नर्स की कुंवारी चूत

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दोस्तो, मेरा नाम विशाल है और मैं मस्तराम का लगातार पाँच सालों से पाठक हूँ।

मैं मस्तराम की कोई भी कहानी पढ़े बिना नहीं छोड़ता हूँ।

तो मैंने सोचा कि क्यों न मैं भी अपनी कहानी मस्तराम पर साझा करूँ।

 मैं हरयाणा के जींद का रहने वाला हूँ मेरी उम्र बीस साल और एक अच्छे हट्टे-कट्टे शरीर का मालिक हूँ।

मैं अब आपको मेरे साथ घटी सच्ची घटना बताता हूँ।

बात उस समय की है जब मैं अपने गाँव से शहर में एक प्राइवेट हस्पताल में लगा था।

वहाँ पर मैं और मेरे ही गाँव का लड़का काम करता था और एक लड़की वहीं जीन्द से थी.. उसका नाम वन्दना था।

उस हॉस्पिटल में मैं हेड के पद पर लगा हुआ था तो आप समझ ही सकते हैं कि वहाँ का बड़ा अधिकारी मैं ही हुआ..
और सब कुछ मेरे ही हाथ में था।

मैं अब आपको उस लड़की के बारे में बताता हूँ। उसकी उम्र भी बीस साल की थी और दिखने में क्या बताऊँ आपको एकदम गोरी थी और उसका फिगर 36-34-38 का रहा होगा।

मुझे वो भा गई थी और धीरे-धीरे मैं उससे बात करने लगा।

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हम दोनों में अच्छी बनने लगी और इस तरह से हमारा मेलजोल बढ़ने लगा।
अब हम दोनों एक-दूसरे को चाहने लगे थे..
लेकिन हम दोनों में से कोई भी अपने दिल की बात कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था।
फिर ऐसे ही बातों में कई दिन निकल गए और एक दिन मैंने हिम्मत करके उसको ‘आई लव यू’ बोल दिया।

उसने मुझे कोई जवाब नहीं दिया और अगले दिन वो नहीं आई.. मैंने सोचा शायद वो नाराज हो गई।

दूसरे दिन जब वो आई तो मैंने उससे वही बात फिर से की और कहा- अगर तुम्हें मेरी बात बुरी लगी तो आप मेरे को बोल देतीं।

तो उसने कहा- ऐसी कोई बात नहीं है.. मैं तो कल बस ऐसे ही नहीं आई थी।

फिर मैंने उससे कहा- मुझे तुमसे लंच टाइम में बात करनी है।

तो उसने ‘हाँ’ कर दी और लंच होते ही मैंने उसको पीछे बने एक खाली ‘प्राइवेट रूम’ में बुलाया.. वो आ गई।

मैंने उसको वहीं पर पकड़ कर होंठों पर चुम्बन किया.. उसने अपने आप को मुझसे छुड़ा लिया।

फिर मैंने उसको पकड़ कर बिस्तर पर गिरा दिया।

अब मैं उसके ऊपर चढ़ कर उसे चूमने लगा, वो गर्म होने लगी थी और मेरा साथ भी देने लगी।

फिर वो एकदम से मुझसे छूट कर भाग गई।

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अब मेरे अन्दर का जानवर जाग चुका था और मुझसे रहा नहीं जा रहा था।

मैं बाथरूम में घुसा और मूठ मार कर अपने आप को शान्त किया।

मेरा मन अब उधर नहीं लग रहा था तो मैंने अपनी बाइक उठाई और घर पर आ गया।

फिर मैं वहाँ पर दो दिन बाद गया, उसने मुझे जाते ही कहा- क्या आप मुझसे नाराज हो गए?

मैंने बेरुखी से अपना सर हिला दिया।

फिर वो अपने आप लंच टाइम में मेरे पास आ गई और उसने मुझसे कहा- कल मुझे कुछ होने लगा था.. इसलिए मैं भाग गई थी।

वो मुझसे प्यार जताने लगी थी।

मैं उसको वहीं बिस्तर पर लेटा कर चुम्बन करने लगा.. उसकी चूचियों को दबाने लगा।

अब वो पूरी तरह से मेरा साथ देने लगी.. मेरा लंड पूरा दस अंगुल का और पूरा मोटा हो गया था।

मुझसे रुका ना जा रहा था, अब मैं अपना हाथ उसके चूतड़ों पर फिराने लग गया..

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मैं धीरे-धीरे अपने हाथ को उसकी चूत पर ले गया तो अचानक उसने मेरा हाथ हटा दिया और अपने आप को छुटा लिया।

मैंने उसकी तरफ सवालिया निगाहों से देखा तो उसने कहा- आगे नहीं…

तो मैंने पूछा- क्या हुआ?

