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वो पड़ोस में रहती थी और उनकी अभी-अभी शादी हुई थी. शादी बहुत लेट हुई थी.
शायद, पढने में कई साल गवा दिए थे. हम सब उनसे छोटे थे और उन्हें
भाभी-भाभी कहके बुलाते थे. भाभी के साथ बात करना, भाभी के हाथ का बना खाना
खाना, हम सभी को बहुत अच्छा लगता था. भाभी का प्यार पा कर हम सभी बहुत खुश
थे. पर भाभी के मन में जैसे कुछ और ही चल रहा था.
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भाभी की एक सहेली – निशा उनके घर अकसर आया करती थी. निशा , वैसे तो उम्र
में भाभी से छोटी थी, पर भाभी से हर बात “शेयर” करती थी. मेरा निशा से बहुत
साल तक “affair” चला और उस दोरान, हमारा कई बार शारीरिक सम्बन्ध भी हुआ.
लगता था कि निशा ने सब कुछ मेरी भाभी को बता दिया था. उन दिनो, शायद भैया
के काम में मशरूफ होने की वजह से, भाभी खुश नहीं रहती थी. निशा से हमारी
लव-स्टोरी जान के, भाभी मुझे बहुत चिढाया करती थी. कई बार भाभी मुझसे पूछती
थी, कि निशा और मेरे बीच क्या-क्या हुआ. उम्र में छोटा होने के कारन, मैं
शर्मा जाता था और बात पलट देता था. पर भाभी की यह बातें, कहीं न कहीं, मुझे
बहुत “excite” भी किया करती थी.
ना जाने कैसे, धीरे-धीरे मैं भाभी कि तरफ आकर्षित होता जा रहा था. अब मैंने
भाभी को “fantasize” करना भी शरू कर दिया था. एक दिन, यूं हुआ, की भाभी घर
में अकेली थी. मेरा बहुत मन हुआ कि मैं भाभी के साथ समय बिताऊँ. मेरे भाभी
के पास पहुचते ही, भाभी ने मुझसे कहा, “अरे, तुम इतनी देर कहाँ थे. मैं
तुम्हे कब से याद कर रही थी”. जब मैंने पुछा कि किसलिए, तब भाभी ने कहा कि
वो निशा और मेरे बीच में सब कुछ जानना चाहती थी.
मैंने भाभी की बात रखते हुए, उन्हें सब सच बता दिया. “क्या तुम्हारा निशा
के साथ कभी शारीरिक सम्बन्ध हुआ ?”, भाभी ने मेरा हाथ पकड़ के पुछा. मैंने
भाभी तरफ देखा. भाभी की आखें चमक रहीं थी. “बताओं ना”, भाभी ने दुबारा
पुछा. मुझे समझ नहीं आ रहा था, कि मैं क्या जवाब दूँ. और फिर, भाभी के कोमल
हाथों को हलके से दबाते हुए मैं बोला, “हाँ, मेरा निशा के साथ सम्बन्ध था.
पर भाभी, यह अब पुरानी बात हो चुकी है.”, ना जाने, मुझे ऐसा क्यूँ लग रहा
था कि यह बात बताने के बाद मैं भाभी को हमेशा के लिए खो दूंगा
पर होनी को तो कुछ और ही मंज़ूर था. मेरा सर झूका हुआ था, और मेरे हाथों में
भाभी का हाथ था. मैं अपनी और निशा की कहानी भाभी को सुना रहा था और भाभी
का हाथ धीरे-धीरे दबा रहा था. मेरी प्यारी भाभी भी मुझे अपना पूरा समय दे
रही थी और चुप-चाप मेरी कहानी सुन रही थी. मैं अब तक भाभी के कोमल हाथों के
स्पर्श काभरपूर आनंद उठाने लगा था. यह पहली बार था कि भाभी मेरे इतने करीब
थी. भाभी की सुन्दरता, भाभी का स्पर्श और भाभी की साँसों से आती वो खुशबू
मुझे मदहोश कर रही थी. उस महोशी के आलम में, मैंने भाभी के कंधे पर हाथ रख
दिया और भाभी के कानो को सहलाना शुरू कर दिया. अब मुझे भाभी के जवाब का
इंतज़ार था. मैं जनता था कि भाभी मुझे यहाँ पर रोक भी सकती है, या फिर मुझे
आगे बड़ने की अनुमति भी दे सकती है. तभी भाभी ने धीमे से, अपने गले से मेरे
हाथ को दबाते हुए कहा , “अभी नहि, कोई देख लेगा तो”.
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मैं जनता था कि भाभी की बात इस का मतलब है “हाँ”.