Dosto, मैं नाशिक का रहने वाला हूँ लेकिन पढ़ाई के लिए मुंबई में रहता हूँ। यह तब की बात है, जब मैं मुंबई में नया था, मैं किराए के फ्लैट में अपने दोस्तों के साथ रह रहा था क्योंकि मुझे हॉस्टल में प्रवेश नहीं मिला था। मेरा फ्लैट चौथी मंजिल पर था।
वहाँ
मेरे पड़ोस में एक जोड़ा (पति पत्नी ) रहते थे, दोनों
की उम्र लगभग २६-२८ साल की होगी, मैं उन्हें भैया-भाभी ही बुलाता था। हम
कुछ ही दिनों में अच्छे दोस्त बन गए थे। भाभी बहुत ही सुंदर और सेक्सी थी, उसका
नाम आश्रिता था, सेक्सी अदा, पतली सी कमर,
मस्त
बड़ी-बड़ी चूचियाँ, मोटी-मोटी गांड !! एकदम क़यामत !!!
एक
बार, जब मेरी परीक्षा चल रही थी, मेरे दोस्त घर पर चले गये थे क्योंकि
उनकी परीक्षा खत्म हो गई थी लेकिन मेरी परीक्षा बाकी थी तो मैं नहीं जा सकता था।
एक
रात मैं पढ़ाई कर रहा था, तभी मैंने कुछ आवाज सुनी, मैं
चेक करने के लिए बाहर आया, आवाज बगल वाले फ्लैट में से आ रही थी।
मैं ध्यान से सुनने लगा तो भैया-भाभी की चुदाई की आवाज़ें आ रही थी।
अब
मेरा मन भी उसकी चूत मारने का करने लगा था, फिर भाभी के
बारे में सोच कर मुठ मार कर मैं सो गया।
अगली
सुबह मैं देर से जगा था, मुझे परीक्षा के लिए देर हो रही थी तो
मैं जल्दी तैयार होकर फ्लैट से बाहर भागने लगा, तब अचानक मेरी
टक्कर भाभी के साथ हो गई और मेरे और उसके होठों का स्पर्श हो गया।
पहले
मैं डर गया लेकिन जब मैंने उसे मुस्कुराते हुए देखा तब मुझे राहत महसूस हुई,
फिर
मैं अपनी परीक्षा के लिए चला गया।
परीक्षा के बाद जब मैं अपने फ्लैट वापस आया, मैं सोच रहा था कि उसका सामना नहीं करूँगा लेकिन मैंने उसे दरवाजे के सामने देखा, वह मुझे देख कर मुस्कुराई, मैं उस पर जवाब में मुस्कुराया और अपने कमरे में चला गया। कुछ समय के बाद वह मेरे फ्लैट पर आई, मैं अपने लैपटॉप पर काम कर रहा था लेकिन मैं उसके बारे में ही सोच रहा था, असल में मैं लैपटॉप पर फिल्म देख रहा था।
वह
लाल साड़ी में थी, साड़ी मे भाभी बहुत हॉट लग रही थी, उसके
तेवर बदले-बदले लग रहे थे। उसे देखते ही मुझे सुबह का दृश्य याद आ गया तो मेरा
लण्ड तन कर मेरी पैंट के ऊपर से दीखने लगा, उसने भी इसे देख
लिया और मुझे देख कर मुस्कुराई। मैं मन ही मन सोचने लगा कि मैं इस आइटम को पटक कर
चोद दूं, लेकिन मैं पहल करना नहीं चाहता था क्योंकि अगर वो किसी को भी शिकायत
कर देती तो मुझे मजबूरन फ्लैट छोड़ना पड़ता।
मैंने कहा- सुबह
के लिये माफ करना। मैं उसके वक्ष को देख रहा था।
भाभी- माफ़ी
क्यों? तुम्हें वो अच्छा नहीं लगा?
