भाभी की बहन की चूत

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मेरा नाम विशाल है,
आज मैं आपको अपनी एक कहानी बताने जा रहा हूँ।

मेरे घर के पास ही मेरा भाई और भाभी रहते हैं। एक दिन मैं कॉलेज से लौटा तो देखा भय्या-भाभी के घर एक बहुत सुन्दर सेक्सी लड़की आई है तो जल्दी से मैंने बुक्स अपने घर रखी और पहुँच गया भाभी के घर, वहाँ भाभी भय्या और वो लड़की बैठी थी।
पता चला कि यह भाभी की चचेरी बहन है। वो लड़की बहुत बहुत सेक्सी थी, गुलाबी लब, गोरा रंग, टाइट गोल गोल बूब्स… उस लड़की ने जो सूट पहन रखा था उसके गले से उसके बूब्स वाली लाइन बाहर साफ़ दिखाई देती थी, मेरी तो नज़रें ही रुक गई थी।

अपने आप को संभालते हुए मैं भाभी और भय्या से बात करने लगा तो भाभी ने उस लड़की के साथ मेरी पहचान करवाई उसका नाम संगीता था।
मैं काफी टाइम वहीं पर बैठा उनसे बात करता रहा, संगीता अब मेरे से काफी खुल कर बात करने लगी थी, वो एग्जाम देकर आई थी।
उसे एक माह की छुट्टियाँ थी सो वो 10 दिन के लिए यहाँ पर आई थी।
मैं संगीता को अपने घर आने का कह कर घर चला गया।

उस रात मैं तो सो ही नहीं पाया और संगीता के बूब्स देख चुका था यारो, तो उस रात मैंने संगीता के नाम की 2 बार मुठ मारी थी।

अगले दिन छुट्टी थी तो मैं कॉलेज नहीं गया और सुबह होते ही पहुँच गया भाभी के घर… 8:30 का टाइम था, भय्या अभी सोये हुये थे और भाभी पूजा कर रही थी।
मेरी नज़र संगीता को ढूंढ रही थी, मैं भाभी के पास बैठा ही बात कर रहा था।
थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि संगीता ऊपर वाले रूम से आ रही थी।
दोस्तो, अभी वो सो कर आई ही थी, उसने नाइट सूट पहन रखा था, पतली सी शर्ट सफ़ेद रंग की पहन रखी थी, शर्ट के नीचे उसने ब्रा नहीं पहनी थी, शर्ट पतली होने की वजह से उसके दोनों बूब्स के निप्पल बाहर साफ़ दिखाई दे रहे थे।
अब तो वो और ज़्यादा सेक्सी लग रही थी, मन कर रहा था इसकी शर्ट मैं अपना मुँह घुसा कर इसके मम्मों को खूब चूसूँ और सारा दुग्ध पी जाऊँ…
मेरा लंड भी हरकत में आ गया था, लोहे की तरह अकड़ गया था, गर्म भी हो गया था।
मैंने लंड पर हाथ रखा हुआ था, कहीं सभी को मालूम ना चल जाए इस लिये।
अब ना तो मैं खड़ा होने की हालत में था, ना बैठ सकने की… मैंने ट्राउज़र और लोंग शर्ट पहनी थी, मैंने शर्ट बाहर निकाल ली जो पहले अंदर थी।

संगीता ने जैसे ही मुझे देखा उसके मुख पर भी स्माइल आ गई, बोली- गुड मॉर्निंग विशाल!
मैंने भी जवाब दे दिया।
वो मुँह धोने और फ्रेश होने के लिए बाथरूम गई और थोड़ी देर में आई, काफ़ी गीली हो गई थी, कुछ पानी उसके शर्ट के ऊपर बूब्स वाली जगह पर भी पड़ गया था, उसके बूब्स वहाँ से साफ नज़र आ रहे थे।
पहले तो मेरी नज़र वहाँ पर गई, बाद में ऊपर देखा तो वो तो मेरी तरफ़ ही देख रही बोली- क्या हुआ विशाल?

