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Kashmiri Girl Hindi Sex Kahani - किस्सा ए दफ्तरी चुदाई-5
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कश्मीरी गर्ल सेक्स कहानी में पढ़ें कि मेरे ऑफिस की जूनियर स्टाफ कश्मीरी लड़की को मैं चोदना चाहता था पर साली नखरे कर रही थी. उसे मैं कैसे लाइन पर लाया.

कहानी के पिछले भाग
लेडी पियोन की बेटी का इंटरव्यू
में आपने पढ़ा कि अपनी जवान बेटी को जॉब दिलाने के लिए मेरे ऑफिस की पीयोन अपनी को मेरे पास लेकर आयी. मैंने उसका इंटरव्यू लिया और फिर उसका प्रैक्टिकल लेने के बहाने उसे अपने रूम में बुलवाया.
इसी बीच मुझे खुश करने के लिए वो लेडी पियोन मुझसे चुद गयी.

अब आगे कश्मीरी गर्ल सेक्स कहानी:

मैं लण्ड का पानी निकालने के बाद बाहर शहर के आउटलेट्स के दौरे पर चला गया.

जब मैं बाहर निकला तो लिली ने कुछ कहने की कोशिश की लेकिन मैं उसकी बात सुन बैगर निकल गया.
लिली मेरे ऑफिस की जूनियर स्टाफ थी. यह कश्मीरी लड़की थी जिसे मैं चोदना चाहता था पर साली नखरे कर रही थी.

मैंने इसके नखरे ढीले करने की ठान ली.

अगले रोज लगभग 11.00 बजे लिली मेरे कमरे में आई और बोली- सर, कल यामिना की बेटी फ़लक आपके पास क्यों आई थी?
मैंने बेरुखी दिखाते हुए कहा- तुमसे मतलब?
लिली- नहीं सर, मैं तो केवल पूछ रही थी.

मैं- अपने काम से काम रखो और जबतक मैं न बुलाऊँ अन्दर नहीं आना है, कोई खास बात हो तो इण्टरकॉम पर पूछो.
लिली रुआंसी सी हो गई.

कुछ देर चुप खड़ी रहने के बाद बोली- सॉरी सर, मैं उस दिन की बदतमीजी के लिए सॉरी बोलती हूँ.
मैं- ठीक है, आप जाइये.
यह कह कर मैं पेपर्स पढ़ने लगा.

लिली मेरी ओर कुछ देर देखती रही और जाने लगी.

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जब लिली मुड़ कर जाने लगी तो मैं पीछे से उसकी कमर में धंसी हुई ब्रा, गोरी पिंडलियों और उभरी हुई मादक गांड को देखने लगा.
मैं इस जुगाड़ में था कि इसकी चूत कैसे मारी जाए!

दरवाजा खोलने से पहले लिली ने रुककर फिर मेरी ओर देखा और रुआंसी सी हो कर बोली- सर, मेरे घर के हालात नॉर्मल नहीं हैं इसलिए मैं परेशान थी और आपसे वह सबकुछ बोल गई, अगेन सॉरी!

मैं कुछ नर्म हुआ और उसे इशारे से अपने पास बुलाया.
लिली मेरे पास आकर खड़ी हो गई.

मैं उसके चेहरे पर आते जाते भावों को पढ़ने की कोशिश करता रहा.
मैंने बहुत की नर्म लहज़े में पूछा- बोलो, क्या कहना चाहती हो?

लिली की आंखों में पानी आ गया, वह चुपचाप खड़ी रही.

मैंने लिली का नर्म हाथ पकड़ा और उसे सहलाने लगा. मैंने फिर पूछा- बताओ, घर पर क्या प्रॉब्लम है?
लिली की आंखों में पानी की मात्रा बढ़ गई और बोली- कुछ नहीं, जब किस्मत ही खराब है तो कोई क्या कर सकता है!

मैं खड़ा हो गया और लिली के कंधों पर हाथ रखकर बोला- लिली, आई एम सॉरी, मैं अपने बिहेवियर के लिए शर्मिंदा हूँ.
लिली- नहीं, सर आपने तो मुझे कुछ कहा ही नहीं, आप तो इतने अच्छे निकले कि मेरे उल्टा बोलने पर आपने मुझे डाँटा भी नहीं, आप तो इतने अच्छे हो, मैं ही गन्दी हूँ जो सबसे झगड़ा करती रहती हूँ.

