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हॉट भाभी सेक्स कॉम कहानी मेरे दोस्त की बड़ी साली के साथ रोमांस की है. मैं दोस्त के बेटे के जन्मदिन पर उसके घर गया तो वहां उसकी साली मुझे अच्छी लगी.

हॉट सेक्स स्टोरीज पिक्चर्स डॉट कॉम के सभी प्यारे दोस्तों को हर्षद का नमस्कार.
मेरी पिछली कहानी
भाभी की प्यासी चूत और बच्चे की ख्वाहिश

आप सबने पढ़ा ही होगा कि मेरा सबसे करीबी दोस्त विलास और उसकी पत्नी सरिता के साथ मेरे संबंध कैसे बने थे.

कैसे अपनी सरिता भाभी की बरसों की प्यास बुझायी और उसकी इच्छा के अनुसार उसे अपने बच्चे की मां बना दिया.
उसका पति यानि मेरा दोस्त विलास उसकी माँ बनने की इच्छा कभी पूरी नहीं कर सकता था.

विलास और उसके घरवाले सरिता के बच्चे होने से बहुत खुश थे. विलास और सरिता हम लोग हमेशा आपस में फोन बातें करते थे.

सरिता तो मुझे बार बार घर आने का न्यौता देती थी, उसे मेरे साथ बहुत सारी बातें करनी थी.

अब आपका ज्यादा समय ना लेते हुए आगे की Hot Bhabhi Sex Com Kahani लिख रहा हूँ.

एक दिन विलास का फोन आया कि बच्चे के नामकरण की विधि बीस मार्च को है.
लेकिन आप सबको पता है कि लॉकडाउन की वजह से कोई कहीं भी आ जा नहीं सकता था इसलिए विलास और सरिता कुछ बोल भी नहीं सकते थे.

ऐसे महीने बीतते गए और अनलॉक हो गया.

दिसंबर महीना चल रहा था. विलास का फोन आया कि पच्चीस दिसंबर को सोहम का पहला जन्मदिन है. हर्षद तुम सभी को आना है.

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ये हिंदी सेक्स कहानी आप HotSexStoriesPictures.Com पर पढ़ रहें हैं|

रात को सरिता का भी फोन आया- हर्षद, अपने बेटे सोहम के जन्मदिन पर जरूर आना, मैं इंतजार कर रही हूँ. मैं तुम्हारे बिना बहुत तड़प रही हूँ. तुमसे मिलने का बहुत मन कर रहा है.
मैंने भी कहा- हां सरिता, मेरा भी वही हाल है. हमारा संभोग हुए एक साल और नौ महीने हो गए हैं. आज भी वो पल याद आते ही मेरा लंड तेरी चूत पाने के लिए उछलने लगता है.

‘बस भी करो हर्षद … अब मेरी चूत भी गीली होने लगी है. तुम सभी लोग जरूर आना. अब फोन रखती हूँ. बाय गुड नाइट हर्षद.
सरिता ने फोन कट कर दिया.

अगले हफ्ते ही हमें जाना था.
सरिता की और बच्चे की याद में दिन कैसे निकल गए, पता ही नहीं चला.
आखिर वो दिन आ ही गया.

पच्चीस दिसंबर को शुक्रवार था, ऑफिस की छुट्टी थी और शनिवार की छुट्टी भी ले ली थी.
पिताजी ने भी दो दिन की छुट्टी निकाल ली थी.

खाना खाकर दोपहर एक बजे मैं, मेरी मम्मी और पिताजी अपनी कार से निकल पड़े.

दो अढ़ाई घंटे का सफर था. मैं कार चला रहा था. हम सब आपस में बातें करते करते आराम से साढ़े तीन बजे विलास के घर पहुंच गए.

हमारा बहुत ही हंसी खुशी के साथ स्वागत किया गया. हम सब पहले भी विलास की शादी में आए थे, तो विलास के सभी रिश्तेदार पहचानते थे.

सरिता भाभी ने अपने मां, पिताजी और बड़ी बहन सोनाली से मेरी पहचान करवा दी.

सभी ने हमारा बहुत ही अच्छा स्वागत किया. सरिता की बड़ी बहन सोनाली सबको चाय लेकर आयी.