मैं बोला कुछ नहीं… वो मेरे पास आ गई।
भाभी नहाने के लिए चली गई और वो मेरे पास बैठ गई, काफी देर इधर उधर की बात करते रहे, बाद में बात कॉलेज की चल पड़ी। उसने मेरी गर्लफ्रेंड के बारे मैं पूछा तो मैंने मना किया कि कोई नहीं है।
जब उससे पूछा तो उसने भी मना किया और बोली- अभी मिला नहीं!काफी देर इसी टॉपिक पर बात चली।

मैं घर चला गया, उसने मुझे कहा कि वो घर पर बोर हो जाएगी तो वो नहा कर मेरे घर आयेगी।
मम्मी को आज गाँव जाना था तो वो चली गई और पापा ऑफ़िस चले गये थे।
मैं अक्सर ही, जब घर कोई नहीं होता था, मैं सेक्सी मूवी लगा कर मूठ मारता था। मैंने वैसे ही किया, सीडी लगाई और देखने लगा। मुठ मार कर मैंने जल्दी मैं सीडी बंद नहीं की लेकिन टीवी को रिमोट से ही बंद किया और नहाने के लिए बाथरूम में आ गया।

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कुछ देर ही हुई थी, बाहर से किसी ने बेल मार दी, बाहर देखा तो देखता रह गया, मेरे सामने संगीता खड़ी थी, मैं उसे अंदर ले आया। और फिर उसे ड्रॉईंग रूम मैं बैठा कर मैं नहाने के लिए बाथरूम में चला गया।

उसने मेरे जाने के बाद टीवी ऑन किया, सीडी ऑटोमॅटिक चल पड़ी, वो तो बस देखती रह गई, मैं तो बाथरूम में ही था।
वो चोरी चोरी सीडी देख रही थी, मेरे आने की आहट पर उसने टीवी बंद कर दिया, उसने मुझे एहसास ही नहीं होने दिया कि उसने कुछ देखा है।

काफी देर बात करते रहे, मुझे लगा कि वो बोर हो रही तो मैंने टीवी लगाने का प्रोग्राम बनाया। मैंने पहले सीडी बंद की और केबल चलाने लगा।
उसे मेरी तरह इंग्लिश मूवी पसंद थी, स्टार मूवीस पर कोई इंग्लिश मूवी आ रही थी।
थोड़ी देर बाद उसमे सेक्सी सीन आ गया, मुझे देखते देखते शर्म सी आ रही थी वो भी मुंह में ही मंद मंद मैं हंस रही थी।
मैंने उसकी तरफ और उसने मेरी तरफ़ देखा… और आँखें चार हो गई।

वो ज़ोर से हंस पड़ी… मैं भी!
हम सोफा पर बैठे थे, वो ज़ोर ज़ोर से हंस पड़ी, बोली- तुम बहुत गंदे हो विशाल!
और फिर हंस पड़ी।
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा था।

वो ज़ोर से बार बार कहने लग गई- तुम बहुत गंदे हो, गंदे हो!
और हंस रही थी।
मैंने पूछा- वो कैसे?
वो बोली- नहीं बताऊँगी।

मैंने उसे कहा- बताओ?

वो बोली- नहीं बताऊँगी…
मैंने जब उसका हाथ पकड़ा और बोला- बताओ क्या बात है?
वो हंस पड़ी और बोली- सभी को बताऊँगी…
मेरे ज़ोर डालने पर उसने बोल दिया- तुम चोरी चोरी ब्लू फिल्म देखते हो सीडी पर!
यह सुन कर मेरे तो एक बार तोते उड़ गये, मैं हैरान था कि इसे कैसे मालूम!

मैंने जब पूछा तो थोड़ी देर बाद उसने मुझे बता दिया- मैंने तेरे जाने के बाद टीवी ऑन कर लिया था।
मेरे तो माथे पर पसीना आ गया था।

वो बोली- तुम डर क्यों गये? मैं किसी को नहीं बताऊँगी..

