सहपाठी की सीलतोड़ चुदाई बारिश में

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मुझे बारिश का मौसम पसंद है, क्योंकि बारिश के दिनों में मुझे मेरी स्कूल की दोस्त के साथ उसकी कुँवारी चूत चोदने और मुझे Meri Pehli Chudai का हसीन मौका मिला

दोस्तो,


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कहानी शुरू करने से पहले मैं अपने बारे में बता दूँ। मेरा नाम कपिल प्रजापति है और मेरी उम्र 18 साल है।

मेरी लम्बाई 5′ 6″ रंग गेंहुआ तथा चुरू राजस्थान का निवासी हूँ। मैं जयपुर में बीएससी दूसरे साल की पढ़ाई करता हूँ।

मेरी सेक्स स्टोरी का नियमित पाठक हूँ और आज सोचा, मैं भी अपनी सच्ची कहानी जो कि मेरी जीवन का पहला सेक्स भी है।

आप लोगों से शेयर करूँ। बात पिछले साल की है, जब बारिश का मौसम था और राजस्थान के रेगिस्तान में भी चारों ओर हरियाली थी।

गाँव में हमारे पास बड़ा सा खेत है, जिसमें हम खेती करते हैं।

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जयपुर की घूटन भरी जिन्दगी से राहत पाने के लिए, मैं 5-7 दिनों के लिए गाँव आया हुआ था।

गाँव आने के दूसरे दिन करीब सुबह के 11 बजे थे, आसमान में चारों ओर काली घटा छाई हुई थी और सुहावना ठण्डी हवा चल रही थी।

जो मुझे रोमांचित कर रही थी। मैं घर पर घूमने की कहकर खेत की तरफ चल दिया, जो कि घर से डेढ़ किलोमीटर दूर है।

अभी मैं एक किलोमीटर चला था, कि बारिश शुरू हो गई। मैंने खेत जल्दी पहुँचने के लिए एक सोर्टकट पतली सी पगडंडी पकड़ ली और जल्दी जल्दी चलने लगा।

मेरे साथ बारिश की रफ्तार भी बढ रही थी और मैं बारिश से बचने के लिए पेड़ के नीचे रूक गया। तभी मेरे कानो में एक मधुर सी आवाज पड़ी।

जो कपिल कपिल! पुकार रही थी तो मैंने इधर उधर देखा, तो खेत में बने एक कमरे के दरवाजे पर पूनम खड़ी थी।

जो मुझे अपने पास बुला रही थी और पूनम बहुत ही खूबसूरत मस्त माल के साथ साथ शरारती लड़की थी।

उसे हर किसी के साथ छेड़ छाड़ करने की आदत थी। वो बचपन मेरी सहपाठी हुआ करती थी और कक्षा में हम दोनों साथ में ही बैठते थे।

पहली चुदाई की चाहत सहपाठी के साथ

उसको चोदने की चाहत मेरी बचपन से थी पर कभी चोद नहीं पाया। आज मेरी तो जैसे लोटरी लग गई, मैं भागते हुए कमरे में घुस गया।

पूनम- अरे कपिल तुम कब आए?

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मैं- बस कल ही आया था।

पूनम- काफी बदल गये हो।

मैं- तुम भी तो पहले बहुत ज्यादा सुन्दर हो गई हो।

पूनम- चल झूठा! इस प्रकार हम कुछ देर तक पढ़ाई वगैरह इधर उधर की बातें करते रहे। बाहर तेज बारिश जारी थी।

मैं खिड़की के पास खडा था, तभी उसको शरारत सूझी और उसने मुझे बाहर धक्का देते हुए कहा- नहा ले!

मैंने भी मौके पर चौके मारते हुए बाहर खिसकने से पहले उसका हाथ पकड़ लिया और उसे बारिश में ले गया।

उसने अपने आपको छुड़ाने की कोशिश तो की, पर मैंने उसका हाथ पकड़े रखा। हम दोनों कुछ देर बारिश में भीगते रहे।

अब बारिश के साथ तेज हवा भी चलने लगी, जिससे हमें ठण्ड लगने लगी तो हम दोनों कमरे के अन्दर चले गए।

वो सर्दी से कांप रही थी, तो मैं भी कांपने की नाटक करने लगा। मैं उसको चोदने का प्लान बना रहा था।

यही सोच कर, मेरा 3″ मोटा ओर 6′ 5″ लम्बा लण्ड खम्भे की तरह सीधा खंडा था। जिसके उभार को भीगी हुई पैंट से स्पष्ट देखा जा सकता था।

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मैं यह भी गौर कर रहा था कि पूनम की नजरें बार बार मेरे लण्ड पर जा रही थी।

तभी पूनम ने मुझे सुखा दूपट्टा देते हुए कहा की:

पूनम- तुम्हें सर्दी लग रही है, ये लो कपड़े निकाल कर उनको निचोड़ लो और इससे शरीर पोंछ लो।

मैं -अरे इसकी क्या जरूरत है।

पूनम हँसते हुए- क्यों? मेरे सामने कपड़े उतारने में शरम आती है?

