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हैल्लो दोस्तों.. मेरा नाम नीलू है और में गोरखपुर की रहने वाली हूँ।
दोस्तों में पहली बार इस साईट पर कुछ लिख रही हूँ.. मैंने इस पर बहुत सी
सेक्सी कहानियाँ पढ़ी है.. जो मुझे बहुत अच्छी लगी और जिन्हें पढ़कर मुझे यह
कहानी लिखने की इच्छा हुई और आज में जो कहानी बताने जा रही हूँ.. वो मेरे
जीवन मैं घटी हुई एक सच्ची घटना है। जिसे कुछ लोग शायद झूठ समझ लेंगे या
कुछ लोग समझ लेंगे कि कॉपी की हुई है.. लेकिन मुझे इससे कोई फ़र्क नहीं
पड़ता कि आप क्या सोचते हैं। बस में लिख रही हूँ और मुझसे इसमें कोई गलती हो
तो मुझे माफ़ करना। दोस्तों मेरे देवर ने ज़रूर मेरी कई बार चुदाई कर
डाली.. लेकिन वो मेरे घर की बात है। मेरी उम्र 27 साल है और में एक सामान्य
फिगर की औरत हूँ। मेरी चूचियाँ बहुत बड़ी तो नहीं.. लेकिन हाँ इतनी मस्त
तो ज़रूर है कि मेरे देवर उन्हे मसलकर खुश हो जाते है और वो ऐसे ही उन्हे
मसलने की कोशिश में रहते है। मेरे देवर की उम्र 25 साल है और वो देवरिया
में रहता है
फिर वो जब भी मेरे घर पर आता है.. तो बस मेरे साथ छेड़खानी करता रहता है।
मेरे देवर के साथ मेरी चुदाई की घटना उस वक़्त हुई.. जब में एक शादी में
शामिल होने देवरिया गयी हुई थी। फिर शादी के दो दिनों के बाद ही मेरे पति
वापस हमारे घर पर लौट गये और में वहीं पर कुछ दिनों के लिए रुक गयी। तभी
अचानक एक दिन मेरे सास, ससुर को एक रिश्तेदार के यहाँ पर किसी जरूरी काम से
जाना पड़ा और फिर उसी शाम को उन्होंने फोन करके कह दिया कि वो आज रात नहीं
आएँगे। उस दिन हम सभी (मेरा मतलब है में, मेरे देवर और उनकी पत्नी) एक ही
कमरे में सोए हुए थे।
फिर एक पलंग पर मेरी देवरानी उनकी बेटी और एक पलंग पर में और दूसरे पलंग पर
देवर जी.. ऐसे हम सभी सो रहे थे कि अचानक मुझे मेरे पैरों पर कुछ हरकत सी
महसूस हुई और फिर जब मैंने आँखें खोली तो पूरा अंधेरा था.. क्योंकि देवर जी
ने सारी लाईटे बंद कर दी थी.. तो मुझे कुछ भी नहीं दिख रहा था। बस मेरे
पैरों पर कुछ हरकत महसूस हो रही थी और में समझ गयी कि यह ज़रूर देवर जी ही
होंगे और वो धीरे धीरे मेरी साड़ी को ऊपर की तरफ उठा रहे थे.. तो मैं उनके
हाथों को छुड़ाने के लिए ताक़त लगा रही थी.. लेकिन वो छोड़ना ही नहीं चाह रहे
थे और में चीख भी नहीं पा रही थी.. क्योंकि मुझे अपनी देवरानी के उठ जाने
का डर था.. लेकिन वो उठ जाती तो देवर जी के साथ में भी बदनाम हो जाती।
में बस किसी तरह अपने पैरों को छुड़ा लेना चाहती थी.. लेकिन वो पूरी ताक़त
से मेरी साड़ी को ऊपर की तरफ सरकाए जा रहे थे और उनका एक हाथ धीरे धीरे मेरी
जांघों तक पहुँच गया और वो मेरी जांघों को हल्के हल्के दबाने लगे। मुझे भी
अब मज़ा तो आ रहा था.. लेकिन बहुत डर भी लग रहा था। फिर उनका एक हाथ मेरी
जांघों को सहला रहा था और दूसरे हाथ को उन्होंने मेरे पेट पर रख दिया और
सहलाने लगे और धीरे धीरे अपना हाथ मेरे बूब्स की तरफ बढ़ाने लगे। तो मैंने
उनका हाथ पकड़ा तो भी उनका हाथ मेरी चूचियों तक पहुँच ही गया और अब धीरे
धीरे वो मेरी चूचियों को सहलाने लगे.. लेकिन में डर से कांप रही थी कि तभी
देवरानी ने करवट बदली तो मेरे देवर जी हड़बड़ा कर वहाँ से उठकर अपने पलंग पर
चले गए और मैंने तब चैन की सांस ली।
मेरी धड़कने बहुत तेज हो गयी थी और फिर मैंने तुरंत अपने बेटे को अपने सामने
की तरफ सुला दिया और में खुद दीवार की तरफ जाकर सो गयी.. लेकिन कुछ देर
बाद मेरा देवर फिर से आया और उसने मेरे बेटे को उठाकर अपने पलंग पर सुला
दिया और खुद मेरे पलंग पर आकर लेट गया। फिर में डरते हुए फुसफुसाकर उनके
कान में बोली कि प्लीज़ ऐसा मत करो मुझे बहुत डर लग रहा है.. लेकिन उसने
मेरी बातों पर ध्यान नहीं दिया और मेरी चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से ही
दबाने लगा। फिर उसने मेरे ब्लाउज के हुक को खोल दिया.. लेकिन में चीख भी
नहीं पा रही थी और ना ही खुलकर मज़े ले पा रही थी। मेरे ब्लाउज के हुक
खुलते ही मेरी दोनों नंगी चूचियों को उसने बड़े प्यार से मसलना शुरू कर
दिया। फिर धीरे धीरे उसका हाथ मेरे पेट से होते हुए मेरे पैरों तक गया और
मेरी साड़ी को ऊपर खींचने लगा और में उसे रोक नहीं पा रही थी। फिर उसने मेरी
साड़ी को मेरे पेट तक उठा दिया और मैंने उसके हाथों का एहसास अपनी चूत पर
किया..