वाह क्या गजब का माल लग रही थी.
उसकी फिगर सरिता से भी हॉट और सेक्सी थी. मैं तो उसे देखता ही रह गया.
मस्त 34-30-38 की फिगर थी. बाहर निकली हुई गांड, ब्लाउज से आधे दिखने वाले कड़क, गोल, गोरे स्तन. वो सरिता भाभी से बहुत ज्यादा गोरी, उम्र केवल 29 साल.

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सोनाली मेरे पास आकर झुककर चाय देने लगी तो मैंने उसके स्तन देखकर कहा- मस्त हैं.
वो शर्माती हुई दूसरे मेहमानों को चाय देने लगी.

सबको चाय देकर वो सामने खड़ी होकर मेरी ओर ही देख रही थी और मैं उसकी तरफ.
मैंने हंसते हुए उसे आंख मार दी तो सोनाली शर्माकर अपनी जीभ अपने ही होंठों पर फिराने लगी.

मैं समझ गया कि निशाना सही जगह लगा है. उसका चेहरा लाल हो गया था. मेरे लंड में हलचल होने लगी थी.

हमारी चाय खत्म हो गयी थी तो सोनाली ट्रे लेकर आयी.
मैंने उसके हाथ में कप देते हुए अपनी उंगलियों से हाथ दबा दिया.
सोनाली हल्के स्वर से बोली- बहुत बदमाश हो. कोई ने देख लिया तो!
वो ये कहती हुई चली गयी.

इतने में विलास आया और हमने एक दूसरे के हाल चाल पूछे.
विलास हम सभी को देखकर बहुत ही खुश था.

फिर वो मेरी मम्मी और पिताजी से बातें करने लगा.

शाम को साढ़े चार बज रहे थे.
मैंने विलास से कहा- कितने बजे बर्थ-डे सेलिब्रेट करने का है?

वो बोला- सात बजे तक करेंगे.
मैंने कहा- तो अभी से तैयारी करनी पड़ेगी. डेकोरेशन के लिए सामान और केक भी लाना होगा.

विलास को कहा- हां चलो हम मार्केट में चलते है. मुझे कुछ और भी खरीदना है, तो वो भी ले लेंगे.
मैं- और कोई आना चाहता है तो पूछ लो भाभी से.

विलास ने सरिता को आवाज दी.
उसने सरिता से सब कुछ बता दिया.

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मेरी मम्मी भी बोलीं- हर्षद मैं भी आ रही हूँ. सोहम (विलास के बच्चे का नाम) के लिए कुछ कपड़े और कुछ लेना है.
सरिता भाभी बोलीं- मैं और सोनाली दीदी भी साथ चल रहे हैं. हम अभी तैयार होकर आती हैं.

थोड़ी ही देर में सरिता भाभी अपनी दीदी सोनाली और मेरी मम्मी के साथ तैयार होकर आ गयी.

तीनों एक से बढ़कर एक लग रही थीं लेकिन मेरी नजर तो सोनाली पर ही टिकी हुई थी.
उसने लाल रंग की पारदर्शक साड़ी, मैचिंग ब्लाउज पहना हुआ था.
वो एक मस्त माल लग रही थी.

चलते समय उसके स्तन ऊपर नीचे हो रहे थे और गांड भी ऊपर नीचे हो रही थी.
उसे देखने वाले का लंड खड़ा हो जाए, वो ऐसी कंटीली लग रही थी.

सरिता मेरे पास आकर बोली- अब चलो देवर जी, कहां खो गए.
मैं हड़बड़ाकर बोला- हां चलो भाभी. मैं तैयार हूँ.

विलास पहले ही जाकर आगे की सीट पर बैठा था.
मम्मी और सोनाली पीछे बैठ गयी थीं.

सरिता हंसती हुई मुझसे मेरे कान में बोली- हर्षद … मेरी दीदी से बचके रहना. शायद वो छोड़ेगी नहीं तुम्हें!

हम मार्केट में आ गए.
थोड़ी ही देर में हम सब एक बड़े मॉल में आ गए.
वहां सब कुछ मिलता था.

मैंने कार वहां पार्क कर दी.
मम्मी, सरिता भाभी, सोनाली, विलास और मैं साथ में उस मॉल में घुस गए.

पहले हम लोग रेडीमेड कपड़ों के विभाग में गए.
मम्मी को सोहम के लिए ड्रेस लेनी थी.

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सोनाली सोहम को अपने साथ लिए हुई थी इसलिए उसे कपड़े देखने में तकलीफ हो रही थी.
सोहम चुप नहीं हो रहा था.

