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शादी में प्यासी भाभी की चुदाई का मौक़ा-1 (Shadi Me Pyasi Bhabhi Ki Chudai Ka Mauka- Part 1)
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नमस्कार दोस्तो, मैं आपका अरमान लव, आपके लिए एक और हुई अपनी घटना को आपके लिए ले कर आया हूँ. जैसा कि मेरी पहले की कहानियों को पढ़ने के बाद कई महिलाओं एवं लड़कियों के ईमेल भी मुझे मिले, कई ने मिलने की इच्छा भी जताई, अन्नू और डॉली ने भी बाहर जाने की अनुमति दे दी, (अन्नू और डॉली की कहानी ) तो मैं तीन आंटियों की दिल की मुराद उन्हीं के घर में पूरी करके आ गया.

मतलब मैं अब कॉल बॉय बनने की ओर पूरी तरह से अग्रसर हो चुका हूँ. इससे मुझे पैसे भी मिले, लेकिन मैंने ये सब पैसों के लिए नहीं किया. अभी तक जिन भी आंटियों के साथ रात बिताई, सभी की कुछ न कुछ समस्या थी. किसी के हजबेंड टाइम नहीं देते, तो किसी के घर से बाहर रहते हैं. आज की जो मेरी घटना है, वो मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की है. मैं और डॉली एक शादी के इन्विटेशन में वहां गए थे.

दीवाली के बाद का टाइम था. हल्की सर्दी की शुरूआत हो चुकी थी. अन्नू ऑफिस के किसी काम के कारण नहीं आ पाई. हम दोनों अपनी कार से भोपाल के लिए निकले, थोड़ी दूर मैंने, थोड़ी दूर डॉली ने कार चलाई. दोपहर के तीन बजे के करीब हम भोपाल पहुंचे. मेजबान के द्वारा बताई हुई जगह पर हम पहुंचे, जो कि एक होटल था. शादी अन्नू और डॉली की फ्रेंड नम्रता के भाई की थी. भोपाल के जाने माने लोगों में उनका नाम था.

होटल में सैटल होने के बाद हम लोग नम्रता के परिवार के लोगों से मिले. नम्रता को मेरे बारे में सब पता था. उसने मुझे हग किया, जिससे उसके टाईट बूब्स मेरी छाती में गड़ गए और मेरे जिस्म का भी उसने नाप ले लिया.

हाई फाई घरों में ये सब आम बात है. डॉली भी नम्रता के हब्बी से कुछ इसी तरह मिली. नम्रता ने इस वक्त स्लीवलैस और फुल बैकलैस लहंगा चोली पहना हुआ था. उसकी पीठ पर बस दो डोरियां उसकी चोली को थामे हुए थीं. नम्रता भी मस्त फटका आईटम लगती थी, बिल्कुल मेरी दोनों इन्हीं माल की तरह.
उसने भी अन्नू से बोला कि उसे भी मेरे साथ मजे करने का मन है. लेकिन आज तो नहीं हो सकता था, शादी में बहुत सारे गेस्ट थे.

सभी के रुकने का इंतजाम होटल में था. मेरा और डॉली का एक ही रूम था. बड़े घरों की शादी तो आप जानते ही हैं कि मॉडर्न कपड़े, महंगी ज्वैलरी, मेकअप और सभी में जवान दिखने की होड़ के चलते ये सब आम हो चला था. कुछ तो अपने बॉयफ्रेंड को भी लाई थीं.

मिसेज रॉय भी यहाँ थीं और एकदम बैकलैस साड़ी में थीं. मिसेज रॉय का परिचय मैं अपनी पिछली कहानी में बता चुका हूँ, जो हमें क्लब में मिली थीं. वे मेरे ऊपर शुरू से फ़िदा हैं, लेकिन यहाँ वो एकदम कातिल लग रही थीं, लेकिन आज अकेली आई थीं.

उन्होंने मुझे देखा, तो देखते ही मेरे पास आके मुझे गले लगा लिया और मुझे गाल पर किस करने लगीं. मैं और डॉली शादी में आई हुई कुछ महिलाओं के साथ बात और ड्रिंक कर रहे थे.