हम फिर सोफा पर बैठ गये लेकिन अब पास पास बैठे थे, वो थी कि थोड़ी देर बाद हंसने लगती।
आख़िर उसने कहा- चलो, हम दोनों देखते हैं, मुझे भी देखनी है, मेरी सब फ्रेंड्स ने देख रखी है लेकिन मैं देख नहीं पाई… मुझे भी दिखा दो…

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मैंने सीडी ऑन कर ली, जब मूवी मैं सेक्सी सीन आये तो उसे भी सेक्स चढ़ने लगा और मुझे भी… मैं उसके साथ लग गया, धीरे से मैंने अपना हाथ उसके कंधे पर रख दिया और फिर मैंने अपना हाथ उसके बूब्स पर रख दिया।
उसने मेरी तरफ़ देखा और फिर मूवी देखने लगी, मैं लगातार उसके बूब्स दबा रहा था, मैं दूसरा हाथ उसके दूसरे बूब्स पर मसलने लगा।
वो भी मस्त हो रही थी।

मैंने धीरे से उसके गालों पर किस किया और फिर अपने होंठ उसके गर्म गर्म पिंक पिंक लिप्स पर रख दिए।
वो भी काफ़ी सेक्सी हो चुकी थी।

उसने भी चुम्बन में मेरा साथ दिया और हम चूमा चाटी करते गये, उसने मुझे और मैंने उसे खूब चूसा, मेरे लिप्स पर उसने दांतों से काट भी दिया था।
मैं नीचे से उसके बूब्स को मालिश कर रहा था।
मैंने फिर उसका टाइट कमीज ऊपर से उतार दिया, उसके गोरे गोरे सेक्सी सेक्सी बूब्स ब्रा के अंदर से ऐसे लग रहे कि कह रहे हों- जल्दी हमें आज़ाद करवा और हमें खूब चूस!

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मैंने वैसा ही किया, मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी, उसके बूब्स पर मैं टूट पड़ा, खूब चूस रहा था और वो खूब सेक्सी हो रही थी।

मैंने अपने हाथ से उसकी उसकी पटियाला सलवार को खोल दिया और उतार दिया और अपना हाथ सीधा उसकी चूत पर रख दिया।

संगीता ने चूत पर शेव कर रखी थी उसकी लाल लाल सी चूत पर मैंने पहले एक उंगली घुसा दी, संगीता ने आ…हहह की आवाज़ निकाली, फिर उंगली को कभी अंदर और बाहर निकालने लगा।

वो सेक्स के मारे पागल हो रही थी, लगातार सेक्सी सेक्सी आहें भर रही थी- उम्म्म्म अहह…
मैंने जब उसके चुचूक (निपल्स) और बूब्स खूब चूस लिये तो अब मैंने अपना लंड उसके मुख में डाल दिया। उसने भी चूसना शुरू किया।
चूसते चूसते वो मेरी तरफ़ देख रही थी और उसकी आखों की चमक काफ़ी बढ़ चुकी थी, उसकी आँखों से पता चल रहा था कि वो काफ़ी खुश थी क्योंकि उसे 7.5 इंच के लंड का स्वाद मिल रहा था।

मुझे उसकी हरकतों से पता लग गया था कि उसने पहले भी अपनी चूत किसी से चुदवा रखी थी, वो तो लोलीपोप की तरह मेरे लंड को हाथ में पकड़ कर चूसे पर चूसा लगा रही थी… ‘उम्म्म्मम हा…हा… कर रही थी, वो तो अपने आप ही मेरे लंड को अपने मुहं के अंदर पूरा उतार देना चाहती थी।
मुझे काफ़ी मजा आ रहा था, इतना सेक्स मजा आ रहा था कि आनन्द के मारे आँखें बंद हो रही थी और मेरी आआअहह निकल रही थी।
मैंने लंड उसके मुँह से निकाल लिया और उसे सोफे पर मैं नीचे फर्श पर घुटनों के बल बैठ कर उसकी चूत को चूसना शुरू किया।

