेरी हम उम्र है और लड़का सोनू मुझ से ४
साल छोटा है। वो लोग जींद में रहते थे और अक्सर छुट्टियों में हम उनके घर
जाते थे या फिर वो सब लोग हमारे घर आ जाते थे। गर्मियों की छुट्टियों में
भी ऐसा ही होता था। चाचा ज्यादातर २-३ दिन रूककर वापिस चले जाते थे और
चाची, सोनू और सीमा हमारे साथ ३-४ हफ्ते बिताते थे। ऐसा काफी सालों से चल
रहा था और हम सब आपस में बहुत घुल मिल गए थे।
यह बात २००६ की जून की हे। चाची विथ फॅमिली हमारे घर आई हुई थी। मैं सीमा
से पूरे २ साल के बाद मिल रहा था। मैंने नोटिस किया की वोह अब बड़ी हो गयी
थी और उसके मम्मे भी बड़े साइज़ के हो गए थे। लेकिन मेरे मन में कोई बुरा
विचार नहीं था। फिर भी मैं थोडा हैरान था कि २ साल में उसके मम्मे कहाँ से आ
गए।
पहले २-३ दिन तो हम सब खेलते रहे- मोनोपोली, ताश, लूडो, लुका-छिपी वगैरह।
हमारे घर के सामने कुछ नए गवर्नमेंट मकान बन रहे थे। लुका छिपी खेलते हुए
हम लोग अक्सर उन्हीं मकानों में छुप जाते थे। वहाँ कुछ घर पूरे बन गए थे और
कुछ आधे ! किसी भी कमरे में दरवाज़े नहीं लगे थे तो खेलना आसान था। तो हम
लोग कभी किसी स्टोर-रूम में, तो कभी किसी टंकी के पीछे, तो कभी दीवारें टाप
कर खुद तो आउट होने से बचाते थे।
ऐसे ही एक दिन शाम को हम सब कालोनी के बच्चे लुका-छिपी खेल रहे थे। सीमा और
मैं योजना बना कर के खेलते थे ताकि हम पकड़े न जाएँ। वो और मैं एक छोटे
स्टोर रूम में छुप गए। वो स्टोर रूम एल आकार का था और हम उसके छोटे वाले
कोने में थे। अचानक मैंने देखा कि जिस लड़के की बारी थी वो हमारी ही तरफ आ
रहा था। मैं छुपने के लिए और साइड पे हो गया। मैंने इशारे से सीमा को बता
दिया कि वो इसी तरफ आ रहा था। वो भी सांस खींच कर अन्दर को हो गई। मैं भी
और पीछे होने लगा और अब मेरी कोहनी और हाथ उसकी साइड बॉडी से छू रहा था।
मेरी बाजू को कुछ नर्म नर्म सा लगा और मुझे जानते हुए समय नहीं लगा कि उसके
मम्मे मेरे हाथ से दब रहे हैं। उसने कुछ नहीं कहा और मैं भी ऐसे ही खड़ा
रहा। वो लड़का कोई दो मिनट आस पास घूम कर चला गया पर उसे हम नहीं दिखे।
वो तो चला गया लेकिन मैंने अपनी जगह नहीं बदली। मैं उसके साथ ही चिपका रहा।
मेरा दिमाग सुन्न हो गया था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ।
कुछ ५ मिनट के बाद मैंने कहा- लगता है कि अब वोह लड़का चला गया है। यह कह
कर मैं बाहर आ गया। मैं सीमा से नज़र नहीं मिला रहा था क्योंकि मुझे लगा कि
कहीं वो मेरी हालत समझ न जाए।
रात को मुझे नींद नहीं आई। बार बार वही नर्म-नर्म स्पर्श का ख्याल आ रहा
था। बिलकुल अजीब सा अहसास था। २-३ दिन ऐसे ही निकल गए और कुछ ख़ास नहीं
हुआ। फिर एक रोज़ सीमा नहा रही थी और मेरी मेरी मम्मी और चाची बोली- हम
ज़रा मार्केट जा रहे हैं।
सोनू जिद करने लगा कि मैं भी साथ जाऊँगा तो चाची ने उसे भी ले लिया। वो तीन
घंटे से पहले नहीं आने वाले थे। अब मैं घर पे अकेला ही था और सीमा बाथरूम
में नहा रही थी। उसे नहाने में पूरा एक घंटा लगता है। मैं बोर हो रहा था तो
मैंने सीमा को बोला- मैं ज़रा अपने दोस्त के घर जा रहा हूँ और एक घंटे तक
आऊँगा। बाहर से ताला लगा दूंगा। सीमा बाथरूम से ही चिल्ला कर बोली- ठीक है।
मैं अपने पड़ोस के दोस्त के घर गया पर उनके यहाँ ताला लगा हुआ था। मैं
वापिस आ गया और कमरे में आकर लेट गया। सीमा दूसरे कमरे के बाथरूम में नहा