मिसेज रॉय के ऐसा करते ही कुछ फ्रेंड्स को बड़ा अजीब सा लगा और वे मेरी तरफ आश्चर्य से देखने लगीं. मिसेज रॉय ने अन्नू का भी पूछा, तो डॉली ने बताया कि उसे काम था.

मैं देख रहा था कि उधर खड़ी सभी महिलाएं बहुत सेक्सी लग रही थीं. मेरी जिस पर भी नज़र जा रही थी, उसे ही चोदने का मन कर रहा था. उन्हीं में से एक थीं किरण पाटिल, जो अपने पति के साथ पुणे से आई हुई थीं, लेकिन अभी हमारे साथ अकेली थीं. उनके हब्बी रूम में थे.

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मिसेज रॉय की हरकत के बाद उनके चेहरे पर कुछ सवाल उभर आए थे, जो मैंने पढ़ लिए थे. हम सबने थोड़ी देर वहीं होटल के गार्डन में बात की और फिर सब शाम का मिलने का बोल कर, कुछ देर आराम करने के लिए अपने अपने रूम में चल दिए.

मैं और डॉली अपने रूम में चल दिए. क्योंकि सफ़र की थकान और फिर थोड़ी देर बाद शाम को मेन प्रोग्राम होना था. हमारा रूम होटल के थर्ड फ्लोर पर था. हम सब लिफ्ट की तरफ चल दिए. मैं अकेला और पांच महिलाएं लिफ्ट में थीं. पहले फ्लोर पर मिसेज रॉय और एक लेडी हमें बाय कह कर चली दीं. सेकंड पर एक और उतर गई, अब लिफ्ट के अन्दर में डॉली और मिसेज पाटिल रह गए थे.

डॉली ने उनसे पूछा- क्या आप भी थर्ड फ्लोर पर हैं?
उन्होंने कहा कि हां मेरा रूम 310 है.
हमारा 301 नम्बर का कमरा था, जो बिल्कुल उनके रूम के सामने था. उनके सवाल उनकी आंखों में दिख रहे थे.

एक दूसरे को बाय कह कर हम अपने अपने रूम में चले आए. काफी शानदार डबल बेड रूम था. कुछ देर तक हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे, फिर डॉली का मन था, तो हम बाथरूम के टब में नंगे हो कर बैठ गए. डॉली को मैंने अपने आगे बैठाया और उसके मम्मों को मैं पानी और बॉडीवाश से साफ करने लगा. जो कि मेरा लगभग रोज़ का काम था.

डॉली मेरे हाथों को लेकर अपने बूब्स दबवा रही थी. इधर नीचे मेरा लंड भी अपने आकार में आ गया था, जो डॉली के हिप्स पर महसूस हो रहा था. डॉली भी मेरे लंड को हिप्स ऊपर नीचे करके अपनी घाटी में दबा रही थी.

डॉली ने पलट के मेरी तरफ मुँह किया और मुझे किस करने लगी. उसने मुझे टब के ऊपर बैठने का बोला, मैंने ऐसा ही किया और अपने लंड को उसके मुँह के आगे कर दिया. साथ ही अपने पैर को चौड़ा कर दिया. डॉली ने हैंड शावर ले कर लंड पर लगे झाग को साफ किया और फिर लंड पर टूट पड़ी. मैं अपना मुँह ऊपर कर के दोनों हाथ से डॉली का मुँह लंड पर दबाने लगा. डॉली भी लंड चूसने में एक्सपर्ट थी. उसने अगले ही पल मेरा पूरा लंड अपने गले तक नीचे उतार लिया और डीप सकिंग करने लगी. साथ ही मैंने भी अपनी कामकला का प्रदर्शन करके डॉली की प्यारी चुत को चोद के रस निकाल लिया, फिर नहा कर बाहर आ गए.