मैं तुम्हें पूरा नंगा होने के लिए थोड़ी बोल रही हूँ।

मैं भी मौके की ताक में था, उसके दुपट्टे को लपेटकर फटाफट पैंट शर्ट निकाल दिए। अब मेरे खड़े लण्ड को बाहर से स्पष्ट देखा जा सकता था।

वो भी चुदवाने के लिए पूरे मूड में थी और फिर से अपनी शरारती आदत दिखाते हुए मेरे शरीर पर बंधे दुपट्टे को खींच दिया।

मेरे तने हुए लण्ड का सुपाड़ा एक ढेढ़ इंच चड्डी के बाहर आया हुआ था। जिसे देखकर वो भांप गई, लेकिन फिर मुँह पर हाथ रखकर हँसने लगी।

अब तो मेरे पास पूरा मौका था, मैंने उसको कसकर बाँहों में पकड़ लिया और चूमने लगा।

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उसने पहले तो इसका विरुद्ध करते हुए, अपने अपने आपको छुड़ाने की कोशिश की। वो बाद में आराम से मेरा साथ देने लगी।

पहली बार होंठ चूमा और चूचियों को मसला

मैं उसके रसीले होंठों का रस चूसते हुए उसकी चूचियों को मसल रहा था। क्या एहसास था दोस्तों!

इसे मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता। पहली बार मैं किसी लड़की के होंठों का रस पी रहा था।

अब वो भी मुझे अपनी बाँहो में जकड़ कर पूरा साथ दे रही थी। हम कुछ देर ऐसे ही करते रहे, फिर मैंने पूनम को बाँहों में उठाकर खाट पर लेटा लिया।

अब भूखे शेर की तरह उस पर टूट पड़ा और उसके कपड़े एक करके उतार दिए। उसका फिगर 34-26-34 का होगा।

मैं उसकी चूचियों को मसल मसल कर चूस रहा था। क्या चूचियाँ थे मलाई थी मलाई!

मेरा एक हाथ उसकी चूचियों पर और दूसरा हाथ उसकी चूत पर जो की गीली हो चूकी थी

मैं उसे चाटते हुए, नीचे आने लगा और नाभि पर जीभ फिराते हुए चूत के पास आ गया।

क्या चूत थी उसकी एकदम गहरी गुलाबी! जिस पर एक भी बाल नहीं था और जिसे मैं अपनी जीभ से चोदने लगा।

वो अपनी चूत पर जीभ का स्पर्श पाते ही तड़प उठी और आआह! उउउ! आह्ह्ह! आह्ह! की सिसकारियाँ निकालने लगी।

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कुछ देर तक चूत चाटने के बाद, मैंने उसको लण्ड चूसना चाहा पर गाँव की संस्कृति का बखान करते हुए उसने मना कर दिया।

मैंने सोचा, कि यार अपणे को क्या अपणे को तो पाणी निकालना है! और अपने लण्ड पर थूक लगा कर उसकी चूत पर रख दिया।

कुँवारी चूत चोदने का परम आनन्द

मैं लण्ड अन्दर डालने की कोशिश करने लगा, लेकिन उसकी चूत काफी टाइट थी।

मैंने थोड़ा और थूक लगाया और उसे रगड़ते रगड़ते एक जोरदार धक्का दिया।

जिससे मेरा लण्ड उसकी चूत को चीरते हुए, आधा अन्दर चला गया।

पूनम ने जोर से चिल्लाते हुए अपने दोनों हाथों से मेरे बाल पकड़ लिए।

पूरे जोर के साथ फाड़कर मुझे चूत फटने के जैसा एहसास करा रही थी। मैं उसे शान्त कराने के लिए ऐसे ही पड़ा-पड़ा चूमने लगा।

कुछ देर में वो सामान्य हुई तो मैं फिर से धीरे धीरे लण्ड को आगे पीछे करने लगा।

इस दौरान मैंने फिर से हल्का झटका मारते हुए, अपने लण्ड को पूनम की चूत में पूरा अन्दर कर दिया।

इस बार शायद उसे ज्यादा दर्द नहीं हुआ, फिर भी उसने अपने दोनों हाथों से मेरी पीठ पर नाखून गाड़ दिए।

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मैं लण्ड को धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा पूनम की आँखों में आँसू थे, लेकिन अब उसे भी मजा आ रहा था हालांकि वो चुपचाप पड़ी रही।

इसी बीच में झड़ने वाला था तो मैंने उसे पूछा कि कहाँ निकालूँ? तो वो कुछ नहीं बोली।

मैंने अपना सारा माल उसकी चूत के अन्दर ही छोड़ दिया, और फिर अपना लण्ड बाहर निकाला तो एकबार तो मैं डर गया।

मेरा लण्ड खून से लथपथ था, मैं नंगा ही बाहर आया और बारिश में लण्ड धोया। तब जाकर तसल्ली मिली कि खून मेरा नहीं पूनम का था।

उस दिन मेरी हालत भी खराब हो गई, एक तो लण्ड में दर्द हो रहा था। ऊपर से उसने मेरे बाल भी खूब फाड़े ओर नाखुन भी पूरे जोर से गाड़े थे।

मैंने कपड़े पहने और घर आ गया, लेकिन दूसरे दिन जो चूदाई की। वो आनन्दमय थी और उस दिन के बाद मैं उसे 10-12 दिन तक चोदता रहा।

उसके बाद जयपुर आ गया, कुछ दिन बाद मैंने उसकी बुआ की लड़की की भी चूत मारी।

जिसे कभी समय मिला तो विस्तार से बताऊँगा। दोस्तो, मेरी सेक्स स्टोरी पर यह मेरी पहली कहानी है।

आपको कैसी लगी? बताना जरूर आपके ईमेल के इंतजार में.. आपका कपिल!

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बारिश के बूदों से हम दोनों के जिस्म भीग चुके थे और एक दूसरे के जिस्म को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता था। जब उसको ठण्ड लगी तो मैंने अपने शर्ट उतार कर उसको दे दिए और पैंट भी उतार दिया। मेरा लण्ड उसके जिस्म को देख पैंट फाड़ बाहर आने को तैयार था, मैंने मौके का फायदा उठाते हुए उसकी कुँवारी चूत को चोद मैंने Meri Pehli Chudai की जबरदस्त शुरुआत की..