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मेरी बीवी की ताबड़तोड़ चुदाई
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यंग वाइफ हार्डकोर सेक्स कहानी में पढ़ें कि एक दिन मैं अपनी बीवी को नंगी करके छोड़ने की तैयारी में था कि मेरा एक दोस्त आ गया. वो पहले भी उसे चोद चुका था.

फ्रेंड्स, मैं स्वप्निल झा आपको अपनी निम्फ़ो बीवी की चुदाई की कहानी
मेरी कमसिन बीवी मेरे दोस्तों से चुद गयी
सुना रहा था.

निम्फो के बारे में आप गूगल कर सकते हैं. किसी भी निम्फो लड़की या औरत की चुदाई की प्यास इतनी अधिक बढ़ जाती है कि एक मर्द से उसकी प्यास बुझती ही नहीं है.

मेरी चुदाई कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा था कि मेरी बीवी को मेरे चार दोस्तों से चुदे हुए चार दिन हो गए थे. इस दौरान मैंने भी उसे नहीं चोदा था.

अब आगे Young Wife Hardcore Sex Story:

चार दिन तक मेरे उन चारों आकाओं में से किसी का कॉल नहीं आया और ना ही मैंने उनको कॉल किया.
मैं उनके सामने अपने आपको शर्मिंदा नहीं करना चाहता था.
क्योंकि सच तो उन्हें भी पता था कि वो लोग अरुणिमा को हचक चोद गए थे और मैंने कोई बात की, तो वो मुझे नीचा दिखने की कोशिश जरूर करेंगे.
इसलिए मैंने उनसे दूरी बनाना ही उचित समझा.

अरुणिमा चार दिन तक घर में नंगी ही घूमती रही पर मैंने उसकी हालत को समझते हुए उसे परेशान नहीं किया.

इस दौरान एक दो बार उसने मेरे मुँह में अपनी चूत लगा कर चटवाई और पानी निकलवा कर अलग हो गई.

उसकी वासना भड़क उठती थी मगर मैं उसके शरीर की हालत देख कर उसे नहीं चोदता था.
मुझे क्या मालूम था कि मैं कितना गलत सोच रहा था.

मेरी बीवी की चुदास काफी बढ़ने लगी थी और मैं उसे अपनी गलत सोच के कारण चोद नहीं पाया था.
चौथे दिन रात में ग्यारह बजे मेरा मूड बन गया और मैंने उसके बदन से खेलना चालू किया.

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ये हिंदी सेक्स कहानी आप HotSexStoriesPictures.Com पर पढ़ रहें हैं|

उसने भी ज़रा सा नानुकर नहीं किया और मुझे अपने बदन से खेलने देती रही.

अभी मैं अपने कपड़े उतार कर फ्री ही हुआ था कि दरवाजे पर घंटी बजी.

मैं आने वाले को कोसते हुए उठा और टॉवल लपेट कर दरवाजा खोलने गया.

दरवाजे पर शमशुद्दीन जी खड़े थे, उन्होंने मुझे चार फाइलें दीं और चैक करने का कहा.

उन्होंने कहा कि ये उनके वादे अनुसार चार कामों की फाइलें हैं.
मैंने ‘हम्म’ करके फाइल्स ले लीं.

उन्होंने मुझसे कहा- अभी फाइल चैक कर लो, कुछ और काम निकला, तो सुबह पीए से भिजवा देंगे.
मैं बरामदे में बैठ कर फाइल चैक करने लगा.

वो भी सामने बैठ गए लेकिन थोड़ी देर बाद वाशरूम की बोले.
मैंने सर हिला दिया और वो अन्दर चले गए.

लगभग बीस मिनट तक जब वो बाहर नहीं आए, तो मैं उनको ढूंढते अन्दर गया.

वो टॉयलेट में नहीं थे … ना बाथरूम में!
तो मैं ढूंढते ढूंढते बेडरूम में पहुंचा.

उधर देख कर हक्का बक्का रह गया.
शमशुद्दीन नंगे होकर अरुणिमा के मम्मों को मसल रहे थे, अरुणिमा खिलखिला रही थी और शमशुद्दीन जी का लंड अरुणिमा की चूत में फंसा था.
वो अरुणिमा के दोनों निप्पलों को बारी बारी से चूस रहे थे.