डॉली ने और मैंने कुछ नहीं पहना था. हम दोनों रूम में नंगे ही थे. इतने में डोर बेल बजी. मैंने अपनी शॉर्ट अंडरवियर पहन ली. डॉली ने तौलिया लपेट लिया.

दरवाज़ा खोला तो देखा कि मिसेज पाटिल थीं. उन्होंने मुझे देखा और फिर डॉली को देखा. डॉली ने उन्हें अन्दर आने का बोला, तो झट से अन्दर आ गईं.

उन्होंने कुछ मेकअप का सामान और मोबाइल चार्जर माँगा, जो कि वह जल्द बाजी में भूल आई थीं. डॉली ने उन्हें ऐसे ही तौलिये पहने पहने ही दोनों चीजें दे दीं. मिसेज पाटिल ने जाते जाते मुझे अर्थपूर्ण नजरों से देखा.

उनके जाते ही मैंने लंड सहलाते हुए डॉली को बोला- यार इसको भी जरूरत दिख रही है.
डॉली ने मेरे गाल पर चिकोटी लेते हुए कहा- यू नॉटी … सबकी चुत में अपना मूसल डालना चाहते हो.
इस बात पर हम दोनों हंसने लगे.

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मैंने अपना ब्लेज़र और डॉली ने गुजराती घाघरा चोली पहनी … वही पूरी पीठ प्रदर्शित करने के लिए … और इस चोली में आगे भी लोकट गला था, जो बूब्स दिखाने के लिए बड़ा ही मस्त था.
मैंने पूछा- किसको दिखाओगी?
तो डॉली ने कहा- मेरे राजा … हैं तो तेरे, लेकिन कुछ को देख तो लेने दे.

फिर यही करीब शाम साढ़े सात बजे हम रूम से निकले. धीरे धीरे लोगों का आना चालू हुआ. डॉली अपने पुराने फ्रेंड्स के साथ ‘हाय हैलो ..’ में लगी थी और मैं इधर माल किस्म की आइटमों के जिस्म की नाप लेने में लगा था. कुछ को मैं जानता था, कुछ नए चेहरे थे. सब गपशप में लगे हुए थे, ड्रिंक भी चल रही थी.

तभी मेरी नज़र मिसेज पाटिल से जा टकराई, उस वक्त वो मिसेज रॉय के साथ थीं. मिसेज रॉय ने मुझे देखते ही मुझे बुलाया- कम ऑन अरमान … प्लीज ज्वाइन अस.
मैं भी चल दिया.

जाते ही मिसेज रॉय ने मुझे चूम लिया और बोलीं- यार जब अकेले हो, तो मुझे बोल दिया करो … कितनी अकेली हूँ आजकल. केवल डॉली और अन्नू की सेवा ही करते रहोगे क्या?
मैंने कहा- ऐसी बात नहीं है, वो दोनों मुझे छोड़ती ही नहीं, बस और कुछ नहीं वरना … आप जैसी लेडी के हुस्न का दीदार कौन नहीं करना चाहेगा.
हम दोनों एक दूसरे से ऐसे ही फ्लर्टिंग करने लगे. ये सब हम मिसेज पाटिल के सामने कर रहे थे.

तभी मिसेज रॉय ने मेरा परिचय मिसेज पाटिल से कराया- अरमान, ये मिसेज पाटिल हैं, मेरी फ्रेंड हैं … पुणे से अपने पति के साथ आई हैं, इनका पुणे में बड़ा कारोबार है.
मैंने अपना हाथ बढ़ाते हुए अपना परिचय दिया, उन्होंने भी हैलो बोला और फिर नार्मल बातें होने लगीं. जैसे घर, बच्चे वगैरह.
उन्होंने बताया कि मेरा एक लड़का है, जो अभी बारहवीं में है, हॉस्टल में ही रहता है. हब्बी हैं, देवर देवरानी भी हैं. देवर, मेरे हब्बी के साथ ही कारोबार में हाथ बंटाते हैं.

मैंने उनकी हॉबी का पूछा तो कहा- मुझे तो बस पार्टी करना, घूमना, नए दोस्त बनाना अच्छा लगता है.
हब्बी का पूछने पर बोलीं- वो काम के चक्कर में ज्यादातर विजिट पर ही रहते हैं.