में कभी भी पेंटी नहीं पहनती हूँ और इसलिए उसे बड़ी आसानी से मेरी नंगी चूत
हाथ लग गयी और वो धीरे धीरे मेरी चूत को सहलाने लगा। मेरी चूत तो पहले ही
पानी पानी हो गयी थी और उसके हाथ लगते ही फूलकर रोटी बन गयी थी और फिर उसने
मेरी चूत को सहलाते सहलाते अचानक अपनी दो उंगली मेरी चूत में डाल दी.. तो
मेरे मुहं से अब सिसकियाँ निकलने लगी थी.. लेकिन में उन्हे दबाने की पूरी
कोशिश कर रही थी.. लेकिन मेरी सिसकियाँ रुक नहीं पा रही थी। फिर उसने अपना
एक हाथ मेरी चूचियों को मसलने में लगाया हुआ था और दूसरे को मेरी चूत पर
रखकर मेरी चूत को सहला रहा था। तभी अचानक उसने अपना मुहं मेरे चूचियों पर
लगा दिया और मेरी चूचियों को चूसने लगा और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और मुझे
उस मज़े में एक डर भी था।
फिर मेरा देवर अंधेरे में ही मेरी दोनों चूचियों को चूस रहा था और मेरी चूत
से खेल रहा था। तभी अचानक मैंने महसूस किया कि उसने अपनी पेंट उतार दी है
और उसके लंड का एहसास मुझे अपनी चूत के पास हो रहा था। उसने अपने दोनों
हाथों को मेरी पैरों के पास ले जाकर मेरे पैरों को सहलाते हुए फैला दिया और
अपना लंड मेरी चूत में मुहं पर सटा दिया और में बहुत डर रही थी कि अब में
अपनी चीख को कैसे रोकूँ.. लेकिन देवर पूरा पक्का खिलाड़ी था और वो धीरे धीरे
अपना लंड मेरी चूत में डालने लगा और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। फिर धीरे
धीरे देवर जी ने लगातार चोदना जारी रखा और में बहुत खुश हो रही थी और मैंने
उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया था। फिर वो धीरे धीरे करीब 30 मिनट तक मुझे
लगातार चोदता रहा और में इन 30 मिनट में दो बार झड़ चुकी थी। तभी अचानक उसने
मुझे बहुत मजबूती से पकड़ लिया और उसका शरीर मुझे ज़ोर ज़ोर से झटके मारने
लगा और उसने अपना सारा माल मेरी चूत में ही डाल दिया और मेरे ऊपर निढाल
होकर सो गया और कुछ देर बाद मैंने उसे उठाया और कहा कि अपने बिस्तर पर जाओ।
तो वो चुपचाप उठकर अपने बिस्तर पर गया और मेरे बेटे को मेरे पास सुलाकर खुद
अपने बिस्तर पर जाकर लेट गया और मुझे उसकी इस चुदाई से बहुत मज़ा मिला
था.. लेकिन ज्यादा अंधेरा होने के कारण और देवरानी के भी पास में रहने के
कारण जो मज़ा मुझे मिलना चाहिए था वो नहीं मिल पाया और में उससे दोबारा
चुदवाना चाहती थी.. लेकिन मुझे सही मौका नहीं मिल रहा था। फिर दूसरे दिन
मेरे सास, ससुर भी आ गये और फिर तो मौके का कोई सवाल ही नहीं उठता था। फिर
दूसरे दिन मैंने देवर जी से पूछा कि तुमने मेरे साथ ऐसा क्यों किया? तो
उसने कहा कि में उसे बहुत अच्छी लगती हूँ और वो मुझसे बहुत प्यार भी करता
है। तो मैंने भी उससे कहा कि तुमने जो सुख मुझे दिया उसके बाद से तो में भी
तुम्हे प्यार करने लगी हूँ।
फिर कुछ दिनों के बाद में वापस गोरखपुर आ गयी.. लेकिन अब में रोज अपने देवर
से मोबाईल पर बातें करने लगी और एक दिन देवर जी खुद गोरखपुर आ गया। दिन
में घर के और भी लोग साथ में सोते थे.. तो में उनसे दूर ही रहती थी..
क्योंकि वो मेरे पीछे ही पड़ा रहता था और रात में मेरे पति.. लेकिन मेरे
पति के रहने के बावजूद उसने मुझे फिर से कई बार चोदा और मैंने भी उसे प्यार
से चोदने दिया और अब तो वो जब भी गोरखपुर आता है तो वो मेरी जमकर चुदाई
करता है और में भी उससे बड़े प्यार से चुदवाती हूँ। दोस्तों सच में मुझे
उसकी चुदाई में बहुत मज़ा आता है.. क्योंकि वो मेरे पति से बहुत ज्यादा
जमकर मेरी चुदाई करता है और मेरी चूत की आग को ठंडा कर देता है.. क्योंकि
मेरे पति का लंड उसके लंड से थोड़ा छोटा और पतला है और में उसकी इस चुदाई से
बहुत खुश हूँ