मैं- अच्छा बताओ, आप मुझसे क्या चाहती हो?
लिली- कुछ नहीं, बस सॉरी कहने आई थी.

मैं जानकर भी अनजान बन गया और लिली से कहने लगा- आप अपना मूड और आंखें ठीक करो, मैं आपसे नाराज़ नहीं हूँ, आप बेफिक्र रहो.
लिली- पक्का?

मैंने कहा- पक्का, मेरा विश्वास करो, और हाँ आप मुझसे अपनी कोई भी परेशानी शेयर कर सकती हो, चाहे ऑफिस की हो या घर की?
लिली- थैंक्स, आज कई दिनों बाद मुझे कुछ राहत मिली है.

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मैं- ठीक है, आप बाहर आराम करो और यदि दिल करता हो तो हस्बैंड को बुला लो और छुट्टी मार लो, कहीं बाहर घूम कर आओ, मूड ठीक हो जाएगा.
लिली- यही तो समस्या है.

मैं- क्या है समस्या, मुझे बताओ, मैं कुछ समाधान निकालता हूँ.
लिली- दरअसल …
यह कह कर लिली चुप हो गई.

थोड़ी देर में वो बोली- किसी दिन आप मेरे हस्बैंड से मिलोगे तो पता चलेगा.
मैं- ठीक है, आप दोनों आज सायं का डिनर मेरे साथ होटल में करो, बुला लो हस्बैंड को.
लिली- सर, मेरे हस्बैंड बाहर नहीं जाते, आप ही आज मेरे घर पर डिनर पर आ जाओ.

मैं- आपके घर कौन कौन हैं?
लिली- मैं, मेरी मम्मी और मेरे हस्बैंड.

मैं- बच्चे?
लिली- बच्चे नहीं हैं.

मैं- आपकी शादी को कितना समय हो गया?
लिली- पाँच साल!
मैं- कोई बात नहीं, हो जाएंगे.

लिली ने धीरे से फीकी मुस्कराहट के साथ मुँह बनाया और बोली- तो आज आप आ रहे हैं?
मैं- मुझे कोई ऐतराज नहीं है बल्कि अपने आपको खुश क़िस्मत समझूँगा कि बहुत दिनों बाद घर का खाना मिलेगा.

लिली ने अपना नर्म हाथ मेरी ओर बढ़ाया और बोली- प्रोमिस?
मैं- पक्का.

लिली- मैं अपना एड्रेस आपको सेंड कर देती हूँ और 8 बजे आपका इंतजार करूँगी.
मैं- मैं, आ जाऊँगा
लिली- आपकी कोई खास पसन्द?

मैं मुस्कराते हुए बोला- लिली, मैं अपनी खास पसन्द बताकर आपको दुबारा नाराज़ नहीं करना चाहता; मेरी पसन्द बहुत अजीब है, आप जाओ और जो आपको पसन्द होगा, वही मेरी पसन्द होगी.
(मैं मन ही मन सोच रहा था कि पसन्द तो मुझे तुम्हारी चूत है.)

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लिली- अब आप मुझसे निराश नहीं होंगे.
मैं- चलो, देखते हैं!

सायं 8.00 बजे अच्छे से नहा धोकर, तैयार होकर मैं लिली के फ्लैट पर पहुँचा.

मैंने लिली के लिए एक सुन्दर सिल्क की साड़ी गिफ्ट के लिए खरीद ली थी.

दरवाजा लिली ने खोला. लिली गजब की सुन्दर लग रही थी.
उसने बहुत ही सेक्सी काले और पीले रंग का लंहगा और स्लीवलेस टॉप पहन रखा था जिसमें से उसकी गोरी चिकनी बाजू गज़ब ढा रही थीं.

बहुत ही खुशबूदार पर्फ्यूम लगाया हुआ था.
लिली ने मुझे करीने से सजे हुए ड्राइंगरूम में बैठाया.

वह दो बेड रूम फ्लैट था. तभी 50-55 वर्ष की दिखने वाली बहुत ही खूबसूरत लिली की मम्मी आई.
हम दोनों ने आपस में विश किया.

लिली की मम्मी मेरे लिए जूस ले कर आई और बैठकर बातें करने लगीं.