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मुझे आया देख कर भड़क कर बोले- साले भड़वे! देख नहीं रहा, मैं तेरी बीवी के साथ बिजी हूँ. बाहर जा और वेट कर!
अरुणिमा मुस्कुरा दी और उसने मुझे बाहर जाने का इशारा कर दिया.

मैं अनमने मन से बाहर आकर सोफे पर बैठ गया.
मेरा मन नहीं मान रहा था कि मैं अरुणिमा को अन्दर शमशुद्दीन जी से चुदते हुए छोड़ कर बाहर बैठ कर उनके चुदाई ख़त्म कर आने का इंतज़ार करूं.

मैंने फिर से उठ कर अन्दर झांका तो देखा कि शमशुद्दीन जी अरुणिमा की जांघें पकड़ कर ताबड़तोड़ उसकी चूत चोद रहे थे.

उनकी आंखें बंद थीं और वो मेरी बीवी की टाइट चूत का पूरा मज़ा ले रहे थे.

मेरा मन उनको रोकने और यहां से चले जाने को बोलने का था पर मेरी बीवी मजे से लंड ले रही थी और उसकी ख़ुशी देख कर मैं चुप रहा.

फिर शमशुद्दीन जी की घनिष्ठता विश्वेश्वर जी से थी और मैं विपरीत परिणामों से परहेज कर रहा था.

सच तो ये था कि इन चारों से मैं सीधे तौर पर उलझना ही नहीं चाहता था इसलिए मन मार कर मैं बाहर आ गया.

बीच बीच में मैं अन्दर झांकता था तो कभी वो रुक कर अरुणिमा के निप्पल्स चूस रहे होते, तो कभी उसके होंठों को चूम चूस रहे होते और कभी चूत चोद रहे होते.

अभी मैं बैठा ये सब होते देख ही रहा था कि दरवाजे पर फिर से घंटी बजी.

मेरा दिमाग गर्म हो ही गया था, सो जो भी दरवाजे पर होगा, उसको खरी खोटी सुनाऊंगा, ये सोच कर मैंने दरवाजा खोला.

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दरवाजे पर गुरबचन जी खड़े थे, वो दरवाजे को धक्का देते हुए जल्दी से अन्दर आए और बोले- शमशुद्दीन कहां है?

मैं कुछ जवाब नहीं दे पाया, तो उन्होंने खींच कर मेरे गाल पर एक थप्पड़ लगा दिया.
मुझे उनसे ऐसे व्यवहार की कतई उम्मीद नहीं थी.
मैं गाल सहलाते हुए बोला- वो अन्दर अरुणिमा के साथ …
इतना बोल कर मैं रुक गया और आगे नहीं बोला.

गुरबचन जी बोले- तो ऐसा बोल न भड़वे कि अन्दर शमशुद्दीन तेरी रंडी बीवी को चोद रहा है. जब रंडी से शादी की है, तो भड़वा जितना बेशर्म भी बन जा न!
वो कपड़े उतार कर मेरे सामने ही नंगे हो गए और अन्दर जाने लगे.

थप्पड़ का दर्द अभी भी गाल पर हो रहा था तो मैं उनको मना ही नहीं कर सका.

पांच मिनट बाद जब थोड़ी हिम्मत हुई तो मैंने बेडरूम में झांक कर देखा.

अरुणिमा को शमशुद्दीन जी कुतिया बना कर पीछे से चोद रहे थे.
वो उसकी चूत मार रहे थे या गांड, ये कहना मुश्किल था.

गुरबचन जी उसके चेहरे को पकड़ कर उसका मुँह चोद रहे थे.
वो मुँह चोद रहे थे, ये इसलिए कह रहा क्योंकि वो लंड चूस नहीं रही थी बल्कि गुरबचन जी अपना लंड अन्दर धकेल रहे थे, जितना उनका मन हो रहा था.

अरुणिमा को सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी क्योंकि उनका लम्बा लंड उसके गले के अन्दर तक छू जा रहा था.

मेरे रोकने से वो दोनों रुकने वाले तो थे नहीं, तो मैं बाहर आकर बैठ गया.

अभी दो मिनट भी नहीं हुए थे कि मुझे औ औ … की आवाज आई और मैंने अन्दर जाकर देखा.
अन्दर अरुणिमा ने गुरबचन जी के लंड पर उलटी कर दी थी और बाकी उलटी चादर पर फ़ैल गई थी.

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गुरबचन जी ने पहले मुझे देखा, फिर अरुणिमा का बाल पकड़ कर खींच कर कहा- साली रंडी! प्रेग्नेंट हो गई क्या?

