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Desi Chut Xxx Story - साली को पटाकर सास की चूत भी मारी-2
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देसी चुत Xxx स्टोरी में पढ़ें कि कैसे जवान साली की चुदाई के बाद मैंने उसकी मम्मी यानि मेरी सास की छोटी बहन की चूत भी मार दी. फिर उसके बाद …

दोस्तो, मैं शैल आपके लिये अपनी स्टोरी का दूसरा भाग लेकर आया हूं. आपको मैं अपनी सास और साली की चुदाई की कहानी बता रहा था.

इस देसी चुत Xxx स्टोरी के पहले भाग
मौसेरी साली की जवान चूत फाड़ी
में मैं आपको बता रहा था कि कैसे मेरा दिल मेरी सास की बहन पर आया पर मैंने पहले उसकी बेटी लोलिशा को पटाकर उसकी चूत मारी.

फिर मैंने एक दिन मृणालिनी को भी उसके घर में दबोच लिया. मैंने उसकी चूची दबाकर और चूत सहला कर उसको गर्म किया और वो चुदने के लिए तैयार हो गयी.

सास की चुदाई के बाद मैंने उसको उसकी बेटी लोलिशा की नंगी तस्वीरें दिखाईं और उसको लंड चूसती हुई की एक वीडियो भी दिखाई.
जिसे देखकर वो गुस्सा हो गयी और पूछने लगी कि ये किसके साथ है?

अब आगे की कहानी :

बेटी की नंगी तस्वीरें और लंड चुसाई की वीडियो देखकर मृणालिनी गुस्सा हो गयी.
मैंने कहा- अरे मेरी जान घबराओ मत, ये मेरे ही साथ है।
वो गुस्सा होती हुई उठकर खिड़की के पास चली गयी।
फिर मैं भी उसके पास गया।

मैं- मेरी जान, तुम तक पहुंचने के लिए मैं उसके साथ था. मगर प्यार मैं तुम्हीं से करता हूँ न कि उससे!
कहते हुए मैं उसके होंठों पर उंगली फिराने लगा। वो फिर गर्म होने लगी।

मृणालिनी- ठीक है, मगर अब से उसके साथ मत सोना.
मैं- नहीं मेरी जान, ये नहीं हो सकता।
मृणालिनी- क्यों?

मैं- क्योंकि न तो मैं कुछ कहूँगा तुम्हारे बारे में और न ही तुम कुछ कहोगी। अगर उसे ये पता चला कि मैं तुम्हें चाहता हूँ तो वह हम दोनों को साथ में नहीं रहने देगी। मैं यहाँ आऊंगा तो तुम्हारे लिए लेकिन उसे ये लगेगा कि मैं यहाँ उसके लिए आया हूँ।

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ये हिंदी सेक्स कहानी आप HotSexStoriesPictures.Com पर पढ़ रहें हैं|

मृणालिनी- लेकिन यह सब कैसे होगा कि उसे कुछ पता नहीं चलेगा?
मैं- देखो जब वो रहेगी तो तुम यहाँ से हट जाना, ऐसे जैसे तुमको कोई मतलब ही नहीं कि यहां क्या हो रहा है।
वो बोली- ठीक है, समझ गयी.

तभी मेरी नज़र घड़ी पर गयी. मैंने देखा कि अब तो लोलिशा के आने का समय हो गया था।

तभी लोलिशा आ गयी।
मैंने मृणालिनी को इशारा किया कि वह वहाँ से चली जाये।

मृणालिनी- चलो लोलिशा आ गयी, मैं जरा किचन में जा रही हूं. आप बैठिये।
फिर मृणालिनी वहाँ से चली गयी।

अब सिर्फ मैं और लोलिशा कमरे में थे। तभी लोलिशा को मैंने दरवाजा बंद करने का इशारा किया।

उसके बन्द करते ही मैंने उसे कसकर बांहों में जकड़ लिया।
वो पहले तो थोड़ा घबराई फिर संभलते हुए उसने कहा- अरे जीजू ये क्या कर रहे हैं आप?
मैं- मेरी जान कुछ नहीं, बस मिठाई खाना चाहता हूँ।
लोलिशा- जीजू!! लेकिन घर में मम्मी है।

मैं- घबराओ मत, मैंने उसे मना लिया है और अब उसे भी कोई ऐतराज नहीं है।
लोलिशा- मगर आपने ऐसा किया कैसे? और क्या कहा मम्मी से कि वो मान गयी?