बातों बातों में उन्होंने बताया कि गरीबी के कारण लिली की शादी धोखे से एक अमीर मंदबुद्धि लड़के से कर दी गई जो शादी का मतलब ही नहीं समझता और लिली का जीवन नर्क बन गया है.

लिली वहीं बैठी थी, एकदम बोली- क्या मम्मी आप भी आते ही शुरू हो गई, जाओ, सर के लिए कुछ स्नैक्स वैगरह ले आओ.
तभी लिली कुछ सीरियस होकर सोचने लगी.

मैं- क्या बात है इतनी सीरियस क्यों दिखाई दे रही हो.
लिली- कुछ नहीं, बस यूँही सीरियस रहने की आदत हो गई है.

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मैं- तो फिर मैं चलूँ?
लिली मुस्कराते हुए- सर, आप भी कमाल करते हैं, आप ड्रिंक लेते हैं?
मैं- आप घर पर रखती हैं?

लिली- बियर या व्हिस्की?
मैं- जो आपको पसन्द हो!
लिली- मैं तो वाइन लेती हूँ.
मैं- व्हिस्की.

मैं- आपके हस्बैंड?
लिली- वो आजकल इसी शहर में अपने पेरेंट्स के घर पर हैं.

फिर लिली एक ट्रे में सारा सामान ले आई और पेग बनाने लगी.
उसने मुझे व्हिस्की का पेग दिया और खुद वाइन का गिलास ले लिया.
हम दोनों ने चियर्स किया और पीने लगे.

लिली की मम्मी वेज और नॉन-वेज दोनों तरह के स्नैक्स रख गई.

ऑफिस की बातें करते हुए एक-एक पेग खत्म किया.
लिली ने दूसरा पेग बनाया, पहले पेग का सरूर होने लगा था.

अब लिली ने फिर ऑफिस की बात छेड़ी तो मैंने कहा- ये ऑफिस की बातें तो हम ऑफिस में भी कर सकते हैं.

तभी लिली की मम्मी आई और बोली- और कुछ चाहिए तो किचन से ले लेना, सब तैयार है. जब खाना खाना हो तो 10 मिनट पहले बता देना, मैं अपने बेडरूम में जा रही हूँ.

बातों बातों में लिली ने बताया कि लगभग 10 साल पहले पापा इस दुनिया से चले गए और वह अकेली सन्तान है, तो मम्मी उसके साथ ही रहती है.

हम दो दो पेग पी चुके थे. लिली की आँखों में खुमारी छाने लगी थी.

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मैं- आप अक्सर पीती हो?
लिली- नहीं कभी कभी जब मन उदास होता है तो!

मैं- क्या आज भी मन उदास है?
लिली- अरे नहीं सर, आज तो आपके आने की खुशी में पी रही हूँ.
मैं- क्या खुशी इतनी दूर बैठकर जाहिर की जाती है?
लिली मुस्कराई और उठकर मेरे साथ सोफ़े पर बैठ गई.

मैंने अपना पेग लिली के होठों की ओर किया तो लिली मेरी आँखों में देखने लगी.
फिर लिली ने अपना पेग मेरी ओर किया तो मैंने लिली के पेग से सिप किया और कहा- ये हमारी नई दोस्ती के नाम.

लिली ने भी मेरे पेग से सिप किया और बोली- ये लो आज से दोस्ती पक्की!

तभी लिली किचन में से कुछ स्नैक्स लेने के लिए उठी तो वह डगमगा गई.
मैंने उसे उठकर सहारा दिया. वह किचन में गई तो मैं भी पीछे पीछे चला गया.

मैं लिली के पीछे खड़ा हो गया.
मैंने लिली से कहा- लिली, बुरा न मानों तो एक बात कहूँ?
लिली- जी कहो?

मैं अपना मुँह लिली के कान के पास ले गया और धीरे से फुसफुसाया- आप बहुत हॉट हैं.
लिली- झूठ बोल रहे हो?
मैं- कैसे?
लिली- एक छोटी सी बात पर इतने दिन नाराज़ रहे, हॉट होती तो क्या आप यूँ रूठे रहते.

मैंने पीछे से लिली के कंधों को पकड़ा तो लिली ने मेरे हाथ को अपने हाथ से दबा लिया.
तो मैंने लिली को बाहों में भर लिया.