अरुणिमा मादक आवाज में कराहती हुई बोली- सर आपका लंड बहुत लम्बा है और गले में छू रहा था … तो उबकाई आ रही थी.
गुरबचन जी मुझसे बोले- देख क्या रहा है भड़वे … साफ़ कर इधर, पूरा मूड ख़राब हो गया.

मैंने धीरे धीरे करके उनके नीचे से चादर निकाली और उसको वाशिंग मशीन में डाल दिया.
चादर धोने डालने के बाद मैंने एक छोटी बाल्टी में अरुणिमा को कुल्ला करवाया और गीले कपड़े से उसका मुँह और चेहरा पौंछा.

इतना कुछ चल रहा था, लेकिन शमशुद्दीन जी रुके नहीं थे.
अरुणिमा अभी भी कुतिया स्टाइल में ही थी और शमशुद्दीन जी मजे से उसे चोदने में जुटे थे.

सामने क्या हो रहा है, उससे उन्हें मानो कोई मतलब ही नहीं था.

इसके बाद अरुणिमा गुरबचन जी से बोली- अब आप मुझे चूसने दो, मैं अच्छे से चूस दूंगी.
गुरबचन जी कुछ नहीं बोले और अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया.

अरुणिमा लंड चूस ही रही थी कि शमशुद्दीन जी ने अपना लंड पूरा अन्दर डाला और उसकी चूत या शायद गांड में पूरा झड़ गए.

शमशुद्दीन जी उठ कर बाथरूम चले गए और अरुणिमा अपनी कमर नीचे करके पूरी तन्मयता से गुरबचन जी का लंड चूसने लगी.

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लंड पर उसके जीभ और मुँह का जादू चलते ही उनका गुस्सा थोड़ा कम हुआ और वो आंखें बंद करके लंड चुसवाने का मजा लेने लगे.

थोड़ी देर बाद गुरबचन जी बोले- बस कर रंडी … मैं समझ रहा हूँ, साली अपने मुँह में ही निकलवा देना चाहती है और सोच रही है कि गांड मराने से बच जाएगी.

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वो मुझे देख कर बोले- अबे भड़वे! क्रीम या तेल लेकर आ, मुझे इस रंडी की गांड मारनी है.

मैंने ड्रेसिंग टेबल से क्रीम निकाल कर उनको दे दी और उन्होंने अरुणिमा को दे दी- चल लगा साली!
अरुणिमा ने उनका लंड अपने मुँह से निकाला और लंड पर क्रीम लगाने लगी.

जब क्रीम लग गई तो उसने खुद ही उनकी तरफ अपनी गांड पलटा दी.
ये देख कर गुरबचन जी हंस कर बोले- पूरी प्रशिक्षित हो गई है रांड … साली कोठे पर बैठने लायक हो गई है.

अरुणिमा भी हंस दी.

गुरबचन जी ने उसके चूतड़ों को फैलाया और अपना लंड उसके गांड में घुसाने लगे.

अरुणिमा की पहले भी गांड मरा चुकी थी लेकिन फिर भी वो अभी इतनी अभ्यस्त नहीं हुई थी कि आसानी से गुरबचन जी का लंड अन्दर चला जाए.
फिर गांड मारने वाले और मराने वालियां इस बात को समझती होंगी कि गांड में लंड लेने में शुरुआत में दर्द होता ही है.

जैसे तैसे कराहते चिहुंकते एक दो मिनट में लंड गांड के अन्दर समा गया.
उसके बाद गुरबचन जी मेरी बीवी की कमर पकड़ कर उसकी गांड पूरी ताकत से चोदने लगे.

कुछ झटकों तक अरुणिमा अपने होंठों को चबाती हुई कराहती रही.
कुछ देर बाद अपनी आंखें बंद करके उसने चेहरा तकिए पर टिका दिया.

गुरबचन जी कुछ मिनट उसकी गांड मारते रहे, फिर रुक कर उसके मम्मों को जोर जोर से मसलने लगे. निप्पलों को खींचते और दोबारा से उसकी गांड मारना चालू कर देते.

इसी तरह गांड चुदाई करते करते कुछ मिनट में वो उसकी गांड में झड़ गए.
फिर उन्होंने अपना लंड बाहर निकाला और बाथरूम में घुस गए.

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दस मिनट बाद बाहर आए और कपड़े पहनने लगे.