उन्होंने मुझसे पूछा- आप क्या करते हैं?
इस पर तपाक से मिसेज रॉय बोलीं- अरे यार ये जो करता है, मैंने बड़े बड़ों को उसमें फेल होते देखा है.
इस बात पर हम दोनों हंसने लगे. मिसेज पाटिल हमें देखने लगीं.

मैं उनको ‘एक्सयूज मी …’ कह कर अपनी ड्रिंक लेने चला गया. जाते जाते मैंने देखा मिसेज पाटिल, मिसेज रॉय से कुछ पूछ रही थीं.

ड्रिंक ले कर मैं जब पलटा तो डॉली ने मुझे अपने पास बुला लिया और फिर अपनी जान पहचान वालों से मिलवाने लगी. जितनी भी लेडीज, जो मुझे पहली बार देख रही थीं, मुझे खा जाने की नज़र से देख रही थीं. मैं भी अपने आप पर गर्व महसूस कर रहा था. साथ ही पलट पलट कर मैं मिसेज पाटिल और रॉय को देख रहा था. मिसेज पाटिल ने भी मुझे ऐसा करते हुए देख लिया था. वो वहीं से मिसेज रॉय से बात करते करते मुझे देख रही थीं. शायद मिसेज रॉय से उन्हें सब बता दिया था.

दो घंटे की पार्टी के बाद मुझे कुछ तबीयत ठीक नहीं लगी, तो मैं डॉली को बोल के रूम में चल दिया. मैं जाते जाते मिसेज पाटिल को देखने लगा. वो मुझे अजीब नजरों से देख रही थीं … और शायद यहां से रूम में जाने का सोच रही थीं.

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मैं रूम में पहुंचा और अपने कपड़े उतार कर सिर्फ एक शॉर्ट चड्डी में लेट गया, जिसमें मेरा 8 इंच का लंड बमुश्किल ढका हुआ था. कुछ देर बाद मुझे बाहर दरवाज़ा बजने की आवाज़ आई. मैं उठा और दरवाज़ा खोला, तो देखा मिसेज पाटिल सामने खड़ी हैं.

मैंने दरवाज़े की आड़ ले कर उनसे पूछा- क्या हुआ जी?
तो उन्होंने कहा- मुझे जोर की बाथरूम लगी है … और मेरे हब्बी नीचे हैं. मैं उन्हें कॉल कर रही हूँ, शायद शोर शराबे में वे मेरा फ़ोन भी अटेंड नहीं कर रहे हैं. कोई यहाँ है भी नहीं, सभी रूम लॉक हैं, प्लीज मैं आपका वाशरूम यूज़ कर लूँ?
मैंने कहा- यू आर मोस्ट वेलकम.
मैंने उन्हें अन्दर बुला लिया.

वो मेरे लंड को चड्डी के ऊपर से तिरछी निगाह करके वाशरूम की तरफ जाने लगीं.
मैंने वाशरूम की तरफ चल के अपने कान लगाये, लेकिन उनकी सु सु की सीटी नहीं सुनाई दी. मुझे लगा शायद ज्यादा नहीं चुदी हैं.

वो अपना काम निपटा कर बाहर आईं, तो मैं बेड पर बैठ कर अपने मोबाइल में वीडियो देख रहा था. उन्होंने मुझे धन्यवाद कहा और चलने लगीं.
मैंने उनसे कहा- मिसेज रॉय ने सब बता दिया या कुछ बाकी है?
उन्होंने मुझे पलट के देखा और एक प्यारी सी स्माइल दे कर बोला- हां सब बता दिया, आप तो बहुत बड़े सेवक हो … क्यों?
मैंने भी लंड सहाते हुए उनके प्रश्न का जवाब दिया- अजी हमारा काम ही है सेवा करना … ऊपर वाले ने लेडीज के शरीर को बनाया ही ऐसा है कि उसकी सेवा से ही मेवा मिलता है.
वो जोर से खिलखिला दीं.