लिली कटे पेड़ की तरह मेरी छाती से लग गई और बोली- मैं बहुत अकेली और प्यासी हूँ, मुझे अपने गले से क्यों नहीं लगा लेते?
मैंने लिली को सीधा किया और बाहों में भर कर अपनी छाती से चिपका लिया.

लिली- यह किचन है.
मैंने किचन की लाइट बन्द कर दी और लिली के सुलगते होठों पर अपने होंठ रख दिये.

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लिली पुरूष संसर्ग के लिए इतनी बेताब थी कि मेरे होठों को चूसने लगी.
मैंने लिली के टॉप को ऊपर उठाया और उसके सख्त चुचों को मसलने लगा.

लिली आहें भरने लगी. लिली बोली- मम्मी आ जाएंगी.

कुछ देर के स्मूच के बाद हम अलग हो गए और ड्रॉइंगरूम में आ गए.

लिली वाशरूम के बहाने से अपने बेडरूम में गई तो मैं भी पीछे पीछे चला गया और जैसे ही वह वाशरूम से निकली मैंने उसे फिर पकड़ लिया.
मैंने लिली के चूचों को फिर मसलना शुरू किया और उसकी चूत पर हाथ फिराने लगा.

लिली ने अपने पाँव से दरवाजे को बन्द कर दिया.
मैंने पैंट की जिप खोली और लण्ड को बाहर निकाल कर लिली के हाथ में पकड़ा दिया.

हाथ में 8 इंची लण्ड पकड़ते ही लिली ने अपनी आँखें बंद कीं और एक लम्बी सांस भरी.
लण्ड को देखकर लिली मस्त हो गई थी. लिली लण्ड को ऊपर नीचे करने लगी.

मैंने लिली की स्कर्ट को ऊपर उठाया और लण्ड को पैंटी के ऊपर से ही चूत पर अड़ा दिया.
लिली आ.. आ… आ.. करने लगी, फिर बोली- पहले खाना खा लेते हैं और मम्मी को फ्री कर देते हैं.
मैं आश्वस्त हो गया कि आज तो चूत मिलेगी ही.

हम बाहर आ गए और लिली अपनी मम्मी के रूम में जाकर खाना लगाने के लिए बोल आयी.

लिली- और पेग बनाऊँ?
मैं- जब तक खाना लगे तब तक एक-एक और हो जाये.

लिली- आप ले लो, मैं थोड़ी मम्मी की हेल्प कर देती हूँ और उनको जल्दी फ्री कर देती हूँ.
उसने पेग डाल कर मुझे दिया.
मैंने वह पेग पिया नहीं और रखे रहने दिया.

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हम तीनों ने खाना खाया. खाने के बाद लिली ने उसकी मम्मी से कहा- मम्मी, आप सो जाओ, सर को मैं सी-ऑफ़ कर दूँगी.
लिली की मम्मी अपने रूम में चली गई और दरवाज़ा बन्द कर लिया.

उनके जाते ही मेरा लण्ड फिर झटके खाने लगा. मैंने लिली को गोद में उठाया और अन्दर बेडरूम में ले गया.
मैं बाहर से अपना बचा हुआ पेग उठा लाया.

मैंने अपने लण्ड को व्हिस्की के गिलास में डुबोया और लिली के मुँह की ओर कर दिया.

लिली ने मेरा मकसद समझते हुए लौड़े को चूस लिया. मैं ऐसा करता रहा और लिली लण्ड चूसती रही, कभी कभी उसी गिलास से छोटा सिप भी करती रही.

मैंने लिली को नंगी करना शुरू किया और उसके सारे कपड़े निकाल दिए, साथ ही मैं भी नँगा हो गया.

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लिली किसी संगमरमर की नंगी मूर्ति की तरह लग रही थी. लिली की शानदार खड़ी 34 साइज की चूचियाँ और सुन्दर जांघें गजब ढा रही थी.

मैंने लिली को थोड़ा धक्का देकर बेड पर लिटा दिया और उसकी जांघों को खोल दिया.

जांघों के बीच बहुत ही सुन्दर उठी हुई गुलाबी चूत कामरस से चिपड़ी हुई हुई थी.

मैंने लिली की जांघों और चूत को चाटना और चूसना शुरू किया. लिली आआ … आआ … करते हुए मजे से अपने शरीर को झटके देने लगी.