मैं- बस यही कि तुम मुझसे बात करना चाहती हो लेकिन अपनी मम्मी के सामने कर नहीं पाती।
कहते हुए मैंने उसकी ब्रा के अंदर हाथ डाल दिया और उसके चूचे दबाने लगा।

लोलिशा- आ…ह … तो क्या वो मा…न गयी?
मैं- हाँ, उसे ये थोड़ी न कहा कि हम बात नहीं बल्कि प्यार करते हैं।
उसने मेरे सीने पर हाथ मारते हुए कहा- जीजू, आप बहुत बदमाश हो।

मैं- मेरी जान … तुम्हारे लिये ही तो मैं बदमाश बना हूँ। बस एक काम करना आज से।
लोलिशा- क्या?
मैं- आज से जो भी सामान खरीदना वो दो-दो खरीदना, एक अपने लिए और एक अपनी मम्मी के लिए ताकि उसे कोई शक न हो हमारे ऊपर!
लोलिशा- ह्म्म … आप सभी कुछ सोच कर आये थे।

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उसके बाद मैंने लोलिशा के साथ कुछ ड्रेस सिलेक्ट किये ऑनलाइन।
मैं ज्यादातर कपड़े मृणालिनी को ही सोचकर चुन रहा था।

उसके बाद ऑर्डर दे दिया गया उन कपड़ों के लिए।

फिर लोलिशा को चोदने के बाद मैं वहां से निकल गया।

अब यह सिलसिला शुरू हो गया कि मैं हफ्ते में दो बार उनके घर जाता था। लोलिशा के भाई आशू को मैंने पेट्रोल पंप पर काम पर रख लिया जिससे वो रोज घर नहीं आ पाता था।

एक दिन मैं मृणालिनी के पास गया. मेरे आने से उसके चेहरे पर एक खुशी दिखाई देती थी।

हम दोनों एक दूसरे की बांहों में थे और एक दूसरे को किस कर रहे थे।
तभी मैंने उससे कहा- हमें लोलिशा को अब सब बता देना चाहिए, ज्यादा दिन तक इसे छुपाया नहीं जा सकता।
मृणालिनी- मगर कैसे बताएंगे? और क्या वो मान जाएगी?
मैं- हाँ! बस तुम्हें जो बता रहा हूँ ठीक वैसा ही करना।

फिर मैंने उसे पूरी प्लानिंग बता दी। उसके बाद जब लोलिशा आयी तो हमने ऐसे बात की जैसे मैं अभी ही आया हूँ।
फिर मृणालिनी किचन में चली गयी.

अब मैं और लोलिशा थे.
जैसे ही मैंने उसे अपनी बांहों में लेना चाहा उसने छुड़ाते हुए कहा कि हर रोज मम्मी को बेवकूफ नहीं बना सकते।
कहते हुए वो बाहर निकल गयी।

मैं भी उसके पीछे गया.
तब मृणालिनी किचन में थी. हमारी तरफ उसकी पीठ थी।

मैंने लोलिशा को पकड़ते हुए कहा- आंटी, आप हमारे साथ नहीं आएंगी?
मृणालिनी- नहीं दामाद जी, मुझे काम है. आप लोलिशा के साथ बैठिये।
लोलिशा के बूब्स दबाते हुए मैं बोला- ये नहीं बैठ रही है तो मैं क्या करूँ?

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मृणालिनी- क्यों लोलिशा? दामाद जी, को कोई तकलीफ मत दो और उनका ख्याल रख ठीक से!
मैं अभी भी लोलिशा के बूब्स दबा रहा था। फिर हम दोनों कमरे में आ गए।

मैंने उसे बिस्तर पर गिरा दिया और कमरे का दरवाजा बंद कर दिया। उसने कहा- ये क्या?
इससे पहले कि वो कुछ समझ पाती मैंने उसके कपड़े फाड़ दिए।
लोलिशा- आप पागल हो गए हैं क्या?

मैं- तूने सुना न तेरी मम्मी ने क्या कहा? मेरा ख्याल रख, समझी?
उसके बाद मैं उसे घोड़ी बनाकर उसकी गांड में वैसलीन लगाने लगा।

उसकी गांड बहुत मस्त थी. मैं उसकी गांड में चिकनी उंगली घुसा रहा था और अब धीरे धीरे उसके मुंह से सिसकारियां निकल रही थीं.
बीच बीच में मैं उसकी चूत को अपनी हथेली से सहला देता था. इससे उसकी गांड का छेद और ढीला हो जाता था जिससे मैं दो उंगली फंसाने में कामयाब हो रहा था.