सोनाली मुझसे बोली- हर्षद, आप जरा सोहम को संभालो.
मैंने उसके पास से सोहम को लेते हुए उसकी एक चूची को जोर से रगड़ दिया.

सोहम को मैंने ले लिया.
सोनाली धीमे से बोली- बहुत बदमाश हो तुम. कितनी जोर से रगड़ दिया. रात को देखती हूँ तुम्हें.

वो कपड़े देखने लगी.
मैं भी उससे चिपककर ही खड़ा था.

सोनाली भी जानबूझकर अपनी कमर हिलाकर मुझे गर्म कर रही थी.

लेकिन इस माहौल में मुझे अच्छा नहीं लगा तो मैं विलास से बोलने लगा.
मैं- विलास हम दोनों तब तक डेकोरेशन का कुछ सामान ले लेते हैं.
वो हां में सर हिलाने लगा.

हम दूसरी ओर चले गए. वहां से कुछ गुब्बारे, कलर लाईटिंग, चॉकलेट, एक बड़ा सा केक और बहुत कुछ खरीद लिया था.

मैं और विलास सामान लेकर बाहर आ गए.
विलास बोला- तुम सोहम को संभालो, मैं सब सामान कार में रख कर आता हूँ.
मैंने उसे कार की चाबी दे दी.

इतने में मम्मी, सरिता भाभी और सोनाली भी आ गईं.
उनके हाथों में भी थैले थे.

सरिता ने अपनी थैली सोनाली को दे दी और बोली- दीदी आप इसे कार में रखो. मैं आती हूँ.
सरिता मेरे पास आकर बोली- सोहम ने सताया तो नहीं ना आपको.

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मैंने कहा- नहीं तो … सोहम बहुत प्यारा और समझदार है.
सरिता मुस्कुराकर बोली- अपने पापा की तरह है. उसने अपने पापा को पहचान लिया है.

मैंने भी कह दिया- तो बेटा किसका है सरिता.
सरिता शर्माकर मुस्कुराने लगी- सोहम तो हम दोनों की प्यार की निशानी है हर्षद!

तभी सरिता ने पर्स से दूध की बोतल निकालकर मेरे हाथ में दी और बोली- सोहम को भूख लगी होगी.
मैंने हाथ में बोतल पकड़कर सोहम के मुँह से लगा दी और सोहम दूध पीने लगा.

मैंने सरिता से कहा- मुझे भी भूख लगी है.
वो समझती हुई बोली- हां तुम्हें भी पिलाऊंगी, लेकिन अभी नहीं … जब हमें समय मिलेगा तब!
सरिता ये शर्माकर बोली.

फिर उसने सोहम को मेरे पास से ले लिया और बोली- अब चलो. हमें देर हो रही है.
अब हम सब कार में बैठकर घर की ओर निकल पड़े. घर पहुंचने तक छह बज चुके थे.

विलास ने और मैंने डेकोरेशन का सब सामान हॉल में रख दिया.

इतने में सरिता भाभी आकर बोली- आप लोग फ्रेश हो जाओ, तब तक मैं चाय और नाश्ते का इंतजाम करती हूँ.
विलास ने कहा- कैटरिंग वाले को बोल दो, वो बना देगा.

सरिता ‘ठीक है …’ बोलकर चली गयी.
मैं भी फ्रेश होने चला गया.

थोड़ी देर में मैं वापस आ गया.
सोनाली भी फ्रेश होकर आ गयी. वह सोनाली विलास से बोली- जीजू कुछ काम है तो बताओ. मैं एकदम खाली हूँ.
विलास ने कहा- हां काम है न … तुम हर्षद के साथ मदद करो. यहां हॉल में सब डेकोरेशन करना है.

सोनाली ने मुझसे कहा- हर्षद जी, मुझे काम बताओ.
मैंने कहा- देखो ये सारे गुब्बारे हैं, इनमें इस पंप से हवा भर के लगाना है.

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सोनाली बोली- ठीक है.
वो एक कुर्सी पर बैठकर काम करने लगी.

उधर विलास लाईटिंग का सामान जोड़ने में लगा था, इधर सोनाली एक ही गुब्बारे में हवा भर रही थी, लेकिन उससे हो नहीं रहा था.

मैं उसके पास गया और कहा- नहीं हो रहा है ना!
वो बोली- पंप अच्छा नहीं है. हवा ही अन्दर नहीं जाती.