मैं लिली के ऊपर झुक गया और चूचियों को चूसने और काटने लगा.
लिली वाइन के पूरे खुमार में थी और मुझे भी तरह तरह से काट और चूस रही थी.

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काट काटकर हमने एक दूसरे के बहुत सारे लाल नीले निशान बना दिये.

जब लिली से सहन नहीं हुआ तो उसने नीचे से मेरे लण्ड को पकड़ा और अपनी चूत में घुसाने की कोशिश करने लगी.

मैंने लिली की चूत पर पोजीशन ली और लिली की टाँगों को मोड़कर थोड़ा चौड़ा किया और चूत के छेद पर लण्ड का सुपारा रखा.
लिली- सर, डालो न अन्दर!

मैंने लण्ड अन्दर धकेलना शुरू किया … लिली ने अपने शरीर को अकड़ाना शुरू किया.
मैं जोर लगाता रहा और लिली आ… आ… आ… आ… करती रही.
पूरा लौड़ा उसकी बच्चेदानी तक बैठ गया.

मैंने दनादन चुदाई शुरू की.
हर शॉट पर लिली आह …आह … ईई … ई … करती रही और चुदती रही.

मैं- लिली, बहुत दिनों से तुम्हें चोदने के लिए मेरा लण्ड तरस रहा था.
लिली हाँफते हुए बोली- फिर मुझे पकड़कर ऑफिस में ही क्यों नहीं चोद दिया?

उसकी बात सुनकर मैं दुगने जोश से ठोक लगाने लगा.
लिली के काँच जैसे बदन को मैं लगभग रौंदने लगा था.

बहुत देर तक उसके नाज़ुक गोरे मम्मों को चूसने और काटने के बाद मैंने लिली को घोड़ी बनाया.

अब उसकी गोरी भरी हुई गांड जिसे ऑफिस में देखकर अक्सर मेरा लौड़ा खड़ा हो जाता था, मेरे सामने थी.

लिली वाइन और वासना के खुमार से सराबोर थी. लण्ड को अंदर लेने के लिए लिली अपनी गांड को मटकाने लगी.

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मैं लिली के चूतड़ों को अपने होंठों से चूसने और दांतों से काटने लगा.

लिली की गांड का मखमली छेद चूत के रस से चिकना हो चुका था.
मैंने अपने लण्ड को छेद पर दो तीन बार रगड़ा और उसे लिली की गांड में दबाने लगा.

थोड़ा जोर लगाते ही सुपारा टप से अंदर घुस गया और लिली नशे में आ … आ … आ … करती हुई अपने हाथ को पीछे अड़ाने लगी.

मैं लिली की गांड में लण्ड चलाने लगा. कुछ ही देर में लौड़ा गांड में सरासर चलने लगा.

लेकिन मेरा पहला शौक तो चूत मारना है, इसलिए मैंने गांड से लण्ड निकाला और पीछे से चूत में घुसा दिया और चुदाई शुरू की.
हर धक्के पर लिली आगे खिसकने लगी और बेड चरमराने लगा.

लिली नशे की हालत में अपने सिर को ज़ोर ज़ोर से इधर उधर मारे जा रही थी.
मैं भी पूरे जोश में चुदाई कर रहा था.

हम दोनों को ख्याल ही नहीं रहा कि हमारी आवाजें दूसरे कमरे में लिली की मम्मी तक जा रही होंगी.

कुछ ही देर की घमासान चुदाई के बाद मेरे लण्ड से लिली की चूत में वीर्य की पिचकारियां लगनी शुरू हो गईं और मैं अंतिम बून्द तक वीर्य को लिली के छेद में भरता रहा.

अंत में वासना का तूफान शांत हुआ और हम दोनों बेड पर लेट गए.

थोड़ी देर में लिली उठी और डगमगाती हुई वाशरूम चली गई.
उससे ठीक से चला नहीं जा रहा था, टाँगों को चौड़ा करके चल रही थी और वीर्य फर्श पर टपकता जा रहा था.

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लिली बाहर आई तो मैं उठकर वाशरूम गया और आकर कपड़े पहनने लगा.
तो लिली ने मुँह बनाते हुए मुझसे मेरे कपड़े छीन लिए और मुझे अपने ऊपर खींच लिया.
मैं दोबारा से लिली के साथ लेट गया और उसे प्यार करने लगा.