इतना
सुनने के बाद मैंने भाभी को बाहों में भर लिया और अपने होंठ उनके होंठों पर रख
दिए। उसने मुझे बलपूर्वक धक्का दिया, मैं बेड पर गिर गया और वो दरवाजे की ओर
जाने लगी, मैंने सोचा कि अब मैं गया। लेकिन उसने दरवाजा बंद कर दिया और वो मुझ
पर मुझ पर चढ़ गई, मुझे चूमने लगी। अचानक हुए इस हमले से मैं
हड़बड़ा गया लेकिन जल्द ही सम्भल गया और उसका साथ देने लगा। मुझे बहुत मज़ा आ रहा
था।
उसने
अपने होठों पर कुछ लगाया था, बहुत अच्छी खुशबू आ रही थी और स्वाद भी
बहुत अच्छा आ रहा था।
मैंने
उसे कमर से कसकर पकड़ लिया, फिर मेरे हाथ उसके चूतड़ों में गड़ गए।
हम 5 मिनट तक चुंबन करते रहे, फिर मैंने धीरे से अपनी जुबान उसके
मुँह में डाल दी, वो उसे भी चूसने लगी और अपनी जुबान मेरे मुँह
में डाल दी। मैं भी उसकी जीभ चूसने लगा।
फिर
हम पलट गए, अब मैं उसके ऊपर था और वह मेरे नीचे ! मेरा लंड
उसकी चूत पर दस्तक देने लगा। यह मेरी पहली बार था, जब कोई लड़की
मुझे चूम रही थी, चुंबन के दौरान ही मैं झड़ चुका था। मैंने उसकी
साड़ी निकाल दी, अब वह केवल सिर्फ ब्रा और पेटीकोट में थी,
इस
रूप में भाभी को देख कर मैं पागल हो गया, मैं उसके स्तन ब्रा के ऊपर से दबा रहा
था और चूस रहा था।
भाभी
पूरी गर्म हो गई थी और सिसकारियाँ ले रही थी, ऊऊ ऊह्ह्हा आ आआ
आअह कर रही थी। अचानक मुझे कुछ याद आया, मैंने उससे पूछा- भाभी, आपको
चॉकलेट पसंद है? भाभी ने उत्तर दिया- हाँ, मुझे
बहुत बहुत पसंद है।
मैं
उठा और एक बड़ी चॉकलेट अपने बैग से ले आया, चॉकलेट खोली और
अपने मुँह में रखी और उसे कहा- इसे खाओ ! चॉकलेट खाते-खाते हमने फिर से चूमना शुरू
किया।
फिर
मैंने धीरे से उसकी ब्रा के हुक खोल दिए और उसकी चूची चूसने लगा। उसे काफी मजा रहा
था, वो भी मेरे लण्ड को पैंट के ऊपर से दबा रही थी, फिर
मैंने पेटीकोट उनके बदन से अलग कर दिया। अब वह केवल पैन्टी में थी, वो
अप्सरा लग रही थी। मैं उसकी चूत को पैंटी के ऊपर से ही चूम रहा था, फिर
मैंने उसकी गीली पैन्टी उतार दी। मेरे सामने क्लीन शेव गुलाबी रंग की चूत थी।
फिर
उसने मेरे कपड़े निकाल दिए, उसने मेरी अंडरवियर निकाल भी दी और
अपने हाथ से मेरा लंड मसलना शुरू कर दिया। थोड़ी देर बाद हम 69 पोज़िशन
में आ गये… मैं उसकी चूत का रसपान कर रहा था और वो मेरे
लन्ड को चूस रही थी… मुझे तो लगा कि मैं ज़न्नत में आ गया हूँ।
अब
मैं तैयार था उसे चोदने के लिये, मैंने महसूस किया कि मेरा लंड पहले से
कहीं ज़्यादा सख़्त हो गया था। मैंने उसे लेटने को कहा, उसकी टाँगें
चौड़ी की और अपना लंड उसकी चूत के छेद पर रखा और दो धक्कों में ही लंड अंदर चला
गया। “आआह्ह्ह्ह्ह्ह् … … … … आह्ह्ह … … मार डालोगे क्या
… … ?” उसकी चीख निकल गई- आआह्ह्ह्ह्ह्ह्… ..
मैंने
पूछा- चिल्ला क्यों रही हो?
भाभी-
दर्द हो रहा है।
मैं-
मुझे पता है कि यह आपकी पहली बार नहीं है, आपने कल ही तो किया था।
भाभी-
तुम्हें कैसे पता चला?
मैं-
मुझे सब कुछ पता है।
भाभी-
शैतान !
मैं-
लेकिन भैया जब कल चोद रहे थे,तब तो इतना चिल्ला नहीं रही थी?
भाभी-
ठीक है, अब मैं नहीं चिल्लाऊँगी बस, अब मुझे जल्दी..
मैं-
अभी लो मेरी जान…
मैंने
धक्के लगाने शुरू कर दिए। फिर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और ज़ोर ज़ोर से उसकी चूत
पर वार कर रहा था। मैंने उसके मम्मे मुँह में लिए और अपनी स्पीड और भी बढ़ा दी।
लगभग दस मिनट के बाद हम दोनों की आह निकली और हम दोनों झड़ गये।
फिर
अचानक हमें खयाल आया कि भैया के आने का समय हो गया है, उसने अपनी साड़ी
पहनी और तैयार हो गई। उसने मुझे आँख मारी और वह चली गई। अभी भाभी की एक बहन आती है
उसको चोदना चाहता हूँ भाभी को मैंने बोला भाभी एक बार आप मुझे अपनी बहन को दिला दो
आप जो बोलोगी मै करुगा तो भाभी ने कहा अभी रुको मै जब बोलूगी तब चोद लेना वैसे
इन्तेजार में हु जैसे ही कुछ न्य होगा आप लोगो को जरुर बताऊंगा |
धन्यवाद |