मैंने मुस्कुराकर कहा- पंप तो अच्छा है … लेकिन तुम्हें चलाना नहीं आता सोनाली.

उसके हाथ से मैंने पंप और गुब्बारा लिया और उससे कहा- देखो मेरी तरफ. पंप ऐसा पकड़ना है और पंप का आगे का नुकीला पांईट गुब्बारे में डाल कर एक हाथ से ऐसा पकड़ना है. दूसरे हाथ से पंप आगे पीछे करोगी तो काम हो जाएगा. देखो अब गुब्बारे में हवा भर रही है. समझ गयी ना!

इतने में सरिता भाभी हमारे लिए नाश्ता लेकर आयी. वो मुझे देखकर बोली- वाह देवर जी, क्या सिखा रहे हो मेरी दीदी को?
मैंने उसे हंस कर देखा तो वो मुस्कुराकर बोली- अच्छी तरह सिखा देना पंप चलाना. ये लो पहले नाश्ता कर लो.

उसने हम दोनों को और विलास को भी नाश्ता दिया.

‘अभी चाय भी लाती हूँ.’
ये बोलकर सरिता चली गयी.

हम तीनों वहीं एक कुर्सी पर बैठकर आपस में बातें करते हुए नाश्ता करने लगे.

हम जल्दी जल्दी से खा रहे थे. काम बहुत था और समय कम था.

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सरिता भाभी चाय लेकर आयी. हमने चाय पीकर काम फिर से चालू कर दिया.

मैं सोनाली से बोला- अब एक गुब्बारे में हवा भरके दिखाओ.
उसने गुब्बारा लेकर हवा भर दी.

मैंने कहा- गुड, ऐसे ही करो जल्दी से.
मैं भी दूसरे पंप से हवा भरके गुब्बारे तैयार करने लगा.

दस मिनट में ढेर सारे रंग बिरंगी गुब्बारे तैयार हो गए.

मैंने सोनाली से कहा- अब मैं छत पर कुछ गुब्बारे चिपकाता हूँ. तुम मुझे एक एक करके देती जाना.

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मैं एक स्टूल लेकर उस पर चढ़ गया और सोनाली मुझे एक एक गुब्बारा देने लगी. मैं चिपका रहा था. बीच में ही वो मेरे जांघों पर हाथ रख देती थी, तो कभी मेरे लंड पर रख देती थी.
मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया. मैंने सोचा कि शायद अनजाने में इसका हाथ लग रहा होगा.

मैं नीचे उतरा और स्टूल दूसरी जगह रखकर ऊपर चढ़ गया.
उधर विलास लाईटिंग का काम कर रहा था.

सोनाली मुझे गुब्बारे देने लगी. उसने दूसरा हाथ सीधा मेरे लंड पर रखा था.
अच्छा हुआ कि विलास का मुँह दूसरी तरफ था.
मैंने भी सोनाली के हाथ पर अपना हाथ रखकर मेरे लंड पर दबा दिया और रगड़ लिया.

सोनाली शर्मा गयी, उसका चेहरा लाल हो गया था.
मेरा लंड पैंट के अन्दर ही उछलने लगा था.

मैंने सोनाली से कहा- अरे गुब्बारे दे दो.
उसने एक हाथ में मेरा लंड ऊपर से ही पकड़ा और दूसरे हाथ से गुब्बारे देती हुई बोली- ये तो बहुत बड़ा है हर्षद जी.

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मेरा लंड तनाव में आया हुआ था, वो लंड दबाने लगी.
सोनाली बहुत कामुक हो गयी थी.

अब वो मुझे गुब्बारे देते देते अपना मुँह मेरे लंड पर रगड़ने लगी थी और दूसरे हाथ से अपनी चूत साड़ी के ऊपर से ही रगड़ने लगी.
शायद वो अपनी कामभावना सह नहीं पा रही थी. उसके चेहरे पर वासना साफ दिखाई दे रही थी.

कुछ देर बाद सोनाली बोली- मैं अभी वाशरूम जाकर आती हूँ.
वो चली गयी.
मैं समझ गया कि शायद उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया था.

उसके आने तक मैंने छत का काम पूरा कर दिया था.
अब मैं नीचे उतरकर दीवार पर गुब्बारे चिपकाने लगा.