शमशुद्दीन जी अपने कपड़े पहन कर ड्राइंग रूम में बैठे थे और गुरबचन जी के आते ही खड़े हो गए.

गुरबचन जी मुझसे बोले- सोच रहा हूँ कि आज रात अरुणिमा रंडी को घर ले जाऊं, आज रात इसे तबीयत से चोद कर सुबह वापस पहुंचा दूँ.
मैंने कुछ नहीं कहा, बस अपने दोनों हाथ जोड़ दिए.

शमशुद्दीन जी हंस दिए और बोले- भड़वे, हाथ मत जोड़ … सर मजाक कर रहे हैं. फाइल देख ली हो, तो कल निगम जाकर जरूरी दस्तावेज जमा कर देना और काम तुझे आबंटित हो जाएगा. भूलना मत, मुझे कल बाहर जाना है.

मैंने सर हिला दिया और वो दोनों निकल गए.

वापस आकर देखा तो अरुणिमा थकान की वजह से सो चुकी थी.
मैंने नम कपड़े से उसकी चूत और गांड को हल्के से पौंछा और अरुणिमा को चादर ओढ़ा दिया.

मैं खुद भी उसकी बगल में लेट गया और नींद लग गई.

सुबह नौ बजे मोबाइल के रिंग से नींद खुली.

दूसरी तरफ शमशुद्दीन जी थे.

फोन उठाते ही वो चिल्लाए- अबे भड़वे! हमारे जाने के बाद भी उस वेश्या को चोद रहा था क्या … जो अब तक सो रहा है? जल्दी उठ और निगम जाकर चारों फाइल जमा कर दे और पावती ले लेना. वो मेरे पीए को दे देना.

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मैं फटाफट उठा और फ्रेश होकर तैयार होने लगा.
अरुणिमा भी उठ गई.

जब तक मैं तैयार हो रहा था और फाइलों को समेट और एक सी जमा रहा था, तब तक उसने नहा कर नाश्ता तैयार कर दिया.

मैं जैसे ही नाश्ता करने बैठा, वो डाइनिंग टेबल के नीचे घुस गई.

उसने मेरी पैंट की ज़िप खोली और मेरा लंड बाहर निकाल लिया.
मैंने पूछा- क्या कर रही हो?
उसने मुस्कुरा कर कहा- आप इतने दिन से मुझे चोद नहीं पा रहे हो. कल का भी प्रोग्राम आपका व्यर्थ चला गया था और आज भी आपको काम है. इसलिए मैंने सोची कि आपको कम से कम थोड़ी राहत तो दे ही दूँ.

इतना बोल कर वो हंस दी और उसने मेरा लंड अपने मुँह में भर कर चूसना चालू कर दिया.
एक तो उसका लंड चूसने का टेलेंट और इतने दिनों की मेरी बेताबी, सो पांच मिनट भी नहीं लगा और मैं उसके मुँह में झड़ गया.

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उसने चूस कर और चाट कर मेरा लंड साफ़ कर दिया.

फिर मैंने नाश्ता किया. नाश्ता करके और फाइल को समेट कर मैं दरवाजे तक आया.
अरुणिमा भी मेरे पीछे पीछे दरवाजे तक आई.

मैंने दरवाजा खोल कर उसके होंठों को चूमा और बाहर निकलने ही वाला था कि मुझे धक्का देकर कोई अन्दर घुस गया.

पलट कर मैंने देखा तो गुरबचन जी दो लोगों के साथ मेरे सामने खड़े थे.

अरुणिमा को उनका आना बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था और ये उसके चेहरे पर साफ़ झलक रहा था.
गुरबचन जी आगे बढ़ कर अरुणिमा की कमर पकड़ कर खड़े हो गए.

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उन्होंने मुझसे कहा- आज तो दिन भर काम है तुझे, तो मैंने सोचा कि अरुणिमा बोर हो जाएगी इसलिए मैं उसका दिल बहलाने आ गया.
मैंने मन ही मन सोचा कि अरुणिमा का दिल बहलाने आए हो या अपनी हवस की आग बुझाने.

गुरबचन जी के साथ खड़े दोनों आदमियों में से एक ने तुरंत अरुणिमा की चूत पर अपनी हथेली रखी और उसकी चूत में एक उंगली घुसा दी.
दूसरे ने अरुणिमा के एक दूध को पकड़ कर जोर से दबा दिया.