रही थी और उस कमरे का दरवाजा खुला था। मेरे कमरे से ऐसा एंगल था कि मैं
बाथरूम से निकलते हुए सीमा को देख सकता था। मैंने चादर ले रखी थी और आँखें
आधी बंद थी तो ऐसा ही लगता था कि मैं सो रहा हूँ।
कुछ २० मिनट बाद मैंने देखा कि सीमा ने बाथरूम का दरवाजा खोला। उनसे केवल
ब्रा और पैंटी ही पहन रखी थी। उसने सोचा होगा कि कोई घर पर हैं नहीं तो सूट
बाहर आकर पहन लेती हूँ। उसको ऐसा देख कर मेरा तो दिमाग हिल गया। मैं उसी
पोजिशन में लेटा रहा ताकि उसे शक न जो जाए। सीमा ने मुझे लेटा देखा तो
अचानक सकपका गई पर जब उसने देखा कि मैं सो रहा हूँ तो उसने दरवाजा बंद किया
और अपना सूट पहन लिया। मैंने ज़िन्दगी में पहली बार किसी लड़की को इस रूप
में देखा था।
उस रात फिर मुझे नींद नहीं आई और मैंने रात को उठ कर दो बार मुठ मारी। मेरे
ख्याल में सीमा की नंगी काया ही थी। अगले पूरे दिन उसकी लम्बी टांगें और
गोल-गोल मम्मे मेरी आँखों में घूम रहे थे। मैं सीमा को देख रहा था और उसके
कपड़ों के ऊपर से ही उसके मम्मे और टांगों का नज़ारा ले रहा था।
शनिवार को हमारे घर मेरे मामा अपनी पूरी फॅमिली के साथ आ गए। उनके ३ बच्चे
थे जो तक़रीबन हमारी ही उम्र के थे। मामा सपरिवार सिंगापुर जा रहे थे और
उन्हें सोमवार को जाना था। वो दो रात को हमारे ही घर रुकने वाले थे। सोने
के लिए यह फ़ैसला हुआ कि सब बच्चे ड्राइंग रूम में ही सोयेंगे। ड्राइंग रूम
में एक बड़ा कूलर लगा हुआ था। हम सब बच्चे रात को १२ बजे तक खेल कर सो गए।
सीमा बिल्कुल कूलर के पास में सोई थी और मैं उसके साथ, फिर सोनू और फिर ३
बच्चे। लेटते साथ ही सभी को नींद आ गई क्योंकि हमने पूरे दिन बहुत मस्ती की
थी। रात को मैं बाथरूम करने के लिए गया। कमरे में बाहर से थोड़ी रौशनी आ
रही थी और अन्दर की चीज़ें साफ़ दिख रही थी। मैंने लाइट नहीं जलाई और वैसे
ही बाथरूम हो आया। जब मैं वापिस आया तो मैंने देखा कि सीमा की चादर एक साइड
से पूरी उठी हुई थी। उसकी स्कर्ट भी ऊपर उठ गई थी और उसकी एक टांग पूरी
नंगी थी। यह देख कर मेरा एक दम खड़ा हो गया। मैं उस के साइड पर लेट गया पर
आँखों में नींद नहीं थी। मैं बार बार आँख खोल कर उसकी टांग देख रहा था।
थोडी देर में मैंने लेटे ही लेटे हिम्मत कर के उसकी स्कर्ट और ऊपर कर दी और
चुपचाप फिर आँख बंद कर ली। दो मिनट के बाद आँख खोली तो देखा कि स्कर्ट उठी
हुई ही है और उसकी पैंटी दिख रही है। मैंने ४-५ मिनट तक यह नज़ारा लिया।
आँखों से नींद कोसों दूर थी। अब मैं सोच रहा था कि और क्या कर सकता हूँ कि
पकड़ा न जाऊँ और कुछ और दिख भी जाए।
मैं फिर लेट गया और धीरे से उसकी चादर ऊपर से भी हटाने लगा। मैं सोच रहा था
कि अगर सीमा जाग गई तो मैं बिलकुल पत्थर की तरह लेटा रहूँगा और उसे लगेगा
कि चादर खुद ही ऊपर हो गई। कुछ ५ मिनट में उसकी चादर पूरी उतर गई थी। सीमा
की स्कर्ट पैंटी तक ऊपर थी और उसने बटन वाला टॉप डाल रखा था। मैं पूरा
नज़ारा लेने के लिए चुपचाप उठा और बाथरूम की तरफ जा कर खड़ा हो गया।
सीमा की नंगी टांगें और पैंटी देख कर मेरी हालत ख़राब हो रही थी। मैंने मुठ
मारी और कर वापिस लेट गया। आधे घंटे तक तो मन शांत रहा पर फिर सीमा के साथ
कुछ करने की इच्छा हुई। मैंने देखा कि वो अभी भी उसी हालत में है- चादर
उतरी हुई और स्कर्ट ऊपर चढ़ी हुई। मुझे इत्मिनान हुआ की सीमा बहुत पक्की