इतने में सरिता भाभी आयी. सब डेकोरेशन देखकर सरिता बहुत खुश हो गयी- अरे वाह देवर जी, आपने तो बहुत ही मस्त डेकोरेशन किया है.
मैंने कहा- भाभी मेरे भतीजे का बर्थ डे जो है, तो क्यों न करूं!

हम दोनों मुस्कुराने लगे.
विलास भी हमारे साथ शामिल हो गया.

मैंने कहा- विलास तूने तो कमाल की लाईटिंग की है. जरा चालू करो.
विलास ने बटन चालू किया.

भाभी और मैं साथ में ही बोले- अरे वाह … बहुत ही मस्त. पूरा हॉल कलरफुल हो गया है.
हम सब बहुत ही खुश थे.

इतने में सोनाली भी आ गयी. सब देखकर वो भी बोली- जीजू, हॉल कितना कलरफुल दिख रहा है.

तभी भाभी बोली- तुम कहां गयी थी काम छोड़कर!
मैंने कहा- भाभी, वो अभी वाशरूम गयी थी. उसने मुझे बहुत मदद दी है. अब थोड़ा सा काम बाकी है, वो भी दस मिनट में हो जाएगा.

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अभी एक दीवार को गुब्बारे लगाना बाकी था.
मैंने सोनाली से कहा- तुम गुब्बारे लगा दो. हम बाकी का काम करते हैं.

मैंने विलास को बुलाकर तिपाई एक साईड में रखी और एक कुर्सी सोहम को बैठने के लिए रखी.
तिपाई पर भी गुब्बारे लगाए और विलास ने उस पर भी लाईट लगा दी. डेकोरेशन का काम पूरा हो गया था.

अब सात बजने वाले थे.
विलास ने सरिता भाभी को बुलाकर कहा कि आप सब लोग तैयार होकर सोहम को भी तैयार करके लाओ.

हम दोनों भी फ्रेश होने चले गए. थोड़ी ही देर में हम दोनों वापस आ गए.

सभी मेहमान आ गए थे.
फोटोग्राफर को भी बुलाया था.
सोहम बहुत ही क्यूट दिख रहा था.

मैंने सोनाली को केक लाने को कहा, जो फ्रिज में रखा था.

सरिता भाभी को मैंने सोहम को लेकर कुर्सी पर बैठाने को कहा.
तभी सोनाली केक लेकर आ गयी.

विलास और मैं भी भाभी के आजू बाजू खड़े रहे.
सोनाली भी मेरे पास थी.

विलास सरिता से बोला- चलो अब केक काटते हैं.

भाभी ने सोहम के हाथ में चाकू पकड़ा कर केक काट दिया.
सभी ने तालियां बजाकर स्वागत किया.
पूरा हॉल खुशियों के साथ गूंज रहा था.

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सभी को केक और चॉकलेट बांट दिए. सभी मेहमानों ने एक एक करके सोहम को गिफ्ट देकर बर्थडे विश करने लगे.
इसी सब में नौ बज गए.

विलास ने कहा- खाना तैयार है. बाहर सब इंतजाम किया है.

सभी लोग बाहर आ गए.
खाने की टेबल और कुर्सियां लगायी गई थीं. सब लोग एक साथ बैठ गए. हम घर के लोग अन्दर ही हॉल में खाने के लिए बैठ गए.
हम सब एक दूसरे के साथ बातें करते हुए खाना खा रहे थे.

खाना खाते खाते दस बज गए.

जो नजदीक के गांव के मेहमान थे, वो चले गए.
बाकी दस बारह लोग यहीं रहकर कल जाने वाले थे.

मुझे तो बहुत नींद आ रही थी, तो मैं विलास और भाभी को बोलकर ऊपर के कमरे में सोने के लिए चला गया.

मैंने रूम में आते ही अपने कपड़े निकालकर रख दिए और पूरा नंगा हो गया था. मैंने अपनी लुंगी बैग से निकालकर लपेट ली. रूम का दरवाजा ढकेल दिया. अगर किसी को सोना होगा, तो यहां आ जाएगा. नहीं तो बाहर के रूम में विलास का बेडरूम है. वो भी खाली था.

जीरो वाट की लाईट खोलकर मैं बेड पर सो गया.
थकावट की वजह से जल्दी ही नींद लग गयी.

मेरी नींद तब खुली, जब मैंने महसूस किया कि मेरे लंड पर कोई दबाव डाल रहा है. मैंने अजीब सी खुशबू भी महसूस की.

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