मैंने उनसे पूछा- क्या आपको जाने की जल्दी है?
उन्होंने कहा- नहीं बस उनका ध्यान रखना पड़ता है … ज्यादा ड्रिंक न करें, नहीं तो ऊपर लाना मुश्किल होगा.
मैंने कहा- अब पार्टी है तो ड्रिंक तो बनती है … और ज्यादा भी कर ली, तो सर्वेंट हैं, उन्हें ले आएंगे, आप कुछ देर तो बैठिएगा.

मेरे जोर देने पर वो बैठ गईं.

उन्होंने मुझसे पूछा- कब से हो इनके साथ?
मैंने कहा- चार साल हो गए हैं.
उन्होंने कहा- गुड … अब तो आपको काफी अनुभव भी हो गया होगा?
मैंने स्माइल दी और कहा- हां अनुभवी लेडीज सब सिखा देती हैं.
उन्होंने कहा- कहीं बाहर भी जाते हो इनके अलावा?
मैंने कहा- हां अभी एक डेढ़ साल से जा रहा हूँ. इन्होंने भी जाने का बोल दिया है.
मिसेज पाटिल बोलीं- मिसेज रॉय को क्यों तड़पा रहे हो … बेचारी तुम पे कितना दिल रखती हैं?
मैंने कहा- हां वो तो पता है, लेकिन इन दोनो ने मना किया हुआ है कि वो मुझे एक बार के बाद आने नहीं देगी, इसलिए नहीं जाता हूँ.

बातों बातों में वो मेरे लंड पर नज़र डाल रही थीं. मैंने ये नोटिस कर लिया था.

मैंने उनसे पूछा- आपके हब्बी तो आपको टाइम देते है न?
तो वो एक लम्बी साँस लेकर बोलीं- बस टाइम ही तो नहीं है उनके पास … बाकी तो सब दे रखा है. बंगला गाड़ी मनी सब कुछ है.
मैंने उनसे कहा- आप क्या चाहती हैं उनसे?
तो बोलीं- हर लेडीज जो चाहती है भरपूर चुदाई …

मैं उनके मुँह से ‘चुदाई’ शब्द सुनकर एकदम से शॉक्ड हो गया. मैं उन्हें मॉडर्न लेकिन अपने दायरे में रहने वाली मान रहा था, लेकिन वो तो सब बोलना जानती थीं.
खैर … आजकल इसके बारे में कौन नहीं जानता.
मैंने कहा- चुदाई?
तो उन्होंने अश्लीलता से बोला- हां चुदाई, जो आप करते हो, जो सब करते हैं … लेकिन मेरे नसीब में शायद नहीं है.

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ऐसा बोल कर मिसेज पाटिल ने अपना सर हताश हो कर झुका लिया. मैंने धीरे से अपने हाथ से उनके कंधे पर जोर दिया, तो उन्होंने वासना भरी निगाह से मुझे देखा.
मैंने उन्हें अपनी तरफ सीधा किया और उनकी तरफ देख कर बोला- आज आप मेरे साथ हैं, जो आप करना चाहें, हो सकता है.

तो उन्होंने आगे बढ़ कर मुझे किस करना चालू कर दिया. मैंने भी उनका साथ दिया और फिर बेड पर ही एक दूसरे को अपनी जुबान निकाल कर किस करने लगे. मैंने अपनी जुबान को उनके मुँह में डाला, तो वो पागलों की तरह उसे चूसने लगीं और मैं उनके मुँह को जुबान से अन्दर बाहर करके चोदने लगा.

शादी में मिसेज पाटिल की चुदाई का एन्जॉयमेंट का पूरा मजा लेने के लिए आपको मेरी इस चुदाई की कहानी के अगले भाग का इन्तजार करना पड़ेगा.
आपके कमेंट्स का भी इन्तजार रहेगा.
कहानी जारी है.

इस कहानी का अगला भाग : शादी में प्यासी भाभी की चुदाई का मौक़ा-2

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