नींद में है। मेरी हिम्मत और बढ़ गई। मैंने उसकी बटन वाली टॉप को देखा और
उसका एक बटन खोल दिया। उसमे से उसके मम्मे की झलक दिखने लगी। मैंने हिम्मत
कर के एक और बटन खोला और शर्ट साइड पर की, उसने ब्रा पहन रखी थी। अब पूरा
एक मम्मा दिख रहा था। मेरा मन मम्मे को छूने का कर रहा था।
मेरी हिम्मत बढ़ती जा रही थी। मैंने एक और प्लान सोचा। मैंने उसका एक बटन
बंद किया और लेट गया। फिर मैंने इस करवट लेते हुए अपना हाथ उसके मम्मे पे
रख दिया, ताकि अगर सीमा की नींद खुले तो उसे लगे कि यह नींद में ही हुआ।
मेरा हाथ उसके मम्मे पे था और ऐसा एहसास कि मानो जन्नत ! मैं उस हालत में
कुछ 30 मिनट पड़ा रहा। मैं हिल भी नहीं रहा था कि कहीं उसकी नींद न खुल
जाए।
कुछ देर के बाद सीमा हिली। मैंने अपनी आँखें बंद कर रखी थी कि जैसे मैं सो
रहा हूँ। सीमा ने मेरा हाथ अपने ऊपर से उठाया और करवट ले कर सो गई। मुझे डर
लगा और मैं सो गया। कुछ १ घंटे बाद मैंने फिर वही प्लान आजमाया और करवट
लेते हुए अपना हाथ उसके मम्मे पे रख दिया। अब की बार उधर से कोई हरकत नहीं
हुई और मैंने खुद ही लगभग एक घंटे बाद हाथ हटा लिया क्योंकि सवेरा होने को
था।
सुबह मैं सबसे लेट उठा और मैंने देखा कि सब उठ चुके हैं। मैं सीमा से बच
रहा था और काफी डरा भी हुआ था कि रात वाली बात का कोई उल्टा असर न हो।
नाश्ते की टेबल पे वो आमने सामने हो गई और बोली- तुम इतने चुप चुप क्यों
हो।
मैं- ऐसे ही ! बोल के उठ गया।
नहाते हुए मैं सोचने लगा कि शायद सीमा जाग रही हो और चुपचाप सोने का नाटक
कर रही हो। खैर पूरा दिन हम सब बच्चे मस्ती करते रहे और रात को फिर सोने की
बारी आई। सीमा बोली कि चलो सब लोग अपनी अपनी कल वाली पोजिशन पर सो जाओ।
मेरे मन में लड्डू फूट रहे थे। इसका मतलब कल रात जो भी हुआ उसमें सीमा को
भी मज़ा आया।
मैं चुपचाप आ कर लेट गया और सब के सोने का इंतज़ार करने लगा। एक एक मिनट एक
घंटे के सामान लग रहा था। आखिर आधे घंटे बाद मैंने करवट ली और हाथ सीमा के
मम्मे पे।
वो कुछ नहीं बोली। मैंने हिम्मत करके उसके दो बटन खोले और हाथ अन्दर घुसा
दिया। नंगे मम्मे का एहसास कुछ और ही था। मैं धीरे धीरे मम्मे दबाने लगा
क्योंकि मुझे मालूम था की सीमा को कोई ऐतराज़ नहीं। थोड़ी देर बाद मैंने
दूसरा हाथ उसकी टांग पे रख दिया। मैंने दोनों हाथ धीरे धीरे फेर रहा था।
सीमा की साँसे तेज़ चल रही थी और मैं महसूस कर रहा था। मैंने थोड़ी और
हिम्मत कर के अपने होंठ उसके गालों को छू दिए। सीमा की तरफ से कुछ नहीं
हुआ।
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मैं समझ गया कि कोई प्रॉब्लम नहीं। अब मैंने अपने होंठ उसके होंठ पे रख
दिए- ऐसा लगा जैसे करंट लग गया हो। सीमा भी थोड़ा सा कसमसाई। मैं कुछ २-३
मिनट उसके होठों से चिपका रहा। अब मन कुछ और भी करने को हो रहा था। मैंने
अपना एक हाथ उसकी पैंटी में डाल दिया। उँगलियों से मैं पैंटी के अन्दर
टटोलने लगा। मुझे कुछ अंदाजा नहीं था कि क्या होगा। मैं बस उँगलियों से इधर
उधर टटोल रहा था। अचानक कुछ गीला गीला लगा। मैं उस जगह ही मसलता रहा।
मैंने अपनी आँखें खोल रखी थी लेकिन सीमा की आँख बंद थी। वो अभी भी सोने का
नाटक कर रही थी। मैंने एक हाथ में अपना पकड़ा और एक हाथ से उसकी पैंटी और
मम्मे मसलता रहा। बीच बीच में किस भी कर लेता था। आखिर में मैं जोरदार
तरीके से झड़ गया। और यह हमारी शुरुआत थी।