गुरबचन जी बोले- अब जा ना … नहीं तो तुझे देर हो जाएगी. बेफिक्र होकर जा, हम तेरे आने तक यही हैं.

मैं बाहर आया और पलट कर देखा, तो गुरबचन जी अरुणिमा को लेकर अन्दर बेडरूम के तरफ जा रहे थे.

वो चिल्ला कर बोले- योगेश जी, दरवाजा बंद करके आइएगा.

एक आदमी दरवाजे तक आया और मुझे देख कर मुस्कुरा कर बोला- मस्त रंडी है … आज तो मजा आ जाएगा.

ये बोल कर उसने मेरे मुँह पर ही दरवाजा बंद कर दिया.

अब मेरा रुकने का कोई औचित्य नहीं था. मैं भागा भागा निगम पहुंचा.
लगभग साढ़े दस हो रहे थे. निगम का काम अभी चालू हो ही रहा था. बहुत से अधिकारी अभी आए ही नहीं थे.

इंतज़ार करते करते बारह बज गए. कुछ अधिकारी आए और कुछ नहीं.
जिन अधिकारियों से मुझे काम था, मैंने उनसे दस्तखत करवाना चालू किया और काम खत्म होते होते लगभग तीन बज गए.

फिर मैंने हर एक फाइल को अलग अलग कार्यालय में जमा किया और पावती ले ली.

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पावती लेकर मैं शमशुद्दीन जी के प्राइवेट ऑफिस के तरफ भागा.
वहां उनका पीए उपस्थित नहीं था.

मैंने उसको फोन किया तो उसने कहा- कुछ देर में आ रहा हूँ.
वो पौन घंटा बाद तक आया.
उसे पावतियां थमा कर मैं घर को भागा.

घर पहुंच कर दरवाजे की बेल बजाई, तो अन्दर से आवाज आई- खुला है आ जाओ.
मैं धड़कते दिल के साथ ये सोचते हुए अन्दर घुसा कि अरुणिमा किस हालत में मिलेगी.

जैसे ही ड्राइंग रूम में पहुंचा तो देखा कि गुरबचन जी नहीं थे, अरुणिमा पूरी नंगी सोफा टेबल पर घोड़ी बनी हुई थी.
एक आदमी उसके मुँह को चोद रहा था और दूसरा शायद उसकी गांड मार रहा था.

अरुणिमा के पूरे बाल अस्त व्यस्त थे और चूचे मसले जाने की वजह से लाल हो गए थे.
बाकी बदन पर कहीं कहीं दांत से काटने के निशान थे और कहीं कहीं खरोंचों के निशान भी थे.

उसके दोनों चूतड़ भी लाल दिख रहे थे, शायद वाइफ हार्डकोर सेक्स के टाइम उन पर उन सब ने थप्पड़ लगाए होंगे.

मेरे सामने रहते सब थोड़ा नर्मी से अरुणिमा को चोदते थे और मेरे अनुपस्थिति में सब शायद ज्यादा कामुक और आक्रामक हो जाते थे.

उसकी गांड जो आदमी मार रहा था, उसने फिर से उसके चूतड़ पर एक थप्पड़ मारा तो अरुणिमा ने मुँह से लंड निकाल कर कहा- मार क्यों रहे हो, चुदवा तो रही हूँ ना!

वो गरज कर बोला- साली रंडी, मुझे मत सिखा कि कैसे चोदना है, मेरा जैसे मन करेगा, मैं वैसे चोदूंगा.
अरुणिमा ने बहस नहीं की और फिर से दूसरे का लंड चूसना शुरू कर दिया.

लगभग दस मिनट बाद मेरी वाइफ से हार्डकोर सेक्स करके दोनों एक साथ उसके मुँह और गांड में झड़ गए.

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दोनों अपने कपड़े पहनने लगे और फिर बाहर निकल गए.
मैंने अरुणिमा को सहारा दिया और बाथरूम में ले गया.

वो काफी देर तक नहाती रही, फिर आकर बेडरूम में सो गई.

मैंने रात का खाना बाहर से मंगवा लिया लेकिन अरुणिमा इतनी थकी थी कि उसने उठ कर केवल जूस पिया और दोबारा सो गई.
मैं भी उसके बगल में सो गया.

मित्रो, मेरी निम्फ़ो यंग वाइफ हार्डकोर सेक्स कहानी पर आप किसी भी प्रकार की राय देने के लिए स्वतंत्र हैं और मेल पर मुझसे संपर्क कर सकते हैं.
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