साली की गांड में मैं काफी क्रीम घुसा चुका था. अब उसकी गांड ढीली सी हो गयी थी. अब उसकी गांड चुदाई करने की बारी थी.

मैंने अपने कपड़े उतार फेंके और पूरा नंगा हो गया.

नंगा होकर मैंने अपने लंड पर भी क्रीम लगा ली. उसकी गांड पर अब मेरा चिकना लंड मैंने रख दिया था.
वो अब थोड़ी डर रही थी. इतना मोटा लंड उसकी गांड में जाने वाला था.

उसकी गांड को मैंने दोनों हाथों से थाम लिया. मैंने अपना लंड उसकी गांड पर सेट करके एक जोर का धक्का मारा और मेरा लंड उसकी गांड में आधा चला गया।

वो जोर से चीख पड़ी- आह्ह ये क्या? मर जाऊंगी मैं, बाहर निकालो।
मैं- चुप कर साली, वर्ना तेरी मम्मी आ जायेगी. आज तो तेरी गांड मारने की सोच कर आया था।

वो अपनी चीख को तकिए में मुँह दबा कर रोकने की कोशिश कर रही थी।
उसे मैं खूब तेजी से चोद रहा था और वो आह्ह … आईई … ओह्ह … जैसी दर्द भरी आवाजें कर रही थी।

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मैं- साली कुतिया, अगर मर गयी तो लोग यही कहेंगे कि मुझे खुश करने में मौत हो गई।
लोलिशा- आप आ…ज हो…श में नहीं हैं क्या आ…ह।
मैं- साली मादरचोद, तेरी मम्मी ने मुझे लाइसेंस दिया है तुझे चोदने का। चुपचाप चुदवा साली छिनाल।

कमरे में बस फच-फच की आवाज़ और उसकी दर्द भरी सिसकारियों की आवाज आ रही थी।

करीब 20-25 मिनट बाद मैं उसकी गांड में ही झड़ गया।
उसके बाद हम दोनों अलग हो गए.

कुछ देर बाद मैंने उसे एक ड्रेस दिया जो उसकी जांघों तक ही था और ऊपर से कंधों पर थोड़ा खुला हुआ था।

उसने पहन कर दिखाया.
वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी।

तभी मृणालिनी ने कमरे का दरवाजा बजाया.

मैंने खोलने को कहा तो लोलिशा ने दरवाजा खोला और मृणालिनी अंदर आ गई।
मैं- आज ये ड्रेस लाया हूँ लोलिशा के लिए … कैसा है?

मृणालिनी- अच्छा है, मगर इसके पापा को ये पसन्द नहीं आएगा।
मृणालिनी ऐसे दिखा रही थी जैसे उसे समझ तो आ रहा है लेकिन वो अनजान बनी है।

मैं- तो क्या ज़रूरत है उनके सामने पहनने की, सिर्फ मेरे सामने पहने।
मृणालिनी- हाँ ठीक रहेगा। आप आज यहीं रुक जायें।
लोलिशा- लेकिन कैसे मम्मी?

मैं- बस तुम ये दो गोली अपने बाप को खिला देना आते ही।
एक गोली मैंने मृणालिनी को भी दे दी जो वो लोलिशा को खिलाने वाली थी।
फिर हम तीनों ने साथ चाय पी और मैं अब लोलिशा के कमरे में चला गया।

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फिर प्लान के मुताबिक लोलिशा ने अपने बाप को दो गोलियां और मृणालिनी ने एक गोली लोलिशा को दे दी। रात के 9:30 बजे तक मास्टर और लोलिशा दोनों सो गए।

कान्ति ने मुझे दस बजे के करीब फोन किया और मुझे आने के लिए कहा। मैं भी उसके कमरे में चला गया और जाने से पहले मैंने लोलिशा के सारे कपड़े निकल दिये।

उस वक्त मृणालिनी ने वही लाल रंग वाली साड़ी पहनी थी। मैं उसे अपनी बांहों में लेकर उसे किस करने लगा. वो भी मेरे होंठों को चूसने लगी. उसने मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिये.

आज वो आगे बढ़कर मेरे जिस्म से खेल रही थी. कभी मेरी छाती की निप्पल चूस रही थी तो कभी लंड पर हाथ फिरा रही थी.

उसके बाद उसने मेरे लंड को मुंह में ले लिया और जोर जोर से चूसने लगी.