मैंने लिली से कहा- बहुत देर हो चुकी है, अब मैं जाऊँ?
लिली- नहीं, यहीं सो जाओ, सुबह जल्दी निकल जाना.

मैं- मम्मी क्या सोचेंगी?
लिली- कुछ नहीं सोचेंगी, वो तो खुद लण्ड के लिए तड़पती रही हैं, आप चिन्ता मत करो.

मैंने लिली के गदराए शरीर पर हाथ फिराना शुरू किया.
कुछ ही देर में लिली मेरे ऊपर आ गई. उसने अपने दोनों पट मेरे दोनों पटों से बाहर कर लिए और चूत को लण्ड पर घिसाने लगी.

मेरा लण्ड दो तीन बार घिसाने से ही टाइट हो गया. कश्मीरी गर्ल सेक्स के लिए बेचैन हो रही थी तो उसने तुरन्त लण्ड को चूत के छेद पर सेट किया और अपने चूतड़ों को पीछे की ओर दबाव देते हुए बैठ गई.
लिली ने अपनी नाजुक हथेलियां मेरी छाती पर रखीं और धीरे धीरे ऊपर नीचे होने लगी.

कुछ ही देर में लिली तेजी से मेरे लण्ड पर जम्प करने लगी.
उसके चूतड़ों की थाप मेरी जांघों में थप थप बज रहीं थीं, उसकी दोनों चूचियाँ बुरी तरह से उछल रही थीं और उसकी सांसें फूलने लगीं थीं.

तभी लिली ने जोर से आ … आ … आ … आ … किया और खलास हो गई.

खलास होते ही लिली मेरी छाती पर पसर गई और उसने अपनी गर्दन मेरी गर्दन के बीच लगा ली.

लिली पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी थी लेकिन मेरा छूटना अभी बाकी था.

मैंने दो चार मिनट लेटे रहने के बाद लिली को अपनी मन पसन्द पोज़िशन में नीचे लिटाया, उसकी टाँगों को जांघों से मोड़ा और एड़ियों को अपने कंधों पर रखकर लण्ड को चूत के छेद पर लगाया.

इस स्टोरी को मेरी सेक्सी आवाज में सुनने के लिए यहाँ क्लिक करें.
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लिली आंखें बंद किये लण्ड अंदर जाने का इंतजार करने लगी.

मैंने एक ही बार में पूरा 8 इंच का लौड़ा लिली की गर्म चूत में ठोक दिया और अपनी गांड को तेज तेज झटके दे दे कर उसकी चूत की चुदाई करने लगा.

लिली का शरीर मुड़कर दोहरा हो चुका था. गठरी सी बनी लिली की चूत में लण्ड किसी पिस्टन की तरह चल रहा था.

वो उखड़ी हुई सांसों से बोली- सर, आप तो बहुत जबरदस्त तरीके से फ़किंग करते हो, आह … आज तो मजा आ गया जिंदगी का … ओह माई गॉड … आह … आह … फ़क मी हार्ड … ज़ोर से चोदो.

कमरे में चुदाई की फच फच की आवाजें आ रहीं थीं.

अंत में एक बार फिर से मैं और कश्मीरी गर्ल लिली इकट्ठे चरमसीमा पर पहुँचे और मेरे लण्ड से वीर्य की धार ने चूत की गर्म दीवारों को ठंडक पहुँचा दी.

मैंने लिली की टाँगों को नीचे उतारा तो लिली ने बेड पर टाँगें चौड़ी करके फैला दी.
चूत से वीर्य बाहर निकलकर गांड के छेद को भिगोता हुआ चादर पर टपकने लगा.

लिली ऐसे ही लेटी रही और सो गई.

रात के 2 बज चुके थे. मैंने चुपके से कपड़े पहने और अंदर से मेन गेट का लॉक दबाकर अपने गेस्टहाउस आ गया.

कश्मीरी गर्ल सेक्स कहानी का मज़ा लेने के लिए धन्यवाद.
आपका राजेश्वर राज
लेखक के आग्रह पर इमेल आईडी नहीं दिया जा रहा है.

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कश्मीरी गर्ल सेक्स कहानी का अगला भाग: किस्सा ए दफ्तरी चुदाई- 6

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