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अपनी जीभ मैं उसकी चूत के अंदर डाल डाल कर खूब चूस रहा था। उसने अपने हाथ मेरे कंधों पर रखे हुये थे, उसे भी काफी मजा आ रहा था, उसका पानी मेरे मुँह में आ रहा था, काफ़ी गीली गीली हो गई थी उसकी चूत।

दोस्तो, मैंने इतनी लाल लाल चूत पहली बार देखी, एक उसके बूब्स के निप्पल भी लाल थे और दूध वाली बोतल की तरह उसके निप्पल बाहर निकले हुए थे।
उसकी चूत को भी मैंने खूब चूसा उसका दाना गर्म हो गया था।

मैंने उसे सोफे पर बेठा कर उसकी टाँगों को अपने कंधे पर रखा और अपने तने हुए लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा।
वो तो इतनी जल्दी कर रही थी कि ‘जल्दी जल्दी घुसा दो…’ कह रही थी।
‘अहह विशाल… तड़पा मत, जल्दी जल्दी जल्दी करो…’ और साथ में नाटक कर रही थी, कह रही थी कि ‘दर्द तो नहीं होगा ना?’

मैं भी हंसी से कह देता- नहीं होगा।
मैंने अपना लंड उसकी चूत में घुसाना शुरू किया, एक बार उसने ज़ोर से चीख मारी और अपना हाथ उसने अपने मुँह पर रख लिया। मैंने जब दो तीन धक्के मारे तो वो भी तब तक सेट हो गई, मैं जब धक्का ज़ोर से मारता तो वो दर्द महसूस करती।

मैंने थोड़ी देर धीरे किया, बाद मैं जब उसे मजा आने लगा तो मैं भी और तेज होने लगा था, वो भी अब मेरा साथ देने लगी थी और मेरी नज़रों से नज़र मिला के हंस पड़ती और बोल रही थी- विशाल, रुकना मत… करते रहो, खूब प्यार करो, मुझे तेरा प्यार चाहिए।

मैंने अपना पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया, मेरे धक्के बिना रुके ज़ोर ज़ोर से जारी थे।

अब मैं सोफे पर बेठ गया वो मेरे ऊपर आ गई। लंड के ऊपर बैठी वो अपने आप को खूब ज़ोर ज़ोर से चुदवा रही थी।
उस टाइम उसके चूतड़ों की हरकत देखने वाली थी, उसके गोरे गोरे चूतड़ बहुत कातिल थे, घायल कर देने वाले थे।
काफी टाइम लगा कर रब ने उसके चूतड़ तैयार किए होंगे, ऐसा लग रहा था।
वो खूब ज़ोर कभी ऊपर और कभी नीचे होकर धक्के मरवा रही थी।

जब वो थक गई तो मैं उसे सोफे पर ही कुतिया की तरह नीचे लेकर पीछे से लग गया धक्के मारने… जब धक्का लगता तो उसके चूतड़ों से आवाज़ पैदा हो रही थी ‘थप थप थप…’

मैंने पहले तो उसके चूतड़ों पर हाथ रख कर पीछे से खूब मारा, फिर मैंने पीछे से संगीता को झप्पी डाल ली और उसके बूब्स को मसलने लगा और कभी उसकी पीठ पर चुम्मी करता, एक बार तो मैंने उसके बाल ही पकड़ लिए थे।

बहुत मजे दे दे कर वो चूत दे रही थी… ऐसा लग रहा जैसे काफी सालों की भूखी हो।

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अब मेरा छुटने वाला था, मैंने निकालने को कहा तो वो बोली- निकालना मत विशाल… ऐसे ही करते रहो!

मैंने बोला- अब छूट जाएगा।
लेकिन वो नहीं मानी, आख़िर मैंने उसकी चूत में ही ज़ोर ज़ोर से 8-10 धक्के ऐसे मारे कि चूत के अंदर ही मैंने सारा माल छोड़ दिया। लेकिन मैंने आखिर में अपना लंड निकाल लिया और अपना गीला लंड उसके मुँहं से साफ़ किया।
वो लंड से हटी तो मेरे जिस्म से खेलने लगी, चूमा चाटी कर रही थी।