मैंने उसको पूरी नंगी कर लिया और उसकी चूत में उंगली करने लगा.
वो मस्ती में सिसकारने लगी.
मैंने उसकी चूत को पूरी गीली कर दिया.

उसके बाद हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गये. मैं उसकी चूत में जीभ से चोदने लगा.
वो रंडी की तरह मेरे लंड को खाने लगी. उसको चाटने लगी. मेरे टट्टों को भी चूस रही थी.

आज वो मुझे पागल कर रही थी.
अब मैं भी नहीं रुक सकता था. मैंने उसकी चूत पर लंड को सेट कर दिया और पेल दिया.

मैं उसे चोदने लगा और उसकी चूचियां हवा में उछलने लगीं. फिर मैंने उसको घोड़ी बना लिया और आधे घंटे तक उसकी चूत पेली और उसकी चूत को अपने माल से भर दिया।

इस तरह उस रात को मैंने उसे जमकर चोदा और उसके बाद मैं वापस लोलिशा के पास आकर सो गया। लोलिशा पैंटी में पड़ी थी. मैंने उसकी चूत पर हाथ रखा और सो गया.

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सुबह साढ़े पांच बजे लोलिशा की नींद खुली तो उसने मुझे अपने साथ देखा और हम दोनों सिर्फ चड्डी में ही थे।
उसे लगा कि रात को मैं उसके ही साथ था।

फिर नौ बजे तक वो मास्टर अपने कॉलेज चला गया और लोलिशा भी जाने की तैयारी में थी।

मैंने उसे पकड़ कर रोका और कहा कि आज कॉलेज मत जाओ।
लोलिशा- क्यों?
मैं- बस आज हम लोग मस्ती करेंगे।
लोलिशा- नहीं, आज बहुत ज़रूरी क्लास है।

मैं- अरे पढ़कर क्या करना है तुम्हें?
लोलिशा- मतलब!
मैं- अरे तुम्हें बाद में सोना तो मेरे नीचे ही है।

लोलिशा- धत्त … मैं तैयार होकर आती हूँ।
फिर वो नहाने चली गयी।

मैं किचन में मृणालिनी के पास गया. वो चाय बना रही थी।
मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया और उसके बूब्स से खेलने लगा।

उसके बाद हम दोनों एक दूसरे को किस कर रहे थे कि तभी लोलिशा आ गयी।
भड़कते हुए उसने कहा- ये क्या हो रहा है?

तब मैंने कहा- देखो मेरी जान … तुम से पहले से मैं मृणालिनी के साथ हूँ। अगर तुम्हें कोई प्रोब्लम है तो मैं इसे लेकर जा रहा हूँ. अब तुम अपने पिता और भाई को संभाल लेना।

लोलिशा को कुछ समझ नहीं आ रहा था। मैं अभी भी मृणालिनी को किस कर रहा था और उसके बूब्स दबा रहा था।
मैं- देखो, मैं मृणालिनी से प्यार करता हूँ और इसने भी मुझे पहले ही दिन अपना दिल मुझे दे दिया था।

मृणालिनी- हाँ बेटी, तुम तो अपने पापा को जानती हो और जो सुख मुझे इनसे मिला है वो पहले कभी नहीं मिला।
मैं- देखो लोलिशा, मैं तुम्हें मृणालिनी के लिए छोड़ सकता हूँ लेकिन तुम्हारे लिए इसे नहीं। इसलिए सोच लो कि हमारे साथ रहना है या मेरे बिना।

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लोलिशा- ठीक है लेकिन हम दोनों के साथ आप कैसे रहेंगें?
मैं- वो तुम मुझ पर छोड़ दो। कोई ऐसी जगह है जहाँ तुम जाओ तो मास्टर नहीं जाना चाहे।
मृणालिनी- हाँ, वो मेरे मायके नहीं जाते और पूछते भी नहीं कि कब तक आना है।

बस उसके बाद से दोनों को मैंने अपने सीने से लगा लिया।

अब रात को मृणालिनी और दिन में लोलिशा मेरे साथ रहती थी।
मैं अब उन दोनों मम्मी बेटी की चुदाई एक साथ करता था.

मेरी आगे वाली कहानियों में कुछ और पात्र जुड़ेंगे जिससे कहानी और रोमांचक होने वाली है. आपको ये देसी चुत Xxx स्टोरी कैसी लगी मुझे आप इस बारे में लिखना न भूलें.
मेरा ईमेल का पता है [email protected]

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