उसने कहा- आज नहीं.. फिर कभी देखेंगे.. अभी मेरी माहवारी चल रही है।

इस तरह से उसने मुझे अपनी चूत तक नहीं पहुँचने दिया।

एक दिन मैंने चुम्बन करते समय उसके हाथ में अपना लंड दे दिया और वो उसको हिलाने लगी।

इस तरह मैं थोड़ा-थोड़ा करके आगे बढ़ता गया और आख़िरकार वो दिन आ ही गया जिसका मुझे इंतजार था।

नये साल वाले दिन हमारा डॉक्टर बाहर गया हुआ था तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

मैंने उसको जाते ही पकड़ लिया और कमरे में ले गया।

मैंने कमरे को अन्दर से बन्द कर लिया और एसी को चालू कर दिया।

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कमरे में उसको लाने के पहले ही मैंने अपने गाँव के उस लड़के को बोल दिया था कि किसी को भी ऊपर मत आने देना।

वैसे उसने पहले भी मेरी काफी मदद की है।

अब कमरे में मैंने वन्दना को बिस्तर पर जबरदस्ती गिरा दिया और वो मुझ पर गुस्सा करने लगी ताकि मैं उसको छोड़ दूँ लेकिन आज मैं कहाँ मानने वाला था क्योंकि मेरे लिए इससे अच्छा मौका नहीं मिल सकता था।

मैं उसके होंठों और गालों पर चुम्बन करने लगा।

थोड़ी देर बाद वो भी मुझे चूमने लग गई और मुझे अपनी बाँहों में जकड़ने लगी।

फिर मैं उसकी चूत पर सलवार के ऊपर से ही हाथ फिराने लगा और उसकी सनी लियोनी जैसी चूचियों को भी दबा रहा था।

फिर मैंने उसके कपड़े जबरदस्ती से निकाल कर फेंक दिए.. वो रोने लगी।

मैंने उसको समझाया कि कुछ नहीं होगा।

तो वो कहने लगी- मुझे सेक्स नहीं करना है क्योंकि मेरा रिश्ता होने वाला है और मैं अपने घर वाले को क्या मुँह दिखाऊँगी….

तो मैंने कहा- कुछ नहीं होगा।

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लेकिन वो फिर भी मना करने लगी।

मैं फिर उसके चूचे दबाने लगा और उसकी चूत पर हाथ फिराने लगा। उसको भी चुदास तो थी सो अब वो थोड़ा बहुत मेरा साथ देने लगी।

कुछ देर बाद मुझसे रुका नहीं जा रहा था..
मैंने एकदम से उसकी टाँगें उठाईं और अपना लंड उसकी चूत पर रख कर जोर का धक्का मारा..
मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस गया।

वो मुझसे छूटने की कोशिश करने लगी।

पर उसके ऊपर ‘विशाल जाट’ था वो भी उसे क्यों उठने देगा।

मैंने लगातार एक बार जोर और लगाया.. मेरा लंड पूरा अन्दर चला गया।

वो चिल्लाने लगी कमरा बंद होने से आवाज बाहर नहीं जा सकती थी।

फिर मुझे कुछ गीला-गीला सा लगा.. मैंने कुछ नहीं देखा मैं तो बस हरियाणा वालों की तरह जुटा रहा।

थोड़ी देर बाद वो अपने चूतड़ों को ऊपर उठाने लगी..
मैं भी उसे धकापेल चोदने में लगा हुआ था।

तभी उसने मुझे क़स कर पकड़ लिया और एकदम से निढाल हो कर लेट गई।

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मैं अभी भी चुदाई में लगा हुआ था।

करीब 15-20 मिनट उसको चोदने के बाद मेरा पानी छूटने वाला था और मैंने धक्के मारने तेज कर दिए।

एक तेज ऐंठन के साथ मैंने उसकी चूत में ही अपना सारा माल छोड़ दिया और उसके ऊपर ही लेट गया।
जब थोड़ी देर बाद उठा तो चकित रह गया क्योंकि जो मुझे गीला सा लग रहा था वो उसकी चूत से निकला हुए खून था जिससे सारी चादर ख़राब हो चुकी थी।

वो उसको देख कर रोने लगी..

मैंने उसे समझाया और कपड़े पहना कर खड़ा किया तो वो चल नहीं पा रही थी.. उसको बहुत दर्द हो रहा था।

मैंने वो चादर बदली और उसको दर्द की गोली दी।

तो दोस्तो, इस तरह मैंने नए साल पर वन्दना की सील तोड़ कर मेरी पहली चुदाई की और फिर मैंने उसको कई बार चोदा..

मैं शुरुआत में जबरदस्ती करता पर फिर वो भी अपनी चूत की खुजली मिटवाने के लिए टाँगें खोल देती थी।

उसकी एक महीने पहले शादी हो गई है.. वो मुझे बहुत याद आती है।

तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी कहानी मैं आपके मेल का इंतजार करूँगा।

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लिखने में अगर थोड़ी बहुत गलती हो गई हो तो माफ़ करना।

रूँगा।